कोरोना परिवार का सदस्य कोविड-19 बीमारी (सार्स-सीओवी-2 वायरस) दुनिया के ज्यादातर देशों को अपना शिकार बना चुका है। यह वायरस सबसे पहले चीन के शहर वुहान में पाया गया, जो धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल चुका है। चूंकि यह बीमारी और वायरस बिल्कुल नया है, ऐसे में इसको लेकर लोगों के पास पर्याप्त जानकारियां उपलब्ध नहीं हैं। जितनी तेजी से यह वायरस फैल रहा है उतनी ही रफ्तार से इससे जुड़ी अफवाहें भी।

फेफड़ों की क्षमता की जांच के लिए स्व-परीक्षण के रूप में अपनी सांस रोककर रखें, कोरोना वायरस को बाहर निकालने के लिए ढेर सारा पानी पिएं और मौसम के गर्म होते ही वायरस मर जाएगा, ऐसी तमाम अफवाहें आपने भी सुनी होंगी। इन अफवाहों की सूची लगातार बढ़ती ही जा रही है। चूंकि, अधिकांश अफवाहों को तथ्यों के साथ और विशेषज्ञों का हवाला देते हुए बताया गया है, ऐसे में लोग आसानी से इन पर भरोसा कर लेते हैं। आज हम आपको ऐसी ही कुछ अफवाहों और उनकी सच्चाई से अवगत कराएंगे।

  1. गर्म मौसम में मर जाएगा वायरस
  2. कोविड-19 में मांसाहार का सेवन खतरनाक
  3. चाइनीज खाना खाने से बढ़ सकता है कोविड-19 का खतरा
  4. 10 सेकेंड तक सांस नहीं रोक पा रहे तो हो सकता है कोविड-19 का खतरा
  5. कोविड-19 में प्रभावी है विटामिन सी सप्लीमेंट
  6. एल्कोहल का सेवन करके कोविड-19 से बचा जा सकता है
  7. नाक में सरसों का तेल डालने से कम होता है कोविड-19 का असर
  8. सिर्फ उम्रदराज लोगों को चपेट में लेता है कोविड-19
  9. मास्क लगाकर कोविड-19 से बच सकते हैं
  10. कोविड-19 से बचने के लिए करें लहसुन का सेवन
  11. निमोनिया के टीकों से कोविड-19 से बच सकते हैं
  12. पालतू जानवरों से भी हो सकता है कोविड-19
  13. गर्म पानी पीने से कोरोना वायरस संक्रमण को रोका जा सकता है
  14. मच्छरों के काटने से फैल सकता है कोविड-19 वायरस
  15. जानलेवा है कोविड-19 वायरस
  16. कोविड-19 एक जैविक हथियार अर्थात साजिश है

बहुत सारे लोग दावा कर रहे हैं कि फ्लू वायरस और सार्स वायरस की तरह, सार्स-सीओवी-2 भी एक बार तापमान बढ़ने के साथ खत्म हो जाएगा और गर्मी के मौसम में इसका कोई भी मामला सामने नहीं आएगा।

सच क्या है : चीन के शोधकर्ताओं ने पाया है कि सार्स-सीओवी-2 जिसे पहले नोबल कोरोना वायरस के रूप में जाना जाता था, वह कम यानि लगभग 8.2 डिग्री सेल्यिस के आसपास अधिक सक्रिय रूप में रहता है। हालांकि, जो अध्ययन किया गया वह केवल चीनी आबादी पर आधारित था। साथ ही उसमें ऐसा उल्लेख नहीं था कि उच्च तापमान वायरस को नुकसान पहुंचाता है या मारता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) हेल्थ इमर्जेंसी प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक माइकल रयान पहले ही कह चुके हैं कि यह कहना गलत होगा कि कोविड-19 के मामलों में गर्मी के मौसम में गिरावट आएगी। सेंटर फॉर कम्युनिकेबल डिजीज डायनेमिक्स, हार्वर्ड टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं का कहना है कि सार्स-सीओवी-2 एक नया वायरस है, ऐसे में इसके बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। वर्तमान साक्ष्यों से पता चलता है कि वायरस तापमान और धूप में भी तेजी से फैल रहा है। इसके अलावा जब सार्स के मामले सामने आए थे, तो उसे स्वास्थ्य उपायों को अपनाकर नियंत्रित किया गया था। इतना ही नहीं उस वक्त कनाडा में जारी प्रतिबंधों में जब ढील दी गई थी तो वायरस दोबारा सक्रिय हो गया था।

ऐसे में अभी तक इसके कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि यह वायरस गर्मी या बढ़ते तापमान के साथ मर जाएगा या इसका प्रभाव कम हो जाएगा।

