प्रोबायोटिक्स जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं, जो "फर्मेटेड" (fermneted: खमीरयुक्त) खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं।

अध्ययन बताते हैं कि पाचन तंत्र में मौजूद बैक्टीरिया का संतुलन या असंतुलन आपकी अच्छी सेहत से संबंधित होता है। प्रोबायोटिक्स आंतों में मौजूद बैक्टीरिया के संतुलन को बनाए रखते हैं और आपको सेहतमंद रखने में सहायक होते हैं।

प्रोबायोटिक युक्त आहार खाने से आपको वजन कम करने, पाचन क्रिया और प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ करने के साथ ही कई अन्य फायदे भी मिलते हैं।

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प्रोबायोटिक्स की उपयोगिता को देखते हुए इस लेख में आपको प्रोबायोटिक्स के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। इसके साथ आप प्राबायोटिक्स क्या है और प्रोबायोटिक्स के स्त्रोत के बारे में भी जानेंगे।

  1. प्रोबायोटिक्स क्या है - Probiotics kya hai
  2. प्रोबायोटिक्स के फायदे - Probiotics ke fayde
  3. प्रोबायोटिक्स युक्त खाद्य पदार्थ और स्त्रोत - Probiotics ke srot aur aahar

प्रोबायोटिक्स जीवित बैक्टीरिया होते हैं, जो आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। यह खासतौर पर पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। अक्सर लोग बैक्टीरिया को केवल रोग और बीमारियों का ही कारण मानते हैं, लेकिन आपके शरीर के अंदर फायदेमंद और नुकसानदायक, दोनों ही तरह के बैक्टीरिया मौजूद होते हैं। प्रोबायोटिक्स को आपकी सेहत के लिए "अच्छा बैक्टीरिया​" या "सहायक बैक्टीरिया" माना जाता है, क्योंकि ये आपकी आंतों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।

आप प्रोबायोटिक्स को सप्लिमेंट (पूरक पदार्थों) और दही जैसे खाद्य पदार्थों से ले सकते हैं। पाचन संबंधी समस्याओं में डॉक्टर प्रोबायोटिक्स लेने की सलाह देते हैं।

कुछ शोधकर्ता प्रोबायोटिक्स के कार्यों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि जब शरीर में अच्छे बैक्टीरिया कम होने लगते हैं (जैसे कि एंटीबायोटिक दवा लेने के बाद), तो प्रोयाबोटिक लेने से इनकी संख्या को बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही शरीर के सभी कार्य को सही बनाए रखने के लिए प्रोबायोटिक्स अच्छे और खराब बैक्टीरिया में संतुलन बनाने का कार्य करते हैं।

(और पढ़ें - पाचन शक्ति बढ़ाने के उपाय)

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प्रोबायोटिक्स लेने से आपको कई तरह के फायदे होते हैं, इससे होने वाले फायदों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

  1. प्रोबिओटिक्स पाचन तंत्र में अच्छे बैक्टीरिया को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं –
    आंतों के बैक्टीरिया में प्राकृतिक संतुलन बनाने के लिए प्रोबायोटिक्स की मदद ली जाती है। आंतों में मौजूद खराब बैक्टीरिया की संख्या बढ़ने और अच्छे बैक्टीरिया की संख्या कम होने को असंतुलन कहा जाता है। कोई बीमारी, दवा जैसे एंटीबायोटिक्स और दूषित आहार आदि के कारण यह असंतुलन होता है। 

    इस असंतुलन की वजह से आपके पाचन तंत्र में समस्या, एलर्जी, मानसिक समस्या, मोटापा और अन्य परेशानियां होने लगती हैं। (और पढ़ें - मानसिक रोग के उपाय)
     
  2. प्रोबिओटिक्स दस्त होने से रोकते और ठीक करते हैं –
    प्रोबायोटिक्स दस्त से बचाव और इसकी गंभीरता को कम करने के लिए जाने जाते हैं। एंटीबायोटिक्स के हानिकारक प्रभावों से दस्त की समस्या होना एक आम बात है। एंटीबायोटिक्स दवाओं के कारण आंतों के अच्छे और खराब बैक्टीरिया का संतुलन प्रभावित होता है, जिसकी वजह से यह समस्या होती है। कई अध्ययन इस बात को साबित करते हैं कि एंटीबायोटिक्स के दुष्प्रभावों के कारण दस्त की समस्या होने पर प्रोबायोटिक्स लेने से बेहतर परिणाम मिलते हैं।

    एंटीबायोटिक्स के अलावा अन्य कारणों से दस्त होने पर भी प्रोबायोटिक्स काफी उपयोगी होते हैं।
    करीब 35 अध्ययनों की समीक्षा करते हुए पाया गया कि प्रोबायोटिक्स कई तरह संक्रामक दस्त को जल्द ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। प्रोबायोटिक्स अन्य कारणों की वजह से होने वाले दस्त के जोखिम को भी कम करते हैं - बच्चों में 57 प्रतिशत तक और व्यस्कों में 26 प्रतिशत तक। प्रोबायोटिक्स के प्रभाव उसकी मात्रा पर निर्भर करते हैं। (और पढ़ें - दस्त रोकने के घरेलू उपाय)
     
