लीवर के ठीक नीचे पित्ताशय होता है और ये लीवर से स्रावित होने वाले द्रव (पित्तरस) को संग्रहित करता है। पित्ताशय शरीर की पित्त प्रणाली का एक हिस्सा होता है। पित्ताशय की पथरी क्रिस्टल जैसा पदार्थ होता है, जो पित्ताशय में बनने लगता है। पित्ताशय की पथरी पित्ताशय में बिना किसी प्रकार के दर्द व अन्य लक्षण पैदा किए रह सकती है या यह पित्ताशय की दीवारों को उत्तेजित कर सकती है व पित्त नलिकाओं को बंद कर सकती है। इसके कारण संक्रमण, सूजन व जलन और पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द हो सकता है।

पथरी के लक्षण तभी दिखने शुरू होते हैं जब पथरी बनने के कारण पित्त नलिका में ब्‍लॉकेज हो जाता है। पथरी बनने पर पीलिया, बुखार, पेट के ऊपरी हिस्से में दाईं तरफ दर्द होने (जो कई घंटों तक रहे), वसायुक्‍त आहार खाने के बाद अचानक दर्द होने, भूख में कमी और दस्‍त जैसे लक्षण दिखते हैं।

पथरी के आकार पर ये निर्भर करता है कि उसे दवा से निकालना है या सर्जरी से। आमतौर पर छोटी पथरी को निकालने के लिए दवाओं का इस्‍तेमाल किया जाता है। हालांकि, बहुत कम ही ऐसा होता है जब दवाएं पथरी में बहुत असरकारी हों। इसमें इलाज बंद करने पर पथरी दोबारा होने का खतरा रहता है। ऐसे मामलों और पथरी का आकार बड़ा होने पर सर्जरी सबसे असरकारी विकल्‍प है।

होम्‍योपैथी उपचार सर्जरी का बेहतर विकल्‍प है। कार्डुअस मैरियेनस, कैल्केरिया कार्बोनिका, फेल टौरी और कई दवाओं का सफलतापूर्वक इस्‍तेमाल किया गया है। इन दवाओं से इलाज के बाद पथरी के दोबारा होने के मामले भी अब तक नहीं देखे गए हैं।

  1. पित्त की पथरी की होम्योपैथिक दवा - Gallbladder Stones ki homeopathic medicine
  2. होम्योपैथी में पित्ताशय की पथरी के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Gallbladder Stones ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
  3. पित्त की पथरी की होम्योपैथी दवा कितनी लाभदायक है - Gallbladder Stones ki Homeopathy medicine kitni faydemand hai
  4. पित्ताशय की पथरी के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Gallbladder Stones ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
  5. पित्त की पथरी के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Gallbladder Stones ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
पित्त की पथरी की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर
  • बैप्‍टिसिया टिंक्‍टोरिया (Baptisia Tinctoria)
    सामान्‍य नाम :
    वाइल्‍ड इंडिगो (Wild indigo)
    लक्षण : इस दवा का इस्‍तेमाल टाइफाइड में किया जाता है। इसके अलावा पेट के दाईं ओर दर्द, पित्ताशय के आसपास घाव, दस्‍त, लीवर के आसपास घाव और दर्द जैसे लक्षणों का इलाज भी इससे किया जा सकता है।
    बंद कमरे में रहने, गर्म और उमस भरे मौसम में रहने पर स्थिति और गंभीर हो जाती है। धुंध के मौसम में भी पथरी का दर्द उठ सकता है।
     
  • बर्बेरिस वल्गैरिस (Berberis Vulgaris)
    सामान्‍य नाम :
     बर्बेरी (Barberry)
    लक्षण : किडनी के आसपास दर्द होने की स्थितियों और पित्त रस के स्राव से जुड़े लक्षणों में इस दवा का इस्‍तेमाल किया जाता है। इसके अलावा निम्‍न लक्षणों को कम करने के लिए ये दवा दी जाती है :
    • पित्ताशय के आसपास वाले हिस्‍से में टांके लगने जैसा दर्द होना
    • लीवर के आसपास दर्द और इस दर्द का पेट की ओर बढ़ना
    • रंग पीला पड़ना (पीलिया)
    • कब्‍ज

