चैपरे हैमरेजिक फीवर (रक्तस्रावी बुखार) एक वायरल संक्रमण है। यह एरेनाविराडाइ (Arenaviridae) फैमिली के चैपरे वायरस के कारण होता है। लासा फीवर वायरस भी इसी परिवार के वायरस में शामिल है। वैज्ञानिकों के मुताबिक रोडन्ट यानी चूहा, गिलहरी आदि कतरने वाले जानवर इस वायरस फैमिली के प्राकृतिक वाहक होते हैं, जो वायरस को फैलाने का काम करते हैं। हालांकि, चैपरे वायरस को मनुष्यों में फैलाने के लिए जिम्मेवार मुख्य रोडन्ट का अब तक पता नहीं चला पाया है।

जूनोटिक रोग यानी जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियां, जैसे कि चैपरे हैमरेजिक फीवर (बुखार) संक्रमित रोडन्ट के द्वारा काटने या खरोंचने से मनुष्यों में फैलता है। इसके अलावा अन्य किसी माध्यम यानी संक्रमित चूहे या गिलहरी के सीधे संपर्क में आने से भी व्यक्ति बीमार पड़ सकता है, जैसे कि इनके लार और मल-मूत्र के सीधे संपर्क में आने से भी मनुष्य में वायरस का ट्रांसमिशन हो सकता है। अब तक इस वायरस से जुड़े दो प्रकोप देखने को मिले हैं जो कि दक्षिण अमेरिकी देश बोलिविया में सामने आए हैं। कहा जा रहा है कि कोविड-19 महामारी के बीच ऐसे नए वायरसों को समझने के लिए वैज्ञानिकों में दिलचस्पी बढ़ रही है, जो वायरस दुनिया में कहीं भी मनुष्यों को प्रभावित कर सकते हैं।

(और पढ़ें - तेज बुखार में क्या करना चाहिए, प्राथमिक उपचार)

क्या है चैपरे हैमरेजिक फीवर? - What is Chapare haemorrhagic fever in Hindi

चैपरे संक्रमण एक प्रकार का रक्तस्रावी बुखार है। रक्तस्रावी बुखार के अन्य उदाहरणों में डेंगू बुखार, क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार और इबोला वायरस रोग शामिल हैं। दरअसल चैपरे हैमरेजिक बुखार का नाम बोलिविया के चैपरे क्षेत्र से पड़ा है, जहां इस बीमारी का पहला मामला साल 2003 में सामने आया था, जिसके परिणामस्वरूप एक मौत भी हुई थी। इस बीमारी का अगला प्रकोप साल 2019 में बोलिविया के एक अलग प्रांत बोलिविया-कारानवी में देखने को मिला। यहां इस वायरस के पांच मामले सामने आए थे, जिसमें से तीन लोगों की मौत हो गई थी; मृतकों में दो स्वास्थ्यकर्मी थे। हालांकि, इस बीमारी से जुड़े संक्रमित मामलों की रिकॉर्ड की गई संख्या काफी छोटी है, लेकिन अभी तक इस बीमारी की मृत्यु दर बहुत अधिक है।

(और पढ़ें - वायरल फीवर होने पर क्या करें)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

चैपरे वायरस के लक्षण - Symptoms of Chapare haemorrhagic fever in Hindi

17 नवंबर 2020 तक इस संक्रमण से जुड़े दस से कम मामले ही रिकॉर्ड किए गए हैं। इस तरह से वायरस को लेकर अभी सीमित जानकारी उपलब्ध है। वहीं चैपरे वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड यानी वो समय जब कोई व्यक्ति वायरस के संपर्क में आता है और उसमें लक्षण दिखाई देते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि एरेनावायरस के लक्षण चार दिनों से लेकर तीन सप्ताह के बीच में कभी भी दिखाई दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त, सीडीसी के अनुसार, चैपरे हैमरेजिक बुखार के संक्रमित रोगियों मे कुछ इस प्रकार के लक्षण हो सकते हैं -

बुखार
सिरदर्द
जोड़ों का दर्द
मांसपेशियों में दर्द
आंखों में दर्द
पेट दर्द
उल्टी आना
दस्त लगना
मसूड़ों से खून आना
त्वचा पर चकत्ते
चिड़चिड़ापन महसूस होना
खून आना (ब्लडिंग)

चैपरे हैमरेजिक फीवर कैसे फैलता है? - How does Chapare haemorrhagic fever spread in Hindi

