हेल्थ इन्शुरन्स लेते समय पॉलिसी में मौजूद नियम व शर्तों के बारे में जानना जरूरी होता है। यदि आप हेल्थ इन्शुरन्स यह सोच कर लेते हैं कि जैसे ही पॉलिसी प्रभावी होगी आप इसका लाभ ले पाएंगे, तो यह पूरी तरह से सच नहीं है। आमतौर पर इन्शुरन्स कंपनियां, हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी के प्रभावी होते ही इलाज का खर्च कवर नहीं करती हैं, इसके लिए वे कुछ वेटिंग पीरियड निर्धारित करती हैं। अब यह वेटिंग पीरियड पॉलिसी के प्रकार और बीमा कंपनी के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। खैर, यदि आप हेल्थ इन्शुरन्स में वेटिंग पीरियड से संबंधित अपनी शंकाओं को दूर करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें -

  1. हेल्थ इन्शुरन्स में वेटिंग पीरियड क्या है - What is the Waiting period in health insurance in Hindi
  2. वेटिंग पीरियड के प्रकार - Types of Waiting Periods in Health Insurance in Hindi
  3. हेल्थ इन्शुरन्स में वेटिंग पीरियड क्यों जरूरी है? - Need for Waiting Period in Health Insurance in Hindi
  4. वेटिंग पीरियड पर IRDAI का नोटिफिकेशन - IRDAI’s Notifications on Waiting Period in Hindi
  5. क्या वेटिंग पीरियड को कम किया जा सकता है? - Is it Possible to Reduce Waiting Period?
  6. स्वास्थ्य बीमा प्रतीक्षा अवधि से जुड़ी जरूरी बातें - Other Important Points Related to Health Insurance Waiting Period in Hindi

जैसा कि नाम से पता चलता है कि वेटिंग पीरियड का मतलब इंतजार करने से है। हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी लेने के कुछ निर्धारित दिन बीत जाने के बाद ही आप क्लेम कर सकते हैं। इन निर्धारित दिनों को इन्शुरन्स जगत में वेटिंग पीरियड यानी प्रतीक्षा अवधि के नाम से जाना जाता है। यदि आपको पहले से बीमारी है, तो यह वेटिंग पीरियड और भी ज्यादा हो सकता है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति हॉस्पिटलाइजेशन के बारे में सोच रहा है तो उसे पहले वेटिंग पीरियड के बारे में जान लेना चाहिए। आमतौर पर यह 15 दिनों से शुरू होकर 4 साल तक हो सकता है। इस वेटिंग पीरियड के खत्म होने के बाद ही बीमा कंपनी द्वारा इलाज का खर्च कवर किया जाता है।

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वेटिंग पीरियड के प्रकार निम्नलिखित हैं -

शुरुआती वेटिंग पीरियड
शुरुआती वेटिंग पीरियड को स्वास्थ्य बीमा में कूलिंग पीरियड के रूप में भी जाना जाता है। आमतौर पर सभी हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में कम से कम 1 महीने और अधिकतम 90 दिनों का शुरुआती यानी इनिशियल वेटिंग पीरियड होता है। यानी किसी भी प्रकार का क्लेम करने के लिए ग्राहकों को पॉलिसी खरीदने के 30 से 90 दिनों तक इंतजार करना ही होगा। हालांकि, ​केवल एक्सीडेंट के मामले में आपके द्वारा किए गए क्लेम को स्वीकार किया जा सकता है, क्योंकि इसमें तत्कालिक रूप से अस्पताल में भर्ती होने और इलाज की जरूरी होती है। ध्यान दें, वेटिंग पीरियड एक बीमाधारक से दूसरे में भिन्न हो सकती है।

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पहले से मौजूद बीमारी के लिए वेटिंग पीरियड
इसमें कुछ बीमारियों के लिए एक विशेष वेटिंग पीरियड होता है, जिसे प्री-एग्जिस्टिंग वेटिंग पीरियड के रूप में जाना जाता है। इन्शुरन्स रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) के अनुसार, प्री एग्जिस्टिंग कंडीशन कोई भी ऐसी चोट या बीमारी हो सकती है, जिसका पॉलिसी खरीदने से 48 महीने पहले तक निदान किया गया हो। प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज के कुछ उदाहरणों में थायराइड, हाई बीपी, सीओपीडी, अवसाद, आनुवंशिक विकार, किडनी रोग, हर्निया, हाइड्रोसील और डायबिटीज शामिल हैं। आमतौर पर स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में पहले से मौजूद बीमारी के लिए प्रतीक्षा अवधि 1-4 वर्ष होती है, लेकिन यह बीमित व्यक्ति के साथ-साथ पॉलिसी के आधार पर बदलती रहती है।

