एक दौर था जब जिमों में डंबलों का एक सेट और कुछ मशीनें ही हुआ करती थीं। ऐसा माना जाता था कि जिम में जो लोग व्यायाम के लिए आते हैं उनकी इच्छा बॉडीबिल्डर बनने की होती है। जैसे-जैसे समय में बदलाव आया, फिटनेस को जीवन के अभिन्न अंग के रूप में देखा जाना शुरू हुआ। लोगों की धारणा बदली, फिर माना जाने लगा कि हर किसी को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए, चाहे वह किसी भी उम्र या लिंग का हो। व्यक्ति के स्वास्थ्य का क्रम कैसा भी रहा हो, उसे अपनी क्षमतानुसार व्यायाम अवश्य करना चाहिए।

फिटनेस के क्षेत्र में भी तकनीक का विकास हुआ, जिसने व्यायाम की शैलियों को बदलकर रख दिया। नई-नई तकनीक ने पहले भारी लगने वाले व्यायाम को आकर्षक और सुखद बना दिया। क्रॉसफिट, एचआईआईटी, सर्किट ट्रेनिंग और केटलबेल वर्कआउट जैसे व्यायाम की नई शैलियों से लोगों का परिचय हुआ, जो पहले किए जाने वाले व्यायामों से काफी प्रभावी थे। वजन घटाने, मांसपेशियों के निर्माण, शक्ति बढ़ाने और संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार लाने की दृष्टि से यह शैलियां काफी प्रभावी साबित हुईं।

बाइसेप्स कर्ल, बेंच प्रेस या डंबल फ्लाई जैसे कई व्यायाम आए, जिससे शरीर में लक्षित मांसपेशियों का विकास तो किया जा सकता था, लेकिन वे शारीरिक शक्ति को बढ़ाने में मददगार नहीं थे। इसे ध्यान में रखते हुए फंक्शनल ट्रेनिंग की शुरुआत की गई। कोई भी ऐसा व्यायाम जो आपकी दिनचर्या में मदद करता हो, उसे फंंक्शनल व्यायाम कहा जाता है। घर में भारी सामान उठाना हो या फिर बेड को एक कोने से दूसरे कोने की ओर धकेलना हो, यह सब फंक्शनल ट्रेनिंग का हिस्सा हैं, जिनके लिए कार्यात्मक शक्ति की आवश्यकता होती है।

  1. फंक्शनल ट्रेनिंग के फायदे - Functional training ke benefits
  2. फंक्शनल ट्रेनिंग से कौन उठा सकते हैं लाभ? - Functional training se kaun le sakta hai benefits?
  3. फंक्शनल ट्रेनिंग व्यायाम के प्रकार - Functional training Exercise ke types
  4. फंक्शनल ट्रेनिंग के लिए टिप्स और सावधानियां - Functional training ke liye tips aur precautions

फंक्शनल ट्रेनिंग का चलन तेजी से बढ़ा है। इसे इन दो बिंदुओं से प्रभावित माना जा सकता है।

  • दिव्यांगों के लिए चलाए गए पुनर्वास कार्यक्रम, जिसके तहत उन्हें कुछ व्यायाम बताए जाते हैं, जिससे वह दोबारा अपने अंगों को शक्ति प्रदान कर सकें।
  • खेलों से, जहां एथलीटों ने अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए फंक्शनल ट्रेनिंग को अपने व्यायाम के साथ शामिल किया।

फंक्शन ट्रेनिंग को दैनिक व्यायाम और योग के साथ शामिल करके आप निम्न लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

दैनिक कार्यों की तरह अभ्यास : यह व्यायाम बिल्कुल वैसे ही हैं, जैसे हम रोजमर्रा के काम करते हैं। इन व्यायाम के अभ्यास से मांसपेशियों और जोड़ों में ताकत आती है और उनमें लचीलापन बढ़ता है। 

मांसपेशियों में वृद्धि : किसी भी व्यायाम के निरंतर प्रयास से आप इसके अभ्यस्त हो जाते हैं जिससे पहले के अपेक्षाकृत इन्हें तेज गति से दोहरा सकते हैं। ऐसा होने से समय के साथ ऊर्जा भी कम लगती है। निरंतर व्यायाम से मांसपेशियों में वृद्धि होती है।

कोर मांसपेशियों के लिए फायदेमंद : ज्यादातर फंक्शनल ट्रेनिंग व्यायामों के दौरान कोर की मांसपेशियों की भूमिका होती है। इसमें पेट और पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों पर तनाव उत्पन्न होता है, जो कोर की शक्ति को बढ़ाती हैं।

लचीलापन और समन्वय बेहतर होता है : फंक्शनल ट्रेनिंग के लिए शरीर को हर दिशा में गति देने की आवश्यकता होती है। इन व्यायामों से शरीर की गति और समन्वय में सुधार होता है।

