6 अक्टूबर 2020 तक, दुनिया भर में कोविड-19 के 3 करोड़ 60 लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इस बीमारी के सामान्य लक्षणों में बुखार, खांसी, सिरदर्द और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं शामिल हैं। हालांकि, बुजुर्ग और वैसे लोग जिन्हें पहले से कोई बीमारी है (जैसे हाई बीपी, डायबिटीज या हृदय रोग) उन्हें कोविड-19 के गंभीर लक्षण जैसे सांस फूलना, चेहरे और होंठ का नीला पड़ना, निमोनिया और शरीर में ऐंठन होने का खतरा अधिक होता है। फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने के अलावा, वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि कोविड-19 वायरस शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों जैसे कि हृदय, किडनी और ब्रेन को भी अस्थायी और स्थायी दोनों तरह से नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है।

(और पढ़ें- हृदय की गति से जुड़ी समस्याओं को कई गुना बढ़ा सकता है कोविड-19)

डायबिटीज से बचने के लिए myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट का उपयोग करे।और अपने जीवन को स्वस्थ बनाये।

कोविड-19 से जुड़ी सबसे कॉमन हृदय से जुड़ी समस्याओं में से एक मायोकार्डाइटिस या हृदय की मांसपेशियों में इन्फ्लेमेशन (सूजन) है। यह सूजन हृदय के काम करने के तरीके को बिगाड़ सकती है, क्योंकि अगर हृदय में सूजन आ जाए तो हृदय की मांसपेशियां शरीर के सभी हिस्सों तक खून को कुशलता से पंप करने में सक्षम नहीं हो सकती हैं। कुछ मामलों में, जब मरीज वायरल संक्रमण से ठीक हो जाता है तो यह सूजन कम हो जाती है। हालांकि, कई मरीज ऐसे भी हैं जिनमें यह समस्या बदतर होने लगती है। अगर मायोकार्डिटिस का सही समय पर उपचार न हो या उसका पता न चले तो उसके कारण होने वाली कुछ संभावित जटिलताएं निम्नलिखित हैं:

(और पढ़ें- 7 स्टेप जो अचानक से होने वाले हार्ट फेलियर से बचा सकते हैं)

विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे तो कई वायरल संक्रमण ऐसे हैं जिसमें हृदय से जुड़ी समस्याएं देखने को मिलती हैं, लेकिन कोविड-19 में मरीज की स्थिति और भी बदतर हो सकती है यदि संक्रमण बहुत अधिक इम्यून प्रतिक्रिया को ट्रिगर करता है जिसे साइटोकिन स्टॉर्म कहा जाता है (बहुत अधिक साइटोकिन्स या प्रोटीन का रिलीज होना जो इम्यून कोशिकाओं का उपयोग करती है एक-दूसरे से बात करने और सूजन को शांत करने में)।

एक और चिंताजनक कारक है कोविड-19 में खून के थक्कों का बनना। खून के बड़े थक्कों की वजह से हार्ट अटैक या स्ट्रोक होने का खतरा रहता है तो वहीं खून के छोटे-छोटे थक्के, बेहद छोटी रक्त वाहिकाओं (केशिकाओं) को अवरुद्ध कर सकते हैं और शरीर में बड़े पैमाने पर नुकसान का कारण बन सकते हैं। कोविड-19 हृदय को किस तरह से प्रभावित करता है, इस बारे में यहां जानते हैं।

(और पढ़ें- कोविड-19 महामारी के दौरान हार्ट पेशेंट्स ऐसे रखें दिल का ख्याल)

  1. कोविड-19 हृदय को क्यों प्रभावित करता है?
  2. कोविड-19 के हल्के संक्रमण के बाद हृदय को नुकसान
  3. कोविड-19 के बाद हृदय को स्थायी नुकसान
  4. कोविड-19 और हार्ट अटैक
  5. कोविड-19 और हृदय को नुकसान : इन बातों का रखें ध्यान
  6. क्या कोविड-19 हृदय को स्थायी नुकसान का कारण बन सकता है? के डॉक्टर

