मेलास्मा त्वचा से जुड़ी एक स्थिति है जिसमें चेहरे पर भूरे या हल्के भूरे रंग के धब्बे बनने लगते हैं- खासकर नाक, गाल और माथे के हिस्से पर। इसके अलावा ये भूरे धब्बे गर्दन, कंधे और हाथ से लेकर कोहनी के हिस्से तक। मेलास्मा स्किन पिग्मेंटेशन यानी त्वचा रंजकता से जुड़ा विकार है। हालांकि वैज्ञानिकों को इस विकार के होने के सटीक कारण का पता नहीं है, लेकिन उन्हें संदेह है कि मेलेनोसाइट्स या वे कोशिकाएं जो मेलेनिन का निर्माण करती हैं उसकी गतिविधियां मेलास्मा के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। मेलेनिन, वह पिग्मेंट या रंजक है जो हमारी त्वचा और बालों को उनका रंग देता है।

(और पढ़ें - मेलेनिन की कमी के कारण, लक्षण, इलाज)

कोई भी व्यक्ति फिर चाहे वह किसी भी उम्र का क्यों न हो उसे मेलास्मा हो सकता है। बावजूद इसके कुछ लोग हैं जिन्हें मेलास्मा होने का खतरा अधिक होता है जैसे- गर्भवती महिलाएं और वे लोग जिनकी त्वचा का रंग गहरा होता है। सामान्यतया पुरुषों की तुलना में महिलाओं को मेलास्मा होने का जोखिम अधिक होता है।

रिसर्च से यह पता चलता है कि सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में आने पर मेलास्मा के धब्बों की समस्या ट्रिगर हो सकती है या फिर और बदतर हो सकती है। इसलिए अपनी जलवायु और जरूरतों के हिसाब से सही सनस्क्रीन का चुनाव करें क्योंकि मेलास्मा के धब्बों से बचने या उन्हें रोकने का एक तरीका सनस्क्रीन भी है।

(और पढ़ें - अच्छी सनस्क्रीन कैसे चुनें, ये टिप्स आएंगे आपके काम)

अब तक जितनी भी रिसर्च हुई है उसमें ऐसे कोई सबूत सामने नहीं आए हैं जो यह सुझाव दें कि मेलास्मा हानिकारक हो सकता है, हालांकि कुछ लोगों को सौंदर्य की दृष्टि से अपने चेहरे और शरीर के ऊपरी हिस्सों पर मौजूद ये धब्बे पसंद नहीं आते हैं। कुछ मामलों में, मेलास्मा के धब्बे अपने आप चले जाते हैं। उदाहरण के लिए- ज्यादातर मामलों में, गर्भावस्था के दौरान होने वाला मेलास्मा डिलिवरी के बाद अपने आप ही ठीक हो जाता है। 

लेकिन ऐसे मामलों में जहां मेलास्मा पिग्मेंटेशन बीमारी बनी रहती है उसमें मरीज चेहरे पर मौजूद इन झाइयों और धब्बों को कम करने या हटाने के लिए हाइड्रोक्विनोन, केमिकल पील और माइक्रोडर्माब्रेजन का उपयोग कर सकते हैं। भारत में मेलास्मा काफी सामान्य समस्या है और सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि एशिया में भी। मेलास्मा के लक्षण, कारण और जोखिम कारक, रोकथाम, डायग्नोसिस और उपचार के बारे में अधिक जानने के लिए इस आर्टिकल में आगे पढ़ें।

(और पढ़ें - चेहरे के दाग-धब्बे हटाने के घरेलू उपाय)

  1. मेलास्मा के लक्षण - Melasma ke lakshan
  2. मेलास्मा का कारण और जोखिम कारक - Melasma ka karan aur jokhim karak
  3. मेलास्मा के दौरान शरीर में क्या होता है? - Melasma me body me kya hota hai
  4. मेलास्मा का डायग्नोसिस - Melasma ka diagnosis
  5. मेलास्मा का उपचार - Melasma ka upchar
मेलास्मा के डॉक्टर

मेलेनिन, जैसा कि हम जानते हैं, हमारी त्वचा का एक पिंगमेंट या रंजक है। यह सूर्य की हानिकारक यूवी किरणों को रोकने का सबसे महत्वपूर्ण कार्य करता है। मेलास्मा तब होता है जब कोशिकाएं जो मेलेनिन- मेलेनोसाइट्स- बनाते हैं उसमें खराबी आ जाती है। मेलास्मा का सबसे स्पष्ट लक्षण हाइपरपिग्मेंटेशन या चेहरे पर मौजूद धब्बे हैं, हालांकि ये धब्बे गर्दन, कंधे और फोरआर्म्स पर भी हो सकते हैं।