  3. प्रोबायोटिक्स सप्लिमेंट्स मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करते हैं –
    कई अध्ययन बताते हैं कि आपकी आंतों के स्वास्थ्य और मूड व मानसिक सेहत के बीच संबंध होता है। जानवरों और मनुष्यों पर किए गए अध्ययन से पता चला कि प्रोबायोटिक “सप्लिमेंट” (Supplements: पूरक पदार्थ या दवा) कई मानसिक विकारों को ठीक करने में सहायक होते हैं। एक अध्ययन में 15 लोगों को बीफीडोबैक्टीरियम (Bifidobaterium: प्रोबायोटिक का प्रकार) और लैक्टोबैक्सीलियस (Lactobacillus: प्रोबायोटिक का प्रकार) युक्त सप्लिमेंट्स को एक से दो महीने देने से चिंता, अवसाद, आटिज्म, मनोग्रसित बाध्यता विकार (Obsessive Compulsive Disorder: ओसीडी) से राहत मिली। साथ ही मस्तिष्क में कई सकारात्मक बदलाव भी देखने को मिले।

    अन्य अध्ययन में अवसाद से पीड़ित करीब 40 मरीजों को 8 सप्ताह तक प्रोबायोटिक सप्लिमेंट दिया गया। इससे उनके अवसाद का स्तर, "सी रिएक्टिव प्रोटीन" (C-reactive protein: शरीर की सूजन के स्तर को बताने वाला प्रोटीन) और इंसुलिन के स्तर में प्रोबायोटिक न लेने वाले लोगों की अपेक्षा कमी देखी गई। (और पढ़ें - अवसाद के घरेलू उपाय)
     
  4. आपके हृदय को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं प्रोबिओटिक्स –
    प्रोबायोटिक्स आपके शरीर में एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल और बीपी को कम करके आपके हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। कुछ लैक्टिक एसिड बनाने वाले जीवाणु आपकी आंतों में पित्त को तोड़कर कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। पित्त प्राकृतिक रूप से बनने वाला तरल है, जिसका एक बड़ा हिस्सा कोलेस्ट्रॉल होता है, और यह पाचन क्रिया में मदद करता है। प्रोबायोटिक युक्त दही खाने वाले लोगों से संबंधित 5 अध्ययनों में पाया गया कि यह संपूर्ण कोलेस्ट्रॉल को 4 प्रतिशत और एलडीएल कोलस्ट्रॉल को 5 प्रतिशत तक कम करने में सहायक होता है। (और पढ़ें - bp kam karne ke upay)

    प्रोबायोटिक्स खाने से बीपी कम होता है। इसे जुड़े 9 अध्ययनों को देखने पर पाया गया कि प्रोबायोटिक सप्लिमेंट्स रक्तचाप के स्तर को कम करते हैं, लेकिन थोड़ा ही। (और पढ़ें - कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय)
     
  5. प्रोबिओटिक्स एलर्जी और एक्जिमा की गंभीरता को कम करने में मददगार होत हैं –
    प्रोबायोटिक्स के कुछ प्रकार बच्चों और शिशुओं में एक्जिमा (त्वचा संबंधी विकार) की गंभीरता को कम करते हैं।

    एक अध्ययन में एक्जिमा वाले कुछ शिशुओं को प्रोबायोटिक्स सप्लिमेंट वाला दूध दिया गया, जबकि अध्ययन में शामिल अन्य शिशुओं बिना प्रोबायोटिक्स वाला दूध पीने को दिया गया। प्रोबायोटिक्स सप्लिमेंट युक्त दूध पीने वाले शिशुओं में बिना प्रोबायोटिक्स वाला दूध पीने वाले शिशुओं की अपेक्षा एक्जिमा के लक्षणों में कमी देखी गई।

    अन्य अध्ययन में उन बच्चों को शामिल किया गया, जिनकी माताओं ने गर्भावस्था के दौरान प्रोबायोटिक लिया था। इसमें गर्भावस्था के समय प्रोबायोटिक लेने वाली मांताओं के बच्चों को जन्म के पहले दो सालों में एक्जिमा होने की संभावनाएं 83 प्रतिशत तक कम पाई गई। हालांकि प्रोबायोटिक और एक्जिमा के लक्षणों कमी के बीच संबंध की पुष्टि को लेकर अन्य अध्ययन किये जा रहे हैं। (और पढ़ें - एक्जिमा के घरेलू उपाय)

    कुछ प्रोबायोटिक्स लोगों को दूध और डेयरी उत्पाद से होने वाली एलर्जी के लक्षण (जैसे सूजन) को भी कम करने में सहायक माने जाते हैं, लेकिन इस विषय की सत्यता पर अभी अन्य अध्ययन किए जा रहें हैं। (और पढ़ें - लैक्टोज इनटॉलेरेंस के आयुर्वेदिक के उपाय)
     
