दुनियाभर में इस वक्त नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से होने वाली बीमारी कोविड-19 के मरीजों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। 6 अप्रैल 2020 के आंकड़ों की मानें तो अब तक 12 लाख से ज्यादा लोग कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं और करीब 70 हजार लोगों की मौत भी हो चुकी है। अमेरिका की बात करें तो यहां भी अब तक कोविड-19 के 3 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और करीब 9 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन कर उनसे मदद मांगी है कि एंटी-मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन टैबलेट के आयात पर लगा बैन हटा दें और अमेरिका की मदद करें।

ऐसे में आपके मन में भी यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इस एंटी-मलेरिया दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन का कोविड-19 से क्या संबंध है? दरअसल, कोविड-19 का इलाज खोजने के लिए जितनी भी रिसर्च चल रही है उन सबके बीच इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ICMR की ओर से बनाई गई एक नैशनल टास्क फोर्स ने एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें ये कहा गया है कि वैसे लोग जिन्हें कोविड-19 का संक्रमण होने का खतरा सबसे अधिक है उन्हें सुरक्षात्मक उपाय के तौर पर हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा दी जा सकती है। 

दरअसल, हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन, उन पहली दवाओं में से एक है जिसका इस्तेमाल मलेरिया के इलाज और उससे बचने में किया जाता रहा है। यह डिजीज-मॉडिफाइंग एंटी-रुमेटिक दवा (DMARD) भी है जिसका इस्तेमाल आर्थराइटिस यानी गठिया के मरीजों में सूजन और दर्द को कम करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इस दवा का इस्तेमाल स्वप्रतिरक्षित यानी ऑटोइम्यून बीमारियों जैसे- लुपस और रुमेटाइड आर्थराइटिस में भी किया जाता है। 

कोविड-19 बीमारी का प्रकोप चारों तरफ फैलने के बाद वैज्ञानिकों ने हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा की लैब में जांच की और जानवरों समेत इंसानों पर भी इसके इलाज और सुरक्षात्मक क्षमता का परीक्षण किया। जांच के बाद प्री-क्लीनिकल डेटा में यह बात सामने आयी कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल कोविड-19 संक्रमण के खिलाफ रोगनिरोधी दवा और इलाज के तौर पर किया जा सकता है।  

भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने यह बात साफतौर पर कह दी है कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा को डॉक्टर की सलाह और प्रिस्क्रिप्शन के बिना खरीदा नहीं जा सकता। साथ ही साथ यह दवा सिर्फ उन्हीं लोगों को दी जा सकती है जो सीधे तौर पर कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में हैं। चूंकि इस दवा के कई साइड-इफेक्ट्स भी हैं इसलिए दवा दुकानदारों को इस बात का सख्ती से पालन करना है कि वे हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा को बिना प्रमाणित प्रिस्क्रिप्शन के किसी को भी न दें।

  1. किन लोगों को दी जा सकती है हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन?
  2. हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा की डोज को लेकर क्या अंतर्विरोध है?
  3. हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की सुरक्षात्मक डोज देते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
  4. हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
  5. कोविड-19 के ट्रीटमेंट के लिए कौन-कौन से नए इलाज ट्राई कर रहे हैं डॉक्टर्स?
ट्रंप ने भारत से मांगी हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन- जानें कोविड-19 में इसका इस्तेमाल कब होता है? के डॉक्टर

कोविड-19 के लिए बनाए गए नैशनल टास्कफोर्स का यह सुझाव है कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा सार्स-सीओवी-2 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सिर्फ उन्हीं लोगों को दी जा सकता है, जो:

  • वैसे स्वास्थ्यकर्मी जो कोविड-19 के संदिग्ध या पुष्टि हो चुके मरीजों की सीधे देखभाल में लगे हैं और फिलहाल अलक्षणी हैं यानी जिनमें अभी कोविड-19 के लक्षण नजर नहीं आ रहे।
  • लैब में कंफर्म हो चुके कोविड-19 मरीज के घरवाले जो फिलहाल asymptomatic यानी अलक्षणी हैं।
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हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा की प्रिवेंटिव यानी सुरक्षात्मक डोज हर किसी को नहीं दी जा सकती। इस दवा से जुड़े कुछ अंतर्विरोध भी हैं:

  • 15 साल से कम उम्र के बच्चों को हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की डोज नहीं जा सकती।
  • वैसे लोग जिन्हें रेटिनोपैथी (आंखों की रेटिना को होने वाला नुकसान) की समस्या डायग्नोज हुई है या फिर वैसे लोग जो हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा या 4 अमीनोक्वीनोलीन कंपाउड के प्रति सेंसिटिव हैं, उनमें यह दवा बेहद प्रतिदिष्ट यानी contraindicated है।

सरकार ने भले ही कोविड-19 के प्रिवेंशन के तौर पर हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के इस्तेमाल की इजाजत दे दी हो, बावजूद इसके कुछ जरूरी बातें हैं जिनका ध्यान रखना चाहिए:

  • बिना डॉक्टरी सलाह के अपने मन से (सेल्फ-मेडिकेशन) इस दवा का सेवन बिलकुल न करें। किसी प्रतिष्ठित डॉक्टर की सलाह और प्रिस्क्रिप्शन के बिना हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा नहीं दी जानी चाहिए।
  • कोविड-19 के रोगनिरोधी इलाज के तौर पर जिन लोगों को हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा दी जा रही है उन्हें इसकी रिपोर्ट फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम ऑफ इंडिया (PvPI) के हेल्पलाइन पर या फिर अपने मोबाइल ऐप पर देनी है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि ताकि लोगों पर होने वाली इस दवा के रिऐक्शन और साइड-इफेक्ट पर नजर रखी जा सके। इन लोगों से मिलने वाले परिणामों के आधार पर ही इस दवा की डोज में किसी तरह के बदलाव का सुझाव दिया जा सकता है।
  • अगर कोई व्यक्ति जिसे हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की डोज दी गई है उसमें कोविड-19 के लक्षण नजर आने लगते हैं तो उसे जितनी जल्दी हो सके अस्पताल में भर्ती करवाना चाहिए।
  • वैसे लोग जो फिलहाल अलक्षणी हैं और जिन्हें रोगनिरोधी डोज के तौर पर हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दिया गया है और वे कोविड-19 के लैब कन्फर्म्ड मामलों के साथ सीधे संपर्क में हैं उन्हें राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के हिसाब से घर में ही क्वारंटाइन में रहना चाहिए।

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा के कई साइड इफेक्ट्स भी हैं, जैसे:

इसके अलावा एनीमिया और देखने की क्षमता में कमी (लॉस ऑफ विजन) भी हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के बेहद गंभीर लेकिन रेयर लक्षणों में से एक हैं। इस दवा के गंभीर साइड इफेक्ट्स खासकर उन लोगों में नजर आते हैं जो बुजुर्ग हैं या फिर जिन्हें पहले से किडनी की बीमारी है।

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चूंकि अब तक कोविड-19 का कोई सही और निश्चित इलाज खोजा नहीं जा सका है इसलिए वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की टीम दिन-रात कोशिश में लगी है कि इस बेहद संक्रामक बीमारी का कोई इलाज खोजा जा सके। इन सबके बीच दुनियाभर के डॉक्टर्स कोविड-19 संक्रमण से पीड़ित मरीजों का इलाज करने के लिए नए-नए इनोवेटिव ट्रीटमेंट कर रहे हैं। जैसे:

1. कोविड-19 के लिए टोसीलीजुमाब (tocilizumab) एंटीबॉडी ट्रीटमेंट

डॉक्टर्स इस वक्त टोसीलीजुमाब (tocilizumab) का इस्तेमाल करने की भी कोशिश कर रहे हैं। यह एक मानवीय IgG1 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (लैब में तैयार की एंटीबॉडी) है, जो शरीर के इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता द्वारा उत्पन्न किए एंटीबॉडीज की नकल करती है। ये वे एंटीबॉडीज हैं जो किसी बाहरी कोशिका या खराब कोशिका के खिलाफ लड़ाई लड़ती है। चीन के 21 कोविड-19 मरीज जिन्हें गंभीर वायरल निमोनिया हो गया था उनके इलाज के लिए इस एंटीबॉडी को टेस्ट किया गया था।

2. कोविड-19 के इलाज में इबोला की दवा का इस्तेमाल

जानवरों पर की गई स्टडी में डॉक्टरों को यह बात पता चली कि इबोला के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा remdesivir में सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) और मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम MERS के वायरस को बढ़ने से रोकने की क्षमता है। remdesivir दवा, आरएनए पॉलिमर्स एन्जाइम को ब्लॉक कर देती है जो वायरस की प्रतिकृति बनने के लिए बेहद जरूरी है।

3. कोविड-19 के लिए पैसिव एंटीबॉडी थेरेपी

पैसिव एंटीबॉडी ट्रीटमेंट में वैसा व्यक्ति जो कोविड-19 संक्रमण से उबर चुका है, उसके शरीर से खून निकाला जाता है और फिर वायरस को निष्फल करने के लिए एंटीबॉडी तैयार करने के लिए खून की जांच की जाती है। जब खून में ये वायरस-न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडी मिल जाते हैं तब उन्हें सीरम के साथ अलग कर लिया जाता है। उसके बाद इस सीरम को उन लोगों के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है जिनमें कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है, मरीजों का ख्याल रखने वाले मेडिकल प्रफेशनल्स और वैसे लोग जिन्हें पहले से किसी तरह की कोई बीमारी है।

4. टीशू प्लाज्मिनोजेन ऐक्टिवेटर (tPA)

कोविड-19 के मरीजों में किसी तरह का क्लॉट बनने से रोकने के लिए और उनका इलाज करने के लिए डॉक्टर टीशू प्लाज्मिनोजेन ऐक्टिवेटर ट्रीटमेंट का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। चीन और इटली में कोविड-19 की वजह से जिन लोगों की मौत हुई थी उन मरीजों में से ज्यादातर में मौत की एक वजह फेफड़ों में खून का थक्का जमना था जिस वजह से उन्हें पल्मोनरी एम्बोलिज्म हो गया। इसके अलावा आमतौर पर tPA का इस्तेमाल हार्ट अटैक या स्ट्रोक के मामलों में क्लॉट की समस्या दूर करने में किया जाता है।

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संदर्भ

  1. Indian Council of Medical Research [Internet]. Department of Health Research. New Delhi. India.
  2. American College of Rheumatology. [Internet] Atlanta, Georgia, United States Hydroxychloroquine (Plaquenil)
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