इंटरल्यूकिन 6 (IL-6) एक प्रतिरक्षा प्रोटीन (विशेष रूप से प्रो-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन व एंटी-इंफ्लेमेटरी मायोसिन) है, जो सूजन की प्रतिक्रिया के रूप में विभिन्न कोशिकाओं जैसे मैक्रोफेज, एंडोथेलियल सेल्स व टी-सेल्स द्वारा बनाए जाते हैं। यह एक महत्वपूर्ण संकेत है जो हमें बताता है कि प्रतिरक्षा प्रणाली एक्टिव हो चुकी है, यह इनैट (प्राकृतिक या जन्म से समय से मौजूद प्रतिरक्षा) और एडैप्टिव (रोगजनक के संपर्क में आने के बाद विकसित होने वाली प्रतिरक्षा) इम्यूनिटी में भी भूमिका निभाता है।

आईएल 6 एक ब्लड टेस्ट है, जिसमें खून का नमूना लेकर उसमें आईएल 6 नामक प्रोटीन के स्तर को मापा जाता है। हालांकि, यह स्तर जोड़ और मस्तिष्कमेरु द्रव में भी मापा जा सकता है। यदि किसी में दिल की बीमारियों से लेकर कोविड-19 जैसे संक्रमण हैं, तो उनमें आईएल-6 का स्तर क्रोनिक व एक्यूट स्थितियों में बढ़ सकता है। इसके अलावा एक अन्य टेस्ट है, जिसका नाम सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) है। इसका उपयोग आमतौर पर सूजन के मूल्यांकन के लिए किया जाता है।

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  1. इंटरल्यूकिन 6 टेस्ट कराने का सुझाव कब दिया जाता है? - When is the IL-6 test ordered?
  2. इंटरल्यूकिन 6 से पहले की तैयारी - How do I prepare for an IL-6 test?
  3. इंटरल्यूकिन 6 टेस्ट कैसे किया जाता है? - How is an IL-6 test done?
  4. इंटरल्यूकिन 6 टेस्ट के परिणामों का क्या मतलब है? - Interleukin 6 test mean in Hindi
  5. कोविड-19 में आईएल-6 की क्या भूमिका है? - What role does IL-6 play in COVID-19?
  6. इंटरल्यूकिन 6 के डॉक्टर

इंटरल्यूकिन 6 टेस्ट का सुझाव अक्सर नहीं दिया जाता है, लेकिन यह तब सुझाया जा सकता है जब कोई रोगी निम्नलिखित स्थितियों से ग्रस्त हो या ग्रस्त होने की आशंका हो :

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इस टेस्ट के लिए पहले से कोई खास तैयारी की आवश्यकता नहीं है। यहां तक कि, खाली पेट रहने के लिए भी नहीं कहा जाता है, लेकिन डॉक्टर व्यक्तिगत मामलों में फास्टिंग के लिए सुझाव दे सकते हैं।

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इंटरल्यूकिन 6 टेस्ट के लिए आमतौर पर रोगी की बांह की नस में इंजेक्शन से खून का नमूना लिया जाता है। ब्लड टेस्ट करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विधि को एनजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट एस्से (एलिसा) कहा जाता है। यह टेस्ट आपके घर पर भी हो सकता है या आपको खून का नमूना देने के लिए क्लिनिक या अस्पताल भी जाना पड़ सकता है।

नमूना प्राप्त करने के लिए, लैब तकनीशियन हाथ के उस हिस्से को पहले एंटीसेप्टिक से साफ करेंगे, जहां से नमूना लिया जाना है। इसके बाद वे इंजेक्शन लगाएंगे और कुछ एमएल में खून निकालेंगे।

इस प्रोसीजर में बहुत कम समय लगता है और ज्यादातर मामलों में इस दौरान दर्द नहीं होता है, लेकिन बाद में कुछ लोगों को हल्का दर्द महसूस हो सकता है।

ध्यान रहे, सही परिणाम प्राप्त करने के लिए सैम्पलिंग सही तरीके से होना जरूरी है, क्योंकि नमूना लेने का प्रोसीजर यदि ठीक से नहीं होगा, तो आईएल-6 का स्तर सटीक नहीं आएगा।

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आईएल-6 आमतौर पर खून में नहीं पाया जाता है, लेकिन जब ऐसा होता है, तो ऊपर बताई गई स्थितियां इसका कारण हो सकती हैं।

खून में इस प्रोटीन की सामान्य सीमा 0 से 1.8 पीजी/एमएल के बीच होती है। कई शोध से पता चला है कि कुछ वायरल संक्रमणों के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्तेजित करने के लिए आईएल-6 शरीर के लिए महत्वपूर्ण है। दूसरी ओर, यह भी पता चला है कि आईएल-6 के अपघटन से बीमारी की स्थिति बिगड़ सकती है, जिससे रोग का निदान सही से नहीं हो पाता है। इन निष्कर्षों को देखते हुए, अब भी आईएल-6 स्तरों के परीक्षण की उपयोगिता का अध्ययन किया जा रहा है।

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कोरोना संक्रमण से ग्रस्त या प्रभावित हो चुके कई लोगों में आईएल-6 टेस्ट कराने का सुझाव दिया जाता है। कोविड-19 के गंभीर मामलों में आईएल-6 का स्तर उच्च पाया गया है; मेटा-विश्लेषण से पता चला है कि कोविड-19 के गंभीर मामलों में आईएल-6 औसतन 56.8 पीजी / एमएल था जबकि कोविड-19 के गैर-गंभीर मामलों में आईएल-6 का स्तर 17.3 पीजी/एमएल था।

यदि शरीर में अन्य साइटोकिन के साथ आईएल-6 ज्यादा मात्रा में बन रहा है, तो इससे इंटरल्यूकिन या साइटोकिन स्टॉर्म हो सकता है, जिससे ऊतकों को गंभीर नुकसान हो सकता है। कई मामलों में यह टेस्ट नियमित रूप से किया जा सकता है और एक बेहतर उपचार योजना की मदद से डॉक्टर आपकी मदद कर सकते हैं।

टोसीलिजुमैब को अक्सर रूमेटाइड आर्थराइटिस के इलाज में निर्धारित किया जाता है, लेकिन टेस्ट के परिणामों के आधार पर कोविड-19 रोगियों को भी दिया जा सकता है। क्योंकि इसमें आईएल-6 रिसेप्टर्स को बाधित करने की क्षमता है। कुछ शोध अध्ययनों से पता चला है कि इस दवा के उपयोग से रोग की नैदानिक ​​अभिव्यक्ति में सुधार हो सकता है और कोविड-19 रोगियों में मृत्यु दर घट सकती है।

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