इन स्थितियों की वजह से मूत्र प्रणाली से जुड़े लक्षण भी दिख सकते हैं। खड़े होने या किसी प्रकार की गतिविधि करने पर ये लक्षण और बिगड़ सकते हैं।

  • ब्रायोनिया अल्बा (Bryonia Alba)
    सामान्‍य नाम :
    वाइल्‍ड हॉप्‍स (Wild hops)
    आमतौर पर गतिविधि करने पर बढ़ने वाले दर्द के इलाज के लिए इस दवा की सलाह दी जाती है। ये सांवले रंग के लोगों के लिए सबसे असरकारी है और शाम के समय गर्म जगहों पर इसका असर ज्‍यादा होता है। निम्‍न लक्षणों को भी इस दवा से ठीक किया जा सकता है :
    • लीवर के आसपास वाले हिस्‍से में सूजन
    • पेट के आसपास दर्द के साथ जलन महसूस होना
    • कब्‍ज के साथ सुबह के समय दर्द का बढ़ जाना

इस स्थिति से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति को सुबह के समय, गर्म मौसम में और थकान होने पर दर्द ज्‍यादा महसूस होता है, जबकि ठंड और हल्‍का-सा दबाव कम होने पर दर्द से राहत पाने में मदद मिलती है।

  • कार्डुअस मैरियेनस (Carduus Marianus)
    सामान्‍य नाम :
    सेंट मैरी थिसल (St. Mary’s thistle)
    लक्षण : कार्डुअस मैरियेनस एक सामान्‍य दवा है, जिसका इस्‍तेमाल पीलिया और लीवर से जुड़े लक्षणों के इलाज में किया जाता है। ये निम्‍न लक्षणों से भी राहत दिलाने में मदद करती है :
    • लीवर में दर्द होना
    • कभी कब्‍ज तो कभी दस्‍त होना
    • पित्ताशय में दर्द और सूजन
       
  • कैल्‍केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica)
    सामान्‍य नाम :
    कार्बोनाइट ऑफ लाइम
    लक्षण : ये दवा उन लोगों को दी जाती है, जिन्‍हें आसानी से ठंड लग जाती है और मोटापे से ग्रस्‍त होने के साथ जिनकी त्‍वचा पीली है। ऐसे लोगों में इस तरह के सामान्‍य लक्षण भी दिखाई देते हैं :
    • पेट पर आसानी से दबाव महसूस होना
    • लीवर में हल्‍के दबाव के साथ दर्द का अहसास
    • पथरी का दर्द बहुत तेज होना
    • पेट में तेज दर्द और सूजन

ठंडे मौसम या कुछ भी ठंडा खाने पर दर्द बढ़ना, शुष्‍क मौसम में दर्द कम हो जाता है।

  • चेलिडोनियम मेजस (Chelidonium Majus)
    सामान्‍य नाम :
    (Celandine)
    लक्षण : पीलिया और लीवर से जुड़ी बीमारियों के लिए चेलिडोनियम मेजस की सलाह दी जाती है। इसके अलावा इस दवा से निम्‍न लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है :
    • पित्ताशय में तेज दर्द
    • पित्ताशय और लीवर के आसपास सूजन

मौसम बदलने के साथ सुबह के समय स्थिति और गंभीर हो जाती है। रात को खाना खाने के बाद और प्रभावित हिस्‍से पर हल्‍का-सा दबाव बनाने पर व्‍यक्‍ति को बेहतर महसूस होता है।

