आजकल हमारी जीवनशैली में अच्छी आदतें लगातार कम होती जा रही हैं और बुरी आदतें लगातार बढ़ रही हैं। जैसे बाहर का खाना, देर रात को सोना और सुबह देर से जगना आदि। ये आदतें न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि अप्रत्याशित रूप से हमारी जेब को भी नुकसान पहुंचाती हैं। दूसरी ओर बढ़ती महंगाई को देखें तो अस्पतालों में जाकर अपना इलाज कराना असान नहीं रहा है। इन्हीं चीजों को देखते हुए सभी के लिए हेल्थ इन्शुरन्स एक आवश्यकता बन गई है।

हम जब भी हेल्थ इन्शुरन्स के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले यही बात मन में आती है कि यह प्लान क्या-क्या कवर कर रहा है। बहुत ही कम मामलों में हम इस बारे में सोचते हैं कि हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में किन-किन मेडिकल खर्चों को शामिल नहीं किया गया है। यही कारण है कि बाद में हमें नुकसान झेलना पड़ता है, क्योंकि बीमा कंपनियों के शब्दजाल में ऐसी कई बातें छिपी होती हैं जो बाद में हमें आश्चर्यचकित कर देती हैं।

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आज इस लेख में हम इसी बारे में बात करने वाले हैं कि हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में प्रमुख रूप से किन-किन मेडिकल खर्चों को एक्सक्लूड किया जाता है। यदि आप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खरीदने के बारे में सोच रहे हैं, तो यह लेख आपके काफी मदद कर सकता है और आपको भविष्य में क्लेम करते समय परेशानी नहीं होगी। चलिए जानते हैं कि हेल्थ इन्शुरन्स में एक्सक्लूजन का क्या मतलब है और इस लिस्ट में किन-किन मेडिकल खर्चों को शामिल किया जाता है।

  1. एक्सक्लूजन क्या है - What is Exclusion in Hindi
  2. एक्सक्लूजन में क्या शामिल है - What is included in the Exclusion in Hindi
  3. हेल्थ इन्शुरन्स में एक्सक्लूजन क्यों आवश्यक हैं

दुर्भाग्य से हेल्थ इन्शुरन्स हर प्रकार के मेडिकल खर्च पर कवरेज नहीं दे पाते हैं। ऐसे में जिन बीमारियों व अन्य मेडिकल खर्चो को हेल्थ इन्शुरन्स में कवर नहीं किया जाता है, उन्हें एक्सक्लूजन कहा जाता है। सरल भाषा में कहें तो आपकी बीमाकर्ता कंपनी ने जिन स्थितियों को एक्सक्लूजन में डाला है, वे स्थितियां होने पर आपको इलाज की सुविधा नहीं दी जाती है। चलिए एक उदाहरण के रूप में समझते हैं कि एक्सक्लूजन क्या है।

मान कर चलिए आप एक बीमाधारक हैं और आपकी बीमा कंपनी ने डायबिटीज को एक्सक्लूजन लिस्ट में डाला है, ऐसे में यदि आपको भविष्य में डायबिटीज की समस्या हो जाती है, तो उस पर होने वाले मेडिकल खर्च पर कंपनी कवरेज नहीं देगी।

यदि आप कोई भी हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खरीदने के बारे में सोच रहे हैं, तो उसकी एक्सक्लूजन लिस्ट को एक बार अच्छे से पढ़ लें, ताकि आप यह सुनिश्चित कर सकें कि यह किन बीमारियों को कवर नहीं कर रहा है।

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अक्सर लोग हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खरीदते समय सिर्फ उन चीजों के बारे में ही जानने की कोशिश करते हैं, जिन्हें प्लान में कवर किया जा रहा है यानि इनक्लूजन। लेकिन इनक्लूजन से ज्यादा एक्सक्लूजन के बारे में जानना जरूरी होता है, ताकि आपको बाद में कोई परेशानी न हो। 

इसलिए यह बेहतर है कि हेल्थ इन्शुरन्स प्लान को खरीदने का निर्णय लेने से पहले उसके बारे में कुछ रिसर्च कर लें। हमेशा अपने लिए ऐसी स्वास्थ्य बीमा योजना लें, जिसमें इनक्लूजन ज्यादा और एक्सक्लूजन कम हों।