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कोविड-19 के शुरुआती मामले वुहान शहर के उस बाजार से आए जहां समुद्री जीव और जानवरों के मांस की बिक्री होती है। ऐसे में यह माना जाने लगा कि चिकन और मटन सहित अन्य जीवों का मांस ही रोग का प्रमुख कारण है।

सच्चाई क्या है : यूरोपीय खाद्य सुरक्षा संघ के अनुसार सार्स-सीओवी-2 भोजन के माध्यम से नहीं फैलता है। हालांकि, यदि सेवन करने से पहले अपने भोजन (विशेष रूप से मांस) को अच्छी तरह से नहीं पकाया जाता है तो बहुत सारे संक्रमण हैं जो फैल सकते हैं।

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी), संयुक्त राज्य अमेरिका के अनुसार पकाने से पहले पदार्थों को अच्छी तरह धोना चाहिए। इसके अलावा यह भी ध्यान रखा जाए कि कोई भी भोजन जो खराब हो सकता है वह दो घंटे से अधिक फ्रिज से बाहर न रहे।

चाइनीज भोजन दुनिया में सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले खाद्य पदार्थों में से एक है। हालांकि, कोविड-19 के बढ़ते मामलों के साथ अब हर कोई इससे बचने की कोशिश कर रहा है। लोगों को डर है ​कि इसके सेवन से भी वायरस का खतरा हो सकता है।

सच्चाई क्या है : यूरोपीय खाद्य सुरक्षा संघ पहले ही कह चुका है कि कोविड-19 भोजन से नहीं फैलता है। ऐसे में इस मिथ में कोई सच्चाई नहीं है। आपके स्थानीय बाज़ार में मिलने वाले चाइनीज खाद्य पदार्थों का चीन से कोई लेना-देना नहीं है। इसे स्थानीय रूप से ही बनाया जाता है। चीनी व्यंजनों से एलर्जी और अस्थमा के जोखिम बढ़ सकते हैं, फिर से सभी भोजनों में खतरा नहीं है।

यह सबसे डरावने मिथकों में से एक है। कहा जा रहा है कि सार्स-सीओवी-2 फेफड़े को नुकसान पहुंचाता है, इतना ही नहीं जब तक आप अस्पताल पहुंचते हैं आपके 50 फीसदी फेफड़े प्रभावित हो चुके होते हैं। आपको सांस लेने में परेशानी होने लगती है, जो खतरनाक है। हालांकि, यदि आप 10 सेकंड से अधिक समय तक अपनी सांस रोक सकते हैं, तो यह संकेत है कि आपके फेफड़े ठीक हैं।

सच्चाई क्या है : विशेषज्ञों का कहना है कि 10 सेकंड के श्वास परीक्षण से फेफड़ों की गंभीर बीमारियों का पता लगाया जाता है। सार्स-सीओवी-2 इतनी जल्दी फेफड़े में फाइब्रोसिस नहीं बनाता है, यह अपेक्षाकृत ज्यादा वक्त लेता है। कोविड-19 के अधिकांश मामले निमोनिया का कारण नहीं बनते हैं।

अस्थमा, चिंता और हृदय रोग जैसी कई परिस्थितियां हैं, जिनके कारण सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। कोविड-19 के सभी लक्षणों के साथ अगर आपको सांस लेने में तकलीफ होती है तो जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से बात करना जरूरी हो जाता है।

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प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में विटामिन सी को बेहतर माना जाता है। उम्रदराज और जिन लोगों की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली सही नहीं है, उनमें कोविड-19 का खतरा अधिक है। इसलिए माना जा रहा है कि विटामिन सी परिपूर्ण खाद्य पदार्थों का सेवन करके प्रतिरक्षा प्रणाली को सही किया जा सकता है, जोकि आपको कोविड-19 के खतरे से बचा सकता है।

सच्चाई क्या है : शरीर को स्वस्थ और सुचारू रखने के लिए आपको एक निश्चित मात्रा में हर पोषक तत्व की आवश्यकता होती है। विशेषज्ञों के अनुसार दैनिक रूप से पुरुषों के लिए 90 मिलीग्राम और महिलाओं के लिए लगभग 75 मिलीग्राम विटामिन सी आवश्यक होता है। चूंकि, यह विटामिन पानी के साथ घुलनशील है ऐसे में नियत से अधिक विटामिन सी की मात्रा शरीर से विभिन्न रूप में बाहर आ जाती है। विटामिन सी का अधिक सेवन पेट में जलन, उल्टी, पेट में ऐंठन और दस्त जैसी समस्याएं भी पैदा कर सकता है। ऐसे में नियत मात्रा में ही इसके सेवन की सलाह दी जाती है।

