बार्थोलिन सिस्ट की सर्जरी एक छोटी प्रक्रिया होती है जिसमें महिलाओं के अंदर बार्थोलिन सिस्ट का इलाज किया जाता है। जब बार्थोलिन ग्रंथि ब्लॉक हो जाती है, तो यह बार्थोलिन सिस्ट बन जाती है। जब सिस्ट की वजह से दर्दभरे लक्षण सामने आने लगें, तो सर्जरी करने की सलाह दी जाती है।
यह छोटी-सी सर्जरी होती है और इसमें मरीज सुबह भर्ती होता है और शाम को उसे छुट्टी मिल जाती है। दोबारा सिस्ट न बने, इसके लिए देखभाल करनी जरूरी होती है। किस तरह से सर्जरी हुई है, इसके आधार पर घाव को भरने में दो से चार हफ्तों का समय लग सकता है।
- बार्थोलिन सिस्ट सर्जरी क्या है
- कब पड़ती है सर्जरी की जरूरत
- सर्जरी कब नहीं करनी चाहिए
- सर्जरी से पहले की तैयारी
- बार्थोलिन सिस्ट सर्जरी कैसे की जाती है
- सर्जरी के जोखिम और परिणाम
- डिस्चार्ज के बाद देखभाल और फॉलो-अप
- सारांश
बार्थोलिन सिस्ट सर्जरी क्या है
बार्थोलिन ग्रंथि में योनि के बाहरी प्रवेश के आसपास कई ग्रंथियां होती हैं। ये ग्रंथियां योनि में ल्यूब्रिकेटिंग फ्लूइड के स्राव के लिए जिम्मेदार होती हैं। जब ये ग्रंथियां ब्लॉक हो जाती हैं, तो ये सिस्ट बनाने लगती हैं। इसके बाद ये सिस्ट लक्षण पैदा करने लगते हैं जिससे रोजमर्रा के कामों में प्रॉब्लम आने लगती है। इसलिए सिस्ट का इलाज करने की जरूरत होती है।
यदि मेडिकल मैनेजमेंट असफल हो जाए तो सर्जरी की जरूरत पड़ती है। सिस्ट के लक्षणों और साइज के आधार पर निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं :
- इंसीजन और ड्रेनेज : अगर पहली बार सिस्ट हुई है और सिस्ट का साइज छोटा है, तो यह तरीका अपनाया जाता है।
- मार्सुपियलाइजेशन (कंगारू पाउच बनाया जाता है) : बार-बार सिस्ट बनने पर यह किया जाता है।
- सिस्टेक्टोमी : मार्सुपियलाइजेशन के फेल होने पर यह प्रक्रिया की जाती है।
कब पड़ती है सर्जरी की जरूरत
जब दवाओं जैसे कि एंटीबायोटिकों और गर्म सिकाई से सिस्ट के लक्षणों को कंट्रोल न किया जा सके, तब बार्थोलिन सिस्ट सर्जरी की जरूरत पड़ती है। इसके लक्षण हैं :
- सूजन, जिसमें दर्द और छुने पर दर्द हो और बैठने और चलने में दिक्कत हो।
- डिस्परेयूनिया, सेक्स के दौरान दर्द होना।
- सिस्ट में इंफेक्शन होना जो बाद में फोड़ा बन जाए जिसमें पस भी हो।
- बुखार के साथ सिस्ट वाली जगह कसे छूने पर दर्द होना।
- बार-बार सिस्ट बनना।
सर्जरी कब नहीं करनी चाहिए
सर्जरी को लेकर कोई मतभेद नहीं है। हालांकि, पहले से अगर कोई बीमारी है, तो उसे कंट्रोल कर लेना चाहिए। उदाहरण के तौर पर डायबिटीज को कंट्रोल न किया जाए तो इससे सर्जरी का घाव भरने में समय लगता है और इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है इसलिए पहले इसे कंट्रोल करना चाहिए।
सर्जरी से पहले की तैयारी
गायनेकोलॉजिस्ट सर्जन पहले मरीज की मेडिकल हिस्ट्री जानते हैं। सिस्ट के लक्षणों और साइज के बाद ये निर्णय होता है कि किस तरीके से सर्जरी करनी है।
पहले से किसी हेल्थ प्रॉब्लम की दवा ले रहे हैं, तो डॉक्टर उेस बंद कर सकते हैं या सर्जरी के अनुसार उमसें कुछ बदलाव कर सकते हैं। मरीज से निम्न सवाल पूछे जाते हैं :
- रूटीन ब्लड चेकअप
- एसटीडी पैनल टेस्ट : यौन संक्रमित बीमारियां सिस्ट बनने का कारण बन सकती हैं।
- किसी असामान्यता का पता लगाने के लिए गर्भाशय ग्रीवा से (पैप स्मीयर) से कोशिकाओं का सैंपल लिया जाता है।
- 40 से अधिक उम्र की महिलाओं में, वल्वर कैंसर का पता लगाने के लिए सिस्ट के पास से टिश्यू का सैंपल लेकर बायोप्सी करवाई जा सकती है।
सर्जरी वाले दिन अस्पताल में भर्ती होने के बाद हॉस्पीटल गाउन पहनाई जाती है। इसके बाद सर्जन फाइनल रिव्यू करते हैं और फिर मरीज को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया जाता है।
बार्थोलिन सिस्ट सर्जरी कैसे की जाती है
मरीज को ऑपरेशल टेबल पर पीठ के बल लिटाया जाता है और उसके पैर मोड़कर चौड़े कर दिए जाते हैं। हार्ट रेट, बीपी और ऑक्सीजन सैचुरेशन जैसे महत्वूपर्ण कार्यों की जानकारी रखने के लिए बॉडी से मॉनिटर अटैच किया जाएगा। प्रभावित हिस्से को साफ कर के, उसे ड्रेप से ढक दिया जाएगा। किस तरह से सर्जरी की जा रही है, इसके आधार पर लोकल, रीजनल या जनरल एनेस्थीसिया दिया जा सकता है।