हमारे शरीर में रेनिन-एंजियोटेंसिन-एल्डोस्टेरोन सिस्टम (RAAS) होता है जो रक्तचाप को नियंत्रित करने और शरीर में फ्लूइड-इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है। इस सिस्टम में 3 हार्मोन होते हैं- रेनिन, एंजियोटेंसिन और एल्डोस्टेरोन- जिनमें से प्रत्येक की एक अलग भूमिका होती है। रेनिन, तब ऐक्शन में आता है जब भी किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर लो होने लगता है। यह एंजियोटेंसिनोजेन नाम के प्रोटीन को तोड़कर एंजियोटेंसिन I का निर्माण करता है। एंजियोटेंसिन I को एंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम (ACE) की मदद से एंजियोटेंसिन II में परिवर्तित किया जाता है।

(और पढ़ें - एसीई 2 रिसेप्टर्स क्या हैं और कैसे यह कोविड-19 को फैलने में मदद करते हैं)

शरीर के अन्य हिस्सों की ही तरह फेफड़े, किडनी और हृदय की रक्त वाहिकाओं में भी ACE पाया जाता है। ACE, एसीई रिसेप्टर्स से जुड़ता है और रक्त वाहिकाओं को संकुचित करता है, जिससे रक्तचाप बढ़ने लगता है। एंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम- II (ACE-II) ACE को प्रतिभार (काउंटरबैलेंस) करने में मदद करता है- यानी यह एंजियोटेंसिन II को वापस एंजियोटेंसिन I में परिवर्तित करके रक्तचाप को कम करने में मदद करता है ताकि रक्त वाहिकाएं फिर से फैल सकें या चौड़ी हो सकें।

हम यह तो जानते हैं कि सार्स-सीओवी-2 वायरस जो 2019 कोरोना वायरस संक्रमण का कारण बनता है- ACE II रिसेप्टर्स के साथ अटैच होकर शरीर में मौजूद स्वस्थ कोशिकाओं में प्रवेश करता है। ACE II रिसेप्टर्स न केवल फेफड़ों की कोशिकाओं में बल्कि हृदय की मांसपेशियों और रक्त वाहिकाओं में भी पाए जाते हैं, इस प्रकार हृदय भी कोविड-19 से ग्रस्त हो जाता है। इसके अलावा, जिन लोगों को पहले से हृदय रोग की समस्या होती है वे लोग अधिक ACE-II रिलीज करते हैं, इसलिए इन लोगों में स्वस्थ लोगों की तुलना में कोविड-19 के अधिक गंभीर लक्षण देखने को मिलते हैं। 

हार्ट नाम के जर्नल में अप्रैल 2020 में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, कोविड-19 के हल्के लक्षणों वाले लोगों में भी हृदय को नुकसान पहुंचने की बात सामने आयी है। रिसर्च में यह बताया गया कि लंदन में रहने वाली 51 वर्ष की एक पत्रकार जो वैसे तो पूरी तरह से स्वस्थ थीं उनमें कोविड-19 की वजह से व्यापक हृदय क्षति देखने को मिली। महिला पत्रकार को शुरुआत में कोविड-19 के हल्के लक्षण ही थे, जैसे- शरीर में दर्द और गले में खराश, लेकिन संक्रमण के 8वें दिन, उन्हें सीने में भारीपन की शिकायत हुई। 

जब उन्होंने अपना ईसीजी करवाया तो डॉक्टरों को पता चला कि वायरस के कारण महिला के हृदय में सूजन (इन्फ्लेमेशन) हो गई थी जिसके परिणामस्वरूप मायोकार्डिटिस (मायोकार्डियम या हृदय की मांसपेशी में सूजन) हो गया था। मायोकार्डिटिस हृदय की खून को पंप करने की क्षमता को कम कर देता है। जिस महिला को पहले कभी हृदय से जुड़ी कोई बीमारी नहीं थी, उसके हृदय को वायरस ने इस कदर क्षति पहुंचायी कि उन्हें हृदय प्रत्यारोपण तक करवाना पड़ा।

(और पढ़ें- हृदय को स्वस्थ रखने के लिए खाएं ये आहार)

इन्फ्लूएंजा और सार्स-सीओवी-2 जैसे वायरस शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने की फेफड़ों की क्षमता को बाधित कर देते हैं जिससे हृदय में तनाव और प्रेशर बढ़ने लगता है। मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) के पिछले मामलों से पता चला है कि इसके परिणामस्वरूप तीव्र मायोकार्डिटिस और हार्ट फेलियर तक हो सकता है। इसके अलावा यह भी पाया गया कि सार्स-सीओवी-2 वायरस से मायोकार्डियल डैमेज (हृदय की मांसपेशियों को नुकसान) भी होता है।

