दांत हिलना - Loose Tooth in Hindi

Dr. Anushikha DhankharBDS,PG Dip

April 30, 2019

December 20, 2023

दांत हिलना
दांत हिलना

परिचय

दांत हिलने की समस्या भारत में काफी प्रचलित है और इसके मामले सबसे अधिक होने वाली समस्याओं में से हैं। सभी दांत खाना चबाते व निगलते समय एक सीमित सीमा में हिलते हैं और इस प्रक्रिया को “शारीरिक दांत गतिशीलता” (Physiological tooth mobility) कहा जाता है। जब दांत सामान्य सीमा से अधिक गति में हिलने लग जाता है, तो यह स्थिति असामान्य हो जाती है। जब दांत के हिलने की सीमा सामान्य से अधिक हो जाती है, तो इस स्थिति को दांत हिलना कहा जाता है। 

दांत हिलने के कई अंदरुनी कारण हो सकते हैं, जैसे दांत को सहारा प्रदान करने वाली संरचनाएं (या हड्डियां) खराब या क्षतिग्रस्त हो जाना, दांत पर अधिक भार या दबाव पड़ना या फिर लंबे समय तक मसूड़ों या जबड़े संबंधी कोई रोग होना। कुछ स्थितियों में हिलने वाला दांत थोड़े बहुत समय बाद अपने आप स्थिर हो जाता है लेकिन कुछ मरीजों में दांत फिर से स्थिर होना काफी मुश्किल हो जाता है।

(और पढ़ें - दांत हिलने के घरेलू उपचार)

दांत हिलने के प्रकार - Types of Loose Tooth in Hindi

दांत हिलने के कितने प्रकार होते हैं?

दांत के हिलने की गंभीरता की जांच करने के लिए कुछ दिशा निर्देश होते हैं, जिनकी मदद से दांत हिलने की समस्या को अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। दांत के हिलने की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है, कि दांत के आस-पास की हड्डियां कितनी क्षतिग्रस्त हुई है। इसके अलावा दांत की आकृति, जड़ की लंबाई और दांत की जड़ से ऊपरी सिरे के अनुपात पर भी दांत हिलने की गंभीरता निर्भर करती है। 

दांत हिलने की गति को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: 

  • ग्रेड 0:
    इस स्थिति को फिजियोलॉजी मोबिलिटी कहा जात है, इसमें दांत के सामान्य सीमा के भीतर ही हिलते हैं।
     
  • ग्रेड ½:
    इस स्थिति को क्लिनिकल मोबिलिटी कहा जाता है, जिसमें दांत फिजियोलॉजी मोबिलिटी के मुकाबले हल्का सा अधिक हिलने लग जाता है। इसमें दांत जीभ से गाल की दिशा में लगभग 1 मिलीमीटर से कम क्षेत्र मे हिलने लग जाता है।
     
  • ग्रेड 1:
    इस स्थिति को माइल्ड पैथोलॉजिक मोबिलिटी कहा जाता है, यह एक सौम्य स्थिति होती है। इसमें दांत 1 मिलीमीटर के क्षेत्र में हिलने लग जाता है।
     
  • ग्रेड 2:
    यह दांत हिलने की मध्यम स्थिति होती है, इसे मोडरेट पैथोलॉजिक मोबिलिटी कहा जाता है। इसमें दांत जीभ व गाल के बीच 2 मिलीमीटर तक हिलने लग जाता है।
     
  • ग्रेड 3:
    यह दांत हिलने की सबसे गंभीर स्थिति होती है, इसमें दांत 2 मिलीमीटर से भी अधिक क्षेत्र में हिलने लग जाता है। इस स्थिति में दांत जीभ व गाल के बीच हिलने के साथ-साथ दूसरी दिशाओं में भी हिलने लग जाता है। 

(और पढ़ें - नकली दांत कैसे लगाएं)

दांत हिलने के लक्षण - Loose Tooth Symptoms in Hindi

दांत हिलने के लक्षण क्या होते हैं?

