पैरों से बदबू आने की स्थिति को मेडिकल शब्दों में “ब्रोमोडोसिस” कहा जाता है। ज्यादातर लोग पैरों से बदबू आने को एक आम समस्या मानते हैं और इसलिए इस स्थिति का इलाज नहीं करवाते। लोग यही मानते हैं कि बदबू जूतों के अंदर ही रहती है और किसी को उनकी बदबू के बारे में पता नहीं लग पाता है।

पैरों में बदबू होना अधिक पसीना आने के कारण होने वाली एक आम समस्या है। ब्रोमोडोसिस किसी को भी हो सकती है, जिनमें पुरुष, महिलाएं, एथलीट, वयस्क व बूढ़े लोग और यहां तक बच्चे भी शामिल हैं। पैरों से अत्यधिक बदबू आना ही इस समस्या का सबसे मुख्य लक्षण होता है।

इस स्थिति का आमतौर पर अपने आप पता लग जाता है और इसका परीक्षण करने के लिए किसी विशेष प्रकार के टेस्ट की आवश्यकता नहीं पड़ती है। कुछ सामान्य बातों का ध्यान रख कर पैरों में बदबू पैदा होने की रोकथाम की जा सकती है, जैसे पैरों की अच्छे से सफाई रखना, पैरों की उंगलियों के नाखून समय पर काटना और नियमित रूप से जुराबों को बदलना आदि। पैरों में मौजूद बैक्टीरिया की संख्या में कमी करके ब्रोमोडोसिस की समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है, जैसे रोजाना पैरों को धोना और समय-समय पर अपने जूतों को बदलते रहना। यदि पैरों में बदबू होने का कारण संक्रमण है, तो यह एक दर्दनाक स्थिति बन सकती है और इसका इलाज करने के लिए आपको एंटीबायोटिक या एंटीफंगल दवाओं की आवश्यकता पड़ सकती है।

ब्रोमोडोसिस क्या है - What is Bromodosis in Hindi

पैरों की बदबू क्या है?

ब्रोमोडोसिस को सामान्य भाषा में पैरों से बदबू आना कहा जाता है। मनुष्यों के पैरों में उनके शरीर के किसी भी हिस्से से अधिक पसीने की ग्रंथियां होती हैं। यदि कोई व्यक्ति जुराबें व जूते पहने हुऐ हैं, तो अधिक मात्रा में निकला हुआ पसीना हवा ना लगने के कारण सूख या वाष्प नहीं बन पाता है। इसके परिणामस्वरूप ब्रोमोडोसिस हो जाता है और पैरों में से बदबू आने लगती है।

ब्रोमोडोसिस के लक्षण - Smelly Feed Symptoms in Hindi

पैरों की बदबू के क्या लक्षण होते हैं?

पैर से बदबू आना अपने आप में एक लक्षण होता है। हालांकि इसके साथ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं। पैरों में जितना अधिक पसीना आता है, जुराबें उतना ही अधिक पसीना सोख लेती हैं, जिसके कारण जुराबें गीली हो जाती हैं। पैर की त्वचा में किसी प्रकार का कट या छाला भी पड़ सकता है, जिसमें इन्फेक्शन हो सकता है। यदि इन्फेक्शन के कारण पैर में बदबू हुई है, तो पैर में दर्द भी महसूस हो सकता है।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

कभी-कभी व्यक्ति द्वारा पूरा प्रयास करने के बावजूद भी वे अपने पैरों से आने वाली तीव्र बदबू से छुटकारा नहीं पा पाते हैं। ऐसे मामलों में उन्हें डॉक्टर के पास जाकर ब्रोमोडोसिस के लिए उचित इलाज करवा लेना चाहिए।

हालांकि यदि किसी घरेलू उपचार से बदबू खत्म ना हो पाए और आप इस बात से चिंतित हैं कि आपके पैरों से इतना पसीना क्यों आ रहा है, तो आपको अपने डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए। इसके अलावा यदि अधिक पसीना आने से आपका सामान्य जीवन भी प्रभावित हो रहा है, तो इस बारे में भी डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए।

यदि जरूरी हो तो डॉक्टर शक्तिशाली एंटीपरस्पिरेंट्स (पसीना कम करने वाली) दवाएं दे सकते हैं या फिर अधिक पसीना आने का इलाज करने के लिए कुछ अन्य दवाएं भी दे सकते हैं। यदि किसी प्रकार के इन्फेक्शन के कारण बदबू हो रही है, तो ऐसे में पहले इन्फेक्शन का इलाज किया जाता है।

मेडिकल स्टोर पर कुछ प्रकार की एंटी-माइक्रोबियल साबुन व एंटी फंगल प्रोडक्ट्स भी उपलब्ध हैं, जो डॉक्टर की पर्ची के बिना मिल जाते हैं। इनकी मदद से भी पसीने व बैक्टीरिया आदि से छुटकारा पाया जा सकता है, हालांकि अगर ये काम ना कर पाएं, तो डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए।

ब्रोमोडोसिस के कारण व जोखिम कारक - Bromodosis Causes & Risk Factors in Hindi

पैरों से बदबू क्यों आती है?