(और पढे़ं - झाइयां और काले दाग धब्बे)

मेलास्मा के धब्बे भूरे या ग्रे और भूरे रंग के हो सकते हैं: यदि हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या त्वचा (डर्मिस) की गहरी परतों में हो, तो धब्बे ग्रे और भूरे रंग के दिखाई देते हैं और कम परिभाषित होते हैं या उनकी सीमा कम स्पष्ट होती है उन धब्बों की तुलना में जो एपिडर्मिस या त्वचा की ऊपरी परत पर होते हैं। मेलास्मा स्पॉट्स आमतौर पर इधर-उधर बिखरे हुए और संतुलित रूप से फैले होते हैं: नाक के ब्रिज के आरपार और दोनों गालों पर, आदि। यह एक महत्वपूर्ण सुराग है जो मेलास्मा को त्वचा रंजकता से जुड़े अन्य विकारों से अलग करता है जैसे - आंखों के काले घेरे

(और पढ़ें - काले घेरे हटाने के घरेलू उपाय)

मेलास्मा के चेहरे के धब्बे आमतौर पर तीन पैटर्न में पाए जाते हैं:

  • सेंट्रोफेशियल जिसमें माथे पर, नाक पर, चीकबोन्स पर और ठुड्डी पर धब्बे होते हैं
  • दोनों गालों पर धब्बे
  • जबड़े के आसपास केन्द्रित धब्बे

शरीर के अन्य हिस्सों में धब्बे उन क्षेत्रों में स्थित होते हैं, जहां सूर्य की रोशनी का एक्सपोजर ज्यादा होता है जैसे कि नेकलाइन या गले की रेखा और फोरआर्म्स।

Body Brightening Cream
₹450  ₹649  30% छूट
खरीदें

मेलास्मा एक प्रकार की स्किन पिग्मेंटेशन की समस्या है। हालांकि डॉक्टर अब तक यह नहीं जान पाए हैं कि मेलास्मा होने का क्या कारण है, इसके मेकानिज्म या तंत्र पर कई रिसर्च हुई हैं यह जानने के लिए कि मेलास्मा के दौरान शरीर के अंदर आखिर क्या होता है और मेलास्मा के जोखिम कारक क्या हैं।

(और पढ़ें - दाग और पिग्मेंटेशन से छुटकारा पाने का घरेलू नुस्खा)

मेलास्मा के जोखिम कारकों में शामिल हैं:

  • महिला होना
  • त्वचा का गहरा रंग लेकिन त्वचा का प्रकार VI का न होना जहां मेलेनिन पहले से ही "अधिकतम क्षमता" में उत्पन्न होता है
  • गर्भावस्था
  • गर्भनिरोधक गोली का सेवन करना (संयुक्त गर्भनिरोधक गोली)
  • सूरज की यूवी किरणों के संपर्क में बहुत अधिक होना
  • मेलास्मा का पारिवारिक इतिहास

इनमें से, गर्भावस्था के दौरान मेलास्मा की समस्या होना और गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने के कारण मेलास्मा होने की समस्या डिलिवरी के बाद और गोलियां लेना बंद कर देने के बाद क्रमशः खत्म हो जाती है।

(और पढ़ें - इन उपायों को अपनाएं और दागमुक्त स्किन पाएं)

हमारी त्वचा विटामिन डी बनाने के लिए सूर्य की कुछ पराबैंगनी (यूवी) किरणों को सोख लेती है। हालांकि, हानिकारक यूवी किरणों से त्वचा की निचली परतों (हाइपोडर्मिस) की सुरक्षा करने के लिए हमारी त्वचा मेलेनिन नामक एक काले रंग का पिगमेंट या रंजक बनाती है। त्वचा का वह हिस्सा जो मेलेनिन बनाता है, उसे मेलानोसाइट्स कहा जाता है और इस प्रक्रिया को मेलेनोजेनेसिस कहा जाता है। एक बार बनने के बाद, मेलेनिन को मेलेनोसोम्स नामक अंगों में संग्रहित किया जाता है। ये मेलानोसोम मेलेनिन को केराटिनोसाइट्स नामक त्वचा कोशिकाओं में जब जैसी जरूरत होती है वैसे रिलीज करते हैं। 

(और पढ़ें - काले दाग धब्बे हटाने की क्रीम)

इस जटिल प्रक्रिया के साथ एक समस्या भी है- मेलानोसाइट-उत्तेजक हार्मोन और एड्रिनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन जैसे हार्मोन शामिल हैं- जिससे मेलेनिन का अतिप्रवाह हो सकता है, जो बदले में, मेलास्मा का कारण बन सकता है।

