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विवृत धमनी वाहिनी सर्जरी (पेटेंट डक्टस आर्टिरेओसस पीडीए सर्जरी) एक हार्ट सर्जरी है जिसे पेटेंट डक्टस आर्टिरेओसस नामक स्थिति के इलाज के लिए किया जाता है। भ्रूण में एओर्टा (हार्ट से पूरे शरीर तक ऑक्‍सीजन युक्‍त खून पहुंचाने वाली) और पल्‍मोनरी धमनी (हार्ट से फेफड़ों तक ऑक्‍सीजीन युक्‍त खून पहुंचाने वाली रक्‍त वाहिका) के बीच डक्‍टस आर्टिरेओसस नामक रक्‍त वाहिका होती है।

आमतौर पर डिलीवरी के बाद यह डक्‍ट बंद हो जाती है। हालांकि, अगर ऐसा न हो तो पीडीए की स्थिति उत्‍पन्‍न होती है। पीडीए के कम गंभीर मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं लेकिन अगर समस्‍या बड़ी हो तो सांस लेने में दिक्‍कत और दूध पीने में परेशानी हो सकती है।

अगर खुद से डक्‍ट बंद न हो, तो बड़े होकर भी पीडीए की प्रॉब्‍लम रह सकती है। जब कोई तरीका काम नहीं कर पाए और बच्‍चा थोड़ा बड़ा हो तो सर्जरी की सलाह दी जाती है।

पीडीए सर्जरी से एक रात पहले कुछ भी न खाने-पीने के लिए कहा जाता है। यह सर्जरी जनरल एनेस्‍थीसिया देने के बाद की जाती है। सर्जरी के बाद इंफेक्‍शन को कम करने और पूरी तरह से ठीक होने तक कुछ काम न करने की सलाह दी जाती है।

  1. विवृत धमनी वाहिनी सर्जरी क्या है - What is patent ductus arteriosus (PDA) heart surgery in Hindi
  2. विवृत धमनी वाहिनी सर्जरी क्यों की जाती है - Why patent ductus arteriosus (PDA) heart surgery is done in Hindi
  3. विवृत धमनी वाहिनी सर्जरी कब नहीं करवानी चाहिए - When patent ductus arteriosus (PDA) heart surgery is not done in Hindi
  4. विवृत धमनी वाहिनी सर्जरी से पहले की तैयारी - Preparations before patent ductus arteriosus (PDA) heart surgery in Hindi
  5. विवृत धमनी वाहिनी सर्जरी कैसे की जाती है - How patent ductus arteriosus (PDA) heart surgery is done in Hindi
  6. विवृत धमनी वाहिनी सर्जरी के बाद देखभाल - patent ductus arteriosus (PDA) heart surgery after care in Hindi
  7. विवृत धमनी वाहिनी सर्जरी की जटिलताएं - patent ductus arteriosus (PDA) heart surgery Complications in Hindi
विवृत धमनी वाहिनी सर्जरी के डॉक्टर

पीडीए एक हार्ट सर्जरी है जिसकी जरूरत हार्ट के अंदर पीडीए नामक जन्‍म विकार के इलाज के तौर पर पड़ती है। 

गर्भ में शिशु के फेफड़े फ्लूइड से भरे रहते हैं ताकि उसे फेफड़ों की बजाय प्‍लेसेंटा (गर्भावस्‍था के दौरान मां के गर्भाशय में विकसित होता है) से सीधा ऑक्‍सीजन मिलता रहे। फेफड़ों तक खून की सप्‍लाई को रोकने के लिए डक्टस आर्टिरेओसस नामक रक्‍त वाहिका भ्रूण में एओर्टा और पल्‍मोनरी धमर्नी को जोड़ती है।

जन्‍म के बाद शिशु रोना और सांस लेना शुरू करता है। फेफड़ों के अंदर के फ्लूइड को हवा हटा देती है। डक्टस आर्टिरेओसस अपने आप बंद हो जाती है और फेफड़ों तक खून की आपूर्ति होने देती है। हालांकि, अगर ये बंद न हो तो इसकी वजह से पीडीए हो सकती है। इसके कारण ऑक्‍सीजन वाला और बिना ऑक्‍सीजन वाला खून मिक्‍स हो सकता है जिससे फेफड़ों तक पल्‍मोनरी धमनी से ज्‍यादा खून प्रवाहित होने लगता है।

इससे पल्‍मोनरी धमनी के अंदर ब्‍लड प्रेशर (पल्‍मोनरी हाइपरटेंशन) बढ़ सकता है और हार्ट को परमानेंट नुकसान पहुंच सकता है।

निम्‍न तरीकों से डॉक्‍टर पीडीए को बंद करते हैं :

