ब्लड इन्फेक्शन (सेप्सिस) - Blood Infection (Sepsis) in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

August 08, 2018

December 19, 2023

ब्लड इन्फेक्शन
ब्लड इन्फेक्शन

ब्लड इंफेक्शन (सेप्सिस) क्या है?

ब्लड इंफेक्शन को सेप्सिस (Sepsis) या सेप्टिसीमिया (septicemia) भी कहा जाता है। यह किसी संक्रमण की वजह से होने वाली एक बेहद हानिकारक स्थिति होती है। सेप्सिस तब होता है जब संक्रमण से निपटने के लिए रक्त में घुलने वाले कैमिकल पूरे शरीर में जलन और सूजन फैलाने लगते हैं। इसके चलते शरीर में कई सारे बदलाव होते है, यहां तक कि शरीर के भीतर मौजूद कई अंग प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकता है और वह काम करना तक बंद कर देती हैं। 

सेप्सिस अगर सेप्टिक शॉक का रूप लेता है (बहुत ज्यादा फैला हुआ संक्रमण जिससे कई अंग काम करना बंद कर देते हैं और रक्तचाप गिर जाता है), तो ब्लड प्रेशर एकाएक घटने लगता है, जिससे मृत्यु तक हो सकती है।

(और पढ़ें - खून साफ करने के घरेलू उपाय)

सेप्सिस किसी को भी हो सकता है, लेकिन यह वृद्ध लोगों या जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है, उन लोगों में काफी आम होता है। इन लोगों में सेप्सिस काफी खतरनाक भी हो सकता है। सेप्सिस के शुरूआती उपचार में आमतौर पर मरीज को एंटीबायोटिक्स के साथ नसों में तरल पदार्थ दिए जाते हैं ताकि मरीज की मृत्यु की आशंका को टाला जा सके।

यह ध्यान में रखना बहुत जरूरी होता है कि सेप्सिस एक आपात (इमरजेंसी) चिकित्सा स्थिति है। खासकर जब संक्रमण तेजी से फैल रहा हो, तब हर पल बहुत कीमती होता है। सेप्सिस का कोई एक लक्षण नहीं होता, बल्कि इसमें लक्षणों का संयोजन होता है। अगर आपको किसी तरह का संक्रमण है और साथ ही आपको संदेह है कि आपको सेप्सिस हो सकता है, तो ऐसे में डॉक्टर को दिखाने में बिलकुल भी देरी ना करें। 

(और पढ़ें - इंफेक्शन का इलाज)

ब्लड इन्फेक्शन (सेप्सिस) के लक्षण - Blood Infection (Sepsis) Symptoms in Hindi

सेप्सिस के लक्षण व संकेत:

डॉक्टर सेप्सिस को तीन-स्तरीय सिंड्रोम के रूप में देखते हैं, जिसमें पहला सेप्सिस की शुरूआती स्थिति, दूसरा गंभीर सेप्सिस और तीसरा एवं अंतिम सेप्टिक शॉक की स्थिति होती है। सेप्सिस के इलाज का लक्ष्य इसके गंभीर होने से पहले की अवस्था में ही इसका इलाज करना होता है।

सेप्सिस:

सेप्सिस का परीक्षण/ निदान करने के लिए निम्न में से कम से कम दो लक्षण मरीज में दिखने जरूरी होते हैं।

(और पढ़ें - अनियमित दिल की धड़कन का इलाज)

गंभीर सेप्सिस:

निम्न संकेत व लक्षणों में से एक भी मिलने पर गंभीर सेप्सिस के निदान किए जा सकते हैं, क्योंकि ये लक्षण शरीर के किसी अंग के काम ना करने का संकेत देते हैं -

(और पढ़ें - पेट दर्द का इलाज)

सेप्टिक शॉक:

सेप्टिक शॉक का निदान भी गंभीर सेप्सिस के लक्षण व संकेतों के मुताबिक ही किया जाता है। ऐसे में ब्लड प्रेशर में अत्यधिक कमी हो जाती है। इसे ठीक करने के लिए डॉक्टर रोगी को तरल पदार्थ (जैसे नमक -शक्कर का घोल और ओआरएस आदि) देते हैं। 

(और पढ़ें - लो बीपी के घरेलू उपाय)

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए:

सेप्सिस ज्यादातर अस्पताल में भर्ती हुऐ लोगों को ही होता है। जो लोग इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU) में होते हैं, वे सेप्सिस के प्रति और अधिक संवेदनशील होते हैं और सेप्सिस के शिकार हो जाते हैं। अगर आपको किसी प्रकार का संक्रमण हो गया है या किसी सर्जरी के बाद आपको सेप्सिस के लक्षण दिखने लगें हैं तो आपको अस्पताल में भर्ती होना चाहिए एवं संक्रमण का उपचार करवाना चाहिए। 

(और पढ़ें - खून को साफ करने वाले आहार)

ब्लड इन्फेक्शन (सेप्सिस) के कारण - Blood Infection (Sepsis) Causes in Hindi

सेप्सिस के कारण क्या है? 