मेलास्मा स्पॉट को आमतौर पर उपस्थिति द्वारा पहचानना आसान होता है: भूरे या ग्रे-भूरे रंग के धब्बे जो दोनों तरफ एक समान और बराबर होते हैं और इनकी सीमाएं अपरिभाषित होती हैं। विभिन्न प्रकार के स्किन हाइपरपिग्मेंटेशन बीमारियों में से एक मेलास्मा है, इसके अलावा कई और विकार निम्नलिखित हैं:

  • मैट्यूरेशनल डिस्क्रोमिया, जिसमें गाल और माथे का हिस्सा बाकी चेहरे की तुलना में गहरे रंग का दिखाई देता है
  • पेरिओरिबिटल हाइपरपिग्मेंटेशन या आंखों के नीचे काले घेरे -रियेल मेलानोसिस, एक प्रकार का पिगमेंटेड कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस है जिसमें चेहरे पर ग्रे और भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, आमतौर पर किसी सौंदर्य प्रसाधन की प्रतिक्रिया के रूप में
  • एक्सोजेनोस ऑक्रोनोसिस, लंबे समय तक हाइड्रोक्विनोन के इस्तेमाल के कारण होता है- यह एक दवा है जो मेलास्मा के उपचार के लिए प्रिस्क्राइब की जाती है। यह त्वचा के नीचे केले के आकार के पीले धब्बों के रूप में दिखाई देता है
  • एकैनथोसिस निग्रीकैन्स के कारण आमतौर पर मखमली, काले रंग का पैच बन जाता है जो अंडरआर्म्स में, जांघ के अंदरूनी हिस्सों में और गर्दन पर दिखाई देता है। डायबिटीज और मोटापे से पीड़ित लोगों में इस समस्या के होने की आशंका अधिक होती है।
  • लेन्टिजिन्स स्किन पर बनने वाले छोटे (2-3 मिमी) के गोल या अंडाकार पैच होते हैं जो गहरे भूरे रंग के होते हैं
  • लाइकेन प्लेनस पिगमेंटोसस ग्रे-भूरे रंग के पैच होते हैं जो शरीर के उन हिस्सों में दिखाई देते हैं जो सूर्य की किरणों के संपर्क में ज्यादा आते हैं

आपके स्वास्थ्य के लिए हमारी myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट आसानी से उपलब्ध हैं। अपना आर्डर आज ही करें, और रक्त शर्करा को नियंत्रित करके स्वस्थ जीवन का आनंद लें!

 

जनसाधारण व्यक्ति को इनमें से कुछ पैच एक समान ही दिख सकते हैं, लेकिन डर्मेटॉलजिस्ट या त्वचा विशेषज्ञ आमतौर पर इन सभी पैचेज के बीच अंतर बता सकते हैं। डायग्नोसिस करने के लिए, डॉक्टर आपसे आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में, त्वचा की स्थिति के पारिवारिक इतिहास के बारे में और जीवनशैली के कुछ कारकों के बारे में जैसे कि आप कितना समय घर के बाहर बिताते हैं जैसे कुछ सवाल पूछ सकते हैं।

(और पढ़ें - झाइयां हटाने के लिए क्रीम)

आपकी उम्र भी इसमें एक अहम कारक हो सकती है: झाईं या चित्ती पड़ना और एज स्पॉट्स भी मेलास्मा की तरह दिख सकते हैं, लेकिन झाईयां किशोरावस्था और किशोरावस्था से पहले वाली उम्र के बच्चों को प्रभावित करती हैं और समय के साथ फीकी पड़ जाती हैं और उम्र के धब्बे बुजुर्गों को प्रभावित करते हैं। मेलास्मा 20 से 50 वर्ष की आयु के लोगों में भूरे रंग के धब्बे के रूप में नजर आता है। अपने त्वचा विशेषज्ञ को इस बारे में जरूर बताएं अगर आप गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन कर रही हों या फिर अगर आप गर्भवती हों क्योंकि ये दोनों ही फैक्टर मेलास्मा का कारण बन सकते हैं।

बेहद दुर्लभ स्थितियों में किसी और तरह की बीमारी की आशंका को दूर करने के मद्देनजर डॉक्टर स्किन बायोप्सी करवाने की भी सलाह दे सकते हैं।