वैज्ञानिकों ने पाया कि सार्स-सीओवी-2 वायरस की वजह से हृदय स्थायी और अस्थायी दोनों तरह से क्षतिग्रस्त हो सकता है और इसके निम्नलिखित कारण हैं: 

1. साइटोकीन स्टॉर्म : जब कोई बाहरी या विदेशी सूक्ष्मजीव शरीर में प्रवेश करता है, तो शरीर का इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है और उस सूक्ष्मजीव से लड़ने के लिए साइटोकिन्स और अन्य इन्फ्लेमेटरी कोशिकाओं को तैनात करता है। इस लड़ाई के दौरान, उस स्थानीय क्षेत्र में सूजन (इन्फ्लेमेशन) होने लगती है। लेकिन जब इम्यून सिस्टम अतिसक्रिय हो जाता है, तो साइटोकिन्स अत्यधिक बड़ी संख्या में रिलीज होने लगते हैं परिणामस्वरूप हाइपरइन्फ्लेमेशन (अत्यधिक सूजन) होने लगता है। इसे ही साइटोकीन स्टॉर्म कहा जाता है। साइटोकीन स्टॉर्म की वजह से कोशिकाओं की मृत्यु होने लगती है, जिसके परिणामस्वरूप अंगों को नुकसान होने लगता है, जो गंभीर वेंट्रिकुलर अतालता (हृदय की अनियमित लय) के रूप में प्रस्तुत होते हैं।

2. ऑक्सीजन की कमी : फेफड़ों की वायु की थैलियों (एयर सैक) में सूजन और तरल पदार्थ भर जाने के कारण, कम ऑक्सीजन रक्त प्रवाह तक पहुंचता है, इसलिए हृदय को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक खून को पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इस कारण हृदय पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है जिसकी वजह से कोशिकाओं की मृत्यु होने लगती है और ऊत्तकों को भी नुकसान पहुंचता है। (और पढ़ें- ऑक्सीजन की कमी के लक्षण, कारण, इलाज)

3. वायरल मायोकार्डिटिस : पहले भी यह बताया गया है कि इन्फ्लूएंजा के कुछ स्ट्रेन्स ऐसे भी हैं जो हृदय की मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मायोकार्डिटिस (हृदय की मांसपेशियों में सूजन) होता है। यदि समय पर इलाज न हो तो वायरल मायोकार्डिटिस के परिणामस्वरूप हार्ट फेलियर हो सकता है।

4. स्ट्रेस कार्डियोमायोपथी : यह भी पहले बताया गया है कि वायरल संक्रमण हृदय की मांसपेशियों को प्रभावित करके हृदय की खून को पंप करने की क्षमता को कम कर सकता है, जिसे चिकित्सीय भाषा में कार्डियोमायोपथी (हृदय की मांसपेशियों का कमजोर होना) कहा जाता है। इसके अलावा, जब शरीर में तनाव या स्ट्रेस उत्पन्न होता है तो यह कैटेकोलामाइंस और कोर्टिसोल (स्ट्रेस हार्मोन) जैसे केमिकल्स को रिलीज करने लगता है जो हृदय को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

कोविड-19 की वजह से हार्ट अटैक नहीं होता लेकिन यह कुछ ऐसे लक्षणों के साथ जरूर उपस्थित होता है जो हार्ट अटैक से मिलते जुलते दिखाई देते हैं। हार्ट अटैक के कुछ सामान्य लक्षणों में सीने में दर्द, सांस की तकलीफ और ईसीजी या ईकेजी पर हार्ट अटैक से संबंधित बदलाव शामिल है। कोविड-19 के बहुत से मरीज जिनमें ये सारे लक्षण दिखे उन रोगियों की जब एंजियोग्राफी की गई तो उनके हृदय में प्रमुख रक्त वाहिका में रुकावट का कोई सबूत नहीं मिला। (जिसके परिणामस्वरूप हार्ट अटैक हो सकता है) एंजियोग्राफी, एक प्रक्रिया है जिसमें हृदय रोग विशेषज्ञ एक कैथेटर का उपयोग करता है ताकि डाई को इंजेक्ट किया जाए और एक्स-रे मशीन के माध्यम से यह देखा जा सके कि यह डाई हृदय की धमनियों से होते हुए कैसे बहती है।

