कभी काम में व्‍यस्‍त होने या किसी अन्‍य वजह से हम पेशाब को रोक लेते हैं। आपके साथ भी ऐसा कई बार हुआ होगा जब किसी मजबूरी के कारण आपको पेशाब रोकना पड़ा हो लेकिन क्‍या आपने कभी ऐसा सोचा है कि पेशाब रोकने का हमारी सेहत पर क्‍या असर पड़ता है और इसके फायदे-नुकसान क्‍या हैं।

आमतौर पर कभी-कभी किसी वजह से हम समय पर पेशाब नहीं जाते हैं और उसे मूत्राशय में ही रोक लेते हैं लेकिन अगर बार-बार पेशाब रोकना आपकी आदत बन गई है तो इसकी वजह से आपको कुछ हानिकारक प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं।

जब आधा मूत्राशय पानी या तरल से भर जाता है तो ब्लैडर मस्तिष्‍क को पेशाब करने का संदेश भेजता है। अगर इस‍ स्थिति में पेशाब करने जाना संभव नहीं हो तो मस्तिष्‍क मूत्राशय को पेशाब रोक कर रखने का संदेश भेजता है। कभी-कभी पेशाब रोकना जरूरी हो जाता है। घर से बाहर होने या आसपास शौचालय की सुविधा न होने पर अकसर ऐसा होता है।

तो चलिए जानते हैं कि लंबे समय तक या बार-बार पेशाब रोकने के क्‍या फायदे-नुकसान होते हैं। 

  1. मूत्राशय में कितना पेशाब रोक सकते हैं? - How much urine can your bladder hold to in hindi?
  2. पेशाब रोकने के नुकसान - Peshab rokne par kya hota hai
  3. पेशाब रोकने के फायदे - Peshab rokne ke fayde

एक स्‍वस्‍थ व्‍यक्‍ति अपने मूत्राशय में 2 कप मात्रा में पेशाब रोक सकता है। 2 साल तक की उम्र के बच्‍चों के मूत्राशय की क्षमता 4 औंस होती है और इससे अधिक उम्र के बच्‍चे 10 औंस पेशाब अपने मूत्राशय में रोक सकते हैं।

आपके सामने भी कभी न कभी ऐसी परिस्थिति उत्‍पन्‍न हुई होगी जब आपको पेशाब रोकना पड़ा होगा। पेशाब रोकने का असर आपके शरीर पर भी पड़ता है।

जब आपको मूत्राशय खाली करने की इच्‍छा होती है तो इसका मतलब सिर्फ ये नहीं है कि आपके मूत्राशय में तरल की मात्रा है बल्कि ये एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई मांसपेशियां, अंग और नसें व्‍यक्‍ति को पेशाब करने के लिए एक साथ बाध्‍य करने लगती हैं।

मूत्राशय के आधा भरने पर इसकी नसें सक्रिय हो जाती हैं। ये नसें मस्तिष्‍क को पेशाब करने का संदेश देती हैं लेकिन पेशाब करने की सुविधा न होने पर मस्तिष्‍क ब्‍लैडर को पेशाब रोक कर रखने का संकेत देता है। जब आप लंबे समय तक पेशाब को रोक कर रखते हैं तो उस दौरान आपका मस्तिष्‍क लगातार इस संदेश को वापिस भेजता रहता है।

उम्र, आपके ब्‍लैडर में कितना तरल मौजूद है और दिन के समय के आधार पर ये संकेत अलग-अलग हो सकते हैं। जैसे कि रात के समय पेशाब करने के संकेत कम मिलते हैं और आप रात को आराम से सो पाते हैं।

अगर आपको रात के समय पेशाब ज्‍यादा आता है तो हो सकता है कि किसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या की वजह से आपको ऐसा हो रहा हो। कुछ लोगों का ब्‍लैडर बुहत ज्‍यादा सक्रिय होता है या तनाव के कारण भी पेशाब ज्‍यादा आता है।

कुछ महिलाओं को प्रसव के बाद पेशाब करने की इच्‍छा ज्‍यादा होती है। ऐसा प्रसव के दौरान मांसपेशियों के कमजोर और नसों के उत्तेजिक होने के कारण हो सकता है।

(और पढ़ें - प्रसव के बाद की समस्याएं)

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अगर आप लंबे समय तक पेशाब रोक कर रखते हैं तो आपको निम्‍न हानिकारक प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं:

दर्द की शिकायत

जो लोग बार-बार या रोज़ाना पेशाब रोकते हैं उन्‍हें किडनी या ब्‍लैडर में दर्द महसूस हो सकता है। लंबे समय के बाद जब आप पेशाब करने जाते हैं तो मूत्र त्‍याग के दौरान दर्द होता है।

