स्वास्थ्य संबंधी तमाम फायदों को प्राप्त करने के लिए दुनियाभर में कई प्रकार की मछलियों का सेवन किया जाता है। प्रोटीन, विटामिन, पोटेशियम सहित अनेक पोषक तत्वों की स्रोत मानी जानी वाली मछलियां आंखों, हृदय और मस्तिष्क के लिए काफी लाभदायक होती हैं। वैसे तो विश्वभर में मछलियों की तमाम प्रजातियों का उनसे होने वाले फायदों को देखते हुए सेवन किया जाता है, लेकिन कुछ मछलियां अपने गुणों के कारण खासी पसंदीदा हैं। इसी तरह से कई पोषक तत्वों को समाहित किए हुए एक मछली है- सैल्मन।

सैल्मन में आमतौर पर उच्च मात्रा में प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड पाए जाते हैं। उत्तरी अटलांटिक और प्रशांत महासागरों में कई प्रकार की सैल्मन पाई जाती हैं। सैल्मन को प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत भी माना जाता है। प्रोटीन मांसपेशियों के विकास में सबसे आवश्यक अवयव होता है।

सैल्मन में विटामिन बी12 भी पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है जो रक्त और तंत्रिका कोशिकाओं के लिए काफी फायदेमंद होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड, सैल्मन को सबसे खास बनाती है। आमतौर पर हमारा शरीर इसका निर्माण स्वयं नहीं कर पाता है ऐसे में सैल्मन का सेवन इसका पूरक हो सकता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड हृदय रोग (दिल का दौरा और स्ट्रोक सहित), कुछ प्रकार के कैंसर, डिमेंशिया, अल्जाइमर और अन्य कई प्रकार की बीमारियों के जोखिम को कम करने की क्षमता रखता है। ऐसे में स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि सैल्मन का सेवन कई प्रकार से शरीर के लिए फायदेमंद होता है।

इस लेख में हम आपको सैल्मन के सेवन से होने वाले लाभ और इसके संभावित खतरों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

  1. सैल्मन मे पाए जाने वाले पोषक तत्व - Nutrition se bharpoor hai Salmon Fish
  2. सैल्मन के सेवन के फायदे - Salmon ke sevan se kya kya laabh mil sakte hai
  3. ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होता है सैल्मन - Salmon Omega-3 Fatty Acids ka sabse accha srot hai
  4. प्रोटीन का अच्छा स्रोत है सैल्मन - Protein ki kami ko poora kar sakti hai Salmon
  5. विटामिन बी के सभी प्रकारों को समाहित किए हुए है सैल्मन - Salmon me har prkaar ka vitamin B paya jata hai
  6. हृदय रोग के खतरे को कम कर सकती है सैल्मन - Heart Disease ke Risk ko kam kar sakti hai Salmon
  7. वजन को नियंत्रित रखने में मदद कर सकती है सैल्मन - Salmon ka sevan kar kare Weight Control
  8. मस्तिष्क को स्वस्थ बनाए रखने में मददगार है सैल्मन - Brain Health ke liye kafi laabhkari hai Salmon
  9. सैल्मन के साइड इफेक्ट्स - Salmon ke Side effects

युनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (यूएसडीए) के मुताबिक जंगली प्रजाति के 85 ग्राम सैल्मन से निम्न पोषक तत्व प्राप्त किए जा सकते हैं।

  • कैलोरी : 121
  • फैट : 5.4 ग्राम
  • सोडियम : 37.4 मिलीग्राम
  • प्रोटीन : 17 ग्राम

सैल्मन को फाइबर, शुगर और कार्बोहाइड्रेट से मुक्त माना जाता है। ऐसे में यह कई प्रकार से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकती है। सैल्मन से विटामिन ए और कई प्रकार के विटामिन बी को प्रचुर मात्रा में प्राप्त किया जा सकता है। यह विटामिन डी के कुछ प्राकृतिक खाद्य स्रोतों में से एक है (जंगली प्रजाति में विटामिन डी भरपूर मात्रा में पाया जाता है)। इसके अलावा सैल्मन को मैग्नीशियम, पोटेशियम, फास्फोरस, जिंक, और सेलेनियम सहित कई खनिजों का भी उत्कृष्ट स्रोत माना जाता है।

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सैल्मन सबसे अधिक पौष्टिक खाद्य पदार्थों में से एक है। यह वसायुक्त मछली कई प्रकार के पोषक तत्वों से पूर्ण है। कई अध्ययनों से स्पष्ट हो चुका है कि सैल्मन का सेवन मोटापा के साथ मधुमेह और हृदय रोग के जोखिमों को कम करने में काफी फायदेमंद है। आहार के रूप में सैल्मन का सेवन करने से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर बढ़ता है। सैल्मन को प्रोटीन का भी बेहतर स्रोत माना जाता है। सैल्मन प्रोटीन के संदर्भ में जितना फायदेमंद है, उतना ही इसमें फैट की कम मात्रा इसके प्रभाव को बढ़ा देती है।