विशेष रोगों के लिए वेटिंग पीरियड
हर्निया, ट्यूमर, आंख कान नाक संबंधी विकार, कैंसर, स्ट्रोक, हृदय रोग जैसी कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनके लिए विशेष वेटिंग पीरियड होता है। हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी की प्रतीक्षा अवधि आमतौर पर 2 से 4 वर्ष के बीच हो सकती है, लेकिन इसमें भी एक बीमाकर्ता से दूसरे में भिन्नता हो सकती है।

मैटरनिटी वेटिंग पीरियड
इंडिविजुअल और फैमिली हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी के तहत, पॉलिसीधारक एड-ऑन कवर के रूप में मैटरनिटी इन्शुरन्स और न्यू बॉर्न बेबी कवर का लाभ ले सकता है। कई हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी ऐसी भी होती है, जिनमें आपको अलग से गर्भावस्था को कवर करने की चिंता नहीं होती है, क्योंकि उनमें पहले से इस तरह की सुविधा होती है। लेकिन पॉलिसी कोई भी हो, आमतौर पर 2 से 4 साल का वेटिंग पीरियड पूरा करना जरूरी होता है। हालांकि, कुछ बीमा कंपनियां कम वेटिंग पीरियड का भी ऑफर दे सकती हैं, लेकिन इसका लाभ उठाने के लिए, पॉलिसीधारकों को एक्ट्रा प्रीमियम भरना पड़ सकता है।

बेरिएट्रिक सर्जरी के लिए वेटिंग पीरियड
कुछ स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां बेरिएट्रिक सर्जरी को भी कवर करती हैं। बैरिएट्रिक सर्जरी पेट और/या आंतों की सर्जरी है, जो वजन कम करने में सहायक होती है। स्वास्थ्य बीमा में बेरिएट्रिक सर्जरी के लिए आमतौर पर 2 से 4 साल का वेटिंग पीरियड होता है। इस सर्जरी की जरूरत आमतौर पर उन लोगों को होती है, जिनका बीएमआई 40 से अधिक होता है और जिन्हें इसके कारण स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ना है।

कोरोनावायरस के लिए वेटिंग पीरियड
भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए, कई लोग अपने व अपने परिवार की सुरक्षा के लिए ऐसे हेल्थ इन्शुरन्स प्लान ले रहे हैं, जिसमें कोरोना को भी कवर किया जाए। लेकिन इन पॉलिसियों के तहत अस्पताल में भर्ती और उपचार जैसे कवरेज का लाभ उठाने के लिए बीमित व्यक्ति को 30 दिनों का वेटिंग पीरियड पूरा करने की आवश्यकता हो सकती है।

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एक्सीडेंटल हॉस्पिटलाइजेशन में वेटिंग पीरियड
दुर्घटना अचानक से कभी भी और कहीं भी हो सकती है और इनकी वजह से गंभीर चोटें व अन्य स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं। यही कारण है कि दुर्घटनाओं की वजह से जब भी व्यक्ति को अचानक से अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है, तो ऐसे में स्वास्थ्य बीमा कंपनी वेटिंग पीरियड तय नहीं करती है। यहां तक कि इसमें 'शुरुआती वेटिंग पीरियड' भी लागू नहीं होता है। ऐसी स्थिति में कोई भी व्यक्ति हॉस्पिटलाइज्ड हो सकता है और बीमा कंपनी सम-इंश्योर्ड (बीमा राशि) तक इलाज का खर्चा उठाती है।

कई बार हम सोचते हैं कि वेटिंग पीरियड की जरूरत क्या है, लेकिन असल में वेटिंग पीरियड एक बहुत ही सोचा समझा गया कदम है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें लोगों ने अपनी बीमारी का पता होने के बावजूद, बीमा एजेंट से छिपाया और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीद ली। इसलिए, इस तरह की गलत सोच से बचने के लिए, स्वास्थ्य बीमा कंपनियों ने वेटिंग पीरियड कॉन्सेप्ट को अपनाया।