दांत का सामान्य सीमा से अधिक क्षेत्र में हिलना दांत हिलने का सबसे मुख्य व स्पष्ट लक्षण होता है। हालांकि कभी-कभी दांत के चारों तरफ कठोर कैलक्युलस (पीले रंग का कठोर पदार्थ) जमा हो जाने के कारण दांत की सामान्य गतिशीलता भी महसूस नहीं हो पाती है। 

दांत हिलने के साथ व्यक्ति को निम्नलिखित समस्याएं भी महसूस हो सकती हैं, जैसे: 

  • चबाने में कठिनाई
  • दांत पर अधिक दबाव बढ़ जाने के कारण दांत की जड़ों में या साथ में आस-पास के क्षेत्र में दर्द होना
  • प्रभावित दांत बाहर की तरफ या अंदर की तरफ झुक जाने के कारण दांत असामान्य दिखाई देना
  • दांत के आस-पास अत्यधिक कैलकुलस जमा होना
  • लंबे समय से मसूड़ों में सूजन रहना
  • प्रभावित दांत के चारों तरफ से मसूड़े पीछे हट जाना (पकड़ मजबूत ना होना)
  • हड्डी के आस-पास की हड्डी अवशोषित होना
  • दांतों के ऊपरी सिरे की लंबाई बढ़ जाना
  • दांत सामान्य रूप से सीधी रेखा में ना दिखाई देना
  • दांत के आस-पास मवाद बनना या संक्रमण हो जाना

(और पढ़ें - दांतों में संक्रमण के लक्षण)

दांत हिलने के कारण - Loose Tooth Causes in Hindi

दांत क्यों हिलते हैं?

नीचे ऐसी कई स्थितियों के बारे में बताया गया है, जिनके कारण दांत हिलने की समस्या होने लग जाती है जैसे: 

  • हड्डी क्षतिग्रस्त होना:
    दांत के आस-पास दांत को सहारा प्रदान करने वाली हड्डियां क्षतिग्रस्त हो जाएं तो दांत हिलने लग जाते हैं। हड्डी क्षतिग्रस्त होने के कारण हिलने वाले दांत की गंभीरता कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे हड्डियां कितनी क्षतिग्रस्त हुई हैं, दांत की आकृति व आकार और दांत के ऊपरी सिरे से जड़ का अनुपात आदि। उदाहरण के लिए जिन दांतों की जड़ शंकु के आकार की होती है, वे जल्दी हिलने लग जाते हैं और जिन दांतों की जड़ लंबी होती है और शंकु के आकार की नहीं होती वे दांत हिलने में अपेक्षाकृत ज्यादा समय लगा देते हैं।

    यदि किसी व्यक्ति के टेढ़े-मेढ़े दांतों को सीधा करने का इलाज चल रहा है, तो इस दौरान दांतों की जड़ों की ध्यानपूर्वक जांच की जानी चाहिए। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि हड्डी कई कारणों से नष्ट हो सकती है और दांतों की जड़ें छोटी होने पर दांत के हिलने का खतरा अत्यधिक बढ़ सकता है। ऐसा जरूरी नहीं होता, कि दांत के हिलने की ग्रेड सिर्फ इसी बात पर ही निर्भर करती है कि हड्डी कितनी क्षतिग्रस्त हुई है।
     
  • दबाव पड़ने पर चोट लगना:
    यह अक्सर दांत को सहारा देने वाली संरचना में चोट लगने के कारण होती है। यह समस्या अक्सर ऐसी स्थितियों के कारण होती है जिनमें दांत पर अधिक दबाव पड़ता है, जैसे दांत पीसना या चबाने के दौरान अधिक अधिक दबाव देने की आदत। दांत पर अधिक दबाव देने से लगने वाली चोट के कारण कोर्टिकल हड्डियां अवशोषित हो जाती हैं और इसके परिणामस्वरूप दांत हिलने लग जाते हैं। इस स्थिति में कोलेजन फाइबर कम होने लग जाता है और बाद में इसके कारण दांत के आस-पास की संरचना चौड़ी होने लगती है जिस से चबाने के लिए अधिक दबाव देना पड़ता है।
     
  • सूजन व लालिमा:
    यदि मसूड़ों व दांत के किसी भाग में सूजन व लालिमा हो गई है और यह धीरे-धीरे दांत की जड़ों के क्षेत्रों में फैलने लगी है, ऐसी स्थिति में दांत हिलने लग सकते हैं। यदि दांत की जड़ों में कोई गंभीर फोड़ा होने के कारण सूजन आ गई है, तो ऐसी स्थिति में पेरिडॉन्टल रोग ना होने के बावजूद भी फोड़े से प्रभावित दांत हिलने लग जाता है। इसी तरह यदि आपको लंबे समय से मसूड़ों में सूजन हो रही है, तो इसके परिणामस्वरूप भी पेरिडॉन्टल ऊतक क्षतिग्रस्त होने लग जाते हैं और दांत हिलने की समस्या हो जाती है।
     