सैल्मन के सेवन से स्वास्थ्य संबंधी निम्न लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।

सैल्मन को ओमेगा-3 फैटी एसिड के सबसे बेहतरीन स्रोतों में से एक माना जाता है। सैल्मन के 100-ग्राम की मात्रा में करीब 2.3 ग्राम ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, वहीं इसकी जंगली प्रजातियों के इतने ही भाग में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा 2.6 ग्राम होती है।

अन्य दूसरे प्रकार के वसा की तुलना में ओमेगा-3 को शरीर के लिए अति आवश्यक तत्व माना जाता है, जिसका अर्थ है कि आपको आहार से इसे अवश्य प्राप्त करना चाहिए। आमतौर पर शरीर इसे निर्मित नहीं कर पाता है। वैसे तो ओमेगा-3 फैटी एसिड के दैनिक सेवन (आरडीआई) की कोई आवश्यक मात्रा निर्धारित नहीं की गई है। बावजूद इसके स्वास्थ्य से जुड़े गई संगठन सलाह देते हैं कि एक स्वस्थ्य व्यक्ति ​को प्रतिदिन कम से कम 250-500 मिलीग्राम, ईपीए और डीएचए युक्त ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन अवश्य करना चाहिए।

ईकोसैपेंटेनोइक (ईपीए) और डोकोसाहेक्सैनोइक (डीएचए) एसिड होते हैं, जो ओमेगा -3 फैटी एसिड में पाए जाने वाले तत्व हैं। स्वास्थ्य के मामले में यह कई प्रकार से फायदेमंद माने जाते हैं । सूजन और ब्लड प्रेशर को कम करना, कैंसर से शरीर की रक्षा करने के साथ धमनियों के कार्य को सुधारने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साल 2012 में कई अध्ययनों के विश्लेषण में पाया गया कि प्रतिदिन 0.45–4.5 ग्राम ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन करने से धमनियों के कार्य में महत्वपूर्ण सुधार होता है।

सैल्मन, उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन के सबसे अच्छे स्रोतों में से एक है। विशेषज्ञों का मानना है कि ओमेगा-3 फैट की तरह, प्रोटीन भी शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों में से एक है। चोट के बाद शरीर को दोबारा स्वस्थ करने, हड्डियों की देखभाल और मांसपेशियों को बढ़ाने, आदि महत्वपूर्ण कार्यों में प्रोटीन की आवश्यकता होती है।

हाल के शोध में पाया गया है कि स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए हर व्यक्ति को  ऐसा भोजन करना चाहिए जिससे कम से कम 20-30 ग्राम उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन प्राप्त किया जा सके। वहीं अगर सैल्मन से मिलने वाले प्रोटीन को देखा जाए तो 100 ग्राम सैल्मन से 22-25 ग्राम उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन प्राप्त किया जा सकता है।

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सैल्मन के सेवन से सभी प्रकार के विटामिन बी आसानी से प्राप्त किए जा सकते है। विशेषज्ञों का मानना है कि मात्र 100 ग्राम सैल्मन की जंगली प्रजाति से विटामिन बी की निम्न मात्रा प्राप्त किए जा सकते हैं।

  • विटामिन बी1 (थियामिन) : दैनिक आवश्यकताओं का 18 प्रतिशत
  • विटामिन बी2 (राइबोफ्लेविन) : दैनिक आवश्यकताओं का 29 प्रतिशत
  • विटामिन बी3 (नियासिन) : दैनिक आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत
  • विटामिन बी5 (पैंटोथेनिक एसिड) : दैनिक आवश्यकताओं का 19 प्रतिशत
  • विटामिन बी6 : दैनिक आवश्यकताओं का 47 प्रतिशत
  • विटामिन बी9 (फोलिक एसिड) : दैनिक आवश्यकताओं का 7 प्रतिशत
  • विटामिन बी12 : दैनिक आवश्यकताओं का 51 प्रतिशत

शरीर की कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में उपरोक्त विटामिन बहुत आवश्यक होते हैं। ये विटामिन भोजन को ऊर्जा में बदलने, डीएनए को बनाने और सूजन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के कामकाज को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए उपरोक्त सभी विटामिन बी की आवश्यकता होती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित रूप से सैल्मन का सेवन करने वालों में हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता है। यह रक्त में ओमेगा-3 एस को बढ़ा सकती है, वहीं कुछ लोगों के रक्त में ओमेगा -6 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन दोनों फैटी एसिडों के असंतुलन के कारण हृदय संबंधी रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