  • दवाओं - डॉक्‍टर इंडोमेथासिन जैसी दवाओं से पीडीए को बंद करते हैं। यह दवा पीडीए को टाइट कर के बंद कर देती है। हालांकि, इसका इस्‍तेमाल आमतौर पर प्रीमैच्‍योर बेबी यानि जिनका जन्‍म 37 हफ्ते से पहले हो जाता है, उनमें किया जाता है।
  • दवा के बिना -
    • कैथेटराइजेशन - इस प्रक्रिया में रक्‍त वाहिका को बंद करने के लिए कैथेटर के जरिए डिवाइस डाला जाता है।
    • सर्जरी - अगर बच्‍चे को पीडीए की वजह से हेल्‍थ प्रॉब्‍लम हो रही है या कैथेटराइजेशन असफल रहा तो सर्जरी की जाती है।
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यदि जन्‍म के बाद कुछ दिनों के अंदर ही पीडी अपने आप बंद न हो और मेडिकल इलाज असर न कर रहा हो तो यह सर्जरी की जाती है। पीडीए के छोटे मामलों में हो सकता है कि कोई लक्षण दिखाई न दें। हालांकि, बड़े मामलों में शिशु में नीचे बताए गए लक्षण दिख सकते हैं :

  • आसानी से थक जाना
  • दूध पीते समय पसीना आना
  • विकास ठीक से न हो पाना
  • तेज सांसें लेना
  • सांस लेने में दिक्‍कत होना
  • पल्‍स का तेज चलना
  • ठीक से दूध न पीना

वयस्‍कों में दुर्लभ ही समस्‍या देखी जाती है और पीडीए के छोटे से मध्‍यम मामले ही देखे जाते हैं। किसी अन्‍य समस्‍या के निदान के समय वयस्‍कों में इसका पता चलता है। वयस्‍कों में निम्‍न चीजों के खतरे को कम करने के लिए इस सर्जरी की सलाह दी जा सकती है :

निम्‍न स्थितियों में पीडीए सर्जरी न करवाने की सलाह दी जाती है :

  • वाल्‍व एट्रेसिया (जब हार्ट की कोई एक वॉल्‍व ठीक तरह से न बन पाई हो)
  • पल्‍मोनरी आर्टरी हाइपोप्‍लासिया (पल्‍मोनरी धमनी का अधूरा या गलत बनना)
  • ग्रेट आर्टरीज का वितरण (इसमें एओर्टा और पल्‍मोनरी धमनी एक-दूसरे की जगह ले लेती हैं)
  • मिट्रल वॉल्‍व एट्रेसिया (हार्ट की मिट्रल वॉल्‍व का ठीक से विकास न होना) के साथ हाइपोप्‍लास्टिक लेफ्ट वेंट्रिकल (हार्ट के उल्‍टी तरफ के निचले हिस्‍से का अधूरा विकास होना)
  • सेप्सिस कंट्रोल में न आना।

अगर बच्‍चा 6 महीने से छोटा हो और उसे पीडीए से कोई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या नहीं हो रही हो, तो हो सकता है कि सर्जरी न की जाए।

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सर्जरी से पहले निम्‍न तैयारी की जाती है :

  • पीडीए का पता लगाने के लिए डॉक्‍टर स्‍टेथोस्‍कोप की मदद से शिशु का हार्ट मर्मर चेक किया जाता है। अगर हार्ट मर्मर सुनाई दे, तो नीचे बताए गए टेस्‍ट किए जाते हैं :
  • अगर बच्‍चा कोई मिनरल, विटामिन, सप्‍लीमेंट या दवा (डॉक्‍टर के पर्चे के बिना मिलने वाली) ले रहा है, तो डॉक्‍टर को बताएं।
  • सर्जरी से पहले बच्‍चे को भूखा रखा जा सकता है। डॉक्‍टर बताएंगे कि पानी दे सकते हैं या नहीं और कितना देना है।
  • पीडीए सर्जरी से पहले वयस्‍क धूम्रपान बंद कर दें ताकि जल्‍दी रिकवरी हो सके। इसके अलावा सर्जरी से कुछ हफ्ते पहले खून पतला करने वाली दवाएं भी बंद कर दें। अस्‍पताल से घर ले जाने के लिए कोई होना चाहिए।
  • सर्जरी से पहले मरीज की अनुमति के लिए एक फॉर्म साइन करवाया जाता है।

अस्‍पताल में भर्ती होने के बाद मरीज के हाथ या बांह की नस में ड्रिप लगाई जाती है जिससे उसे सर्जरी के लिए जरूरी दवाएं और तरल पदार्थ मिलते हैं। इस दौरान बेहोश करने के लिए जनरल एनेस्‍थीसिया भी दिया जाता है। सर्जरी वाले हिस्‍से से बाल साफ किए जाते हैं और उसकी सफाई की जाती है।

इस तरीके से सर्जरी की जा सकती है :