  6. पाचन विकार के लक्षणों को कम करते हैं –
    कई लोगों को पाचन तंत्र संबंधी ​इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (Inflammatory bowel disease), अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis) और क्रोन रोग (Crohn’s disease) की समस्या होती है।

    बीफीडोबैक्टीरियम (Bifidobaterium) और लैक्टोबैक्सीलियस (Lactobacillus) जैसे कुछ प्रोबायोटिक्स से हलके अल्सरेटिव कोलाइटिस में सुधार होता है। अन्य अध्ययन में इस बात का पता चला कि प्रोबायोटिक "ई. कोलाई. निस्ल" (E. coli Nissle: एक प्रकार का बैक्टीरिया) अलसरेटिव कोलाइटिस को कम करने वाली दवाओं की तरह ही प्रभावशाली होता हैं।

    प्रोबायोटिक का क्रोन रोग के लक्षणों पर  कम प्रभाव होता है। लेकिन प्रोबायोटिक अन्य आंतों के विकार को भी कम करने में सहायक हो सकते हैं। शुरुआती रिसर्च यह बताती हैं कि प्रोबायोटिक इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। (और पढ़ें - इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज का इलाज)
     
  7. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले होते हैं –
    प्रोबायोटिक्स रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और आंतों के हानिकारक बैक्टीरिया को कम करने का कार्य करते हैं। इसके साथ ही कुछ प्रोबायोटिक्स शरीर में प्राकृतिक एंटीबॉडीज बनाते हैं।

    प्रोबायोटिक्स, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली कोशिकाएं जैसे आईजीए (IgA-producing cells) व टी-लिम्फोसाइट्स (T lymphocytes) को बढ़ाने में मदद करते हैं।

    प्रोबायोटिक्स के इस्तेमाल से सांस संबंधी संक्रमण की संभावनाएं और उसकी अवधि को कम किया जा सकता है। (और पढ़ें - रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के घरेलू उपाय)
     
  8. पेट की चर्बी और वजन कम करने में सहायक होते हैं –
    प्रोबायोटिक्स कई शारीरिक प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करके वजन को कम करने में सहायक होते हैं। उदाहरण के तौर पर कुछ प्रोबायोटिक्स आंतों में वसा को अवशोषित होने बचाते हैं। इससे वसा आपके शरीर में इकट्ठा होने के बजाय मल के द्वारा बाहर आ जाती है।

    प्रोबायोटिक्स खाने से आपको अपना पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है। इतना ही नहीं प्रोबायोटिक्स आपकी कैलोरी को बर्न करने के साथ ही शरीर में वसा को भी इकट्ठा नहीं होने देते हैं।

(और पढ़ें - वजन कम करने के उपाय)

आप कई खाद्य पदार्थों के माध्यम से प्रोबायोटिक्स को ले सकते हैं। नीचे आपको प्रोबायोटिक्स युक्त खाद्य पदार्थों के बारे में बताया गया है।

  1. दही – प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थों में सबसे पहले दही का ही नाम आता है। इसमें प्रोबायोटिक के अन्य प्रकार बीफीडोबैक्टीरियम (Bifidobaterium) और लैक्टोबैक्सीलियस (Lactobacillus) भी मौजूद होते हैं। घर का बना दही बाजार के बने से दही से कहीं ज्यादा बेहतर होता है। (और पढ़ें - दही के फायदे)
     
  2. डार्क चॉकलेट – डार्क चॉकलेट प्रोबायोटिक का बेहतर स्त्रोत मानी जाती है। यह आपकी पाचन क्रिया को स्वस्थ करती है। डार्क चॉकलेट में अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो “फ्री रेडिकल्स” (free radicals: शरीर के हानिकारक तत्व) को कम करते हैं। (और पढ़ें - हरी सब्जियां खाने के फायदे)
     
  3. आचार – अचार में अधिक मात्रा में प्रोबायोटिक्स होते हैं, क्योंकि इनको किण्वन (फेरमेंटशन: बैक्टीरिया या खमीर द्वारा सब्जी आदि को सड़ाना) की प्रक्रिया से बनाया जाता है। आचार घर में आसानी से बन जाता है और इसको आप बाजार से भी खरीद सकते हैं। मगर बाजार के आचार को बनाने के दौरान प्राकृतिक एंजाइम नष्ट हो जाते हैं। (और पढ़ें - पौष्टिक आहार के गुण)
     
  4. सेब – सेब फाइबर का मुख्य स्त्रोत माना जाता है। शोधकर्ताओं इस बात से सुनिश्चित नहीं है कि सेब वास्तव में प्रोबियोटिक में समृद्ध हैं या नहीं, लेकिन कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से सेब खाने से 'अच्छे' बैक्टीरिया जो 'अच्छे' फैटी एसिड बनाने में मदद करते हैं, वही बैक्टीरिया पीएच स्तर (pH level: अम्ल का स्तर) को भी नियंत्रित करते हैं, जिससे शरीर में सुक्ष्म जीवों का स्तर उत्तम रहता है। (और पढ़ें - सेब के सिरके के फायदे)

प्रोबायोटिक्स युक्त के अन्य खाद्य पदार्थ

संदर्भ

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