स्वस्थ पुरुषों और महिलाओं पर इस संबंध को जानने के लिए चार सप्ताह का अध्ययन किया गया। इन लोगों ने हर सप्ताह सैल्मन की दो सर्विंग्स का सेवन किया, परिणामस्वरूप देखा गया कि इन लोगों के खून में ओमेगा-3 के स्तर में 8-9 फीसदी की वृद्धि ज​बकि बढ़े हुए ओमेगा-6 के स्तर में गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने पाया कि सैल्मन और अन्य फैटयुक्त मछलियों के सेवन से ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में मदद मिलती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि सैल्मन का लगातार सेवन न सिर्फ आपके वजन को कम करता है साथ ही इसकी मदद से वजन पर आसानी से नियंत्रण भी रखा जा सकता है। दूसरे उच्च-प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की तरह यह भी उन हार्मोन को रेगुलेट करने में मदद करती है जो भूख को नियंत्रित करने और पेट को भरा हुआ महसूस कराते हैं। इसके साथ ही यह आपके मेटाबोलिक रेट को भी बढ़ाता है।

कई शोध से पता चलता है कि सैल्मन सहित और अन्य वसायुक्त मछलियों में पाया जाने वाला ओमेगा-3 फैट वजन घटाने के साथ पेट की चर्बी को भी कम कर सकता है। नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज वाले बच्चों में इस संबंध में एक अध्ययन किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि सैल्मन में पाया जाने वाला डीएचए एसिड लिवर फैट और पेट की चर्बी को प्रभावी ढंग से कम कर सकता है। इसके अलावा सैल्मन में कैलोरी भी काफी कम होती है। 100 ग्राम सैल्मन में करीब 206 कैलोरी होती है वहीं जंगली प्रजाति वाले सैल्मन में यह मात्रा घटकर 182 कैलोरी ही रह जाती है।

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अध्ययनों के दौरान पाया गया कि भोजन में सैल्मन को शामिल करने से मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि वसायुक्त मछलियां और मछली के तेल दोनों ही, अवसाद के लक्षणों को कम करने, गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के मस्तिष्क को स्वस्थ रखने, चिंता को कम करने, उम्र के साथ याददाश्त की दिक्कत और डिमेंशिया के जोखिम को कम कर सकते हैं।

65 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों पर इस संबंध को समझने के लिए एक अध्ययन किया गया। इस दौरान पाया गया कि अन्य लोगों की तुलना में सप्ताह में कम से कम दो बार वसायुक्त मछलियों का सेवन करने वालों में उम्र के साथ होने वाले याददाश्त का खतरा 13 फीसदी तक कम पाया गया।

एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि सामान्य लोग जो नियमित रूप से वसायुक्त मछलियों का सेवन करते हैं उनके मस्तिष्क में ग्रे पदार्थ की मात्रा अधिक होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त संबंधित खतरा कम हो सकता है।

उपरोक्त बिंदुओं में आपने जाना कि सैल्मन का सेवन किन-किन मायनों में स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। सैल्मन वास्तव में काफी फायदेमंद होता है। हालांकि, इसके कुछ साइड इफेक्ट्स और नुकसान भी हो सकते हैं जिसे भी जानना आपके लिए आवश्यक है।

सैल्मन में आमतौर पर डाइऑक्सिन और मिथाइलमर्करी जैसे अवयव भी पाए जाते हैं, जो कई प्रकार से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा स​कते हैं। मिथाइलमर्करी एक जहरीला यौगिक है जिसके संपर्क में आने से मस्तिष्क और तंत्रिका संबधी कई समस्याएं जन्म ले सकती हैं। इसी प्रकार डाइऑक्सिन भी काफी हानिकारक होता है। ये दोनों यौगिक सैल्मन में स्वाभाविक रूप से पाए जाते हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए मर्करी के संपर्क में आना हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान सलाह दी जाती है कि महिलाएं मछली का सेवन अधिक न करें, वहीं स्वोर्डफ़िश, सैल्मन और किंग मैकेरल जैसी मछलियां जिनमें मर्करी पाई जाती हैं, उन्हें बिल्कुल न खाने की सलाह दी जाती है।

साल 1991 में किए गए एक अध्ययन में बताया गया कि मछलियों के त्वचा को हटा देने से दूषित पदार्थों के संपर्क में आने का खतरा कम हो सकता है। ऐसे में सैल्मन की त्वचा के सेवन से प्राप्त होने वाले लाभों पर सवाल उठने शुरू हो गए। शोधकर्ताओं का मानना है कि वैसे तो सैल्मन की त्वचा से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बहुत अधिक नहीं होता है फिर भी त्वचा को हटा देना अधिक स्वास्थ्यप्रद है।

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