बच्चेदानी में कैंसर - Endometrial Cancer (Uterine Cancer) in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

June 28, 2017

February 05, 2024

बच्चेदानी में कैंसर
बच्चेदानी में कैंसर

बच्चेदानी का कैंसर क्या होता है?

जब गर्भाशय की आंतरिक परत की कोशिकाएं उनके डीएनए में असामान्य बदलाव की वजह से विभाजित होने और बढ़ने लगती हैं, तब गर्भाशय या बच्चेदानी में कैंसर शुरू होता है। समय के साथ ट्यूमर बन जाता है, जिसे हम कैंसर कहते हैं।

गर्भाशय का कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर (जिसे सर्वाइकल कैंसर भी कहा जाता है) दो अलग कैंसर होते हैं।

बच्चेदानी के कैंसर का प्रमुख लक्षण योनि से असामान्य रक्तस्राव या स्पॉटिंग है। एंडोमेट्रियल कैंसर का सही कारण अभी तक अज्ञात है। कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि एस्ट्रोजन का उच्च स्तर इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है।

बच्चेदानी के कैंसर का उपचार अधिकतर सर्जरी द्वारा ही किया जाता है।

भारत में गर्भाशय कैंसर की स्थिति

एंडोमेट्रियल कैंसर पश्चिमी महिलाओं में अधिक पाया जाता है। हालांकि एक अध्ययन के अनुसार, भारत में यह दर प्रति एक लाख महिलाओं में 4.3 है।

भारत में एंडोमेट्रियल कैंसर होने पर जीवन-दर

उपरोक्त अध्ययन में यह भी पाया गया कि 5 सालों से भारत में एंडोमेट्रियल कैंसर के रोगियों की जीवन दर 92% थी। पांच साल की दर के अनुसार 50 साल से कम उम्र की महिलाओं में (97%), तंबाकू न खाने वाली महिलाओं में (94%), जिनके परिवार में कोई भी कैंसर से ग्रस्त नहीं है उनमें (93%) और जिनका सर्जरी द्वारा इलाज हुआ हो उनमें (95%) महिंलाएं इस रोग से सुरक्षित पाए गए हैं।

बच्चेदानी (गर्भाशय) में कैंसर के लक्षण - Endometrial (Uterine) Cancer Symptoms in Hindi

बच्चेदानी में कैंसर का सबसे आम लक्षण योनि से असामान्य रक्तस्राव या स्पॉटिंग है। हालांकि यह ज़रूरी नहीं ये लक्षण होने पर आप कैंसर से ही पीड़ित हों। इनके कई और कारण भी हो सकते हैं इसलिए डॉक्टर से अवश्य सलाह लें।

गर्भाशय कैंसर के अन्य लक्षण निम्नलिखित हैं -

(और पढ़ें - गर्भाशय फाइब्रॉएड)

गर्भाशय (बच्चेदानी) में कैंसर के कारण - Endometrial (Uterine) Cancer Causes in Hindi

गर्भाशय (बच्चेदानी) में कैंसर कैसे और क्यों होता है?

बच्चेदानी में कैंसर तब होता है जब एंडोमेट्रियम की कोशिकाओं में जेनेटिक परिवर्तनों के कारण वह असामान्य हो जाती हैं। ये कोशिकाएं तेजी से बढ़ती हैं और ट्यूमर बनाती हैं। डीएनए में यह परिवर्तन क्यों होते हैं, यह अभी भी अज्ञात है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एस्ट्रोजन का उच्च स्तर इस बीमारी के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

प्रोजेस्‍टेरॉन और एस्ट्रोजन अंडाशय में बनने वाले महिला सेक्स हार्मोन हैं। जब इन दो हार्मोनों के संतुलन में परिवर्तन आता है, तो एंडोमेट्रियम में भी बदलाव आ सकता है। रिसर्च के अनुसार, अगर एस्ट्रोजन के स्तर में वृद्धि हो लेकिन प्रोजेस्‍टेरॉन के स्तर में वृद्धि न हो तो एंडोमेट्रियम की परत को मोटा कर सकता है और संभवतः कैंसर का कारण बन सकता है।