  • पेरिडॉन्टल सर्जरी:
    यह सर्जरी होने के तुरंत बाद इसके प्रभाव के रूप में दांत हिलने की समस्या हो सकती है। लेकिन यह समस्या स्थायी नहीं होती और कुछ ही समय के बाद धीरे-धीरे कम हो जाती है।
     
  • जबड़े की चिकित्सा:
    जबड़े संबंधी रोग दांत की जड़ों या उनके नीचे की हड्डी को प्रभावित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप दांत हिलने की समस्या हो सकती है। उदाहरण के लिए जबड़े संबंधी रोगों में ओस्टियोमाइलाइटिस, सिस्ट और ट्यूमर आदि शामिल हैं।
     
  • गर्भावस्था:
    कुछ प्रकार की शारीरिक प्रक्रियाएं जैसे गर्भावस्था आदि के दौरान भी दांत हिलने जैसी समस्या हो सकती है। इसके अलावा महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान और जो महिलाओं गर्भनिरोधक गोलियां लेती हैं उनके दांत भी हिलने लग सकते हैं। पेरिडॉन्टल रोग के अलावा शरीर में मौजूद भौतिक रसायनों (physico-chemical) में बदलाव होना भी दांत हिलने के कारणों से जुड़ा हो सकता है। (और पढ़ें - आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों के नुकसान)

दांत हिलने का खतरा कब बढ़ता है?

दांत हिलने के कारणों के अलावा कुछ अन्य कारक भी हैं जिनसे दांत के आस-पास का क्षेत्र क्षतिग्रस्त होने के संभावना बढ़ जाती है जिसके परिणामस्वरूप दांत हिलने लग जाते हैं। दांत हिलने का खतरा बढ़ाने वाले कारकों में निम्न शामिल हो सकते हैं: 

  • धूम्रपान करना:
    तंबाकू चबाना या धूम्रपान करना दांत हिलने जैसी कई समस्याएं होने का खतरा बढ़ा देता है। धूम्रपान से दांत संबंधी समस्याएं होने का खतरा मुंह की स्वच्छता और आप कितने समय से धूम्रपान कर रहें आदि पर निर्भर करता है। धूम्रपान न करने वाले व्यक्तियों में दांत का इलाज हो जाने के बाद इलाज का प्रभाव धीरे-धीरे कम हो जाता है, जबकि जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं उनमें ऐसा नहीं होता है।
     
  • कैलकुलस और प्लाक जमा होना:
    दांतों के आस-पास कैलकुलस व प्लाक आदि जमा होने से भी दांत असामान्य रूप से हिलने लग सकते हैं। प्लाक जमा होने से मसूड़ों में सूजन और पेरियोडोंटाइटिसजैसे रोग होने लग जाते हैं, जिनके परिणामस्वरूप दांत  हिलने की समस्या पैदा हो जाती है।
     
  • बैक्टीरिया अधिक हो जाना:
    दांत के पेरियोडोन्टल क्षेत्रों में बैक्टीरिया अधिक बढ़ जाने से भी दांत हिलने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। स्वस्थ दांत के मुकाबले हिलने वाले दांतों में अधिक बैक्टीरिया जमा होने लगते हैं। इनमें मुख्य रूप से केम्फिलोबैक्टर रेक्टस, पेप्टोस्ट्रेप्टोकॉकस माइक्रो और पोर्फिरोमोनस जिंजीवाइलस बैक्टीरिया शामिल हैं।
     
  • डायबिटीज:
    यदि डायबिटीज को कंट्रोल में ना रखा जाए तो इसके परिणामस्वरूप मसूड़ों व दांत संबंधी रोग विकसित होने लग सकते हैं। आबादी पर किये गए एक खास अध्ययन में पाया गया कि टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त लोगों की हड्डियां अन्य लोगों के मुकाबले अधिक क्षतिग्रस्त होती हैं। साथ ही यह भी पाया गया है कि यदि डायबिटीज से ग्रस्त किसी व्यक्ति के दांत हिलने लगे हैं, तो डायबिटीज को कंट्रोल करने से उसके दांत हिलने की समस्या में भी सुधार आ जाता है। 

(और पढ़ें - डायबिटीज में परहेज और क्या करें)

दांत हिलने का परीक्षण - Diagnosis of Loose Tooth in Hindi

दांत हिलने का परीक्षण कैसे किया जाता है?