शारीरिक संतुलन, स्थिरता और शारीरिक मुद्रा में सुधार : कोर मासपेशियों की सहायता से शरीर को सभी दिशाओं में नियंत्रण के साथ गति देने से संतुलन और स्थिरता बढ़ती है। उदाहरण के लिए पीठ के निचले हिस्से को मजबूती देने वाले व्यायाम से लक्षित मांसपेशियां तो मजबूत होती ही हैं साथ ही शारीरिक मुद्रा में भी सुधार आता है।

जोड़ों के दर्द को कम करता है : जिन लोगों को जोड़ों के दर्द या पीठ दर्द की शिकायत है, उनके लिए फंक्शनल ट्रेनिंग अभ्यास काफी फायदेमंद हो सकता है। फिजिकल थेरपी पर आधारित ये व्यायाम जीवन को आसान बनाने के लिए डिजाइन किए गए हैं। इन अभ्यासों से आप उन अंगों को शक्ति दे सकते हैं, जिनमें किसी तरह की परेशानी महसूस होती है।

चोट का जोखिम कम : फंक्शनल ट्रेनिंग से आपकी मांसपेशियों के साथ-साथ आसपास के जोड़ों और उत​कों को भी मजबूती मिलती है। शारीरिक समन्वय के साथ बेहतर फिटनेस अभ्यासों से मांसपेशियों में खिंचाव और चोट के खतरे को कम किया जा सकता है।

फैट को कम कर सकते हैं : एक ही समय में शरीर के कई हिस्सों का व्यायाम होने से कैलोरी बर्न अधिक होता है। इससे अनावश्य​क चर्बी हटती है जो वजन कम करने में मदद करता है।

व्यायाम की तीव्रता कम : क्रॉसफिट या उच्च तीव्रता वाले व्यायामों के विपरीत, फंक्शनल ट्रेनिंग कम तीव्रता वाले व्यायामों का संयोजन है। अर्थात यह जोड़ों और मांसपेशियों पर बहुत अधिक दबाव नहीं डालता है।

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सामान्य व्यायाम और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग प्रोग्राम उन लोगों के लिए बेहतर विकल्प होते हैं जो पहले से ही स्वस्थ हों और उनकी शारीरिक बनावट भी सही हो। लेकिन शारीरिक समस्याओं से पीड़ित लोग, जिन्होंने लंबे समय से व्यायाम नहीं किया हैं उन लोगों को फंक्शनल ट्रेनिंग व्यायामों से लाभ प्राप्त हो रहा है।

गर्भवती, पीठ या शरीर के अन्य जोड़ों में पुराने दर्द से पीड़ित या लंबे समय से अन्य बीमारियों से ग्रसित लोग भी फंक्शनल ट्रेनिंग से लाभ उठा सकते हैं। कई मामले ऐसे भी देखने को मिले हैं कि जिन लोगों को टेनिस एल्बो, गोल्फर एल्बो, हर्नियेटेड डिस्क, रोटेटर कफ की समस्या है उन लोगों ने भी फंक्शनल ट्रेनिंग व्यायामों से शीघ्र लाभ प्राप्त किया है।

फंक्शनल ट्रेनिंग में कई सारी विविधताएं हैं जो विभिन्न मांसपेशियों के समूहों को लक्षित करती हैं। इनमें से अधिकतर व्यायामों के लिए किसी भी उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। कुछ व्यायामों को करने के लिए उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इन व्यायामों को प्रशिक्षकों की निगरानी में करना बेहतर होता है। प्रशिक्षकों की उपस्थिति से आपको व्यायाम की सही तकनीक के बारे में पता चलेगा।

व्यायाम से पहले वार्मअप और बाद में स्ट्रेचिंग करना न भूलें। इससे व्यायाम के दौरान चोट लगने का खतरा कम हो जाता है। फंक्शनल ट्रेनिंग के कुछ व्यायामों के बारे में नीचे जानकारी दी जा रही है, जिन्हें सही तकनीक से प्रयोग में लाकर अधिक से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

पुश-अप्स

यह एक ऐसा व्यायाम है, जिसका लगभग सभी तरह के फिटनेस कार्यक्रमों में उल्लेख मिलता है। पुश-अप्स के लिए अतिरिक्त उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती है (हालांकि, इसकी कई विविधताएं हैं ​जिन्हें आप डंबलों और मशीनों के साथ भी कर सकते हैं)। यह एक सरल अभ्यास है, जिसे कहीं भी किया जा सकता है।

