आईबीएस यानी इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) एक आम विकार है. यह पेट और आंतों को प्रभावित करता है. इसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के रूप में भी जाना जाता है. आईबीएस में व्यक्ति को पेट में ऐंठन, पेट में दर्द, सूजन, गैस, कब्ज और दस्त जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा, कुछ मामलों में कंपकंपी, मांसपेशियों में दर्द, अनिद्रा और चक्कर आना जैसी समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं.

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आईबीएस कई कारणों से हो सकता है, इसमें से एक तनाव भी हो सकता है. कुछ अध्ययनों में साबित हुआ है कि तनाव की वजह से आईबीएस हो सकता है. वहीं, कुछ अध्ययनों की मानें तो तनाव के चलते आईबीएस के लक्षण ट्रिगर हो सकते है. इतना ही नहीं कुछ रिसर्च ये भी साबित करते हैं कि आईबीएस के बाद व्यक्ति को तनाव या एंग्जायटी हो सकती है.

आज इस लेख में आप तनाव और आईबीएस के बीच संबंध के बारे में विस्तार से जानेंगे -

(और पढ़ें - तनाव दूर करने के घरेलू उपाय)

  1. तनाव और आईबीएस में संबंध
  2. आईबीएस पर तनाव के प्रभाव
  3. तनाव और आईबीएस के लक्षण कम करने के उपाय
  4. सारांश
क्या तनाव से आईबीएस की समस्या हो सकती है? के डॉक्टर

यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि तनाव, चिंता और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम एक-दूसरे से कैसे संबंधित है. साथ ही अभी यह बताना भी मुश्किल है कि पहले तनाव होता है या आईबीएस, लेकिन कुछ अध्ययन से यह जरूर साबित होता है कि तनाव और आईबीएस एक साथ हो सकते हैं. वहीं, कुछ रिसर्च बताते हैं कि लगभग 60 फीसदी आईबीएस रोगियों को मानसिक बीमारियों का सामना करना पड़ता है. इसमें अधिकतर लोग तनावग्रस्त होते हैं. तनाव आईबीएस के बाद या पहले दोनों स्थितियों में हो सकता है. अगर कोई व्यक्ति तनाव में है, लंबे समय तक तनाव में रहता है या तनावपूर्ण घटनाओं का सामना करता है, तो उसमें आईबीएस के लक्षण दिख सकते हैं.

आपको बता दें कि कुछ अध्ययनों में यह भी साबित हुआ है कि तनाव, चिंता और अवसाद जैसी स्थितियां मस्तिष्क में केमिकल्स को ट्रिगर कर सकती हैं. इससे पेट में दर्द, ऐंठन और सूजन हो सकती है. जब तनाव लंबे समय तक रहता है, तो आईबीएस भी हो सकता है.

इसके अलावा, आईबीएस प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा भी ट्रिगर हो सकता है. ऐसे में जब कोई व्यक्ति तनाव में रहता है, तो उसकी इम्यूनिटी कमजोर पड़ने लगती है. इसका असर आंतों पर भी पड़ सकता है.

कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि तनाव की वजह से आईबीएस के लक्षण ट्रिगर हो सकते हैं. तनाव की वजह से आईबीएस गंभीर बन सकता है. तनाव की वजह से आंतों के बैक्टीरिया असंतुलित हो सकते हैं. इस स्थिति को डिस्बिओसिस कहा जाता है. वर्ल्ड जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी के अनुसार, तनाव के कारण होने वाला डिस्बिओसिस, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का कारण बन सकता है.

(और पढ़ें - तनाव के लिए आयुर्वेदिक दवाएं)

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अगर कोई तनाव में रहता है, तो आईबीएस ट्रिगर हो सकता है. आईबीएस पर तनाव इस तरह से प्रभाव डाल सकता है -

  • आंतों में रक्त के प्रवाह को कम कर सकता है.
  • व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय कर सकता है.
  • तनाव की वजह से सूजन हो सकती है.

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तनाव को कम करके आईबीएस के लक्षणों को कम करने के लिए मदद मिल सकती है. जानें, तनाव को कम करने के उपाय -

पर्याप्त नींद लें

तनाव को कम करने के लिए पर्याप्त नींद लेना जरूरी होता है. इसके लिए रात में कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए. अच्छी नींद लेने से पर्याप्त ऊर्जा मिल सकती है. इसके लिए सोते से पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग न करें.  

(और पढ़ें - तनाव दूर करने के लिए क्या खाएं)

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एक्सरसाइज करना

रेगुलर एक्सरसाइज करने से भी तनाव को कम करने में मदद मिल सकती है. इसके लिए सैरजॉगिंग व स्विमिंग आदि कर सकते हैं. साथ ही योग व मेडिटेशन करने से भी तनाव से राहत मिल सकती है. प्राणायाम व ध्यान लगाने से तनाव कम करने में मदद मिल सकती है. रोजाना एक्सरसाइज करने से इरिटेबल बाउल सिंड्रोम या पाचन विकार की समस्याएं भी ठीक हो सकती हैं.

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थेरेपी लें

थेरेपी लेने से भी व्यक्ति को तनाव कम करने में मदद मिल सकती है. इसके लिए कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी ले सकते हैं. इसमें मनोचिकित्सक व्यक्ति से बातचीत करके तनाव कम करने की कोशिश करते हैं. 

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तनाव आईबीएस का एक कारक हो सकता है, लेकिन तनाव आईबीएस का एकमात्र कारक नहीं होता है. इसलिए, अगर कोई आईबीएस के लक्षणों को कम करना चाहता है, तो तनाव को कम करना जरूरी होता है. तनाव को कम करने के लिए एक्सरसाइज करें, थेरेपी लें और पर्याप्त नींद लें. अगर किसी को आईबीएस की समस्या है, तो तनाव लेने पर इसके लक्षण ट्रिगर हो सकते हैं. ऐसे में तनाव कम करें और डॉक्टर से बात जरूर करें. 

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