दांत हिलने की जांच करने के लिए डेंटिस्ट द्वारा मुंह का परीक्षण किया जाता है। इसके अलावा परीक्षण के दौरान कुछ प्रकार के रेडियोग्राफी टेस्ट भी किये जा सकते हैं। इन टेस्टों की मदद से यह पता लगाया जात है कि दांत हिलने की समस्या कितनी गंभीर है और आस-पास की हड्डियां कितनी क्षतिग्रस्त हो गई हैं। 

शारीरिक परीक्षण: 

इस परीक्षण के दौरान कुछ मैकेनिकल व कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होते हैं, जिनकी मदद से सटीक रूप से दांत हिलने की गंभीरता का पता लगाया जाता है। हालांकि इन उपकरणों का आमतौर पर अधिक उपयोग नहीं किया जाता है।

एक सामान्य नियम के रूप में दांत हिलने की गंभीरता का पता लगाने के लिए दांत को धातु से बने दो उपकरणों से पकड़ा जाता है। कुछ मामलों में एक धातु के उपकरण और एक उंगली से दांत को पकड़ कर यह पता जाता है कि दांत कितना हिल रहा है। दांत के हिलने की गंभीरता के अनुसार ही उसकी स्थिति को उचित श्रेणी (ग्रेड) दी जाती है। 

दांत हिलने की गंभीरता का परीक्षण करने के दौरान दांत को धातु के उपकरण और उंगली के साथ पकड़ कर हल्के-हल्के चारों दिशाओं में हिला कर देखा जाता है। ऐसा करने से यह पता लग जाता है कि दांत किस दिशा में कितना हिल पा रहा है। 

रेडियोग्राफिक परीक्षण: 

रेडियोग्राफी टेस्ट की मदद से हॉरिजॉन्टल या वर्टिकल दोनों प्रकार की वायुकोशीय हड्डियों (Alveolar bone) की क्षति का पता लगाया जा सकता है। ये हड्डियां आकार, प्रकार व आकृति में अलग-अलग हो सकती हैं। हॉरिजॉन्टल हड्डियों में क्षति वायुकोशीय हड्डियों के सामानांतर क्षेत्र तक ही क्षतिग्रस्त होती हैं। जबकि वर्टिकल हड्डियों में क्षति होने से दांत व वायुकोशीय हड्डियों के बीच उनकी त्रिभुज जैसे आकार की आकृति बन जाती है। 

पेरियोडोन्टल लिगामेंट्स का आकार बढ़ना दांत हिलने की स्थिति में होने वाला एक स्पष्ट बदलाव होता है। यह दांत की अंदरुनी या बाहरी परत पर कील के आकार की रेडियोल्यूसेंसी (रेडियोग्राफी टेस्ट में पाया गया बदलाव) की तरह दिखाई देती है। 

दांतों के बीच की हड्डी की ऊंचाई कम होना भी एक अन्य रेडिग्राफिक नैदानिक मानदंड है, जिससे स्थिति का पता लगाया जा सकता है। सूजन व लालिमा के फैलने और हड्डियों के अवशोषित होने के कारण दांतों के बीच की हड्डी शिखर की तरफ खिसकने लग जाती है। 

जिन मामलों में दांत पर अधिक दबाव पड़ने के कारण दांत के अंदरूनी या बाहरी किसी हिस्से में चोट लग जाती है, ऐसे ही मामलों में लेमिना ड्यूरा हड्डी भी क्षतिग्रस्त हो जाती है। लेमिन ड्यूरा दांत के नीचे पाई जाने वाली हड्डियां होती हैं, तो पेरियोडोन्टल लिगामेंट के नीचे उपस्थित होती हैं।

(और पढ़ें - चोट की सूजन का इलाज करें)

दांत हिलने का इलाज - Loose Tooth Treatment in Hindi

दांत हिलने का इलाज कैसे किया जाता है?

दांत हिलने का इलाज उसके ढीला होने के कारण पर निर्भर करता है। दांत हिलने के कारण का इलाज कर देने पर दांत स्थिर हो सकता है और इस स्थिति से कोई गंभीर जटिलता भी नहीं हो पाती है। वायुकोशीय हड्डियों में क्षति होने के कारण हिलने वाले दांत को आमतौर पर ठीक नहीं किया जा सकता है। दांत हिलने से होने वाली जटिलताएं आमतौर पर इस बात पर निर्भर करती हैं कि दांत को सहारा देने वाली हड्डियां कितनी क्षतिग्रस्त हुई हैं। यदि दांत के आस-पास की हड्डियां अधिक क्षतिग्रस्त नहीं हुई है, तो दांत हिलने से होने वाली जटिलताएं भी गंभीर नहीं होती हैं।