सर्जरी करने के तीन तरीके हैं :
-
इंसीजन और ड्रेनेज
यदि सिस्ट छोटी और पहली बार हुई है तो यह तरीका अपनाया जाता है। इसमें स्कालपेल से छोटा कट लगाकर सिस्ट के अंदर के फ्लूइड को निकाल लिया जाता है। फ्लूइड को लगातार निकालते रहने के लिए ग्रंथि के प्रवेश के अंदर एक स्पेशल बैलून कैथेटर लगाया जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर लोकल एनेस्थीसिया देकर की जाती है।
- मार्सुपियलाइजेशन
यदि सिस्ट बड़ी है या संक्रमित है या बार-बार हो रही है, तो इस तरीके से सर्जरी की जाती है। इसमें सिस्ट के ऊपर कट लगाकर फ्लूइड को निकाला जाता है। सिस्ट के कटे हुए किनारों को फिर आसपास की त्वचा से सिल दिया जाता है जिससे फ्लूइड निकलने के लिए एक कंगारू पाउच बन जाता है।
फिर खुली जगह को पट्टी से ढक दिया जाता है ताकि ब्लीडिंग कम हो। आमतौर पर यह सर्जरी लोकल या रीजनल एनेस्थीसिया देकर की जाती है।
- सिस्टेक्टोमी
जब सिस्ट बार-बार हो और मार्सुपियलाइजेशन फेल हो जाए तो यह आखिरी तरीका बचता है। वहीं बायोप्सी का रिजल्ट भी असामान्य आने पर यह तरीका अपनाया जाता है। इसमें पूरी ग्रंथि को निकालकर, कट को बंद कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया रीजनल या जनरल एनेस्थीसिया में की जाती है। इसमें लगभग 15 मिनट से एक घंटे का समय लगता है।
सर्जरी के जोखिम और परिणाम
इस सर्जरी के जोखिम बहुत कम हैं। हालांकि, इससे निम्न जटिलताएं हो सकती हैं :
- घाव से बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना
- घाव में इंफेक्शन
- बहुत ज्यादा दर्द और सूजन
- सर्जरी के दौरान नसों के सिरों को चोट पहुंचने की वजह से सुन्नता होना
- घाव का निशान पड़ना या सेक्स में दर्द होना
- एनेस्थीसिया की वजह से प्रॉब्लम होना
डिस्चार्ज के बाद देखभाल और फॉलो-अप
सर्जरी के बाद मरीज को उसके कमरे में लाया जाता है और कुछ घंटों तक ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है। ऑपरेशन वाली जगह पर सूजन और दर्द हो सकता है और इसके लिए मरीज को दर्द निवारक दवाएं दी जाती हें। डॉक्टर डिस्चार्ज की फाइल बनाते हैं जिसमें जरूरी दवाइयां और घाव की देखभाल का तरीका बताया जाता है। इसमें शामिल है :
- पहले से कोई बीमारी है, तो उसकी दवा लेनी है।
- इंफेक्शन और दर्द से बचने के लिए एंटीबायोटिक और दर्द निवारक दवाएं
- दिन में एक से दो बार सिट्ज बाथ : सिट्ज बाथ में गुदा और नीचे के प्राइवेट पार्ट को 15 से 20 मिनट के लिए गुनगुने पानी में भिगोया जाता है। इससे दर्द और सूजन से आराम मिलता है और घाव भी जल्दी भरता है।
- टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद सर्जरी वाली जगह को साफ करना जरूरी है। इसे साफ और सूखा रखने से इंफेक्शन नहीं होगा।
- हवादार पतले अंडरगार्मेंट्स पहनें।
- दो हफ्ते तक मुश्किल काम और सेक्स न करें।
- जब तक कि घाव पूरा नहीं भर जाता, तब तक क्रीम, पाउडर या टैम्पोन का इस्तेमाल न करें।
- सेक्स के समय कंडोम इस्तेमाल करें और पार्टनर को यौन संक्रमित बीमारी है, तो उसका इलाज करवाएं ताकि आपको दोबारा सिस्ट न बने।
घाव को पूरी तरह से भरने में दो से चार हफ्तों का समय लग सकता है। हालांकि, निम्न लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को बताएं :
आमतौर पर दो हफ्तों के बाद टांके खोल दिए जाते हैं। डॉक्टर बताएंगे कि आपको फॉलो-अप के लिए कब आना है।
सारांश
जब सिस्ट की वजह से रोजमर्रा के कामों में दिक्कत आने लगा और दवा से इलाज न हो पाए, तो बार्थोलिन सिस्ट सर्जरी की जाती है। इस प्रक्रिया के कम से कम जोखिम होते हैं और इसमें अस्पताल में भी ज्यादा देर नहीं रूकना पड़ता है। इंफेक्शन से बचने के लिए घाव की देखभाल जरूरी है। सर्जरी के सफल होने की दर उच्च है लेकिन यह सिस्ट बार-बार बन सकती है।
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