आम तौर पर प्रतिरक्षा कोशिकाएं शरीर पर आक्रमण करने वाले बाहरी रोगाणुओं/ विषाणुओं से बचाव करते हैं। सेप्सिस के दौरान, निम्नलिखित में से एक के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली में खराबी हो जाती है।

  • अंडररिएक्शन (Underreaction) - इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावी तरीके से काम नहीं कर पाती या काम करना बंद कर देती है।
  • ऑवररिएक्शन (Overreaction) - हमलावर रोगाणु/ विषाणु प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के लिए हानिकारक ट्रिगर के रूप में कार्य करता है।

(और पढ़ें - इम्यून सिस्टम मजबूत करने के उपाय)

सेप्सिस के लिए बैक्टीरियल संक्रमण को सबसे ज्यादा दोषी माना जाता है, लेकिन सेप्सिस अन्य कई संक्रमणों के परिणाम से भी हो सकता है। यह शरीर में कहीं भी हो सकता है, जहां बैक्टीरिया और वायरस होते हैं। इसलिए, यह कभी-कभी किसी छिले हुऐ घुटने या उपत्वचा (त्वचा का उपरी भाग) पर खरोंच आने से फैल सकता है। अपेंडिसाइटिस, निमोनिया, मेनिन्जाइटिस या मूत्र मार्ग में संक्रमण आदि जैसी गंभीर चिकित्सा समस्या से ग्रसित लोगों में भी सेप्सिस के जोखिम काफी बढ़ जाते हैं।

(और पढ़ें - यूरिन इन्फेक्शन का घरेलू उपाय)

अगर आपकी हड्डीयों में संक्रमण है, जिसे अस्थिमज्जा प्रदाह (Osteomyelitis) कहा जाता है, तो वह सेप्सिस का कारण बन सकता है। जो लोग अस्पताल में भर्ती हैं, उनमें कैथेटर, सर्जिकल चीरे, बैक्टीरिया और चमड़ी पर हुए  छालों के माध्यम से यह फैल सकता है।

सेप्सिस का खतरा कब बढ़ जाता है? 

सेप्सिस किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन कुछ लोगों के समूह जिनमें सेप्सिस के जोखिम बहुत होते हैं, उनमें निम्न शामिल हैं -

  • बहुत छोटे बच्चे।
  • वृद्ध लोग, खासकर जिनको स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य परेशानियां हैं।
  • वे लोग जो ऐसी दवाएं लेते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को दबा देती है। जैसे स्टेरॉयड या वे लोग जो अंग प्रतिस्थापन से बचने के लिए दवाओं का सहारा ले रहे हैं।
  • डायबिटीज के मरीज। (और पढ़ें - डायबिटीज डाइट चार्ट)
  • वे लोग जिनकी एचआईवी एड्स या कैंसर के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। (और पढ़ें - कैंसर में क्या खाना चाहिए)  
  • जो लोग कुछ ही दिन पहले अस्पताल में भर्ती हुऐ थे और उनकी कोई मुख्य सर्जरी हुई थी। 

    डायबिटीज में नए दृष्टिकोण: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और  myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट के साथ सकारात्मक जीवनशैली अपनाएं।और स्वस्थ रहें।सुरक्षित रहे।

(और पढ़ें - ब्लड कैंसर के लक्षण)

ब्लड इन्फेक्शन (सेप्सिस) से बचाव - Prevention of Blood Infection (Sepsis) in Hindi

सेप्सिस होने से कैसे रोक सकते हैं? 

कुछ बातों का पालन करके संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है, ऐसा करने से आप सेप्सिस के विकसित होने के जोखिम को कम कर सकते हैं।

यदि आप संक्रमण के लक्षण महसूस करते हैं, तो तत्काल चिकित्सकीय (मेडिकल) देखभाल प्राप्त करें। क्योंकि, जब सेप्सिस के उपचार की बात आती है, तो हर मिनट महत्वपूर्ण होता है। आप जितनी जल्दी उपचार प्राप्त करवाएंगे, परिणाम उतना ही बेहतर होगा।

(और पढ़ें - प्राथमिक चिकित्सा)

इसके अलावा सेप्सिस की रोकथाम के लिए आप यह सरल तरीके अपना सकते हैं -

  • टीकाकरण - नियमित रूप से टीकाकरण कराते रहें। इसके तहत फ्लू, निमोनिया और अन्य संक्रमणों के लिए टीकाकरण कराएं। (और पढ़ें - शिशु टीकाकरण चार्ट)
  • स्वच्छता बनाये रखें - इसका मतलब है कि नियमित रूप से स्नान करें, जख्मों (घावों) की उचित देखभाल और साबुन से हाथ-धोना जैसी चीजों को अपनी आदत में शामिल करें।
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली​ वाले लोगों के लिए – जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, वे संक्रमण से ठीक तरीके से नहीं लड़ पाते। ऐसे लोगों की देखभाल और सावधानी का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए ताकि किसी भी संबंधित लक्षण की जल्दी से पहचान की जा सके और ठीक तरीके से उसका इलाज किया जा सके।
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली​ वाले लोगों के देखभाल कर्ताओं के लिए – किसी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति के संपर्क में आने के दौरान यह जरूरी होता है कि उनमें संक्रमण फैलने या उनसे संक्रमण ग्रहण करने के जोखिम से बचा जाए। देखभाल कर्ता को मरीज के साथ-साथ खुद को स्वच्छ रखने के लिए भी पूरा ध्यान रखना चाहिए।  (और पढ़ें - बच्चों की इम्युनिटी कैसे बढ़ाये)