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अब आप यह सोच रहे होंगे कि आखिर कौन सी बीमारियां व मेडिकल खर्च हैं, जिन्हें हेल्थ इन्शुरन्स प्लान कवर नहीं करते हैं। इस सवाल का जवाब पूरी तरह से नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि हर कंपनी का अपना प्लान होता है। सरल भाषा में कहें, तो ऐसा संभव हो सकता है कि कोई बीमारी एक कंपनी द्वारा कवर की जा रही हो, जबकि दूसरी कंपनी ने उसे एक्सक्लूजन लिस्ट में शामिल किया हुआ हो। हालांकि, फिर भी कुछ ऐसे मेडिकल खर्च हैं, जिन्हें अधिकतर हेल्थ इन्शुरन्स प्लानों में कवर नहीं किया जाता है। इनमें से कुछ प्रमुख एक्सक्लूजन्स के बारे में नीचे बताया गया है -

  • पहले से मौजूद बीमारियां -
    यदि आप कोई बीमा प्लान खरीदने के बारे में सोच रहे हैं और आपको पहले से ही कोई बीमारी हैं, तो उन्हें पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं यानि "प्री एग्जिस्टिंग कंडीशन" कहा जाता है। इन स्वास्थ्य समस्याओं को अक्सर स्वास्थ्य बीमा प्रदाता कंपनियां कवर नहीं करती हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि स्वास्थ्य बीमा को अनिश्चित स्वास्थ्य घटनाओं को कवर करने के लिए बनाया गया है और जो समस्याएं पहले से हैं उन पर कवरेज नहीं दी जा सकती है।
    हालांकि, आपके अनुरोध पर स्वास्थ्य बीमा कंपनी पहले से मौजूद किसी बीमारी पर कवरेज दे सकती है, लेकिन उसके लिए लगभग दो से चार साल तक का वेटिंग पीरियड दिया जाता है। वेटिंग पीरियड वह समयावधि होती है, जिसे स्वास्थ्य बीमा कंपनी द्वारा बीमाधारक के बीमा खरीदने के तुरंत बाद लागू किया जाता है। बीमाधारक इस अवधि के बाद ही क्लेम कर पाता है।
    सरल भाषा में कहें तो यदि आपको पहले से कोई बीमारी है और आप उसे हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में कवर करने का अनुरोध करते हैं, तो आपको उस बीमारी पर क्लेम प्राप्त करने के लिए कम से कम दो से चार साल तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। जब तक वेटिंग पीरियड पूरा नहीं हो जाता है, आप उस बीमारी के इलाज पर कवरेज नहीं ले सकते हैं। इसके साथ ही हो सकता है कंपनी आपके उसके लिए अतिरिक्त प्रीमियम की मांग करे।
     
  • कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट -
    सौंदर्य से संबंधित इलाज व अन्य मेडिकल खर्चों को भी हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में शामिल नहीं किया जाता है। यदि आप अपने सौंदर्य के लिए कोई इलाज या सर्जरी करवा रहे हैं, तो ऐसे इलाज का खर्च आपको अपनी जेब से ही भरना पड़ता है। हालांकि, अगर किसी दुर्घटना के बाद उसके इलाज के रूप में प्लास्टिक सर्जरी या अन्य कोई कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट करना पड़ता है, तो उसे हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में कवरेज दी जाती है। इसके विपरीत यदि आप अपनी मर्जी से कोई कॉस्मेटिक सर्जरी, थेरेपी या अन्य कोई ट्रीटमेंट करवा रहे हैं, तो उसपर होने वाले खर्च का भुगतान आपको अपनी जेब से ही देना पड़ता है।
     
  • खुद को क्षतिग्रस्त करने या खुदकुशी की कोशिश करने पर होने वाली क्षति -
    इन स्थितियों में भी स्वास्थ्य बीमा प्रदाता कंपनी क्लेम नहीं देती है। यदि कोई व्यक्ति खुदकुशी करने की कोशिश करता है या फिर खुद को अन्य कोई नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, तो इस पर कवरेज नहीं दी जाती है। सरल भाषा में कहें तो यदि बीमाकर्ता व्यक्ति जानबूझ कर स्वंय को क्षति पहुंचाता है, तो उस पर होने वाले मेडिकल खर्च को कंपनी कवर नहीं करती है।
     