  • कोलेस्टेरिनम (Cholesterinum)
    सामान्‍य नाम : कोलेस्टेराइन
    (Cholesterine)
    लक्षण : पेट के आसपास जलन के साथ दर्द, पीलिया, पित्ताशय में पथरी के कारण दर्द के इलाज में भी इस दवा का इस्‍तेमाल किया जाता है।
     
  • फेल टौरी (Fel Tauri)
    सामान्‍य नाम :
    ऑक्‍स गॉल (Ox gall)
    लक्षण : पित्त नलिका में रुकावट आने के कारण दर्द, पीलिया और दस्‍त जैसे लक्षणों का इलाज इस दवा से किया जाता है।
     
  • जुगलैंस सिनेरिया (Juglans Cinerea)
    सामान्‍य नाम :
    बटरनट (Butternut)
    लक्षण : ये पीलिया की असरकारी दवा है। पेट दर्द (खासतौर पर लीवर के आसपास), दस्‍त जैसे सामान्‍य लक्षणों के इलाज के लिए इस दवा की सलाह दी जाती है।

जिन लोगों पर इस दवा का असर होता है उन्‍हें गर्म वातावरण और सुबह के समय लक्षणों से आराम मिलता है। हालांकि, चलने पर दर्द बढ़ जाता है।

  • लेप्टेंड्रा वर्जिनिका (Leptandra Virginica)
    सामान्‍य नाम :
    कल्‍वर्स रूट (Culver’s root)
    लक्षण : इस दवा से निम्‍न लक्षणों से भी राहत पाने में मदद मिलती है:
    • लीवर के आसपास के हिस्‍से में संवेदनशीलता बढ़ना
    • पेट के आसपास दर्द होना
    • पीलिया
       
  • माइरिका सेरिफेरा (Myrica Cerifera)
    सामान्‍य नाम :
    बेबैरी (Bayberry)
    लक्षण : लीवर से जुड़े लक्षणों के लिए इस दवा की सलाह दी जाती है। माइरिका सेरिफेरा से नीचे बताए गए लक्षणों का इलाज भी किया जा सकता है :
    • पेट में लंबे समय से हल्‍का दर्द होना
    • पीलिया
    • कम, पीला या झागदार पेशाब आना
       
  • मेडोराइनम (Medorrhinum)
    सामान्‍य नाम 
    : गोनोरिया वायरस (The gonorrheal virus)
    लक्षण : नीचे बताए सामान्‍य लक्षणों में भी मेडोराइनम की जरूरत पड़ती है:
    • लीवर में पीड़ादायक दर्द होना
    • मीठा खाने का मन करना
    • भूल जाना
    • पेट के बल लेटने पर दर्द कम होता है।

जिन लोगों पर मेडोराइनम असर करती है, जब वो अपनी स्थिति के बारे में सोचते हैं तो उनके लक्षण और खराब हो जाते हैं। अक्‍सर दर्द दिन के समय होता है और सूर्य अस्‍त होने पर ठीक हो जाता है। नमी और ठंडे मौसम में एवं समुद्र तट के पास दर्द से राहत महसूस होती है।

  • टेलिया ट्रिफोलिएटा (Ptelea Trifoliata)
    सामान्‍य नाम :
    वेफर ऐश (Wafer ash)
    लक्षण : इस दवा से जिन लोगों को लाभ मिलता है उनमें निम्‍न सामान्‍य लक्षण देखे जाते हैं :
    • लीवर से संबंधित स्थितियां
    • पेट के दाईं ओर दर्द
    • पेट के दाईं ओर लेटने पर दर्द कम होता है
    • दबाव के साथ लीवर में सूजन और दर्द

जिन लोगों को इस दवा से लाभ होता है उनमें सुबह या बाईं करवट लेटने पर लक्षण और खराब हो जाते हैं। खट्टी चीजें खाने पर दर्द से राहत पाने में मदद मिलती है।