अलग-अलग ग्रेड में दांत हिलने के इलाज की प्रतिक्रिया पर अध्ययन किये गए हैं, जो यह दर्शाते हैं कि रोग की गंभीरता बराबर होने पर भी जिन दांतों के हिलने की गति सामान्य (क्लिनिकल) है, वे "0" मोबिलिटी वाले दांतों के मुकाबले इलाज पर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। इसके विपरीत अन्य अध्ययन यह बताता है कि हिलने वाले दांत व स्थिर दांत इलाज पर बराबर प्रतिक्रिया देते हैं। 

हिलने वाले दांत को स्पलिंट लगाने से कार्य क्षमता बढ़ जाती है और साथ ही साथ प्रभावित दांत व अन्य दांतों की संरचनात्मक स्थिति भी मजबूत होती है। जिन लोगों को चबाते समय अधिक दबाव देने के कारण उनके पेरियोडोन्टल लिगामेंट्स की चौड़ाई बढ़ गई है और दांत हिलने लगे हैं। इस स्थिति का इलाज करने के लिए दांत द्वारा अधिक दबाव देने की आदत को सुधारा जाता है। 

दांतों की गहराई से सफाई करने के लिए स्केलिंग और रूट प्लैनिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल करने से भी दांत हिलने की समस्या को फिर से ठीक किया जा सकता है। एक स्वस्थ पेरियोडोन्टियम ऊतकों को स्वस्थ रूप से बढ़ने की अनुमति देता है। ऐसा होने पर उन क्षेत्रों में बैक्टीरिया जमा नहीं हो पाते हैं और दांत को सहारा प्रदान करने वाली संरचना क्षतिग्रस्त होने से बच जाती है। 

पेरिएपिकल (Periapical) क्षेत्र में हुए संक्रमण का इलाज करने से भी हिलने वाले दांत वापस स्थिर हो सकते हैं। यदि दांत हिलने का कारण दांत के अंदरुनी क्षेत्र में कोई फोड़ा (Endo-perio lesion) है तो डेंटिस्ट रूट कनैल ट्रिटमेंट करवाने का सुझाव देते हैं या फिर एन्डोनिक ट्रिटमेंट और पेरियोडोन्टल दोनो एक साथ करवाने का सुझाव देते हैं। 

(और पढ़ें - दांत के फोड़ा का इलाज)

यदि अधिक ओर्थोडोन्टिक दबाव के कारण दांत की जड़ या हड्डियां अवशोषित होने लगी हैं, जिसके परिणामस्वरूप दांत हिलने लगे हैं। ऐसी स्थिति में परिमाण व बल की दिशा में बदलाव करके दांत को फिर से स्थिर किया जा सकता है जिससे दांत फिर से अपनी पॉजिशन पर आ जाता है और सामान्य रूप से काम करने लगता है। 

डेंटिस्ट आपके दांत हिलने की स्थिति को कम करने के लिए और साथ ही साथ दांत को सहारा देने वाली संरचनाओं को स्वस्थ बनाने के लिए पेरियोडोन्टल फ्लैप सर्जरी करवाने का सुझाव दे सकते हैं। पेरियोडोन्टल फ्लैप सर्जरी की मदद से लगातार पीछे हटते जा रहे मसूड़ों की रोकथाम की जाती है और दांतों व मसूड़ों के बीच की दूरी को कम किया जाता है।

हड्डी जोड़ने की प्रक्रिया (बोन ग्राफ्ट) के साथ पेरियोडोन्टल रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी भी की जा सकती है। यदि हॉरिजोन्टल हड्डी की जगह वर्टिकल हड्डी क्षतिग्रस्त हुई है, तो इस स्थिति में दांत के हिलने की समस्या को ठीक करने और पेरियोडोन्टल ऊतकों को फिर से स्वस्थ बनाना अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। आमतौर पर पेरियोडोन्टल रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी के दौरान बोन ग्राफ्ट प्रक्रिया का इस्तेमाल भी किया जाता है, जिसकी मदद से हड्डियों में हुई क्षति को फिर से भरा जाता है। बोन ग्रफ्ट में हड्डियों में भरने के लिए स्टेराइल सिन्थेटिक हाइड्रोक्सिपेटाइट और बिटा-ट्रिकैल्शियम फॉस्फेट का इस्तेमाल किया जाता है। पेरियोडोन्टल फ्लैप सर्जरी और बोन रिकंस्ट्रक्शन दोनों को एक साथ एक प्रक्रिया के रूप में भी किया जा सकता है।