कोविड-19 से जुड़े लगभग सभी मिथो में एक बात जो समान है वह यह है ​कि सभी में कहीं न कहीं सत्य के छोटे अंश छिपे होते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि वह पूरी तरह से सही ही हों। चूंकि 70 फीसदी एल्कोहल वाले हैंड सैनेटाइजर सार्स-सीओवी-2 को मारने में सक्षम हैं। ऐसे में यह खबरें उड़नी शुरू हो गई कि एल्कोहल का सेवन करके कोविड-19 से बचा जा सकता है।

सच्चाई क्या है : ध्यान देने योग्य बात यह है कि आम तौर पर आप जो एल्कोहल लेते हैं वह बहुत शीघ्र ही अवशोषित हो जाती है। अवशोषण के बाद जो भी मात्रा शेष बचती है शरीर उसे बाहर कर देता है। इसके विपरीत कई सारे अध्ययनों में साबित हुआ है कि एल्कोहल आपके शरीर में बैक्टीरिया को बढ़ा देता है साथ ही इसका प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में यह मिथ सही नहीं है।

यह मिथ काफी तेजी से प्रसारित हुआ। इसमें कहा गया कि नाक में सरसो का तेल डालने या लगाने से आप आठ घंटे तक कोविड-19 से बचे रह सकते हैं। इसे संक्रमण के घरेलू उपाय के रूप में खूब फैलाया गया।

सच्चाई क्या है : सरसों के तेल में कुछ गुण होते हैं जो संक्रमण के कारण हुई लालिमा, सूजन और जलन को कम करते हैं। अध्ययन बताते हैं कि इस तेल में सक्रिय सल्फर यौगिक होते हैं जो रोगाणुरोधी होते हैं। हालांकि, इससे सार्स-सीओवी-2 के प्रभाव को कम करने जैसे कोई भी प्रमाण नहीं मिले हैं।

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कोविड-19 के ज्यादातर मामलों में 60 वर्ष से अधिक आयु, मधुमेह और हृदय रोगों से जुड़े लोग प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में यह खबरें उड़ी कि यह वायरस सिर्फ उम्रदराज लोगों को ही शिकार बना रहा है, युवाओं को इससे डरने की जरूरत नहीं है।

सच्चाई क्या है : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार सभी उम्र के लोगों में सीओवीआईडी-19 होने का खतरा है। यह सच है कि युवाओं की प्रतिरक्षा, बुजुर्गों के अपेक्षा अधिक होती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्हें यह हो नहीं सकता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस उम्र के हैं, लापरवाही बरतने से संक्रमित होने का खतरा है।

यह आम अवधारणा है कि मास्क लगाकर आप वायरस के संक्रमण से बच सकते हैं। लोगों ने इस वायरस से बचने के लिए कई तरह के मास्कों का प्रयोग करना शुरू कर दिया है।

सच्चाई क्या है : विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ का सुझाव है कि मास्क का इस्तेमाल केवल तब किया जाना चाहिए, जब आप किसी बीमार मरीज की देखभाल कर रहे हों या आप खुद बीमार हों।

विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ मास्क लगाकर ही आप इस संक्रमण से नहीं बच सकते हैं। चूंकि यह दूषित सतहों से भी फैलता है। ऐसी जगहों को छूने पर भी आपके शरीर में वायरस प्रवेश कर सकता है। मास्क तभी कारगर हैं जब आप हाथों को नियमित रूप से साफ करते हैं। यदि आप संक्रमित हैं, तो मास्क को ठीक से डिस्पोज करें और सिंगल-यूज़ मास्क का ही उपयोग करें।

सरसो की तरह लहसुन को भी कोविड-19 से बचने के लिए प्रभावी घरेलू उपाय बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि लहसुन में मौजूद रोगाणुरोधी गुण आपको इस वायरस से बचा सकते हैं।

सच्चाई क्या है : यह सच है कि लहसुन के बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ हैं। अध्ययनों से पता चला है कि लहसुन में जीवाणुरोधी और एंटीवायरल गुण होते हैं। एक अध्ययन से पता चला कि लहसुन आम फ्लू में प्रभावी है। हालांकि, अभी यह साबित करने के लिए कोई डाटा नहीं है कि लहसुन खाने से कोविड-19 से भी बचा जा सकता है।

निमोनिया और कोविड-19 वायरस में कुछ समानता देखी गई ऐसे में माना जाने लगा कि निमोनिया का टीका लेने से आप इससे सुरक्षित रह सकते हैं।

सच्चाई क्या है : डब्ल्यूएचओ का कहना है कि निमोनिया के टीके किसी भी तरीके से कोविड-19 को रोकने में प्रभावी नहीं हैं। टीकों को विशेष रूप से कुछ बैक्टीरिया या वायरस को रोकने या मारने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। चूंकि, टीके विशेष रोगों को ध्यान मे रखकर ही बनाए जाते हैं, ऐसे में यह दूसरे रोगों पर भी प्रभावी होंगे यह कहना स​ही नहीं होगा। चूंकि सार्स सीओवी-2 एक नया वायरस है, इसलिए इसके लिए विशेष वैक्सीन की ही जरूरत होगी।