मेलास्मा ग्रे और भूरे रंग के और गहरे भूरे रंग के पैचेज या धब्बे के रूप में नजर आते हैं जो चेहरे के दोनों ओर एक समान रूप से दिखते हैं, गर्दन या दोनों कंधों और फोरआर्म्स पर हो सकते हैं। गर्भावस्था या गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने के कारण अगर मेलास्मा की समस्या हुई हो तो यह आमतौर पर अपने आप ही ठीक हो जाती है। ऐसे मामलों में जहां मेलास्मा की समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, धब्बों को हल्का करने या हटाने के लिए डर्मेटोलॉजिकल इलाज किया जाता है- हालांकि कुछ मरीजों में कुछ समय के बाद ये धब्बे वापस भी आ सकते हैं।

मेलास्मा से बचने या इसे सीमित करने के लिए जो सबसे अच्छी चीज आप कर सकते हैं वह है सूर्य की किरणों से सुरक्षा- एक अच्छी सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें और दिन के समय जितनी बार जरूरत हो, जितनी बार आप धूप में बाहर जाएं उतनी बार इस सनस्क्रीन को दोबारा स्किन पर लगाना न भूलें। रिसर्च के अनुसार, भारतीय पुरुषों और महिलाओं में मेलास्मा के शीर्ष कारणों में से एक सूर्य की किरणों के संपर्क में ज्यादा आना भी है।

मेलास्मा के धब्बों से निपटने का अगला और सबसे आसान तरीका मेकअप लगाना है (कॉस्मेटिक छलावरण), इसमें आप अपने चेहरे के लिए एक अच्छे कंसीलर का इस्तेमाल कर सकती हैं। डॉक्टर आपकी त्वचा के प्रकार और मेलास्मा के फैलाव के आधार पर आपको त्वचा का रंग हल्का करने वाले एजेंट्स, केमिकल पील या लेजर थेरेपी करवाने की सलाह भी दे सकते हैं। 

(और पढ़ें - रोज मेकअप करना सेहत के लिए हो सकता है हानिकारक)

अन्य उपचारों में डर्माब्रेजन, CO2लेजर और ग्लाइकोलिक एसिड पीलिंग जैसी चीजें शामिल हैं। इनमें से किसी भी प्रक्रिया को करवाने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें और उनकी परमिशन मिलने के बाद ही इनमें से किसी ट्रीटमेंट को करवाएं।

Shahnaz Husain

Shahnaz Husain

ब्यूटी
50 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. Saeed W., Altaf F., Rashid S. and Rani Z. Efficacy and safety of 50% glycolic acid peels in the treatment of melasma in Fitzpatrick’s skin type IV and V. Journal of Pakistan Association of Dermatologists, 2016; 26(1): 26-30.
  2. Kheradmand M., Afshari M., Damiani G., Abediankenari S. and Moosazadeh, M. Melasma and thyroid disorders: a systematic review and meta‐analysis. International Journal of Dermatology, November 2019; 58: 1231-1238. PMID: 31149743.
  3. Harvard Women's Health Watch, Harvard Health Publishing [Internet]. Unmasking the causes and treatments of melasma, October 2018.
  4. Handel A.C., Miot L.D. and Miot H.A. Melasma: a clinical and epidemiological review. Anais Brasileiros de Dermatologia, September-October 2014; 89(5): 771-82. PMID: 25184917.
  5. Vashi N. and Kundu R. link]. British Journal of Dermatology, October 2013; 169: 41-56.
  6. Cestari T.F., Dantas L.P., Boza J.C. Acquired hyperpigmentations. Anais Brasileiros de Dermatologica. January-February 2014; 89(1): 11-25. PMID: 24626644.
  7. Sarkar R., Jagadeesan S., Madegowda S.B. and Verma S. et al. Clinical and epidemiologic features of melasma: a multicentric cross‐sectional study from India. International Journal of Dermatology, November 2019; 58(11): 1305-1310.
  8. Sarkar R., Gokhale N., Godse K. and Ailawadi P. Medical management of melasma: A review with consensus recommendations by Indian pigmentary expert group. Indian Journal of Dermatology, 2017; 62(6): 558-577.
  9. Nouveau S., Agrawal D., Kohli M., Bernerd F., Misra N. and Nayak C.S. Skin hyperpigmentation in Indian population: insights and best practice. Indian Journal of Dermatology, September-October 2016; 61(5): 487-95. PMID: 27688436.
  10. Sarkar R., Puri P., Jain R.K., Singh A. and Desai A. Melasma in men: a clinical, aetiological and histological study. Journal of the European Academy of Dermatology and Venereology, 2010; 24(7): 768-772.
  11. Cunliffe T. Hyperpigmentation of the face and neck. Primary Care Dermatology Society [Internet].
  12. Schlessinger D.I., Anoruo M.D. and Schlessinger J. Biochemistry, Melanin. In: StatPearls [Internet]. Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2020 Jan-.
ऐप पर पढ़ें