  • थेरेपी -
    हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में कुछ विशेष थेरेपियों को भी कवर नहीं किया जाता है, जिनमें प्रमुख रूप से न्यूरोपैथी, एक्यूप्रेशर, मैग्नेटिक थेरेपी और इस प्रकार की अन्य थेरेपी भी शामिल हैं। यदि आप एक स्वास्थ्य बीमाधारक हैं और इनमें से कोई भी थेरेपी करवाते हैं, तो उसपर होने वाला खर्च आपको अपनी जेब से ही देना पड़ता है। हालांकि, यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, क्योंकि हर कंपनी कई अलग-अलग प्रकार के हेल्थ इन्शुरन्स प्लान ऑफर करती है। ऐसे में हो सकता है कि कंपनी किसी प्लान में ये थेरेपी भी कवर कर रही हो, ऐसे में स्पष्ट है कि प्रीमियम बढ़ जाता है।
     
  • दांत, कान व आंख से संबंधित बीमारियां -
    आपके दांतों, कान व आंख से संबंधित भी कुछ प्रकार के इलाज हैं, जिन्हें हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में कवर नहीं किया जाता है। हालांकि, ठीक कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट की तरह यदि दुर्घटना या अन्य किसी कारण से दांत, कान या आंख संबंधी कोई इलाज करना आवश्यक है, तो बीमाकर्ता कंपनी उस पर कवरेज दे सकती है। यदि आप इन मेडिकल खर्चों को भी अपने हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में शामिल करना चाहते हैं, तो इस बारे में अपनी बीमाकर्ता कंपनी से संपर्क कर सकते हैं। (और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में दांतों का इलाज किन परिस्थितियों में कवर होता है)
     
  • गर्भावस्था व प्रसव -
    सामान्य हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में गर्भावस्था व बच्चे के जन्म आदि जैसे मेडिकल खर्चों को कवर नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए बांझपन का इलाज, गर्भावस्था के दौरान होने वाले चेकअप और प्रसव पर होने वाला मेडिकल खर्च बीमाकर्ता कंपनी कवर नहीं करती है। इसके अलावा गर्भपात या मिसकैरिज जैसी स्थितियों को भी इसमें कवर नहीं किया जाता है। इन समस्याओं के लिए अलग से बीमा लिया जा सकता है या फिर एड-ऑन बेनेफिट्स के रूप में आपके मौजूदा प्लान में शामिल किया जा सकता है।

(और पढ़ें - मैटरनिटी हेल्थ इन्शुरन्स क्या है)

एक्सक्लूजन के रूप में ऐसे कई मामलों को शामिल किया जाता है, जिसमें बीमाकर्ता व्यक्ति क्लेम नहीं कर पाता है। हालांकि, कुछ स्थितियां हैं, जो हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में एक्सक्लूजन की आवश्यकता को दर्शाती है, जिनमें निम्न भी शामिल हैं -

  • इसमें उन खर्चों को निकाल दिया जाता है, जो बीमाकर्ता कंपनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • कुछ स्थितियां होती हैं, जिनका बीमा नहीं किया जा सकता है। इनमें प्राकृतिक आपदा आदि शामिल हैं, जिसमें एक साथ कई बीमाधारक प्रभावित होते हैं और बीमाकर्ता कंपनियों पर दबाव पड़ सकता है।
  • कुछ स्वास्थ्य समस्याओं को इसलिए एक्सक्लूजन में शामिल किया जाता है, क्योंकि उनमें होने वाला खर्च कम होता है, जिसका भुगतान बिना स्वास्थ्य बीमा की मदद के बीमाधारक अपनी पॉकेट से कर सकता है।
  • इन सभी स्थितियों को देखते हुए इस बात पर निष्कर्ष निकलता है कि कोई भी हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खरीदने से पहले उसके बारे अच्छे से जान लेना चाहिए। किसी भी स्वास्थ्य बीमा को लेने से पहले उसकी एक्सक्लूजन लिस्ट को अवश्य जान लें, ताकि बाद में आपको कोई अप्रत्याशित तथ्य न सुनने को मिले।

यदि आप अपने या परिवार के लिए कोई स्वास्थ्य बीमा खरीदने के बारे में सोच रहे हैं, तो myUpchar बीमा प्लस आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है, इसमें आपको अधिक इनक्लूजन और कम एक्सक्लूजन के साथ-साथ 24x7 फ्री टेली ओपीडी की सुविधा और कई अन्य लाभ व फीचर ऑफर किए जाते हैं।

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