भुजा या टांग का डॉपलर अल्ट्रासाउंड क्या है?

डॉपलर अल्ट्रासाउंड टेस्ट उच्च आवृत्ति के साथ ध्वनि तरंगों (हाइ फ्रीक्वेंसी साउंड वेव) का उपयोग करता है। यह रक्त वाहिकाओं में रक्त के प्रवाह का अनुमान लगाने में मदद करता है। यह टेस्ट रक्त प्रवाह के उस दर को मापता है, जिस ​पर अल्ट्रासाउंड की फ्रीक्वेंसी बदलती है। यह शरीर में खून के संचार की गति को भी निर्धारित कर सकता है। यह एक गैर-आक्रामक टेस्ट है, जो कि खून के थक्के या हार्ट वाल्व रोग सहित कई स्थितियों का निदान करने में मदद कर सकता है।

यह टेस्ट एंजियोग्राफी जैसे अधिक आक्रामक टेस्ट का एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है, जिसमें अधिक स्पष्ट फोटो प्राप्त करने के लिए रोगी की रक्त वाहिकाओं में डाई का इंजेक्शन लगाया जाने की जरूरत होती है।

भुजा या टांग का डॉपलर अल्ट्रासाउंड रक्त वाहिकाओं के माध्यम से रक्त प्रवाह की भी जांच करता है।

डॉपलर अल्ट्रासाउंड दो प्रकार के हो सकते हैं :

  • अर्टिरियल डोप्लर अल्ट्रासाउंड : यह भुजाओं व टांगों में मौजूद धमनियों के माध्यम से रक्त प्रवाह का पता लगाता है, यहीं पर कोई भी ब्लॉकेज पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज का कारण बन सकता है।
  • वीनस डॉप्लर अल्ट्रासाउंड : यह भुजाओं व टांगों की नसों के माध्यम से रक्त प्रवाह का पता लगाता है और क्लॉट्स की जांच करता है।

(और पढ़ें - ब्लड सर्कुलेशन धीमा होने के कारण)

  1. भुजा या टांग का डॉपलर अल्ट्रासाउंड किसे नहीं कराना चाहिए - Who cannot have a Doppler ultrasound of the arm or leg in Hindi?
  2. भुजा या टांग का डॉपलर अल्ट्रासाउंड क्यों किया जाता है? - Why is a Doppler ultrasound of the arm or leg done in Hindi?
  3. भुजा या टांग के डॉपलर अल्ट्रासाउंड की तैयारी? - Doppler ultrasound of the arm or leg preparation in Hindi?
  4. भुजा या टांग के डॉपलर अल्ट्रासाउंड की प्रक्रिया क्या है? - Doppler ultrasound of the arm or leg procedure in Hindi?
  5. भुजा या टांग का डॉपलर अल्ट्रासाउंड में कैसा महसूस होगा? - How does a Doppler ultrasound of the arm or leg feel in Hindi?
  6. भुजा या टांग के डॉपलर अल्ट्रासाउंड के परिणामों का मतलब - Doppler ultrasound of the arm or leg results mean in Hindi?
  7. भुजा व टांग के डॉपलर अल्ट्रासाउंड के जोखिम और लाभ? - Doppler ultrasound of the arm or leg risks and benefits in Hindi?
  8. भुजा व टांग के डॉपलर अल्ट्रासाउंड के बाद क्या होता है - What happens after a doppler ultrasound of the arm or leg in Hindi?
  9. डॉपलर अल्ट्रासाउंड के साथ किए जाने वाले अन्य टेस्ट - Other tests can be done with a doppler ultrasound of the arm or leg in Hindi
भुजा या टांग का डॉपलर अल्ट्रासाउंड के डॉक्टर