जोड़ी गई नई हड्डियां विकसित होने की प्रक्रिया को उत्तेजित करने के लिए पेरियोडोन्टल रिजेनेरोशन थेरेपी भी की जा सकती है। इस थेरेपी में प्लाक व कैलकुलस को साफ करना, पैपिला प्रीसर्वेशन फ्लैप सर्जरी करना और प्लेटलेट मे उच्च फाइब्रिन के साथ बोन ग्राफ्ट करना आदि शामिल है। ये उपचार के सभी तौर-तरीके पेरियोडोन्टल की संरचनाओं को फिर से बनने में और पेरियोडोन्टियम की संरचनाओं व कार्यों को फिर से शुरू करने में मदद करते हैं। 

जबड़े या दाढ़ की हड्डी में सिस्ट या ट्यूमर विकसित हो जाना आदि जबड़े की अंदरुनी समस्याओं का इलाज इन्यूक्लिएशन (Enucleation) या मार्सूपिलाइजेशन (Marsupialization ) आदि की मदद से किया जाता है।

(और पढ़ें - बोन मैरो ट्रांसप्लांट कैसे होता है)

दांत हिलने की जटिलताएं - Loose Tooth Complications in Hindi

दांत हिलने से क्या जटिलताएं हो सकती हैं?

दांत हिलने से होने वाली जटिलताएं इस स्थिति के अंदरुनी कारणों और मुंह की स्वच्छता के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। पेरियोडोन्टल सर्जरी के तुरंत बाद हिलने वाले दांत में थोड़ी बहुत हिलने की समस्या रह सकती है। हालांकि कुछ समय के बाद जैसे-जैसे ऊतक ठीक होने शुरू करते हैं, प्रभावित दांत भी सामान्य रूप से काम करने लग जाता है। 

(और पढ़ें - मुंह की बदबू के लक्षण)

यदि हिलने वाले दांत का इलाज अच्छे तरीके से ना किया जाए तो दांत हिलने की स्थिति हल्की सी बढ़ सकती है और दांतों को सहारा प्रदान करने वाली संरचनाएं भी क्षतिग्रस्त हो सकती है। परिणामस्वरूप किसी दांत को क्षतिग्रस्त होने से बचाना और दांत की संरचना को क्षतिग्रस्त होने से बचाना डेंटिस्ट के लिए नामुमकिन हो सकता है। इन मामलों में दांत निकालना पड़ सकता है। 

यदि दांत हिलने के कारण आपका दांत निकल गया है, तो इससे आपके शरीर के स्वास्थ्य पर काफी गंभीर प्रभाव पड़ता है। दांत निकलने से आप भोजन चबाने में भी असमर्थ हो जाते हैं। दांत निकलने से अन्य सारे दांत भी प्रभावित हो जाते हैं, क्योंकि इनसे चबाने संबंधी प्रक्रिया का संतुलन बदल जाता है। यदि सबसे आगे वाले दांतों में से कोई दांत निकल जाता है, तो यह आपकी मुस्कान व आपके चेहरे के सौंदर्य को बिगाड़ देता है।

(और पढ़ें - मुंह की बदबू का आयुर्वेदिक इलाज)

क्या हिल रहे दांत को बचाया जा सकता है? - Can a Loose Tooth be Saved in Hindi?

यहां हम स्पष्ट कर दें कि हमेशा हिल रहे दांत को बचाना संभव नहीं होता, लेकिन कुछ तरीकों से ऐसा होने की संभावना को कम किया जा सकता है, जैसे -

  • दिन में दो बार ब्रश करना.
  • धूम्रपान न करना.
  • तय समय पर डेंटल चेकअप कराना और जरूरत पड़ने पर दांतों की सफाई भी करवाना.
  • खेल के दौरान पूरी तरह से फिट होने वाला माउथ गार्ड पहनना.
  • डॉक्टर से कैल्शियम या विटामिन-डी के सप्लीमेंट लेना.
  • शुगर को कंट्रोल में रखना, क्योंकि इससे मसूड़ों में होने वाली बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.

    डायबिटीज को नियंत्रियत करने के लिए myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट का उपयोग करे और डायबिटीज से होने वाली अन्य बीमारियों से बचे।

हिलते हुए दांत को गिरने से कैसे रोका जा सकता है? - How do You Stop a Loose Tooth from Falling out in Hindi?

