इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर माना जाता है, जिससे दुनियाभर में लाखों लोग प्रभावित होते हैं. पेट दर्द, सूजन, कब्ज और दस्त आदि को आईबीएस के लक्षण माना गया है. हालांकि, आईबीएस का सटीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि आंत में आने वाली किसी भी तरह की समस्या और मानसिक तनाव मिलकर इस समस्या का कारण बन सकते हैं. वहीं, आईबीएस के विभिन्न प्रकार हैं, जिनमें से 4 प्रमुख कारकों का यहां जिक्र किया गया है. साथ ही उनके लक्षण, व इलाज भी बताए गए हैं.
आज इस लेख में हम चार प्रकार के आईबीएस के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे -
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इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के 4 प्रमुख प्रकार
यहां हम क्रमवार बता रहे हैं कि आईबीएस के प्रमुख प्रकार कौन-कौन से हैं -
कब्ज के साथ आईबीएस (IBS-C)
यह आईबीएस का सबसे आम प्रकार है. आईबीएस के करीब 50 प्रतिशत मामलों में यही प्रकार नजर आता है. जैसा कि नाम से पता चलता है, यह प्रकार गंभीर कब्ज के कारण होता है. 1 हफ्ते में 3 बार से कम मल त्याग करने को कब्ज कहा जाता है. IBS-C के अन्य लक्षणों में मल त्याग के दौरान पेट में दर्द व सूजन महसूस होना शामिल हैं.
आईबीएस-सी का पता मेडिकल हिस्ट्री, फिजिकल एग्जामिनेशन और लैब टेस्ट के जरिए किया जाता है. इन टेस्ट के जरिए इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज और सीलिएक रोग का भी पता किया जा सकता है.
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डायरिया के साथ आईबीएस (IBS-D)
आईबीएस के 30% मामलों में यह प्रकार नजर आता है. यह समस्या लगातार दस्त रहने के कारण होती है. IBS-D के अन्य लक्षणों में पेट में ऐंठन, सूजन और बार-बार शौच आना शामिल है. आईबीएस-डी की जांच के लिए भी मेडिकल हिस्ट्री, फिजिकल एग्जामिनेशन और लैब टेस्ट का सहारा लिया जाता है.
मिक्स टाइप आईबीएस (IBS-M)
आईबीएस-एम कब्ज और दस्त का मिश्रित रूप है. यह सभी आईबीएस मामलों का लगभग 20% है. आईबीएस-एम के लक्षणों में पेट की परेशानी महसूस होना, सूजन और बाउल प्रक्रिया में बदलाव आना शामिल हैं. आईबीएस का निदान मेडिकल हिस्ट्री, फिजिक एग्जामिनेशन और लैब टेस्ट के जरिए किया जाता है.
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अनसबटाइप्ड आईबीएस (IBS-U)
जब आईबीएस को ऊपर बताए गए किसी भी प्रकार में फिट नहीं माना जाता है, तो उसे आईबीएस-यू माना जाता है. यह सभी IBS मामलों का लगभग 10% है. आईबीएस-यू के लक्षण अन्य प्रकारों के समान हैं.
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इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का इलाज
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का प्रकार चाहे कोई भी हो, लेकिन उनका इलाज करने का तरीका अमूमन एक जैसा ही होता है -
दवाएं
आईबीएस के लक्षणों को जड़ से खत्म करने के लिए कई दवाओं का उपयोग किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं -
- एंटीस्पास्मोडिक्स - ये दवाएं आंतों की ऐंठन को कम करने में मदद करती हैं.
- लैक्सेटिव - कब्ज के कारण आईबीएस की समस्या होने पर पेट को साफ करने के लिए लैक्सेटिव का उपयोग किया जा सकता है.
- एंटीडायरियल - डायरिया के चलते आईबीएस होने पर एंटीडायरियल दवाओं का उपयोग मल त्याग की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद के लिए किया जा सकता है.
- फाइबर सप्लीमेंट - IBS-C वाले कुछ लोगों के लिए, फाइबर सप्लीमेंट मल त्याग को नियंत्रित करने और कब्ज को कम करने में मदद कर सकते हैं.
- कम खुराक वाले एंटीडिप्रेसेंट - ये दवाएं IBS वाले लोगों में पेट दर्द को कम करने और बाउल मूवमेंट को ठीक करने में मदद कर सकती हैं.
- प्रोबायोटिक्स - कुछ मेडिकल रिसर्च से पता चलता है कि प्रोबायोटिक्स लेने से भी आईबीएस के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है.
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कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी
कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी से तनाव को कम किया जा सकता है, जिससे आईबीएस के लक्षणों में कुछ सुधार हो सकता है.
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वैकल्पिक इलाज
आईबीएस से पीड़ित कुछ लोगों को एक्यूपंक्चर, हिप्नोथेरेपी या हर्बल ट्रीटमेंट जैसे वैकल्पिक इलाज से राहत मिल सकती है, लेकिन इस संबंध में अभी और शोध किए जाने की जरूरत है.
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सारांश
यह ध्यान रखना जरूरी है कि आईबीएस के लिए कोई एक इलाज पर्याप्त नहीं है. मरीज का इलाज एक से ज्यादा विकल्पों के जरिए किया जा सकता है. साथ ही मरीज की स्थिति को देखकर ही डॉक्टर तय करते हैं कि उसे किस तरह के इलाज की जरूरत है.
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