भुजा या टांग का डॉपलर अल्ट्रासाउंड कोई भी करवा सकता है, यहां तक कि गर्भावस्था में भी यह सुरक्षित है। डॉपलर अल्ट्रासाउंड रक्त वाहिकाओं में खून की गति का पता लगाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है। इस टेस्ट की मदद से गर्भावस्था के दौरान भ्रूण, गर्भाशय और प्लेसेंटा में खून के परिसंचरण का अध्ययन किया जा सकता है। गर्भावस्था के ऐसे मामले, जिनमें काफी जोखिम रहता है, वहां भी इसका उपयोग करने से बच्चे की स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती है।

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यदि आपमें ऐसे लक्षण मौजूद हैं, जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि आपकी धमनियों और/या नसों में खून का प्रवाह कम है तो ऐसे में डॉक्टर डॉपलर अल्ट्रासाउंड कराने के लिए सुझाव दे सकते हैं। कुछ स्थितियां जो रक्त प्रवाह को कम कर सकती हैं उनमें शामिल हैं :

  • खून का थक्का बनने जैसे किसी समस्या की वजह से धमनी में ब्लॉकेज होना
  • रक्त वाहिकाओं को चोट या नुकसान पहुंचना

यदि आपमें निम्नलिखित स्थितियों के लक्षण मौजूद हैं, तो डॉक्टर भुजा या टांग का डॉपलर अल्ट्रासाउंड लिख सकते हैं

  • आर्टीरिओस्क्लीरॉसिस : एक ऐसी स्थिति, जिसमें भुजाओं व टांगों तक खून की आपूर्ति करने वाली धमनियां सिकुड़ व सख्त हो जाती हैं।
  • डीप वेन थ्रोम्बोसिस : एक ऐसी स्थिति जिसमें शरीर के अंदर नस में खून का थक्का बन जाता है (आमतौर पर टांग और श्रोणि वाले हिस्से में देखा जाता है)
  • थ्रॉम्बोनाइटिस ओबेरटैनंस : एक ऐसी स्थिति, जिसमें लिंब्स (मानव शरीर में भुजाओं व टांगों को आमतौर पर क्रमशः अपर लिंब और लोअर लिंब कहा जाता है) की रक्त वाहिकाओं में सूजन हो जाती है।
  • सुपरफिशियल थ्रोम्बोफ्लिबिटिस : त्वचा की सतह के नीचे नसों में खून के थक्के बनने के कारण होने वाली सूजन।
  • हाथ व पैर में वस्कुलर ट्यूमर

इसके अतिरिक्त, धमनियों में रक्तचाप को निर्धारित करने के लिए, कार्डियक बाईपास ग्राफ्टिंग सर्जरी के बाद धमनियों के इलाज को मॉनीटर करने और धमनियों में चोटों का आकलन करने के लिए डॉपलर अल्ट्रासाउंड कराने का सुझाव दिया जा सकता है।

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भुजा या टांग के डॉपलर अल्ट्रासाउंड से पहले कोई खास तैयारी की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यदि आप धूम्रपान करते हैं तो इस टेस्ट के कुछ घंटे पहले से धूम्रपान करना छोड़ दें, क्योंकि यह रक्त वाहिकाओं के सिकुड़ने का कारण बनता है, जिससे टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।

(और पढ़ें - धूम्रपान कैसे छोड़ें)

भुजा या टांग के डॉपलर अल्ट्रासाउंड से पहले आपको अस्पताल या नैदानिक केंद्र से मिले गाउन को पहनने के लिए कहा जा सकता है। जांच के लिए भुजा या टांगों पर कपड़े या आभूषण नहीं होने चाहिए। इस अल्ट्रासाउंड की प्रक्रिया निम्नलिखित है :

  • आपको एग्जामिनेशन टेबल पर लेटने के लिए कहा जाएगा। इसके बाद डॉक्टर या रेडियोलॉजिस्ट ट्रांसड्यूसर (रक्त वाहिकाओं में अल्ट्रासाउंड तरंगों को उत्सर्जित करने वाली हैंडहेल्ड डिवाइस) पर जेल (पानी में घुलनशील) लगाएंगे और फिर लिंब के विभिन्न हिस्सों से ब्लड प्रेशर के बारे में जानने के लिए वे लिंब के विभिन्न हिस्सों पर ट्रांसड्यूसर को रखेंगे।
  • अब एक कंप्यूटर ध्वनि तरंगों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर, इस हिस्से के रक्त प्रवाह का ग्राफ और फोटो तैयार करेगा।

