हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन को “साइलेंट किलर” भी कहा जाता है क्योंकि इसमें किसी तरह के लक्षण सामने आने से पहले ही कई सालों तक शरीर को नुकसान पहुंचना शुरु हो जाता है। यह हृदय व धमनियों में दबाव बढ़ा देता है और इससे हार्ट अटैकस्ट्रोक का खतरा भी बढ़ सकता है।

समय के साथ-साथ प्रभावित धमनियों में खून का बहाव कम हो जाता है, जिससे शरीर के कई मुख्य अंग प्रभावित होते हैं जैसे कि मस्तिष्क, गुर्दे, आंखें और जननांग आदि। जीवनशैली में बदलाव व इलाज से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है जिससे इससे होने वाली कई मुश्किलों को कम किया जा सकता है।

हाई बीपी का इलाज विस्तार से जानने के लिए यहां दिए लिंक पर क्लिक करें।

  1. हाई बीपी से प्रभावित होने वाले अंग
  2. हाइपरटेंशन के अन्य साइड इफेक्ट
  3. सारांश
हाई बीपी कैसे आपके शरीर को प्रभावित करता है? के डॉक्टर

अगर हाई बीपी को प्रभावी रूप से नियंत्रित न किया जाए, तो कुछ प्रकार की जलिटताएं सामने आ सकती हैं, जो निम्न अंगों से संबंधित हो सकती हैं -

धमनियां

उच्च रक्तचाप सबसे पहले धमनियों में दिखने लगता है। सामान्य रूप से जो वाहिकाएं खून को हृदय से शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचाती हैं, वे मजबूत, लचीली और अंदर से काफी मुलायम होती हैं। लेकिन हाई ब्लड प्रेशर इन्हें पूरी तरह से बदल देता है क्योंकि खून का अतिरिक्त दबाव रक्त वाहिकाओं के अंदरुनी हिस्से को क्षति पहुंचाने लगता है।

यदि ब्लड प्रेशर लेवल को कम नहीं किया गया तो यह रक्त वाहिकाओं की अंदरुनी परत को क्षतिग्रस्त कर सकता है और इससे उनके अंदर प्लाक जमने का खतरा बढ़ जाता है। जब प्रभावित धमनी में प्लाक जमा हो जाता है, तो इससे धमनियों में रुकावट आने लगती है। इतना ही नहीं धमनी के अंदर प्लाक जमा होने पर वे कठोर हो जाती हैं, जिस वजह से उनके अंदर से खून बहना मुश्किल हो जाता है।

यह धमनी विस्फार (धमनी का उभार) होने का सबसे मुख्य कारण होता है, जिसमें क्षतिग्रस्त धमनियों की परत खिंच जाती है और फूल कर गुब्बारे की तरह दिखने लगती हैं। परिणामस्वरूप, इनमें कट आदि लगने के कारण खून भी बहने लगता है।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Hridyas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं में सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
BP Tablet
₹899  ₹999  10% छूट
खरीदें

हृदय

हृदय का काम खून को पंप करके उसे पूरे शरीर तक पहुंचाना होता है। यदि हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल ना किया जाए तो उससे हृदय में दबाव बढ़ जाता है, जिसके कारण हृदय की मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं और ठीक तरह से काम नहीं कर पाती हैं। उच्च रक्तचाप के कारण कठोर, संकुचित व प्लाक से भरी धमनियों में से खून को निकालने के लिए हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।

यदि हृदय को अधिक काम करना पड़ रहा है, तो उसका आकार भी सामान्य से बड़ा हो जाता है और हृदय की परतें (हार्ट वॉल) कमजोर पड़ने लगती हैं। इस स्थिति के कारण हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर हो सकता है। हृदय की धड़कनें अनियमित हो जाना (हृदय अतालता) और छाती में दर्द रहना (एंजाइना) भी उच्च रक्तचाप से संबंधी रोग हैं, जो हृदय को प्रभावित करते हैं।

किडनी

उच्च रक्तचाप से ग्रस्त 5 में से 1 मरीज को गुर्दे संबंधी रोग भी मिलते हैं। गुर्दे अपना कार्य छोटी-छोटी रक्त वाहिकाओं की मदद से करते हैं। इन रक्त वाहिकाओं में ऑक्सीजन व अन्य पोषक तत्व होते हैं, जिनकी मदद से ये शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने का काम करती हैं। उच्च रक्तचाप के कारण इन रक्त वाहिकाओं में प्लाक जमा हो जाता है, जिसके कारण गुर्दे संबंधी रोग पैदा होने लगते हैं।

इसके विपरीत स्‍वस्‍थ किडनी ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसलिए जब भी गुर्दे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो ब्लड प्रेशर का स्तर बढ़ने लगता है जिसके कारण गुर्दे और अधिक क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। यदि यह स्थिति लगातार बनी रहती है, तो इसकी वजह से गुर्दे खराब (किडनी फेलियर) भी हो सकते हैं।