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एक सर्वे के अनुसार उत्तर भारत में पित्त की पथरी के मामले सबसे ज्‍यादा होते हैं जिससे पित्ताशय के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। सर्वे में सामने आया है कि व्‍यक्‍ति का आहार और जीवनशैली पित्त की पथरी बनने पर प्रभाव डालते हैं। होम्‍योपैथिक उपचार में पथरी को दोबारा होने से रोकने और मौजूदा पथरी के इलाज में मदद करने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव करने होते हैं। ये उपचार के दौरान बाहरी कारकों के प्रभाव को कम करने में भी मदद करते हैं।

क्‍या करें

  • ताजा चीजें खाएं, जिनमें फैट कम और आयरन ज्‍यादा हो
  • व्‍यक्‍ति के अनुसार कमरे के तापमान और आसपास की स्थितियों में बदलाव लाना
  • निजी साफ-सफाई का ध्‍यान रखना और अपने आसपास भी सफाई पर ध्‍यान देना

क्‍या न करें

  • कैफीन की उच्‍च मात्रा वाले पदार्थों और शराब से दूर रहें
  • बहुत ज्‍यादा खट्टी या गर्म चीजें न खाएं, क्‍योंकि इनकी वजह से होम्‍योपैथिक दवाओं के असर पर प्रभाव पड़ता है।
  • चुभने वाले और टाइट कपड़े न पहनें क्‍योंकि कुछ मामलों में जहां पर लीवर होता है, वहां की स्किन संवेदनशील हो जाती है।
  • जिस तापमान और स्थि‍ति में व्‍यक्‍ति को बेहतर महसूस न हो, ऐसी परिस्थितियों से बचना चाहिए।

(और पढ़ें - पथरी में क्या खाएं)

पित्ताशय की पथरी के इलाज में होम्‍योपैथी दवाओं को बहुत असरकारी पाया गया है। अधिकतर मामलों में होम्‍योपैथिक दवाओं की न सिर्फ बीमारी बल्कि पूरे शरीर को ठीक करने की पद्धति का सकारात्‍मक प्रभाव देखा गया है। होम्‍योपैथी दवाओं को विभिन्‍न तत्‍वों के तरल रूप में बनाया जाता है। इन तत्‍वों की अधिक मात्रा से स्‍वस्‍थ व्‍यक्‍ति में उसी बीमारी के लक्षण पैदा हो सकते हैं, जिनका ये इलाज करते हैं।

व्‍यक्‍ति के सभी लक्षणों, मानसिक स्थिति, मेडिकल और शारीरिक परीक्षण करने के बाद ही होम्‍योपैथी चिकित्‍सक कोई दवा लिखते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि मरीज को उसके लिए सबसे असरकारी दवा दी जाए, जिससे कि उस पर कोई साइड इफेक्‍ट भी न पड़े।

(और पढ़ें - पथरी का दर्द क्यों होता है)

एलोपैथी चिकित्‍सक ने पथरी के तेज दर्द से पीडित एक 48 वर्षीय व्‍यक्‍ति को सर्जरी करवाने की सलाह दी थी। वह व्‍यक्‍ति सर्जरी करवाने को तैयार नहीं था, इसलिए उसने होम्‍योपैथी ट्रीटमेंट लिया और उसे 6 महीने के अंदर ही पथरी के दर्द से पूरी तरह से राहत मिल गया और उपचार के दौरान एवं बाद में कोई दुष्‍प्रभाव भी नहीं देखा गया।

एक अन्‍य अध्‍ययन में 54 वर्षीय भारतीय पुरुष को 4 महीने तक मेडोराइनम लेने से बिना किसी साइड इफेक्‍ट के पथरी के लक्षणों से राहत मिली।

होम्‍योपैथिक दवाओं के दुष्‍प्रभाव न के बराबर या बहुत कम ही देखे जाते हैं। चूंकि, इन दवाओं को प्रा‍कृतिक तत्‍वों से तैयार किया जाता है इसलिए अन्‍य उपचार पद्वतियों के मुकाबले इनके इस्‍तेमाल से साइड इफेक्‍ट का खतरा अपने आप ही कम हो जाता है।

