इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) पाचन तंत्र से जुड़ी क्रोनिक बीमारी है, जिसके कारण बड़ी आंत पर असर पड़ता है. इस समस्या के चलते पेट में दर्द और ऐंठन, सूजन, दस्त या कब्ज जैसी समस्या हो सकती है. अगर आंकड़ों की माने तो पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को यह रोग होने की आशंका 1.5 से 3 गुना ज्यादा होती है. महिलाओं में आईबीएस के ज्यादातर लक्षण पुरुषों के समान ही होते हैं, लेकिन कुछ महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान कुछ अलग लक्षण की नजर आ सकते हैं.

आज इस लेख में आप विस्तार से जानेंगे कि आईबीएस की समस्या होने पर महिलाओं में क्या-क्या लक्षण नजर आते हैं -

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  1. महिलाओं में नजर आने वाले आईबीएस के लक्षण
  2. मासिक धर्म और आईबीएस
  3. महिलाओं में आईबीएस की जटिलताएं
  4. किसे आईबीएस होने की आशंका ज्यादा होती है?
  5. सारांश
महिलाओं में आईबीएस के लक्षण के डॉक्टर

महिलाओं को आईबीएस होने पर निम्न प्रकार के लक्षण नजर आ सकते हैं -

कुछ केस में मल के साथ सफेद बलगम जैसा पदार्थ भी आ सकता है. वहीं, शोध से पता चलता है कि दस्त की तुलना में महिलाओं को कब्ज होने की आशंका ज्यादा होती है.

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आईबीएस से ग्रस्त कुछ महिलाएं मासिक धर्म शुरू होने से पहले या उसके दौरान आईबीएस के खराब लक्षणों का अनुभव कर सकती हैं, जिसमें दस्त व पेट में तेज दर्द शामिल है. ऐसा आईबीएस के साथ पीएमएस (प्री मेंस्ट्रअल सिंड्रोम) का शुरू होना माना गया है. ज्यादातर महिलाएं पीएमएस का अनुभव करती हैं, फिर चाहे उन्हें आईबीएस न भी हो. पेट फूलना, मल त्यागने की आदत में बदलाव और ऐंठन पीएमएस के सामान्य लक्षण माने गए हैं.

इस संबंध में डॉक्टरों का यह भी कहना है कि मासिक धर्म से पहले होने वाले हार्मोनल परिवर्तन आईबीएस को बढ़ा देते हैं. इसे मेडिकल भाषा में प्रीमेंस्ट्रुअल एक्ससेर्बेशन कहा जाता है. इसके अलावा, प्यूबर्टीप्रेग्नेंसी व रजोनिवृत्ति जैसे अन्य हार्मोनल बदलाव भी आईबीएस के खराब लक्षणों का कारण बन सकते हैं.

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जहां पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में आईबीएस लक्षण कुछ अलग होते हैं, वहीं इसकी कुछ जटिलताओं का भी सामना करना पड़ सकता है, जो इस प्रकार है -

चिंता और अवसाद

2018 की एक स्टडी के अनुसार, आईबीएस से पीड़ित महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ज्यादा चिंता व अवसाद का सामना करना पड़ता है. हालांकि, आईबीएस एक शारीरिक स्थिति है, लेकिन इसका शिकार ज्यादातर लोग अक्सर चिंता या अवसाद से घिरे होते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि तनाव के चलते आंत की काम करने की प्रक्रिया में बदलाव होता है, जिससे आईबीएस की समस्या हो सकती है. वहीं, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को चिंता और अवसाद होना भी आम है.

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यौन स्वास्थ्य पर असर

2019 की स्टडी कहती है कि आईबीएस से ग्रस्त महिलाओं में यौन इच्छा की कमी आ सकती है. खासकर, आईबीएस के गंभीर लक्षणों से ग्रस्त महिलाओं में यौन गतिविधि में कमी देखी गई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके पीछे क्रोनिक दर्द और आईबीएस के लक्षणों का मनोवैज्ञानिक असर इसका कारण हो सकता है.

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पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स

पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स (पीओपी) तब होता है, जब पेल्विक में मौजूद मसल्स और टिश्यू अपनी जगह से हट जाते हैं और योनि में फैल जाते हैं. पुरानी कब्ज से ग्रस्त महिलाओं में पीओपी होना आम है.

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विशेषज्ञ अभी भी निश्चित नहीं हैं कि आईबीएस का क्या कारण है, लेकिन ऐसी कई चीजें हैं, जो इसके जोखिम को बढ़ा सकती हैं, जिसमें एक महिला होना भी शामिल है. अन्य जोखिम कारक कुछ इस प्रकार हैं -

  • 50 वर्ष से कम आयु का होना.
  • पारिवारिक में पहले किसी को आईबीएस की समस्या रही हो.
  • अवसाद या चिंता जैसी मानसिक समस्या का शिकार होना.

अगर कोई आईबीएस के लक्षणों का अनुभव कर रहे है, तो उसे बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

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हालांकि, आईबीएस की समस्या किसी को भी हो सकती है, लेकिन पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को इसके होने की आशंका ज्यादा होती है. साथ ही पीएमएस के चलते महिलाओं में इसके लक्षण और गंभीर रूप ले सकते हैं. वहीं, पुरुषों की तुलना में महिलाओं को दस्त की जगह कब्ज की समस्या ज्यादा होने की आशंका रहती है. इस स्थिति में महिलाओं को उचित इलाज करवाना चाहिए और अच्छी अच्छी डाइट लेनी चाहिए. साथ ही नियमित रूप से योग व एक्सरसाइज करनी चाहिए.

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