शुरुआती स्तर के लोगों को पुश-अप व्यायाम की शुरुआत इस तरह से करनी चाहिए।

  • चटाई पर पेट के बल लेट जाएं।
  • हाथों को कंधों के नीचे रखें।
  • अब अपने घुटनों को मोड़े। आप चाहें तो अपने पैरों को पूरी तरह से फैलाते हुए पैरों की उंगलियों पर भी पूरा भार ला सकते हैं।
  • अब हाथों को सीधा करते हुए पूरे शरीर को चटाई से ऊपर की ओर उठाएं। कोहनी को लॉक न करें।
  • सिर से घुटनों तक आपका शरीर एक सीधी रेखा में होना चाहिए। आपके कूल्हे भी उसी सीध में होने चाहिए, ऊपर या नीचे नहीं।
  • अपनी कोहनियों को मोड़ते हुए शरीर को फिर से नीचे की ओर लेकर आएं। यह एक रैप है।
  • आप इस व्यायाम के क्रमश: 8-10-13 रैप के तीन सेट कर सकते हैं।

सूटकेस या डंबल स्क्वाट

वेटेड स्क्वॉट्स व्यायाम के दौरान आपको बारबेल को गर्दन के पीछे या अपने कॉलरबोन पर रखना होता है। वहीं अगर आप यह व्यायाम डंबल या केटलबेल के साथ करते हैं तो इन उपकरणों को कंधे की ऊंचाई पर रखने की आवश्यकता होती है।

डंबल स्क्वॉट इससे थोड़ा सा अलग है, इसमें अपने बगल की ओर दोनों हाथों में डंबल उठाकर रखना होता है। व्यायाम को इस तरीके से किया जाना चाहिए।

  • दोनों हाथों में डंबल या केटलबेल को पकड़कर रखें।
  • पीठ को बिल्कुल सीधा रखते हुए अपने घुटनों को मोड़ें और स्क्वॉट की स्थिति में आएं।
  • सुनिश्चित करें कि घुटने, पैर की उंगलियों से आगे की ओर तो नहीं जा रहे हैं।
  • अब घुटनों को सीधा करते हुए पूर्ववत स्थिति में आ जाएं। यह एक रैप है।
  • व्यायाम के 12-15 रैप वाले तीन सेट करें।

स्टेप-अप

स्टेप-अप कई मांसपेशियों के लिए बहुत ही लाभकारी व्यायामों में से एक है। इस व्यायाम के दौरान एक प्लेटफार्म पर चढ़ने और उतरने से दोनों पैरों के बीच संतुलन और समन्वय बढ़िया होता है। यह व्यायाम कूल्हे के साथ ग्लूट्स, पैर और कोर की मांसपेशियों के लिए काफी फायदेमंद है। व्यायाम को करने के लिए निम्न तरीके को प्रयोग में लाएं।

  • दोनों हाथों में डम्बल पकड़ें।
  • अब एक प्लेटफार्म या बेंच के सामने खड़े हो जाएं। आपके और बेंच के बीच एक हाथ की दूरी बनाए रखें।
  • अब बेंच पर एक पैर रखें, फिर दूसरा पैर भी रखें। लेकिन ध्यान रखें जिस पैर को पहले रखा है पूरा भार उसी पर होना चाहिए।
  • इसी तरह से नीचे की ओर उतरें और पूर्ववत स्थिति में आएं। यह एक रैप है। दूसरे पैर के साथ भी यही अभ्यास दोहराएं।
  • शुरुआत में 15-20 रैप करने की कोशिश करें और धीरे-धीरे इसे बढ़ाते रहें।

टिप्स : प्लेटफॉर्म पर चढ़ने से पहले सुनिश्चित कर लें कि वह स्थिर है और जब आप ऊपर जाएं तो वह बिल्कुल भी हिलता न हो।

मेडिसिन बॉल थ्रो

खिलाड़ियों और एथलीटों के बीच यह बहुत ही चर्चित व्यायाम है। यह अभ्यास ऊपरी शरीर को गति देता है, जबकि शरीर का निचला हिस्सा स्थिर होता है। यह कोर के लिए अच्छा व्यायाम है। इस व्यायाम के लिए पैरों को मोड़ते हुए पीछे की ओर ले जाएं और घुटनों के सहारे ऊपरी हिस्से को सीधा रखें। दोनों हाथों में एक बॉल को पकड़ें और सिर से पीछे की ओर लेकर जाएं। अब हाथों को सीधा करें और पूरी ताकत लगाते हुए बॉल को दीवार की ओर फेंकें। बॉल थ्रो का एक सेट करने के बाद अब मुड़ें और अलग कोण से शरीर के दूसरे हिस्से को लक्षित करें।

साइड लंजेस

वॉकिंग लंजेस या बैकवर्ड लंजेस की जगह पर आप बदलाव के तौर पर साइड लंजेस को भी प्रयोग में ला सकते हैं। यह व्यायाम पैरों की मांसपेशियों के साथ कूल्हों और ग्लूट्स की मांसपेशियों के लिए भी फायदेमंद है। इस व्यायाम के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं। अब अपने दाहिने पैर को क्षमतानुसार चौड़ाई में बढ़ाएं। अब पूर्ववत स्थिति में आएं और दूसरे पैर के साथ भी इस अभ्यास को दोहराएं।