चिकित्‍सकीय अध्‍ययनों में भी होम्‍योपैथी दवाओं की प्रभावशीलता और सुरक्षा साबित हो चुकी है। एक अध्‍ययन की रिपोर्ट में सामने आया है कि मेडोराइनम जैसी होम्‍योपैथी दवा लेने से पथरी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है और इसके कोई दुष्‍प्रभाव भी नहीं होते हैं।

(और पढ़ें - किडनी स्टोन के घरेलू उपाय)

हालांकि, बेहतर होगा कि आप होम्‍योपैथी चिकित्‍सक की देखरेख में ही कोई दवा और उपचार लें क्‍योंकि हर दवा हर व्‍यक्‍ति पर असर नहीं करती या ज्‍यादा खुराक लेने की वजह से दुष्‍प्रभाव देखने पड़ सकते हैं।

पित्ताशय की पथरी की समस्‍या होना आम बात है। अधिकतर मामलों में स्थिति के गंभीर होने तक कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। हालांकि, इस स्थिति का इलाज करने के कई तरीके और दवाएं मौजूद हैं।

दवाओं से पथरी के दोबारा होने का खतरा रहता है, इसलिए इस समस्‍या के लिए सर्जरी की ही सलाह दी जाती है। वहीं दूसरी ओर, होम्‍योपैथी दवाएं इस स्थिति से जुड़े हर लक्षण को ठीक करने में असरकारी पाई गई हैं। पित्ताशय की पथरी के कई मामलों में होम्‍योपैथी को बहुत असरकारी और सुरक्षित विकल्‍प माना गया है। ऐसा इसलिए है, क्‍योंकि होम्‍योपैथी दवाएं पथरी को पूरी तरह से ठीक करती हैं और उसे दोबारा होने से रोकती हैं एवं इनका कोई दुष्‍प्रभाव भी नहीं होता।

(और पढ़ें - किडनी स्टोन का आयुर्वेदिक इलाज)

मेडोराइनम, फेल टौरी और कैल्‍केरिया कार्बोनिका जैसी होम्‍योपैथी दवाएं पित्ताशय की पथरी के और इसके लक्षणों के इलाज में असरकारी और विश्‍वसनीय विकल्‍प हैं।

Dr. Rupali Mendhe

Dr. Rupali Mendhe

होमियोपैथ
21 वर्षों का अनुभव

Dr. Rubina Tamboli

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होमियोपैथ
7 वर्षों का अनुभव

Dr. Anas Kaladiya

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होमियोपैथ
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Prabhash Kumar Chaudhari

Dr. Prabhash Kumar Chaudhari

होमियोपैथ
5 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. National Health Service [Internet]. UK; Overview - Gallstones
  2. National Health Service [Internet]. UK; Treatment - Gallstones
  3. The Homopatheticcollege. Victory Over Serious Conditions: Gallstone Colic. [Internet]
  4. Madhu Sudan Ghosh. A case of gallstone with prostatomegaly. Year : 2014 Volume : 8 Issue : 4 Page : 231-235
  5. Madhu Sudan Ghosh. A case of gallstone with prostatomegaly. Year : 2014 Volume : 8 Issue : 4 Page : 231-235
  6. William Boericke. Homoeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1
  7. Sayeed Unisa et al. Population-based study to estimate prevalence and determine risk factors of gallbladder diseases in the rural Gangetic basin of North India. HPB (Oxford). 2011 Feb; 13(2): 117–125. PMID: 21241429
  8. Sayeed Unisa et al. Population-based study to estimate prevalence and determine risk factors of gallbladder diseases in the rural Gangetic basin of North India. HPB (Oxford). 2011 Feb; 13(2): 117–125. PMID: 21241429
  9. Wenda Brewster O’Reilly. Organon of the Medical art by Wenda Brewster O’Reilly. B jain; New Delhi
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