मूत्रमार्ग में संक्रमण (यूटीआई) फंगस और वायरस के जरिए फैलने वाला एक संक्रमण है, जो मूत्र प्रणाली के किसी भी अंग को प्रभावित करता है। यह मूत्र प्रणाली के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। मूत्र प्रणाली में दो गुर्दे, दो मूत्रनली, एक मूत्राशय और एक मूत्रमार्ग है। मूत्र प्रणाली, शरीर से अपशिष्ट और अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने के लिए जिम्मेदार होता है।
यह समस्या यूटीआई बैक्टीरिया के कारण भी हो सकती है। यह मनुष्यों में होने वाला सबसे आम संक्रमण है।
मूत्रमार्ग में संक्रमण का मुख्य कारण यूटीआई बैक्टीरिया होता है। यह मूत्रमार्ग के माध्यम से मूत्रनली में प्रवेश कर जाता है और मूत्राशय में पहुंचकर यह बैक्टीरिया बढ़ने लगते हैं। यूटीआई के दो प्रमुख प्रकार हैं
- सिस्टिटिस
सिस्टिटिस मूत्राशय में होने वाला एक संक्रमण है, जो आमतौर पर 'बैक्टीरिया ई-कोलाई' के कारण होता है। इस तरह का यूटीआई सेक्स या किसी अन्य ऐसे कारण से हो सकता है, जिनकी वजह से मूत्राशय में बैक्टीरिया विकसित होते हैं।
- यूरेथ्राइटिस
यह मूत्रमार्ग का संक्रमण है, जो आमतौर पर तब होता है जब गुदामार्ग से मूत्रमार्ग में बैक्टीरिया फैल जाते हैं। हालांकि यूरेथ्राइटिस यौन संचरित संक्रमणों से भी होता है।
यूटीआई मनुष्यों में होने वाला सबसे आम संक्रमण है, लेकिन यह पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में ज्यादा होता है। यदि इसे आम समस्या समझकर बिना उपचार के छोड़ दिया गया, तो इसकी वजह से कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। महिलाओं में इस संक्रमण के होने का खतरा इसलिए अधिक होता है क्योंकि उनका मूत्रमार्ग छोटा होता है। इससे मूत्राशय तक रोगाणुओं का पहुंचना आसान हो जाता है।
डायबिटीज या अन्य बीमारियों वाले ऐसे व्यक्ति जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है, उनमें यूटीआई होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसके अलावा प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना और मूत्र नलिका का उपयोग करने से भी यूटीआई का खतरा हो सकता है। मूत्र नलिका को यूरिनरी कैथेटर के नाम से जाना जाता है, यह लेटेक्स, पॉलीयुरेथेन या सिलिकॉन से बनी पतली ट्यूब होती है, जिसकी मदद से मूत्राशय से मूत्र को बाहर निकाला जाता है।
यूटीआई हो जाने पर सबसे सामान्य लक्षणों में पेशाब करते समय जलन, पेट के निचले हिस्से में असुविधा, सामान्य से अधिक बार पेशाब आना, सही से पेशाब न होना, पेशाब से बदबू आना, पेशाब में खून आना और पेशाब करते समय दर्द होना शामिल है। यदि यह संक्रमण गुर्दे तक फैल गया है, तो व्यक्ति में कुछ अतिरिक्त लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं जैसे ठंड लगना, बुखार और पीठ में दर्द। इसका निदान पेशाब की जांच के माध्यम से किया जा सकता है।
यूटीआई का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं के जरिए किया जाता है। यह दवाएं बैक्टीरिया को विकसित होने से रोकती हैं। हालांकि, यूटीआई में जब होम्योपैथिक उपचार किया जाता है, तो इसका उद्देश्य व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार लाना होता है, ताकि यह अपने आप संक्रमण से लड़ सके। क्लिनिकली इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि यूटीआई के लिए होम्योपैथिक उपचार प्रभावी होते हैं। इन दवाइयों को अत्यधिक पतले प्राकृतिक पदार्थों से बनाया जाता है।
यूटीआई के इलाज के लिए उपयोग किए जाने वाले कुछ होम्योपैथिक उपचारों में एकोनाइट, एपिस मेलिफिका, बेलाडोना, बर्बेरिस वुल्गारिस, बोरेक्स वेनेटा, क्लेमाटिस इरेक्टा, कैन्थरिस वेसिकेटोरिया, पल्सेटिला प्रेटेंसिस और सार्सापैरिला ऑफिसिनेलिस शामिल हैं।
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