जब गर्भाशय की आंतरिक परत की कोशिकाएं आवश्यकता से अधिक बढ़ जाती हैं, तो उस स्थिति में गर्भाशय का कैंसर होता है। इसे बच्चेदानी का कैंसर भी कहते हैं। यह कोशिकाएं वृद्धि करके शरीर के अन्य भागों में भी कैंसर फैला सकती हैं।
यह आकार और संरचना में नाशपाती जैसा होता है। जन्म लेने से पहले बच्चे महिलाओं के गर्भ के इसी भाग में रहते हैं। गर्भाशय में 2 मुख्य भाग होते हैं :
- गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) गर्भाशय का निचला भाग है जो योनि में खुलता है।
- गर्भाशय के ऊपरी हिस्से को कॉर्पस (Corpus) कहा जाता है।
यद्यपि गर्भाशय ग्रीवा भी गर्भाशय का ही हिस्सा होती है। जब लोग गर्भाशय के कैंसर के बारे में बात करते हैं, तो उनका मतलब कॉर्पस में कैंसर ही होता है न कि गर्भाशय ग्रीवा में।
बच्चेदानी के कैंसर का प्रमुख लक्षण योनि से असामान्य रक्तस्राव या स्पॉटिंग है। एंडोमेट्रियल कैंसर का सही कारण अभी तक अज्ञात है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एस्ट्रोजन का उच्च स्तर इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है। इससे ग्रस्त महिलाओं का उपचार अधिकतर सर्जरी द्वारा ही किया जाता है।
भारत में गर्भाशय कैंसर की स्थिति
एंडोमेट्रियल कैंसर पश्चिमी महिलाओं में अधिक पाया जाता है। हालांकि एक अध्ययन के अनुसार, भारत में यह दर प्रति एक लाख लोगों में 4.3 है।
भारत में एंडोमेट्रियल कैंसर के रोगियों का जीवन दर
उपरोक्त अध्ययन में यह भी पाया गया कि 5 सालों से भारत में एंडोमेट्रियल कैंसर के रोगियों की जीवन रक्षा दर 92% थी। पांच साल की दर के अनुसार 50 साल से कम उम्र के लोगों में (97%), तंबाकू न खाने वाले लोगों में (94%), जिनके परिवार में कोई भी कैंसर से ग्रस्त नहीं है उनमें (93%) और जिनका सर्जरी द्वारा कोई इलाज हुआ हो उनमें (95%) लोग इस रोग से सुरक्षित पाए गए हैं।
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