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IRDAI की तरफ से बीमा कंपनियों को यह सुझाव दिया जाता है कि किसी विशिष्ट बीमारी या स्थिति के लिए 4 साल तक का वेटिंग पीरियड तय किया जा सकता है। साथ ही, डायबिटीज, हाई बीपी, हृदय रोग जैसी विशिष्ट स्थितियों के लिए प्रतीक्षा अवधि 30 दिनों से अधिक नहीं होनी चाहिए। यह कदम इसलिए लिया गया, ताकि जो लोग इन स्थितियों से पीड़ित हैं, उन्हें जल्द मदद मिल सके।

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कुछ कंपनियां ही वेटिंग पीरियड को कम करने का विकल्प देती हैं, लेकिन इसके लिए बीमित व्यक्ति को अतिरिक्त प्रीमियम देना होता है। आमतौर पर कर्मचारियों को​ दिए जाने वाले ग्रुप हेल्थ प्लान में ऐसा नहीं होता है, क्योंकि उसमें वेटिंग पीरियड नहीं होता है। लेकिन ऐसे प्लान में एक जोखिम भी है, जब आप वह कंपनी छोड़ते हैं तो ग्रुप हेल्थ प्लान का लाभ नहीं ले सकते हैं, क्योंकि यह तभी तक एक्टिव रहती है जब तक आप वहां के कर्मचारी हैं।

IRDA के दिशा-निर्देशों के अनुसार, जो कर्मचारी ग्रुप हेल्थ प्लान के तहत कवर किए जाते हैं, वे अपने नियोक्ता (employers) को छोड़ते समय अपने ग्रुप हेल्थ प्लान को एक इंडिविजुअल हेल्थ प्लान में बदल सकते हैं और ऐसा करने पर उन्हें वेटिंग पीरियड सर्व नहीं करना होगा, क्योंकि वे पहले ही (ग्रुप हेल्थ प्लान के रूप में) वेटिंग पीरियड पूरा कर चुके होते हैं।

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समय के साथ बीमा कंपनियों ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी योजनाएं (सीनियर सिटीजन हेल्थ इन्शुरन्स) तैयार की हैं, जहां को-पेमेंट के माध्यम से वेटिंग पीरियड को खत्म किया जा सकता है। कोपेमेंट का मतलब पॉलिसीधारक की तरफ से क्लेम की गई राशि का कुछ प्रतिशत देना है। उदाहरण के लिए, यदि बीमित व्यक्ति 50,000 रुपये के मेडिकल बिल के लिए क्लेम करता है और को-पेमेंट क्लॉज 10% है, तो बीमाधारक को केवल 5,000 अपनी जेब से देना होगा, जबकि बाकी का 45,000 रुपये का भुगतान बीमा कंपनी करेगी।

हेल्थ इन्शुरन्स वेटिंग पीरियड से संबंधित अन्य जरूरी बातें :

  • यदि वेटिंग पीरियड के दौरान, बीमित व्यक्ति को पहली बार किसी बीमारी का पता चलता है या बीमारी का निदान होता है, तो इसे पहले से मौजूद बीमारी नहीं माना जाएगा। ऐसे में पॉलिसी उस बीमारी को कवर करेगी।
  • आपको पॉलिसी लेते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वास्तव में वेटिंग पीरियड कितना है, जिसके बाद इलाज का खर्च कवर किया जाएगा।
  • कम से कम वेटिंग पीरियड वाली पॉलिसी में इंवेस्ट करना एक अच्छा कदम हो सकता है।
  • कुछ बीमा कंपनियां ऐसा विकल्प देती हैं, जिसमें अतिरिक्त प्रीमियम देकर वेटिंग पीरियड को खत्म किया जा सकता है।

प्रतीक्षा अवधि से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप स्वास्थ्य बीमा जल्दी खरीद लें। ध्यान रहे, कम उम्र में आप बीमारियों के प्रति कम संवेदनशील होते हैं और इसलिए यदि आप कम उम्र में स्वास्थ्य बीमा योजना खरीदते हैं तो पहले से मौजूद बीमारियों के होने का खतरा कम होता है।

यदि सबसे अच्छे हेल्थ इन्शुरन्स के बारे में विचार कर रहे हैं तो इस बात को सुनिश्चत करें कि जिस बीमा कंपनी या पॉलिसी का चुनाव करेंगे, उसमें कम से कम वेटिंग पीरियड हो।

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