मुख्य रूप से अधिक पसीना आने की वजह से पैरों में बदबू हो जाती है और बैक्टीरिया व नमी इसका मुख्य कारण हो सकते हैं। पैरों में पसीना छोड़ने वाली ग्रंथियां होती हैं और पसीने से होने वाली नमी के कारण पैरों में बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं। हालांकि पसीने में किसी प्रकार की बदबू नहीं होती है, पसीने से होने वाली नमी में बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं। ये बैक्टीरिया पसीने में प्रतिक्रिया करके एक विशेष प्रकार की गैस छोड़ते हैं, जिस से बदबू पैदा हो जाती है।

अपशिष्ट पदार्थों को हटाने के दौरान बैक्टीरिया अवशोषित होकर डेड स्किन सेल्स और त्वचा में मौजूद तेलों में मिल जाते हैं, जिसके कारण से भी पैरों में बदबू पैदा होने लग जाती है।

ब्रोमोडोसिस का सबसे मुख्य कारण होता है पैरों में बहुत अधिक पसीना आना। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पैर जूते के अंदर दबाव में रहता है और जुराब से रगड़ खाता रहता है, जिससे पैरों मे गर्मी पैदा होती है व अधिक पसीना आने लग जाता है। ऐसा आमतौर पर शुष्क व गर्म मौसम में ही होता है। कुछ पसीना जुराबों के द्वारा भी सोख लिया जाता है और जैसा कि जुराबें जूते के अंदर होती है, इसलिए यह पसीना सूख नहीं पाता है। इस स्थिति के परिणामस्वरूप भी जुराबों और पैरों में बदबू पैदा हो जाती है।

पैरों में बदबू होने का खतरा कब बढ़ता है?

अत्यधिक तनाव और हाइपरहाइड्रोसिस नामक एक रोग के कारण भी किसी व्यक्ति को अत्यधिक पसीना आने लग जाता है। इस दौरान पसीना खासतौर पर पैरों में ही अधिक आता है, क्योंकि पैर जुराबों के अंदर होते हैं और परिणामस्वरूप ब्रोमोडोसिस रोग हो जाता है।

रिंगवर्म इन्फेक्शन एक प्रकार का फंगल इन्फेक्शन होता है, जो आमतौर पर पैरों की उंगलियों के बीच में विकसित होता है।

यह संक्रमण आमतौर पर किशोरों और गर्भवती महिलाओं में (हार्मोन में बदलाव होने के कारण) अधिक देखा जाता है।

अल्सर व अन्य बैक्टीरियल इन्फेक्शन जो आमतौर पर डायबिटीज से ग्रस्त लोगों में अधिक देखे जाते हैं।

स्वच्छता से संबंधित भी कुछ समस्याएं हैं, जिनके कारण पैरों में पसीना जमा होने लग जाता है, जैसे:

  • रोजाना जुराबें ना बदलना
  • स्पोर्ट्स जूतों को नियमित रूप से ना धोना
  • रोजाना घर पर आने के बाद अपने पैरों को ना धोना
  • नायलोन की जुराबें पहनना जो पसीना बिलकुल नहीं सोख पाती
  • प्लास्टिक परत वाले जूते पहनना जिसमें जूते पूरी तरह से बंद रहते हैं

ब्रोमोडोसिस से बचाव - Smelly Feed in Hindi

पैरों की बदबू से रोकथाम कैसे करें?