चैपरे वायरस, चूहे-गिलहरी आदि कतरने वाले जानवर के जरिए मनुष्यों में फैल सकता है। बताया जाता है कि जब लोग संक्रमित जानवरों के मल-मूत्र और लार के संपर्क में आते हैं, उन्हें चैपरे वायरस के संक्रमण का खतरा होता है। इसके साथ इन जानवरों के द्वारा काटने और खरोंचने से भी वायरस फैल सकता है। अमेरिका में सीडीसी के वैज्ञानिकों ने इस वायरस के ह्यूमन-टू-ह्यूमन फैलने की पुष्टि भी की है। वैज्ञानिकों की मानें तो रोगी के शरीर के तरल पदार्थ जैसे लार, मूत्र और वीर्य के संपर्क से वायरस अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। वहीं, स्वास्थ्य संबंधी प्रक्रियाओं जैसे- सीना दबाने, मुंह से मुंह में सास देने, इंटुबेशन (शरीर में कोई ट्यूब लगाना) या संक्रमित बूंदों के बाच सांस लेने से भी यह संक्रमण फैल सकता है। 

(और पढ़ें - जानें क्या है हंता वायरस पल्मोनरी सिंड्रोम)

दूसरी ओर वैज्ञानिक अभी तक यह पता कर पाने में असफल रहे हैं कि क्या यह वायरस संक्रमित मां के गर्भाशय में बच्चे को संक्रमित कर सकता है। हालांकि, कुछ साक्ष्य मिले हैं जो यह बताते हैं कि संक्रमण की वजह से गर्भावस्था के दौरान गर्भपात और इसके अलावा मां या नवजात शिशु की मृत्यु भी हो सकती है। जानवरों के जरिए वायरस के फैलने और ट्रांसमिशन मेथड को निर्धारित करने के लिए अभी अधिक शोध की आवश्यकता है।

चैपरे हैमरेजिक फीवर के कारण और जोखिम कारक - Causes and risk factors of Chapare haemorrhagic fever in Hindi

चैपरे हैमरेजिक फीवर एरेनाविराडाइ परिवार के चैपरे वायरस के कारण होता है। हालांकि, वायरस को फैलाने में अभी तक एक विशेष जानवर (रोडन्ट) की भूमिका स्पष्ट नहीं है। लेकिन यह देखते हुए कि एरेनाविराडाइ परिवार के वायरस के वाहक आमतौर पर रोडन्ट (चूहे या गिलहरी जैसे जानवर) होते हैं। इसलिए ऐसे जानवरों के कम से कम संपर्क में आने से वायरस के जोखिम को कम किया जा सकता है।

किन लोगों को वायरस का अधिक जोखिम

  • खेत या अन्न भंडार या गोदामों में काम करने वाले लोग बेहद जोखिम में हो सकते हैं, क्योंकि यहां बहुत सारे रोडन्ट होते हैं।
  • घर और इमारत, जहां पर अधिक संख्या में चूहों और अन्य रोडन्ट का प्रभाव है। वहां भी खतरा हो सकता है।
  • चैपरे वायरस से संक्रमित मरीजों की देखभाल में जुटे हेल्थ केयर वर्कर्स, शोधकर्ता, लैबोरेटरी स्टाफ भी इसके जोखिम में हो सकते हैं।

अच्छी खबर यह है कि इस वायरस के दो प्रकोप केवल बोलिविया तक सीमित रहे हैं। इस तरह वायरस के व्यापक प्रकोप का फिलहाल कोई खतरा नहीं है। इसके अलावा वैज्ञानिक ऐसी कोशिशों में जुटे हैं जो नए वायरल रोगों की खोज और उन्हें बेअसर करने में सहायक हों। बुरी खबर यह है कि रोडन्ट्स (चूहे या गिलहरी) आसानी से कहीं भी और कभी भी आ-जा सकते हैं। इस तरह दुनियाभर में अलग-अलग जगहों पर वायरस के प्रसार के जोखिम को अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Kesh Art Hair Oil बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने 1 लाख से अधिक लोगों को बालों से जुड़ी कई समस्याओं (बालों का झड़ना, सफेद बाल और डैंड्रफ) के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

चैपरे हैमरेजिक फीवर से बचाव और रोकथाम - Prevention of Chapare haemorrhagic fever in Hindi