हांगकांग में एक पालतू कुत्ते में कोविड-19 के लक्षण देखने को ​मिला था, ऐसे में यह माना जाने लगा कि यह वायरस पालतू जानवरों से भी फैल सकता है।

सच्चाई क्या है : अभी तक ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं कि कोविड-19 पालतू पशुओं जैसे कुत्तों और बिल्लियों से मनुष्यों में फैलता है। हालांकि, सुझाव दिया गया है कि अपने पालतू जानवरों के साथ समय बिताने या खेलने के दौरान सभी जरूरी सावधानियों का पालन करें। अपने पालतू जानवरों या किसी भी जानवर के संपर्क में आने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं। पशु (यदि वे बीमार हैं) तो वे साल्मोनेला या ई.कोलाइ जैसे संक्रमण फैला सकते हैं।

एक और मिथक है कि यदि आप लगातार गर्म पानी पीते हैं, तो यह आपके गले और फेफड़ों के बजाय वायरस को आपके पेट में पहुंचा देगा। चूंकि पेट में अत्यधिक अम्लीयता होती है ऐसे में वहां वायरस मर जाएगा।

सच्चाई : गर्म पानी सामान्य फ्लू या बंद नाक को सही करने में प्रभावी है। लेकिन ऐसे कोई सबूत नहीं हैं कि गर्म पानी पीकर आप कोविड-19 से बच सकते हैं। अध्ययन बताते हैं कि कोविड-19 आंतों के माध्यम से शरीर में पहुंचता है।

एक तरफ जहां लोगों का मानना है कि गर्मी के महीनों में कोराना वायरस खत्म हो जाएगा, वहीं एक मिथक है जो कहता है कि मच्छर काटने से वायरस फैलने का डर है। लोगों में फैले डर और चिंता के बीच ऐसे मिथकों का फैलना लाजमी है।

सच्चाई क्या है : इस बात का अब तक कोई सबूत नहीं है कि मच्छर यह बीमारी फैला सकते हैं या नहीं। यह वायरस खांसने और छींकने से फैल रहा है, ऐसे में अभी सिर्फ यही कहा जा सकता है कि हाथों को जितने अच्छे से साफ रखा जाएगा, इस वायरस के संक्रमण को कम करने में मदद मिलेगी।

चूंकि, कोविड-19 एक नई बीमारी है ऐसे में इसके बारे में बहुत सी गलत जानकारियां और चिंताएं हैं। 

चूंकि, कोविड-19 एक नई बीमारी है ऐसे में इसके बारे में बहुत सी गलत जानकारियां और चिंता है। इतना ही नहीं कोविड-19 को जानलेवा बीमारी के तौर पर भी देखा जा रहा है।

सच्चाई : अध्ययन से पता चलता है कि कोविड-19 के मामलों में लगभग 80 प्रतिशत लोगों में संक्रमण घातक नहीं होता है। रोगी को केवल बुखार, खांसी और हल्के निमोनिया की शिकायत रहती है। केवल 2.3 फीसदी रोगी ही इस बीमारी से जान गंवाते हैं। बुजुर्गों, उच्च रक्तचाप, हृदय रोगों और मधुमेह जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों को गंभीर संक्रमण का खतरा अधिक होता है।

यह सबसे ज्यादा चर्चा में है कि सार्स सीओवी-2 एक बायो वेपन है, जिसे षड्यंत्र के तहत एक प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। अनुसंधान के दौरान गलती से यह लीक हो गया है, जिसका असर पूरी दुनिया को झेलना पड़ रहा है।

सच्चाई क्या है : हाल ही में स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट, अमेरिका में किए गए शोध से पता चला है कि सार्स- सीओवी-2 प्राकृतिक उत्पत्ति है, इसे किसी प्रयोगशाला में तैयार नहीं किया गया है। यह पता लगाने के लिए, स्क्रिप्स की शोध टीम ने वायरस के डीएनए अनुक्रम पर गहराई से अध्ययन किया। इस दौरान उन्हें पता चला कि इसमें मानव निर्माण जैसी कोई संभावना ही नहीं है।

इसके अलावा यदि वायरस को लैब में बनाया गया होता तो वैज्ञानिकों ने किसी अन्य वायरस के मूल डीएनए का प्रयोग जरूर किया होता, जबकि इस मामले में ऐसा नहीं है। यह चमगादड़ और पैंगोलिन में पाए जाने वाले विषाणुओं से अधिक मेल खाता था।

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