हिलते हुए दांत के लिए कई प्रकार के इलाज हैं, लेकिन कौन-सा इलाज सही है, वो दांत के हिलने के कारण पर निर्भर करता है. हिलते हुए दांतों का इलाज निम्न तरीकों से किया जा सकता है, जैसे - 

  • स्कैलिंग और रूट प्लानिंग- यह एक प्रकार की गहराई से सफाई की जाने की प्रक्रिया है, जिससे मसूड़ों में मौजूद बीमारी का इलाज करने में मदद मिल सकती है.
  • दवाएं व कुल्ला करना- इससे मसूड़ों में मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करने और संक्रमित मसूड़ों को ठीक करने में मदद मिलती है.
  • सर्जरी- इसका मुख्य उद्देश्य मसूड़ों में मौजूद सूजन वाले टिश्यू और हड्डियों को हटाना होता है, जो मसूड़ों की बीमारी से खराब हो चुके होते हैं.
  • बोन ग्राफ्ट- यह मसूड़ों की बीमारी के कारण क्षतिग्रस्त हुई हड्डियों को दोबारा बनाने में मदद करता है.


संदर्भ

  1. Michael G. Newman, Henry Takei, Perry R. Klokkevold, Fermin A. Carranza. Copyright 2015, 2012, 2006 by Saunders. Carranza's Clinical Periodontology - E-Book. 12th edition. St. Louis, Missouri. Elsevier Saunders.
  2. By Jeffrey P. Okeson. Management of Temporomandibular Disorders and Occlusion - E-Book.. 8th edition Maryland Heights, Missouri: Elsevier Mosby; 9th April 2019. page 160.
  3. By Dorothy A. Perry, Phyllis L. Beemsterboer, Gwen Essex. Periodontology for the Dental Hygienist - E-Book.. Fourth edition St. Louis, Missouri: Elsevier Saunders; 2014. Page 125.
  4. By Michael G. Newman, Henry Takei, Perry R. Klokkevold, Fermin A. Carranza. Carranza's Clinical Periodontology - E-Book.. 12th Edition St. Louis, Missouri: Elsevier Saunders; 30th June 2014. Page 782.
  5. Michael G. Newman, Henry Takei, Perry R. Klokkevold, Fermin A. Carranza. Newman and Carranza's Clinical Periodontology E-Book.. 13th Edition St. Louis. Missouri: Elsevier Saunders; 17th July 2018. Page 814.
  6. Michael G. Newman, Henry Takei, Perry R. Klokkevold, Fermin A. Carranza. Newman and Carranza's Clinical Periodontology E-Book.. 13th Edition St. Louis. Missouri: Elsevier Saunders; 17th July 2018. Page 840.
  7. Deborah Termeie. Avoiding and Treating Dental Complications: Best Practices in Dentistry.. First edition Hoboken, New Jersey: Wiley Blackwell; 2016. Page 46.
  8. Michael G. Newman, Henry Takei, Perry R. Klokkevold, Fermin A. Carranza. Carranza's Clinical Periodontology - E-Book.. 11th Edition St. Louis. Missouri: Elsevier Saunders; 14th February 2011. Page 226.
  9. Ashu Bhardwaj, Zeba Jafri, Nishat Sultan, Madhuri Sawai, Anika Daing. Periodontal Flap Surgery along with Vestibular Deepening with Diode Laser to Increase Attached Gingiva in Lower Anterior Teeth: A Prospective Clinical Study.. J Nat Sci Biol Med. 2018 Jan-Jun; 9(1): 72–76. PMID: 29456397.
  10. Saurabh Gupta, Jeevanand Deshmukh, Richa Khatri, Vinaya Kumar Kulkarni, B Karthik. From Hopeless to Good Prognosis: Journey of a Failing Tooth.. J Int Oral Health. 2015 Feb; 7(2): 53–57. PMID: 25859109.

दांत हिलना की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Loose Tooth in Hindi

दांत हिलना के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

दवा का नाम

कीमत

₹62.0

Showing 1 to 0 of 1 entries

दांत हिलना पर आम सवालों के जवाब

सवाल लगभग 4 साल पहले

कुछ दिनों से मेरे दाईं तरह के 2 दांत हिल रहे हैं और साथ में मुझे हल्का सिर दर्द भी हो रहा है। क्या दांत हिलने की वजह से सिर दर्द भी हो सकता है?