सिंगल लेग हिप रेज

पूरे दिन एक ही स्थान पर बैठकर काम करने से रीढ़ की हड्डी समय के साथ सिकुड़ती जाती है, बाद में यह गंभीर समस्या का रूप ले लेती है। यह व्यायाम पीठ के निचले हिस्से और ग्लूट्स की स्ट्रेचिंग में मदद करता है। अपने घुटने को मोड़ते हुए एक पैर को बेंच पर रखें। दूसरे पैर को सीधा रखें। हाथों को अपनी पीठ के पास रखें और बेंच से लगे पैर को धक्का देकर कूल्हों के बल से शरीर को उठाएं। कुछ क्षण के लिए रुकें और फिर पूर्ववत स्थिति में आएं। दोनों पैरों के साथ इस अभ्यास को दौहराएं।

बियर क्रॉल

बियर क्रॉल एक सरल और प्रभावी फंक्शनल ट्रेनिंग व्यायामों में से एक है। इस व्यायाम के दौरान पूरे शरीर की मांसपेशियां सक्रिय अवस्था में आ जाती हैं। हाथों और पैरों के बीच समन्वय को सुधारने में भी यह मदद करता है। दोनों हाथों और पैरों के बल जमीन पर शरीर को टिकाएं और इन्हीं की मदद से आगे की ओर बढ़े। दाएं पैर के साथ बाएं हाथ, और बाएं पैर के साथ दाहिने हाथ का उपयोग करके आगे की ओर बढ़ना शुरू करें। व्यायाम के दौरान किसी प्रकार के अनावश्यक तनाव से बचने के लिए पीठ को सीधा और पेट को कठोर बनाए रखें।

प्लैंक्स

प्लैंक्स व्यायाम के साथ आप दिन के फंक्शनल ट्रेनिंग को खत्म ​कर सकते हैं। इस व्यायाम से पूरे शरीर में संतुलन और स्थिरता को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही यह कोर की मांसपेशियों के लिए एक जबरदस्त व्यायाम भी है। व्यायाम के लिए पेट के बल फर्श पर सीधे लेट जाएं। दोनों हाथों को बगल में लाते हुए मोड़ें और हाथों के अग्रभाग या फोरआर्म की मदद से पूरे शरीर का उठाएं और सारा भार इन्हीं पर रखें। सिर से लेकर पैर तक एक सीध में रहें। कम से कम एक मिनट के लिए सामान्य रूप से सांस लेते हुए अपने शरीर को इसी अवस्था में स्थिर रखें। आप चाहें तो अपनी क्षमतानुसार शरीर को इसी अवस्था में टिकाए रख सकते हैं।

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फंक्शनल ट्रेनिंग के लिए आपको विशेष मशीनों और डंबलों की जरूरत नहीं होती है ऐसे में यह व्यायाम कहीं भी किए जा सकते हैं। ये व्यायाम आपके फिटनेस गोल के अनुरूप होते हैं। हालांकि, फंक्शनल ट्रेनिंग के अभ्यासों की शुरुआत करने से पहले कुछ बिंदुओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।

  • अपनी दिनचर्या के साथ उन व्यायामों को शामिल करें जो आपकी शक्ति, संतुलन और शरीर में लचीलापन को बढ़ाने में मदद करें।
  • हाल ही में आपको कोई चोट या बीमारी हुई हो या फिर आप शारीरिक रूप से फिट हों, फिर भी व्यायाम से पहले डॉक्टर से एक बार सलाह जरूर ले लें।
  • फंक्शनल ट्रेनिंग के पूरे व्यायामों को करने से शरीर के हर हिस्से को लक्षित किया जा सकता है, ऐसे में फिटनेस कार्यक्रमों में सभी व्यायामों को शामिल करें।
  • फंक्शनल ट्रेनिंग प्रोग्राम के साथ वेट ट्रेनिंग और बॉडीवेट एक्सरसाइज को करते हुए अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

निष्कर्ष :

फंक्शनल ट्रेनिंग खिलाड़ियों के साथ उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है, जिन्हें शरीर में किसी तरह की समस्या होती है। इन व्यायामों में काफी विविधताएं हैं जो इसे काफी रोचक और प्रभावशाली बनाती हैं। आप अपनी क्षमता के अनुसार व्यायाम के विभिन्न रूपों में परिवर्तन भी ला सकते हैं। किसी भी तरह के व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करने से पहले एक बार अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए, खासकर यदि आपको हाल के दिनों में कोई गंभीर बीमारी या चोट लगी हो।

संदर्भ

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