आयुर्वेद के अनुसार शरीर में तीन दोष पाए जाते हैं - वात, पित्त और कफ. अगर शरीर में ये तीनों दोष संतुलित हैं, तो आप स्वस्थ हैं. वहीं, जब शरीर में इनमें से कोई एक दोष भी असंतुलित होता है, तो व्यक्ति में कई तरह के रोग पैदा होने लगते हैं. खराब जीवनशैली और खानपान किसी भी दोष के असंतुलित होने के मुख्य कारण हो सकते हैं.

इस लेख में आप पित्त दोष के असंतुलित होने के लक्षण, कारण और उपाय के बारे में विस्तार से जानेंगे -

(और पढ़ें - वात, पित्त और कफ असंतुलन के लक्षण)

  1. पित्त दोष क्या है?
  2. पित्त दोष के लक्षण
  3. पित्त दोष के कारण
  4. पित्त को संतुलित करने के उपाय
  5. सारांश
क्या है पित्त दोष व कैसे करें संतुलित? के डॉक्टर

पित्त दोष अग्नि और जल दो तत्वों से मिलकर बना है. पित्त पेट और छोटी आंत में पाया जाता है. पित्त हार्मोनएंजाइम, तापमान और पाचक अग्नि को नियंत्रित करता है. पित्त दोष 5 प्रकार के होते हैं - पाचक, रंजक, साधक, आलोचक और भ्राजक पित्त. स्वस्थ रहने के लिए शरीर में पित्त का संतुलन में होना जरूरी होता है. जब शरीर में पित्त बढ़ता है, तो व्यक्ति को पाचन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. यह कई तरह की गंभीर बीमारियां भी पैदा कर सकता है.

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जब शरीर में पित्त दोष बढ़ता है, तो व्यक्ति में कई तरह के लक्षण नजर आने लगते हैं. इन लक्षणों से साफ पता लगाया जा सकता है कि पित्त असंतुलित हो रहा है. पित्त दोष के लक्षण निम्न हैं -

शरीर में पित्त बढ़ने पर व्यक्ति में इनमें से कोई भी लक्षण नजर आ सकता है. जरूरी नहीं है कि किसी व्यक्ति में ये सारे लक्षण नजर आए. कोई भी एक लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क जरूरी करें.

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स्वस्थ शरीर के लिए शरीर में पित्त का संतुलित होना जरूरी होता है, लेकिन खराब लाइफस्टाइल व आहार की वजह से पित्त दोष असंतुलित हो सकता है. अगर आपके शरीर में भी पित्त बढ़ जाता है, तो इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं -

मसालेदार भोजन का अधिक सेवन

अधिक मिर्च, मसाले और नमक खाने से शरीर में पित्त बढ़ सकता है. इसलिए, चटपटा और तीखे खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए.

गर्म तासीर की चीजें खाना

पित्त अग्नि और पानी से मिलकर बना होता है. जब गर्म तासीर की चीजें खाई जाती हैं, तो इससे शरीर में गर्मी बढ़ जाती है और पित्त असंतुलित हो जाता है.

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अधिक व्यायाम करना

हैवी वर्कआउट या एक्सरसाइज करने से भी पित्त बढ़ सकता है. इसके अलावा, गुस्सा भी शरीर में पित्त बढ़ने का कारण बन सकता है.

सही समय पर न खाना

शरीर के त्रिदोष को संतुलन में रखने के लिए सही समय पर भोजन करना जरूरी होता है. जब आप नियमित समय पर भोजन नहीं करते हैं, तो इससे पित्त बढ़ सकता है. इसके अलावा, अनिद्रा की वजह से भी पित्त बढ़ सकता है.

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पित्त को संतुलित करने के लिए हल्की और ठंडी चीजें खानी चाहिए. इसके साथ ही पित्त दोष होने पर भारी वर्कआउट करने से भी बचना चाहिए. इन उपायों से पित्त को संतुलित किया जा सकता है -

तनाव न लें

तनाव भी पित्त बढ़ने का एक कारण हो सकता है. इसलिए, पित्त को संतुलन में रखने के लिए आपको तनाव लेने से बचना चाहिए. हमेशा खुश और स्ट्रेस फ्री रहना चाहिए.

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पूरी नींद लें

पित्त को संतुलन में रखने के लिए पूरी नींद लेना जरूरी है. नींद लेने से स्ट्रेस कम होता है और पित्त संतुलन में रहता है. स्वस्थ रहने के लिए हर व्यक्ति को 7-8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए.

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मेडिटेशन और योग

मेडिटेशन करने से पित्त को संतुलित किया जा सकता है. इसके अलावा, शरीर को ठंडक देने वाले कुछ योगासन और प्राणायाम का भी अभ्यास किया जा सकता है. शीतली प्राणायाम शरीर को ठंडा रखने में मदद करता है.

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ठंडी तासीर वाली चीजें

जब पित्त असंतुलित होता है, तो शरीर में गर्मी बढ़ जाती है. ऐसे में शरीर को ठंडक देने वाले फूड्स का सेवन करना चाहिए. खीरातरबूजखरबूजाआंवलानींबू व एलोवेरा जूस आदि पित्त को संतुलित करने में मदद कर सकते हैं. इनके अलावा, पुदीनानारियल और धनिया भी पित्त को संतुलित रखते हैं.

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घी है फायदेमंद

घी भी पित्त को संतुलित करने का अच्छा उपाय हो सकता है. आयुर्वेद में गाय के घी को सबसे बेहतर माना जाता है. घी पेट से जुड़े रोगों को दूर करता है और पित्त को शांत करता है.

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विरेचन

जब शरीर में पित्त बहुत बढ़ जाता है, तो इस स्थिति में डॉक्टर विरेचन करवाते हैं. विरेचन में कुछ ऐसी आयुर्वेदिक औषधियां दी जाती हैं, जो शरीर में जमा पित्त को आसानी से निकालने में सहायक होती हैं.

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पित्त दोष खराब स्वास्थ्य और बीमारी का कारण बन सकता है. इसे संतुलित करने के लिए अच्छी डाइट, एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल अपनाना जरूरी है. अगर आपको त्वचा पर रैशेज, कब्ज और जलन की समस्या रहती है, तो इस स्थिति को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें. अगर समय पर पित्त को न निकाला जाए, तो यह शरीर में गंभीर बीमारियां पैदा कर सकता है. इसलिए, अच्छी डाइट व तनाव मुक्त रहकर पित्त को हमेशा संतुलित रखने की कोशिश करें.

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