स्वच्छता से संबंधित कुछ उपाय हैं, जिनकी मदद से पैरों की बदबू पैदा होने से रोकथाम की जा सकती है:

पैरों को स्वच्छ रखने  के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें:

अपने पैरों को रोजाना साबुन व ब्रश से धोना चाहिए और फिर उन्हें अच्छे से सुखा लेना चाहिए, खासतौर पर उंगलियों के बीच का हिस्से को साफ रखना सबसे जरूरी होता है।

पैरों की उंगलियों के नाखूनों को काट कर छोटा व साफ रखना चाहिए

पैरों के तलवों की नियमित रूप से जांच करते रहना चाहिए, यदि तलवों के नीचे की त्वचा सख्त हो गई है या फिर उनमें डेड स्किन सेल्स बढ़ गए हैं, तो फुट फाइल (पैरों के लिए एक विशेष उपकरण) की मदद से उन्हें निकाल देना चाहिए। नमी के मौसम में सख्त त्वचा में गीलापन जमा हो जाता है, जिसके कारण बैक्टीरिया पैदा होने लगता है।

जूते व जुराबों से संबंधित ध्यान देने योग्य बातें:

  • रोजाना कम से कम एक बार अपनी जुराबें बदलें
  • अधिक टाइट फिटिंग वाले जूते ना पहनें
  • रोजाना जूतों की एक ही जोड़ी ना पहनें उन्हें एक दिन पहन कर अगले 24 घंटे के लिए सूखने के लिए छोड़ देना चाहिए, ताकि उनके अंदर की नमी खत्म हो जाए। इतना ही नहीं सूखने के दौरान जूतों के सोल निकाल देने से वे और अच्छे से सूखते हैं।
  • गर्मियों के समय में जूतों की जगह सेंडल पहनें और घर पर शाम के दौरान नंगे पैर रहें। हालांकि नंगे पैर रहने के दौरान ध्यान से रहें और पैरों को चोट आदि लगने से बचा कर रखें। यदि आपको डायबिटीज है तो नंगे पैर ना रहें, क्योंकि इस रोग में पैर पर लगी चोट इतनी आसानी से ठीक नहीं हो पाती है।
  • ऐसी जुराबें पहनें जो अधिक पसीना सोख सकें, जैसे प्राकृतिक रेशों से बनी मोटी जुराबें या फिर ऐसी जुराबें जो विशेष रूप से पसीना सोखने के लिए बनाई होती हैं, जैसे खेल कूद में इस्तेमाल की जाने वाली जुराबें। 
  • चमड़े या कैनवस से बने जूते या जालीदार जूते पहनें। जितना हो सके प्लास्टिक व रबर आदि से बने जूतें ना पहनें।

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पैरों की बदबू का परीक्षण - Diagnosis of Smelly Feet in Hindi

ब्रोमोडोसिस का परीक्षण कैसे किया जाता है?

पैरों में बदबू जैसी समस्याओं के बारे में मरीज आमतौर पर अपने आप ही पता लगा लेते हैं। यदि सामान्य घरेलू उपायों से इसका समाधान ना हो पाए, तो डॉक्टर पैरों की जांच करते हैं और उनमें इन्फेक्शन, छाले या किसी प्रकार का घाव आदि का पता लगाते हैं।

पैरों की बदबू का इलाज - Smelly Feet Treatment in Hindi

पैरों की बदबू का इलाज कैसे किया जाता है?

ब्रोमोडोसिस के इलाज के लिए घरेलू व मेडिकल उपचार किए जा सकते हैं।

पैरों की बदबू को कुछ घरेलू तरीकों से दूर किया जा सकता है, जैसे:

  • पैरों की दुर्गंध को हटाने के लिए आप अपने पैरों को माउथवॉश में भिगो सकते हैं
  • खूब मात्रा में पानी पीना भी शरीर की दुर्गंध को कम करने का एक अच्छा तरीका है।
  • एक बर्तन में हल्का गर्म पानी डालें और उसमें थोड़ा ओटमील डाल लें, जब पानी सफेद रंग का हो जाए तो ओटमील को निचोड़ कर निकाल लें। इस पानी में अपने पैरों को 10 मिनट तक भिगो कर रखें और फिर कपड़े के साथ हल्के-हल्के पोंछ कर सुखा लें
  • दो बड़े चम्मच एप्सम साल्ट को लगभग डेढ़ लीटर गर्म पानी में मिलाएं और उससे अपने पैरों को धोएं। यह घोल पैरों को शुष्क रखने में भी मदद करता है।
  • गर्मियों में आगे से खुले सेंडल पहनने और घर में नंगे पांव रहने से भी पैरों में आने वाले पसीने को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
  • प्लास्टिक या रबर के जूतों की जगह चमड़े या कैनवस आदि के जूते पहनें, ताकि पैरों तक हवा पहुंच सके।
  • एक ही जोड़ी को लगातार दो दिन से अधिक समय तक नहीं पहनना चाहिए, क्योंकि उनके अंदर पसीने की नमी को सुखाना जरूरी होता है। जूतों को जल्दी और अच्छे से सुखाने के लिए उनकी सोल को निकाल देना चाहिए।
  • लगातार 7 दिनों तक रोजाना आधे घंटे के लिए स्ट्रोंग ब्लैक टी में भिगो कर रखें। काली चाय में मौजूद टैनिन एसिड, बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है और पसीने के छिद्रों को बंद कर देता है, जिससे पैर लंबे समय तक सूखे रहते हैं।
  • नहाने के बाद पैरों की उंगलियों को सुखा लें और फिर रुई के टुकड़े के साथ सर्जिकल स्पिरिट (एक विशेष घोल) को उंगलियों के बीच में लगा लें। सर्जिकल स्पिरिट उंगलियों के बीच की त्वचा को सूखने में मदद करता है।
  • थोड़ा शलगम या मूली का रस लें और उसे अपने पैरों पर रगड़ें। इनमें दुर्गंध को दूर करने वाले प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की दुर्गंध को दूर करने में काफी मदद करते हैं।
  • पैरों की बदबू को दूर करने के लिए स्प्रे व डिओडेरेंट का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। एक सामान्य अंडरआर्म डिओडेरेंट या एंटीपरस्पिरेंट्स भी पैर की बदबू दूर करने के लिए विशेष प्रोडक्ट की तरह काम करता है, जिसपर लागत भी अपेक्षाकृत कम होती है।
  • कुछ जुराबों में पसीना सुखाने के लिए विशेष वेंटिलेशन पैनल दिए होते हैं और कुछ एंटीबैक्टीरियल जुराबें भी मार्केट में उपलब्ध हैं। एंटीबैक्टीरियल जुराबों में विशेष प्रकार के केमिकल होते हैं, जो पसीने से पैदा होने वाली बदबू का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को पैदा नहीं होने देते।
  • पसीने को कम करने के लिए पैरों पर टैल्कम पाउडर या हल्का-हल्का बेकिंग सोडा भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा थोड़ा सा पानी लें और उसकी आधी मात्रा के बराबर उसमें सिरका मिला लें। इस घोल को पैरों पर लगाने से भी पैरों की बदबू को दूर किया जा सकता है।
  • अदरक के रस को पैरों पर रगड़ कर भी लंबे समय तक पसीने से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा अदरक का रस त्वचा से विषाक्त पदार्थों को भी हटा देता है।
  • ब्रोमोडोसिस कई बार उसी बैक्टीरिया के कारण होती है, जो मुंहासे पैदा करते है, इसके लिए 10% बेन्जॉल पेरोक्साइड दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसी प्रकार से पैरों के लिए कुछ विशेष साबुनों का उपयोग भी किया जा सकता है। ये साबुन त्वचा के बैक्टीरिया और अन्य विषाक्त पदार्थों से लड़ने का काम करते हैं।

दवाएं:

  • इंटोफोरोसिस (Iontophoresis):
    इस उपचार प्रक्रिया के दौरान पानी के माध्यम से त्वचा में हल्का सा इलेक्ट्रिक करंट छोड़ा जाता है, जिसकी मदद से पैरों में अधिक पसीना आने की स्थिति कम हो जाती है।
     
  • बोटोक्स:
    कुछ मामलों में बोटुलिनम टॉक्सिन या बोटोक्स का इंजेक्शन भी दिया जा सकता है। इस दवा को "प्लांटर इंजेक्शन" नामक एक विशेष उपकरण की मदद से पैरों की त्वचा में डाला जाता है। हालांकि यह इंजेक्शन विशेष रूप से दर्दनाक भी हो सकता है। इस दवा का रिजल्ट आमतौर पर 3 से 4 महीनों तक रह सकता है और व्यक्ति को अन्य इलाज करवाने की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

ब्रोमोडोसिस की जटिलताएं - Smelly Feet Complications in Hindi

ब्रोमोडोसिस से क्या जटिलताएं होती हैं?

यदि किसी व्यक्ति को डायबिटीज के साथ-साथ पैरों में बदबू की समस्या है, तो उन्हें अपने पैरों की अच्छे से जांच करवा लेनी चाहिए। ऐसा इसलिए जरूरी है, क्योंकि उनके पैरों में छाले हो सकते हैं और हो सकता है वे संक्रमित भी हों। इन स्थितियों का इलाज एंटीबायोटिक या एंटीफंगल दवाओं से किया जाता है।

आमतौर पर ब्रोमोडोसिस यानि पैरों की बदबू से किसी प्रकार की गंभीर जटिलता पैदा नहीं होती है और सामान्य घरेलू उपायों से इस स्थिति का इलाज किया जा सकता है।

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