आर्टेरिअल डॉपलर अल्ट्रासाउंड के दौरान प्रत्येक भुजा या टांग के लिए लगभग आधा घंटा लग सकता है, जबकि वीनस डॉपलर अल्ट्रासाउंड के दौरान प्रत्येक भुजा या टांग के लिए 20 मिनट का समय लग सकता है।

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भुजा या टांग के डॉपलर अल्ट्रासाउंड के दौरान आपको कोई असुविधा महसूस नहीं होगी। आर्टेरिअल डॉपलर अल्ट्रासाउंड एक दर्द रहित प्रक्रिया है। हालांकि, वीनस डॉपलर अल्ट्रासाउंड के दौरान टेक्नीशियन खून के थक्के का पता लगाने के लिए वहां की नस पर दबाव डाल सकते हैं, जिससे आपको कुछ देर के लिए असहज महसूस हो सकता है। इसके अलावा, यदि आप टेस्ट के दौरान "हूश" जैसी आवाज सुनते हैं, तो यह चिंता की बात नहीं है, क्योंकि यह केवल एक संकेत है कि ट्रांसड्यूसर रक्त के प्रवाह का पता लगा रहा है।

यदि इस टेस्ट का परिणाम असामान्य आता है तो यह निम्न में से किसी भी स्थिति का संकेत हो सकता है :

  • आर्टिफिशियल बाइपास ग्राफ्ट का ब्लॉक होना
  • स्पास्टिक आर्टेरियल डिजीज, जिसमें तनाव या ठंड के मौसम की वजह से धमनी में सिकुड़न आ सकती है
  • धमनियों का संकुचित या चौड़ा होना
  • रक्त वाहिकाओं का खराब होना, जिसकी वजह से खून का संचरण खराब हो सकता है
  • रक्त वाहिकाओं में खून के थक्के बनना
  • डीप वेन थ्रोम्बोसिस
  • कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होने की वजह से धमनियों का ब्लॉक होना
  • सुपरफिशियल थ्रोम्बोफ्लीबाइटिस
  • लिंब्स में आर्टीरिओस्क्लीरॉसिस
  • भुजा व टांग में वस्कुलर ट्यूमर
  • नसों का बंद होना (venous occlusion)
  • थ्रॉम्बोनाइटिस ओबेरटैनंस (बर्गर्स सिंड्रोम)

इस टेस्ट से जुड़े कोई ज्ञात जोखिम नहीं हैं, जबकि इसके लाभ निम्नलिखित है :

  • इसमें रेडिएशन का उपयोग नहीं किया जाता है
  • यह गैर-आक्रामक है
  • यह आमतौर पर दर्द रहित होता है
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इस टेस्ट के बाद आपको किसी विशेष देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है। आप सामान्य रूप से अपना आहार ले सकते हैं व अपनी दैनिक गतिविधियां शुरू कर सकते हैं।

निदान की स्थिति के आधार पर डॉक्टर अन्य टेस्ट कराने का सुझाव दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, डीप वेन थ्रोम्बोसिस के मामले में वे एक वेनोग्राफी, एमआरआई या सीटी स्कैन के लिए कह सकते हैं।

ध्यान रहे : इन सभी टेस्ट के परिणाम रोगी के नैदानिक स्थितियों से सहसंबद्ध यानी जुड़े होने चाहिए। ऊपर मौजूद जानकारी शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह किसी भी डॉक्टर द्वारा सुझाए गए मेडिकल सलाह का विकल्प नहीं है।

Dr. Rachita Gupta

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रेडियोलोजी
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Dr. Tejinder Kataria

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