मस्तिष्क

स्ट्रोक का मुख्य कारण उच्च रक्तचाप होता है। जब मस्तिष्क में मौजूद धमनियों में प्‍लाक जमने के कारण क्षति, रिसाव या रुकावट आने लगती है तो ये मस्तिष्क में खून की सप्लाई (आपूर्ति) को प्रभावित कर सकता है। मस्तिष्क के जिस हिस्से को पर्याप्त खून नहीं मिल पाता है, उस हिस्से से जुड़े शारीरिक कार्य प्रभावित हो जाते हैं जैसे बोलना, देखना, हिलना या अन्‍य कोई अंग जिसे मस्तिष्‍क कंट्रोल करता है। यदि मस्तिष्क में खून की आपूर्ति की प्रक्रिया को ठीक कर दिया जाए, तो मस्तिष्क को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है।

मस्तिष्क की कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में खून ना मिल पाने से वैस्कुलर डिमेंशिया हो सकता है, इस रोग में मरीज को सोचने और रोजाना के कामों को याद रखने में में दिक्‍कत आती है।

आंखें

आंखों में खून पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाएं काफी छोटी व नाजुक होती हैं। लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर रहने पर रक्त प्रवाह काफी कम हो जाता है और रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। ऐसी स्थिति में द्रव (फ्लूइड) रेटिना के अंदर जमा होने लगता है जिससे मरीज़ को चीजें पहचानने में दिक्‍कत आती है। रक्‍त वाहिकाओं में आए इस अवरोध से आंखें कमजोर हो सकती हैं और इस वजह से अंधापन भी हो सकता है।

इतना ही नहीं उच्च रक्तचाप शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है, जैसे -

जननांग

प्रजनन अंगों को पर्याप्त मात्रा में खून ना मिल पाने के कारण पुरुषों में स्तंभन दोष और महिलाओं में सेक्स ड्राइव (कामोत्तेजना) की कमी हो सकती है।

पुरुषों के लिए फायदेमंद आयुर्वेदिक सेक्स टाइम इंक्रीज ऑयल को उचित दाम पर लेने के लिए अभी ऑर्डर करें।

पैर, कूल्हे और पेट

शरीर के निचले हिस्से में ऐंठन या दर्द होना, धमनियों के संकुचित या बंद होने का मुख्य संकेत होता है। ये हृदय के आस-पास की रक्त वाहिकाओं को प्रभावित नहीं करता है, इसलिए इस रोग को परिधीय धमनी रोग (PAD) कहा जाता है। इसकी वजह से  कूल्हों और पैर की मांसपेशियों में दर्दबनता रहता है।

हड्डियां

हाई ब्लड प्रेशर में पेशाब के जरिए अधिक मात्रा में कैल्शियम शरीर से बाहर निकल सकता है। इस स्थिति में हड्डियों में कैल्शियम की कमी हो जाती है और ऑस्टियोपोरोसिस रोग का खतरा बढ़ जाता है। यह समस्‍या आमतौर पर वृद्ध महिलाओं में देखी जाती है जिनकी हड्डियां इतनी कमजोर होती हैं कि आसानी से टूट जाती हैं।

स्लीप एप्निया

उच्च रक्तचाप एक ऐसी समस्‍या है जिससे ग्रस्त लगभग आधे लोगों को नींद के दौरान सांस लेने में दिक्कत आती है। इस स्थिति को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया कहा जाता है, जिसमें नींद के दौरान गले की मांसपेशियां रिलैक्स (ढीली पड़ जाना) हो जाती हैं। इस स्थिति में व्यक्ति तेज खर्राटे लेने लगता है। स्लीप एप्निया के कारण नींद की कमी होने पर ब्लड प्रेशर लेवल बढ़ सकता है।

रात को अच्छी और गहरी नींद के लिए अभी ऑनलाइन खरीदें आयुर्वेदिक ब्राह्मी टेबलेट

ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करना एक लंबी प्रक्रिया है। डॉक्टर के दिशा-निर्देशों को पालन करें और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने के तरीकों से संबंधी जानकारी लें। डॉक्‍टर से ये भी जानें कि किस तरह की जीवनशैली को अपनाकर हृदय को स्‍वस्‍थ रखा जा सकता है।

Dr. Farhan Shikoh

Dr. Farhan Shikoh

कार्डियोलॉजी
11 वर्षों का अनुभव

Dr. Amit Singh

Dr. Amit Singh

कार्डियोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Shekar M G

Dr. Shekar M G

कार्डियोलॉजी
18 वर्षों का अनुभव

Dr. Janardhana Reddy D

Dr. Janardhana Reddy D

कार्डियोलॉजी
20 वर्षों का अनुभव

ऐप पर पढ़ें