गर्भाशय कैंसर के जोखिम कारक

निम्नलिखित स्थितियों में आपको गर्भाशय कैंसर होने की सम्भावना बढ़ जाती है -

  • आयु और रजोनिवृत्ति - एंडोमेट्रियल कैंसर के अधिकांश मामले 60 से 70 साल की महिलाओं में होते हैं। इस आयु में या रजोनिवृत्ति से गुज़र चुके होने पर निम्न कारक बच्चेदानी में कैंसर होने का खतरा बढ़ा देते हैं -
    • हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) - अगर हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी में एस्ट्रोजन हार्मोन हो लेकिन प्रोजेस्टेरोन नहीं, तो बच्चेदानी में कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कभी-कभी रजोनिवृत्ति के लक्षणों के इलाज के लिए उपयोग की जाती है।
    • रजोनिवृत्ति देर से होना - अगर रजोनिवृत्ति अधिक उम्र में होती है तो भी गर्भाशय कैंसर होने की सम्भावना बढ़ जाती है। 
  • पीरियड्स जल्दी शुरू होना - जिन महिलाओं के पीरियड्स 12 वर्ष की आयु से पहले शुरू हो गए हों, उन्हें गर्भाशय कैंसर का अधिक खतरा होता है।
  • इनफर्टिलिटी या कभी प्रेगनेंसी न होना - जो महिलाऐं कभी प्रेग्नेंट न हुई हों या जिन्हे इनफर्टिलिटी की समस्या हो, उन्हें भी बच्चेदानी के कैंसर का ज्यादा खतरा होता है।
  • हार्मोनल परिवर्तन - शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन के स्तर में असुंतलन के कारण भी गर्भाशय कैंसर की सम्भावना रहती है। क्योंकि इस स्थिति में गर्भाशय की दीवार मोटी हो जाती है और कैंसर का कारण बनती है।
  • मोटापा - जिन महिलाओं का वजन अधिक होता है, उन्हें अन्य महिलाओं की तुलना में बच्चेदानी में कैंसर होने की संभावना 2 से 4 गुणा अधिक होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि फैट के टिश्यू काफी मात्रा में एस्ट्रोजन बनाते हैं।
  • शुगर और हाई ब्लड प्रेशर - जिन महिलाओं को शुगर और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है उनमें भी एंडोमेट्रियल कैंसर की अधिक संभावना होती है। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि अकसर मोटापे की वजह से ऐसा होता है। हालांकि, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन और अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, ये दोनों ही स्थितियां गर्भाशय कैंसर का कारण होती हैं।

गर्भाशय कैंसर से बचाव - Prevention of Endometrial Cancer (Uterine Cancer) in Hindi

बच्चेदानी में कैंसर होने के कुछ कारकों पर आपका कोई नियंत्रण नहीं होता है जैसे परिवार में इस कैंसर का इतिहास।

लेकिन कुछ ऐसे कारक जरूर हैं जिन्हे आप जीवन शैली में बदलाव कम कर सकती हैं -

  • शरीर का वजन नियंत्रित रखें क्योंकि शरीर की वसा कोशिकाएं एस्ट्रोजेन बनाती हैं।
  • यदि आप सक्षम हैं तो स्तनपान करायें। यह ओवुलेशन और एस्ट्रोजेन गतिविधि को कम करने में मदद करता है। (और पढ़ें - स्तनपान के फायदे)
  • असामान्य रक्तस्राव का तुरंत उपचार करवाएं।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें। यह आपके वजन को नियंत्रित रखने और एस्ट्रोजन का स्तर कम करने में मदद करता है।
  • फलों और सब्ज़ियों का अधिक से अधिक सेवन करें।

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गर्भाशय कैंसर के जांच - Diagnosis of Endometrial (Uterine) Cancer in Hindi

डॉक्टर आपको मूत्र और रक्त परीक्षण की सलाह दे सकते हैं या फिर स्वास्थ्य जांच कराने को भी कह सकते हैं। अन्य टेस्ट इस प्रकार हैं :

  • पेल्विक जांच - इसमें डॉक्टर आपके गर्भाशय, योनि, मलाशय और मूत्राशय में गांठ की जांच करेंगे।
  • पैप टेस्ट - पैप टेस्ट आपके गर्भाशय ग्रीवा और योनि के ऊपरी हिस्से में असामान्य कोशिकाओं की जांच करता है।
  • ट्रांसवैजिनल अल्ट्रासाउंड - इसमें अल्ट्रासाउंड करके आपके गर्भाशय की तस्वीर के माध्यम से जांच की जाती है।
  • बायोप्सी - बायोप्सी में डॉक्टर आपके एंडोमेट्रियम से कैंसरजनक कोशिकाओं को निकाल देते हैं।

गर्भाशय कैंसर का इलाज - Endometrial Cancer (Uterine Cancer) Treatment in Hindi

गर्भाशय के कैंसर का उपचार चार प्रकार से किया जा सकता है - सर्जरी, रेडियोथेरेपी, हार्मोनल थेरेपी, कीमोथेरपी। सर्जरी गर्भाशय के कैंसर का मुख्य उपचार है। लेकिन कुछ स्थितियों में अन्य उपचारों का भी उपयोग किया जाता है। आपकी उम्र, आपका स्वास्थ्य और अन्य कई कारक बच्चेदानी में कैंसर के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

आपके डॉक्टर सही इलाज चुनने में मदद करेंगे।

सर्जरी

बच्चेदानी के कैंसर के इलाज में आमतौर पर गर्भाशय निकालने का ऑपरेशन (हिस्टेरेक्टॉमी) किया जाता है। साथ ही फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय को भी निकाला जा सकता है। हिस्टेरेक्टॉमी के बाद महिला के लिए भविष्य में गर्भवती होना संभव नहीं होता है। यदि आपका अंडाशय निकाल दिया जाता है, तो यदि आपको पहले रजोनिवृत्ति नहीं हुई है, तो सर्जरी के बाद होगी।