चैपरे वायरस की रोकथाम के लिए साफ-सफाई काफी अहम है। इसलिए अपने घर और कार्यस्थल पर स्वच्छता को बनाए रखें। साथ ही रोडन्ट (चूहे-गिलहरी) की संख्या पर नियंत्रण करना महत्वपूर्ण है। इस तरह आपको उन जगहों पर जाने से बचना चाहिए, जहां पर संक्रमित चूहे हो सकते हैं। इसके अलावा कई बचाव विकल्प हैं जैसे -

  • अपने हाथों को नियमित रूप से धोएं
  • खाद्य पदार्थ से संबंधित पैकेज को संभालने से पहले अच्छी तरह से साफ कर लें
  • अगर आप उस क्षेत्र या इलाके में जा रहे हैं, जहां इस बीमारी का प्रकोप है तो आपको अपना अधिक ध्यान रखने की जरूरत होगी।

अगर आप एक ऐसे क्षेत्र में स्वास्थ्य कर्मचारी हैं जहां चैपरे वायरस संक्रमण का पता चला है तो जरूरी है कि आप संक्रमण से बचाव के उपकरणों का इस्तेमाल करें जैसे कि पीपीई किट्स। इसके साथ ही इंटुबैशन जैसी प्रक्रियाओं के दौरान सभी सावधानी बरतें। दूसरी ओर बीमारी से ठीक हुए मरीज भी कुछ महीनों बाद तक अपने रक्त, लार, मूत्र, वीर्य और मल के जरिए वायरस को फैला सकते हैं। इसलिए ऐसे लोगों को लक्षण खत्म होने तक बचाव से जुड़े उपायों का पालन करना चाहिए। इसके अलावा जब तक डॉक्टर सुझाव नहीं देते, तब तक उन्हें सेक्स करने से बचना चाहिए।

(और पढ़ें - कॉकरोच से होने वाली बीमारियां)

चैपरे हैमरेजिक फीवर का निदान या परीक्षण - Diagnosis of Chapare haemorrhagic fever in Hindi

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, रक्तस्रावी बुखार आमतौर पर अचानक शुरू होता है। इसके बाद व्यक्ति को बुखार, बेचैनी, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द के साथ ही गले में खराश, उल्टी, दस्त, त्वचा पर चकत्ते जैसे लक्षणों का अनुभव होते हैं। अगर किसी व्यक्ति को ऐसे कोई लक्षण विकसित होते हैं तो उसे उचित सावधानी बरतनी चाहिए, जैसे कि फेस मास्क पहनना और उचित दूरी बनाए रखना। इसके साथ ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके बाद इलाके में वायरस के प्रकोप, लक्षण और टेस्ट के आधार पर डॉक्टर संक्रमण की जांच करेंगे।

चैपरे रक्तस्रावी बुखार के लिए अभी कोई विशेष जांच (डायग्नोसिस) उपलब्ध नहीं है। अमेरिका के सीडीसी के अनुसार, अब तक ब्लड टेस्ट, मॉलिक्यूलर टेस्ट और आरटी-पीसीआर परीक्षण के जरिए चैपरे वायरस के कुछ मामलों की पुष्टि की गई है। डॉक्टर इन परीक्षणों का इस्तेमाल बोलिवियन रक्तस्रावी बुखार (माचुपो वायरस), डेंगू,  लेप्टोस्पायरोसिसपीला बुखार और हंता वायरस जैसी अन्य संक्रामक बीमारियों की आशंका को दूर करने के लिए कर सकते हैं।

चैपरे हैमरेजिक फीवर का इलाज - Chapare haemorrhagic fever Treatment in Hindi

इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं है। लेकिन कुछ विकल्प उपचार में सहायक हो सकते हैं :

  • हाइड्रेशन को बनाए रखने के लिए फ्लूड थेरेपी 
  • फ्लूड थेरेपी या वैसोप्रेसिन का इस्तेमाल करके सदमे के किसी भी संकेत को मैनेज करना
  • बेहोश करने की क्रिया
  • दर्द निवारक दवाएं
  • अगर जरूरत पड़े तो ब्लड ट्रान्सफ्यूशन
myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Energy & Power Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को शारीरिक व यौन कमजोरी और थकान जैसी समस्या के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

Dr Rahul Gam

संक्रामक रोग
8 वर्षों का अनुभव

Dr. Arun R

संक्रामक रोग
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Neha Gupta

संक्रामक रोग
16 वर्षों का अनुभव

Dr. Anupama Kumar

संक्रामक रोग

और पढ़ें...
ऐप पर पढ़ें