कॉस्टेलो सिंड्रोम - Costello Syndrome in Hindi

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September 15, 2020

September 15, 2020

कॉस्टेलो सिंड्रोम
कॉस्टेलो सिंड्रोम

कॉस्टेलो सिंड्रोम क्या है?

कॉस्टेलो सिंड्रोम को फेशियोक्यूटैनियोस्केलेटल (एफसीएस) सिंड्रोम के रूप में भी जाना जाता है। यह एक दुर्लभ और आनुवंशिक विकार है, जिससे ग्रस्त व्यक्तियों में शारीरिक और मानसिक विकास में देरी होती है। यह सिंड्रोम शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में त्वचा की ढीली सिलवटें, मांसपेशियों की टोन खराब होना और अन्य समस्याएं शामिल हैं।

आगे होने वाली जटिलताओं में घातक और गैर-घातक ट्यूमर का विकास, हृदय दोष और हृदय की मांसपेशियों का असामान्य विकास शामिल है। हृदय संबंधी सामान्य समस्याओं में हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी जैसी दिक्कत हो सकती है, इसमें हृदय का विस्तार होने लगता है जो हृदय की मांसपेशियों की कमजोरी, अनियमित दिल की धड़कन और अन्य संरचनात्मक दोषों का कारण बनता है।

कॉस्टेलो सिंड्रोम के संकेत और लक्षण

कोस्टेलो सिंड्रोम के ज्यादातर लक्षण जन्म के समय नोटिस नहीं किए जा सकते हैं, लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है लक्षण भी स्पष्ट होते चले जाते हैं।

इसमें जन्म के समय वजन आमतौर पर सामान्य या थोड़ा ऊपर होता है, लेकिन अधिकांश बच्चों की तुलना में शिशु का विकास धीरे-धीरे होता है। इसके लक्षणों में शामिल हैं।

  • लंबाई कम और धीरे विकास होना (और पढ़ें - बच्चों में लंबाई बढ़ाने का तरीका)
  • इंट्लेक्चुअल डिसएबिलिटी (जैसे सीखने, प्रॉब्लम को सॉल्व करने या निर्णय लेने में कठिनाई)
  • विकास में देरी
  • शैशवावस्था में खिलाने में कठिनाई
  • बड़ा सिर
  • ढीली त्वचा, खासकर हाथों और पैरों में
  • हथेलियों और तलवों पर गहरी दरारें
  • जोड़ों में लचीलापन
  • बड़ा मुंह
  • चेहरे की सतह खुरदरी लगना
  • भेंगापन
  • हृदय की समस्याएं, जिसमें धड़कन में असामान्यता शामिल है
  • दांतों की बीमारी
  • पैरों की उंगलियों का नाखून मोटा होना

(और पढ़ें - बच्चों में देरी से बोलने के लक्षण)

कोस्टेलो सिंड्रोम का कारण 

कोस्टेलो सिंड्रोम की समस्या एचआरएएस नामक जीन में गड़बड़ी के कारण होती है। यह जीन एच-आरएएस (H-Ras) नामक एक प्रोटीन बनाने के लिए निर्देश देता है, जो कोशिका में वृद्धि और विभाजन को नियंत्रित करने में मदद करता है। इससे कैंसर और गैर-कैंसर वाले ट्यूमर का विकास हो सकता है।

एचआरएएस जीन में गड़बड़ी ऊतक में लोचदार फाइबर के उत्पादन को भी प्रभावित कर सकता है। ये फाइबर महाधमनी सहित फेफड़ों, त्वचा और बड़ी रक्त वाहिकाओं जैसी संरचनाओं के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा फाइबर त्वचा और बालों को मजबूत रखने, उन्हें जल्दी टूटने से रोकने और रक्त वाहिकाओं व फेफड़ों के ऊतकों की ताकत को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होता है।

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कोस्टेलो सिंड्रोम का निदान

कोस्टेलो सिंड्रोम बहुत दुर्लभ है, इसलिए एक बार में इसका निदान होना मुश्किल हो सकता है। चिकित्सक बच्चे की लंबाई, सिर के आकार और जन्म के समय वजन का आकलन करके निदान कर सकते हैं।

अगले चरण में जेनेटिक टेस्टिंग की मदद ली जा सकती है। इसके अलावा एचआरएएस जीन पर सीक्वेंस एनालिसिस किया जाता है, ताकि कोस्टेलो सिंड्रोम से संबंधित जीन में गड़बड़ी का पता लगाया जा सके।

कोस्टेलो सिंड्रोम का इलाज

कोस्टेलो सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके कुछ पहलू जैसे हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी का विशेष रूप से इलाज किया जा सकता है।

स्थिति को प्रबंधित करने के लिए निम्न तरीकों की मदद ली जा सकती है :

  • खाने में कठिनाई की समस्या के लिए शैशवावस्था के दौरान इलाज करना
  • हृदय संबंधित समस्याओं का उपचार
  • विशेष शिक्षा देना

वर्तमान में शोधकर्ता आनुवंशिक स्तर पर इलाज ढूंढ रहे हैं। सहाय​क इलाज के तौर निम्न तरीकों से मदद की जा सकती है :

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