हार्ट अटैक के दौरान व्यक्ति को बाएं कंधे, बाएं जबड़े और गर्दन की बाईं तरफ तेज दर्द हो सकता है। इसके अलावा व्यक्ति को हार्टबर्न यानी सीने में जलन की भी शिकायत हो सकती है जो कोविड-19 के रोगियों में अनुपस्थित होती है। डॉक्टरों का मानना ​​है कि हार्ट अटैक के दौरान मायोकार्डिटिस के लक्षण नजर आते हैं। इसके अलावा, कोविड-19 शरीर में खून के छोटे-छोटे थक्के बनाने के लिए जाना जाता है जो रक्त वाहिकाओं को अवरुद्ध कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सीने में दर्द होता है।

(और पढ़ें- हार्टबर्न या सीने में जलन के घरेलू उपाय)

डॉक्टरों का कहना है कि इनमें से किसी भी लक्षण वाले लोगों को बिना किसी देरी के तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए क्योंकि दिल का दौरा पड़ने पर मरीज को जितनी जल्दी हो सके शुरुआती इलाज मिलना जरूरी होता है ताकि मरीज को लंबे समय तक होने वाली गंभीर जटिलताओं से बचाया जा सके।

कोविड-19 के रिकवर हो रहे 100 मरीजों पर एक स्टडी की गई जिसमें से 78 मरीजों में हृदय की असामान्यताएं (60 मरीजों में मायोकार्डियल इन्फ्लेमेशन) देखने को मिलीं। हालांकि विशेषज्ञ अब भी हृदय पर कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभावों को पूरी तरह से समझने की कोशिश कर रहे हैं, और इसके लिए वे कुछ विचारों का परीक्षण कर रहे हैं:

  • हृदय की मांसपेशियों (मायोकार्डियम) और हृदय की कवरिंग (पेरिकार्डियम) में इन्फ्लेमेशन (सूजन) की कितनी मात्रा है इसके आधार पर, कुछ रोगियों के शरीर में हृदय को स्थायी नुकसान पहुंच सकता है। 
  • कोविड-19 के बाद हृदय में सूजन (इन्फ्लेमेशन) का तुरंत या तत्काल प्रभाव दिखे ऐसा जरूरी नहीं है- कभी-कभी अवशिष्ट सूजन (संक्रमण के साफ होने के बाद बचा हुआ) और हृदय की मांसपेशियों में क्षतिचिन्ह (हीलिंग के रूप में) को प्रकट होने में सालों का समय लग सकता है।
  • कोविड-19 वायरस स्वस्थ कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए ACE II रिसेप्टर्स का उपयोग करता है। चूंकि हृदय में ये रिसेप्टर्स बहुत अधिक संख्या में होते हैं, इसलिए हृदय की कोशिकाओं को इस संक्रमण के कारण प्रत्यक्ष क्षति पहुंच सकती है। (कार्डियक इंजूरी)
  • रिसर्च से पता चला है कि अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के मरीजों में ट्रोपोनिन नाम के एक एंजाइम का स्तर बढ़ जाता है जिसका संबंध हार्ट अटैक से है और यह हृदय को नुकसान पहुंचाने का संकेत दे सकता है।

हृदय से संबंधित लक्षण जैसे सीने में दर्द रिकवर हो रहे कोविड-19 के मरीजों में केवल कुछ समय के लिए ही रहता है, बाकी मरीजों को हृदय स्वास्थ्य से जुड़े दीर्घकालिक परिणाम भुगतने पड़ते हैं। कोविड-19 से रिकवर होने के बाद पोस्ट-कोविड केयर पर ध्यान देना जरूरी है और रिकवरी के दौरान नियमित रूप से चेकअप के लिए भी जाते रहें क्योंकि जब बात हृदय से जुड़ी हो तो रोकथाम को इलाज से बेहतर माना जाता है।

Dr Rahul Gam

संक्रामक रोग
8 वर्षों का अनुभव

Dr. Arun R

संक्रामक रोग
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Neha Gupta

संक्रामक रोग
16 वर्षों का अनुभव

Dr. Anupama Kumar

संक्रामक रोग

और पढ़ें ...
ऐप पर पढ़ें