आयुर्वेद में कहा गया है कि यदि धातु का इस्तेमाल पाउडर यानी भस्म रूप में सही तरह से किया जाए, तो यह कई बीमारियों से छुटकारा दिलाने में अहम भूमिका निभा सकता है. यही नहीं, इसके इस्तेमाल से स्ट्रेंथ और इम्यूनिटी पावर भी मिलती है. सुश्रुत संहिता व चरक संहिता में भी स्वर्ण भस्म के लाभ का वर्णन हैं. मेंटल डिसऑर्डर, कार्डिएक डिजीज, स्किन डिजीज व मेन्सट्रूअल डिसऑर्डर में स्वर्ण भस्म शानदार तरीके से फायदेमंद साबित हुई है. वहीं, यदि इसका सेवन ज्यादा मात्रा में किया जाए, तो यह नुकसान भी कर सकती है. साथ ही लंबे समय तक इसके इस्तेमाल को सुरक्षित नहीं माना जाता है.

आज इस लेख में आप स्वर्ण भस्म के फायदे व नुकसान के बारे में जानेंगे -

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  1. स्वर्ण भस्म के फायदे
  2. स्वर्ण भस्म के नुकसान
  3. सारांश
स्वर्ण भस्म के फायदे, उपयोग व नुकसान के डॉक्टर

आयुर्वेद के अनुसार, स्वर्ण भस्म मेंटल डिसऑर्डर, कार्डिएक डिजीज, स्किन डिजीज व मेन्सट्रूअल डिसऑर्डर में फायदेमंद साबित हो सकती है. आइए, स्वर्ण भस्म के फायदे के बारे में विस्तार से जानते हैं -

हृदय रोग में लाभकारी

स्वर्ण भस्म का सेवन दिल के कई रोगों में फायदेमंद है. यह दिल और दिल की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करती है. यह भस्म ब्लड सर्कुलेशन में सुधार लाती है, खून को डिटॉक्सिफाई करती है और आर्टरीज को भी साफ करती है.

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एंटी कैंसर गुण

स्वर्ण भस्म में एंटी कैंसर गुण पाए जाते हैं. इसी गुण की वजह से कैंसर थेरेपी में इसकी अहम भूमिका है. एनाल्जेसिक गुण के कारण स्वर्ण भस्म कैंसर सेल्स की पहचान कर लेती है और उन्हें बढ़ने से रोकने में कुछ मदद कर सकती है.

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खून को करे साफ

अपच और इंफेक्शन की वजह से शरीर में कई टॉक्सिन का निर्माण होने लगता है. इन टॉक्सिन के शरीर में जमा होने से कई बीमारियां होने का खतरा बना रहता है. ऐसी स्थिति में स्वर्ण भस्म के सेवन से शरीर से टॉक्सिन निकल जाते हैं. 

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मेंटल डिसऑर्डर में राहत

यदि किसी व्यक्ति को डिप्रेशन है, तो स्वर्ण भस्म के सेवन से उसे डिप्रेशन से राहत मिलने में मदद मिल सकती है. यह ब्रेन में सूजन को कम करती है और याददाश्त व एकाग्रता में सुधार लाती है.

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कंजंक्टिवाइटिस से राहत

आंखों के लाल होने या आंखों में खुजली या जलन की समस्या होने पर स्वर्ण भस्म का इस्तेमाल किया जा सकता है. प्रवाल पिष्टी, मुक्ता पिष्टी और गिलोय सत्व के साथ इसके सेवन से कंजंक्टिवाइटिस ठीक होती है. पुनर्नवा के साथ स्वर्ण भस्म का सेवन करने से यह आंखों के लिए फायदेमंद है.

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मेन्सट्रूअल डिसऑर्डर में फायदेमंद

पीरियड्स के समय महिलाएं भी स्वर्ण भस्म का सेवन कर सकती हैं. इसके सेवन से पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द से राहत मिल सकती है. साथ ही यदि हेवी मेन्सट्रूएशन हो रहा हो, तो भी इसका सेवन फायदा पहुंचा सकता है.   

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स्किन डिजीज करे ठीक

सोरायसिसएटॉपिक डर्मेटाइटिस और एक्जिमा की स्थिति में भी स्वर्ण भस्म के सेवन से लाभ पहुंचता है. स्वर्ण भस्म में मौजूद फ्री रेडिकल्स स्केवेन्जिंग एक्टिविटी की वजह से यह स्किन के लिए फायदेमंद है. स्किन की रंगत सुधारने के लिए इसे केसर के साथ लेने की सलाह दी जाती है.

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इम्यूनिटी में सुधार

स्वर्ण भस्म इम्यूनिटी में सुधार लाकर शरीर को वायरल इन्फेक्शन से लड़ने की क्षमता के लिए तैयार करता है. यह कैंसर में भी लाभदायक है, क्योंकि यह अनचाहे बॉडी टिश्यू के विकास को रोकता है.

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स्वर्ण भस्म के कुछ खास नुकसान नहीं हैं, लेकिन लंबे समय तक इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती है. साथ ही इसके ज्यादा डोज लेने से यह टॉक्सिसिटी का कारण भी बन सकता है. यही नहीं, स्वर्ण भस्म को बच्चों की पहुंच से भी दूर रखना चाहिए, क्योंकि अगर स्वर्ण भस्म शुद्ध न हुई, तो इसका सेवन बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकता है.     

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स्वर्ण भस्म का सेवन कार्डिएक डिजीज, स्किन डिजीज, मेन्सट्रूअल डिसऑर्डर व कंजंक्टिवाइटिस जैसी स्थितियों में लाभदायक सिद्ध हुआ है. हालांकि, लंबे समय तक इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि इसके अलग नुकसान हैं. बेहतर तो यह होगा कि स्वर्ण भस्म के सेवन से पहले किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की राय ली जाए, क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि समान दवा सभी पर एक जैसा असर ही दिखाए.

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