Dr. Faisal Mukhtar MBBS, PG Dip, DNB , ऑपथैल्मोलॉजी

दांत मसूड़ों से जुड़े होते हैं। जब दांतों की पकड़ मसूडों से ढीली हो जाती है, तो वे हिलने लगते हैं। दांतों के ढीले या हिलने के कई कारण हैं जैसे वयस्क लोगों में दांतों का हिलना, दांत पीसने या दांत चबाने की आदत की वजह से हो सकता है। इससे दांतों को नुकसान पहुंच सकता है और सिरदर्द व चेहरे पर दर्द का कारण बन सकता है।

सवाल लगभग 4 साल पहले

एक हफ्ते से मुझे जबड़े के दाईं तरफ दांत में दर्द हो रहा है और ये दांत हिल भी रहे हैं, जिसकी वजह से मैं खाना भी ठीक से नहीं खा पा रहा हूं। क्या संक्रमण की वजह से दांत कमजोर या ढीले हो सकते हैं?

Dr. Joydeep Sarkar MBBS , कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, श्वास रोग विज्ञान, गुर्दे की कार्यवाही और रोगों का विज्ञान, हीपैटोलॉजी (यकृत पित्त अग्न्याशय चिकित्सा ), आंतरिक चिकित्सा, मधुमेह चिकित्सक

व्यस्क लोगों में लगातार दांतों के हिलने की घातक समस्या पायरिया बीमारी के कारण होती है। पायरिया को मसूड़ों की बीमारी भी कहा जाता है, यह मसूड़ों का एक गंभीर संक्रमण होता है। यह दातों को सहारा प्रदान करने वाली हड्डियों और लिगामेंट्स (जो दातों को हड्डियों या मसूड़ों से जोड़ते हैं) में संक्रमण, सूजन व लालिमा पैदा कर देता है। यह संक्रमण एक बैक्टीरिया के कारण होता है, जो आपके दातों व मसूड़ों में जमा होते हैं। जैसे ही पायरिया बढ़ने लगता है, इसके प्रभाव से दांत व आसपास की हड्डियां क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। अगर आप मुंह की साफ-सफाई ठीक तरह से नहीं रखते हैं, तो दांतों में बैक्टीरियल प्लाक बन जाते हैं, जिसकी वजह से गंभीर संक्रमण हो जा सकता है। यह दांतों और मसूड़ों के बीच की पकड़ को कमजोर कर देता है। इससे दांत हिल सकते हैं जो कि मसूड़ों में होने वाली क्षति का एक संकेत हैं।

सवाल लगभग 4 साल पहले

3 दिन से मुझे दांत में हल्का दर्द है। खाना खाते समय महसूस हुआ कि मेरा एक दांत हिल रहा है और एक दांत खराब भी है। मेरे मुंह से हल्की बदबू भी आने लगी है। ऐसा क्यों होता है?

Dr. Yogesh Kumar MBBS , General Physician

जी हां, ऐसा हो सकता है। मुंह का स्वाद बिगड़ने या मुंह से बदबू आने का मुख्य कारण मसूड़ों से जुड़ी समस्या है। अगर व्यक्ति को इसका अनुभव जल्दी नहीं होता है, तो उसके मुंह के बदबू और बढ़ सकती है। एक बार आप डेंटिस्ट से मिलकर सलाह ले लें। मुंह की सफाई बनाए रखें और नियमित रूप से दांतों को ब्रश करें।

सवाल लगभग 4 साल पहले

कुछ दिनों से मेरा दांत बहुत हिल रहा है। ऐसा लगता है कि यह टूट जाएगा, लेकिन मैं इसे बचाना चाहता हूं। मैं अपने दांत को कैसे बचा सकता हूं, इसके लिए मुझे कुछ टिप्स बताएं?

Dr. Vinod Verma MBBS , मधुमेह चिकित्सक

अगर सही तरीके से दांतों की देखभाल भी जाए, तो आप हिलते दांतों को गिरने से बचा सकते हैं। अगर आपका दांत ढीला है, तो आप उसके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ न करें, क्योंकि इससे स्थित और बिगड़ सकती है। मुंह की साफ-सफाई बनाए रखें, नियमित रूप से दांतों को अच्छी तरह से ब्रश करें। कुछ तरह के मुलायम खाद्य पदार्थ दांतों में चिपक जाते हैं, इसलिए टूथपिक के इस्तेमाल से उन्हें साफ करें। दांतों में किसी भी तरह की बेचैनी या परेशानी महसूस होती है, तो जल्द से जल्द डेंटिस्ट को दिखाएं।

सम्बंधित लेख