  • ओपन सर्जरी - ऑपरेशन थिएटर में इस तरह यह सर्जरी की जाती है -
    • शिशु या मरीज को दाईं करवट लिटाकर उसकी बांह को सिर के ऊपर रखा जाता है।
    • इसके बाद सर्जन छाती के बाईं ओर स्किन पर एक कट लगाते हैं और हार्ट तक जाने वाली पसलियों को अलग करते हैं।
    • अब फेफड़ों को साइड कर के पीडीए तक पहुंचने के लिए हार्ट के पास की पेरिकार्डियम नामक मांसपेशियों को खोलते हैं।
    • पीडीए की पहचान होने के बाद मेटल क्‍लिप या कॉर्ड या तार से उसे बंद कर दिया जाता है।
    • इसके बाद अतिरिक्‍त हवा और तरल पदार्थ को निकालने के लिए छाती में ट्यूब डाली जाएगी।
    • फिर डॉक्‍टर घुलने वाले टांकों से मांसपेशियों और स्किन को बंद कर देंगे।
  • वीडियो एसिस्‍टेड थोरासिस सर्जिकल रिपेयर - इसमें छाती पर एक छोटा कट लगाया जाता है और थोराकोस्‍कोप (कैमरा वाला डिवाइस) से छाती के अंदर देखकर पीडीए को बंद कर दिया जाता है।
  • कैथेटर से - इसमें निम्‍न स्‍टेप आते हैं -
    • पेट और जांघ के बीच वाले हिस्‍से पर एक छोटा कट लगाकर इसके अंदर की शीथ नामक रक्‍त वाहिका में पाइप जैसी ट्यूब डाली जाती है।
    • शीथ का इस्‍तेमाल कर हार्ट की रक्‍त वाहिका के अंदर कैथेटर डाला जाएगा।
    • इसके बाद डॉक्‍टर कैथेटर के जरिए एक छोटा मेटल कॉइल डालते हें या डिवाइस को बंद कर देते हैं।
    • यह प्रक्रिया फ्लूरोस्‍कोपी नामक एक्‍स-रे की मदद से किया जाता है।
    • पीडीए की जगह पर डिवाइस लगाने के बाद कैथेटर और शीथ को हटाकर बैंडेज से कट को कवर कर दिया जाता है।

इस सर्जरी में लगभग 30 मिनट लगते हैं। सर्जरी के बाद मरीज को उसके कमरे में लिटाया जाता है। सर्जरी के बाद होने वाले दर्द को कम करने के लिए डॉक्‍टर दर्द निवारक दवाएं लिख सकते हैं।

सर्जरी के 24 घंटे के बाद चेस्‍ट ट्यूब को निकाल दिया जाएगा। कैथेटर की प्रक्रिया में मरीज को उसी दिन अस्‍पताल से छुट्टी मिल जाती है जबकि ओपन सर्जरी में कुछ दिन अस्‍पताल में रुकना पड़ सकता है।

सर्जरी के बाद निम्‍न देखभाल की जरूरत होती है :

  • दवाएं -
    • सर्जरी के बाद इंफेक्‍शन से बचने के लिए 6 महीने तक एंटीबायोटिक लेनी पड़ सकती हैं।
    • एक हफ्ते के लिए पीने वाली दवाएं लेनी होंगी।
  • एक्टिविटी -
    • सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक शारीरिक कार्य न करें।
    • भारी सामान उठाने से बचें।
    • कुछ हफ्तों तक बच्‍चे को अपना हाथ सिर से ऊपर उठाने न दें।
    • सर्जरी के बाद बच्‍चे का हाथ उठाने या खींचने से बचें।
    • कोई भी ऐसा खेल न खेलें जिसमें चोट लगने का खतरा ज़्यादा होता है।
    • जिन कामों में छाती के बल गिरने का खतरा हो, वो न करें।

निम्‍न लक्षण दिखने पर डॉक्‍टर को दिखाएं :

  • सांस लेने में दिक्‍कत
  • सांस लेने में देर तक रुकावट आ जाना।
  • स्किन का पीला या नीला पड़ना।
  • वजन न बढ़ पाना।
  • बुखार
  • छाती में दर्द
  • सूजन, लालिमा या कैथेटर वाली जगह से ब्‍लीडिंग होना।
  • चेहरे पर या आंखों के आसपास सूजन आना।
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पीडीए हार्ट सर्जरी से निम्‍न जोखिम हो सकते हैं :

  • ब्‍लीडिंग
  • इंफेक्‍शन
  • किडनी को नुकसान पहुंचना
  • हार्ट अटैक
  • निमोथोरैक्‍स
  • स्‍ट्रोक
  • रक्‍त वाहिका पूरी बंद न होना
  • स्वर रज्जु यानि वोकल कॉर्ड में लकवा
  • रक्‍त वाहिका का फटना
  • डिवाइस का अपनी जगह से हटना

सर्जरी के बाद डॉक्‍टर के पास कब जाएं

सर्जरी के दो से तीन हफ्ते बाद डॉक्‍टर के पास चेकअप के लिए जाना पड़ सकता है। इस दौरान डॉक्‍टर ईसीजी से पीडीए को चेक करते हैं।

नोट : ऊपर दी गई संपूर्ण जानकारी शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह डॉक्‍टरी सलाह का विकल्‍प नहीं है।

Dr. Farhan Shikoh

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कार्डियोलॉजी
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20 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

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