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पेशाब करने के बाद आंशिक रूप से मांसपेशियां सिकुड़ी रह सकती हैं जिसकी वजह से पेल्विक हिस्से की मांसपेशियों में ऐंठन पैदा हो सकती है।

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मूत्र मार्ग में संक्रमण

कुछ मामलों में लंबे समय तक पेशाब रोकने की वजह से कई तरह के बैक्‍टीरिया होने का खतरा रहता है। ये बैक्‍टीरिया मूत्र मार्ग में संक्रमण का रूप भी ले सकता है।

वैसे अध्‍ययन में पेशाब रोकने के कारण यूटीआई होने की बात अब तक सामने नहीं आई है लेकिन डॉक्‍टर इस आदत से बचने की ही सलाह देते हैं ताकि आप स्‍वस्‍थ रह सकें। अगर आपको पहले कभी यूटीआई की समस्‍या रह चुकी है तो आपको खासतौर पर इस बात का ध्‍यान रखना चाहिए।

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लोग पर्याप्‍त मात्रा में पानी या तरल पदार्थों का सेवन नहीं करते हैं उनमें भी यूटीआई का खतरा ज्‍यादा रहता है क्‍योंकि इनमें मूत्राशय द्वारा पेशाब करने का संकेत शरीर को बहुत कम ही दिया जाता है। इस वजह से मूत्र मार्ग में बैक्‍टीरिया हो सकता है जो कि संक्रमण का भी रूप ले सकता है।

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मूत्राशय में खिंचाव

अगर आप रोज़ ही समय पर पेशाब नहीं जाते हैं या घंटों तक पेशाब करने की इच्‍छा को दबाते रहते हैं तो अपनी इस आदत की वजह से आपके मूत्राशय में खिंचाव पैदा हो सकता है। इसके कारण ब्‍लैडर को सामान्‍य रूप से पेशाब करने में दिक्‍कत हो सकती है। ब्‍लैडर में खिंचाव होने की स्थिति में कैथिटर के ज़रिए पेशाब को निकाला जाता है।

पेल्विक हिस्‍से की मांसपेशियों को नुकसान

जो लोग लगातार पेशाब रोक कर रखते हैं उन्‍हें पेल्विक हिस्‍से की मांसपेशियों में दर्द महसूस हो सकता है। इन मांसपेशियों में से एक यूरेथ्रल स्फिंकटर होता है जो कि मूत्र मार्ग को बंद रखता है और पेशाब बाहर निकलने से रोकता है। इस मांसपेशी को नुकसान पहुंचने पर मूत्र असंयमिता (पेशाब न रोक पाना) की परेशानी हो सकती है।

पेल्विक व्‍यायाम जैसे कि कीगल एक्सरसाइज से इन मांसपेशियों को मजबूती दी जा सकती है और पेशाब लीक होने या मांसपेशियों के नुकसान को ठीक किया जा सकता है।

किडनी स्‍टोन

अगर आपको पहले कभी पथरी हुई थी और घंटों तक पेशाब रोकना आपकी आदत में शुमार है तो आपको दोबारा से किडनी स्‍टोन की समस्‍या हो सकती है। जिन लोगों के पेशाब में मिनरल की मात्रा बहुत ज्‍यादा होती है उन्‍हें भी पथरी का खतरा ज्‍यादा रहता है। आमतौर पर पेशाब में यूरिक एसिड और कैल्शियम ऑक्‍सलेट जैसे मिनरल्‍स होते हैं।

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एक रिसर्च में ये बात कही गई है कि पेशाब रोकने से व्‍यक्‍ति का आत्‍म–संयम बढ़ता है।  

पेशाब आने पर मूत्र त्‍याग न करने पर दिमाग सक्रिय हो जाता है जिससे पेशाब को रोकने में मदद मिलती है। इससे कई तरह की गलत इच्‍छाओं को भी रोकने में मदद मिलती है। जब आप अपनी इच्‍छाओं को रोकने में सक्षम हो जाते हैं तो इससे आपकी एकाग्रता भी बढ़ती है।

हालांकि, उपरोक्‍त अध्‍ययनों में उन्‍हीं लोगों पर रिसर्च की गई थी जिन्‍हें पेशाब करने की तीव्र इच्‍छा नहीं थी इसलिए पेशाब रोकने के फायदों के बारे में स्‍पष्‍ट रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता है।

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विशेषज्ञों एवं चिकित्‍सकों की मानें तो लंबे समय तक पेशाब रोक कर रखना या इसे अपनी आदत बना लेना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। अपनी इस आदत या गलती की वजह से आपको कई तरह की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं हो सकती हैं। इसलिए बेहतर होगा कि आप इस बात का ध्‍यान रखें और इस तरह की गलत आदतों से दूर रहें। 

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