विकिरण चिकित्सा

कुछ मामलों में डॉक्टर सर्जरी के बाद दोबारा गर्भाशय कैंसर होने का जोखिम कम करने के लिए विकिरण चिकित्सा (रेडियोथेरेपी) करवाने की सलाह दे सकते हैं। कुछ स्थितियों में सर्जरी से पहले ट्यूमर को सिकोड़ने और निकालने में आसान बनाने के लिए विकिरण चिकित्सा की जा सकती है।

यदि आप सर्जरी के लिए पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हैं, तो आप केवल विकिरण चिकित्सा का विकल्प चुन सकती हैं।

कीमोथेरेपी

कभी-कभी सर्जरी के बाद दोबारा गर्भाशय कैंसर होने का जोखिम कम करने के लिए कीमोथेरपी की सलाह दी जाती है। कुछ स्थितियों में सर्जरी से पहले ट्यूमर को सिकोड़ने और निकालने में आसान बनाने के लिए कीमोथेरेपी की जा सकती है।

अगर कीमोथेरेपी को उन्नत या आवर्तक एंडोमेट्रियल कैंसर के इलाज के लिए अनुशंसित किया जा सकता है जो गर्भाशय से परे फैल गया है।

हार्मोन थेरेपी

यदि आपका कैंसर बच्चेदानी से बाहर फैल गया है, तो आपको हार्मोन थेरेपी दी जा सकती है।

गर्भाशय कैंसर के प्रकार - Types of Endometrial Cancer (Uterine Cancer) in Hindi

गर्भाशय के कैंसर के 2 मुख्य प्रकार हैं -

  • यूटराइन सार्कोमा - यह गर्भाशय की मांसपेशियों की परत (Myometrium) या संयोजी ऊतकों में होने वाला कैंसर है।
  • एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा - यह गर्भाशय की भीतरी परत (Endometrium) में होने वाला कैंसर है। गर्भाशय के लगभग सभी कैंसर इसी प्रकार के होते हैं। सूक्ष्मदर्शी में कोशिकाओं के दिखने के आधार पर एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा को अलग-अलग प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं -
    • एडीनोकार्सिनोमा - अधिकतर एंडोमेट्रियल कैंसर एडीनोकार्सिनोमा ही होते हैं।
    • कार्सिनोसार्कोमा
    • स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा - यह त्वचा, होंठ, मुंह, मूत्राशय, प्रोस्टेट, फेफड़ों, योनि और गर्भाशय ग्रीवा सहित कई अलग विभिनन अंगों में होता है।
    • अनडिफ्रेंशिएटेड कार्सिनोमा
    • स्मॉल सेल कार्सिनोमा
    • ट्रांज़िशनल कार्सिनोमा

गर्भाशय कैंसर के चरण - Stages of Endometrial Cancer (Uterine Cancer) in Hindi

गर्भाशय के कैंसर के चरणों का पता करने के लिए ब्लड टेस्ट, छाती का एक्स-रे और कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन आदि प्रमुख हैं। इन जांचों के आधार पर बच्चेदानी के कैंसर के निम्नलिखित चरण होते हैं :

  • चरण 1: जब कैंसर केवल गर्भाशय में हो।
  • चरण 2: जब कैंसर आपके गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा में हो।
  • चरण 3: जब कैंसर आपके गर्भाशय के बाहर जैसे श्रोणि लिम्फ नोड्स (Pelvic lymph nodes) में हो, लेकिन मूत्राशय या मलाशय (Bladder or rectum) में न हो।
  • चरण 4: जब कैंसर आपके पेल्विक क्षेत्र के बाहर फैल जाये और आपके मलाशय, मूत्राशय और शरीर के अन्य भागों को भी संक्रमित करने लगे।


संदर्भ

  1. Niederhuber JE, et al. Abeloff's Clinical Oncology. 5th ed. Philadelphia, Pa.: Churchill Livingstone Elsevie
  2. American College of Obstetricians and Gynecologists (ACOG) Committee on Practice Bulletins — Obstetrics. ACOG Practice Bulletin No. 149: Endometrial Cancer. Obstetrics & Gynecology. 2015;125:1006
  3. Lentz GM, et al. Neoplastic diseases of the uterus. In: Comprehensive Gynecology. 6th ed. Philadelphia, Pa.: Mosby Elsevier;2012
  4. PDQ Adult Treatment Editorial Board. Endometrial Cancer Treatment (PDQ®): Patient Version. 2019 Jun 12. In: PDQ Cancer Information Summaries [Internet]. Bethesda (MD): National Cancer Institute (US); 2002-.
  5. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Uterine Cancer