इसके अलावा बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए आप कुछ विशिष्ट तरीके अपना सकते हैं:

बुजुर्ग लोगों के लिए – 

बुजुर्गों में मूत्र मार्ग संक्रमण जैसी दिक्क्तें भी अधिक होती है। साथ ही उम्र बढ़ने के साथ-साथ व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर होती जाती है। इसलिए बुजुर्ग लोगों में सेप्सिस को रोकने के लिए विशेष देखभाल की जानी चाहिए: 

  • बैक्टीरिया का मूत्राशय में प्रवेश करने की संभावनाओं को कम करना और जीवाणुरहित तकनीकों का प्रयोग करके संक्रमण के कारणों को कम करना। (और पढ़ें - गर्भावस्था में यूरिन इन्फेक्शन का इलाज)
  • नियमित एवं पर्याप्त पेय पदार्थ देकर उनके शरीर को हमेशा हाइड्रेड रखना।
  • उनकी मूत्र और आंत असंयमिता को कुशलपूर्वकमैनेज करना। 

गर्भवती महिलाओं के लिए - 

गर्भावस्था के दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली में होने वाले परिवर्तनों के कारण, गर्भवती महिलाओं और प्रसवोत्तर (हाल ही में बच्चे को जन्म देने वाली) महिलाओं में सेप्सिस के जोखिम सामान्य महिलाओं की तुलना में 50% ज्यादा होते हैं। जो महिलाएं कई बार गर्भधारण कर चुकी हैं या जिन्होनें एंटीबायोटिक्स ली हों, वे महिलाएं सेप्सिस के प्रति अति संवेदनशील होती हैं। इनके लिए रोकथाम के चरण निम्न हो सकते हैं -

  • उन्हें फ्लू के टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करना। (और पढ़ें - फ्लू का इलाज)
  • नाड़ी, तापमान, श्वसन दर और ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करना।
  • गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को फ्लू होने से बचाना चाहिए।

(और पढ़ें - गर्भावस्था में होने वाली परेशानी)

ब्लड इन्फेक्शन (सेप्सिस) का परीक्षण - Diagnosis of Blood Infection (Sepsis) in Hindi

सेप्सिस का निदान कैसे किया जाता है?

सेप्सिस का निदान करना काफी कठिन हो सकता है, क्योंकि इसके लक्षण व संकेत किसी अन्य विकार के कारण हो सकते हैं। अंतर्निर्हित संक्रमण को पकड़ने के लिए डॉक्टर अक्सर काफी सारे टेस्ट करते हैं।

इमेजिंग टेस्ट -

यदि संक्रमण और उसकी जगह स्पष्ट नहीं है, तो डॉक्टर एक, दो या कुछ इमेजिंग टेस्ट का भी सुझाव दे सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • एक्स-रे – निम्न स्तर की रेडिएशन वाले एक्स-रे उपयोग करना, फेफड़ों की समस्याओं को देखने के लिए बेहतर हो सकता है। (और पढ़ें - एक्स रे क्या है)
  • एम.आर.आई – नरम ऊतकों में संक्रमण होने पर एमआरआई टेस्ट काफी उपयोगी हो सकता हैं, जैसे रीढ़ की हड्डी के अंदर फोड़े बनना। (और पढ़ें - एम आर आई क्या है)
  • सी.टी स्कैन – संक्रमण अगर अपेंडिक्स, अग्नाशय या आंतों में है, तो सीटी स्कैन की मदद से इसे काफी आसानी से देखा जा सकता है। (और पढ़ें - सी टी स्कैन क्या है)
  • अल्ट्रासाउंड - अल्ट्रासाउंड विशेष रूप से पित्ताशय की थैली या अंडाशय में संक्रमण की जांच के लिए काफी उपयोगी हो सकता है। (और पढ़ें - किडनी फंक्शन टेस्ट)

ब्लड टेस्ट -

खून के सैंपल का टेस्ट निम्न की जांच के लिए किया जा सकता है: 

(और पढ़ें - ब्लड टेस्ट कैसे होता है)

अन्य टेस्ट-

मरीज के लक्षणों के आधार पर,  डॉक्टर खून के अलावा अन्य शारीरिक द्रवों का भी टेस्ट कर सकते हैं। जैसे - 

  • घाव से निकलने वाले स्राव/ द्रव – अगर शरीर पर कोई घाव है जो संक्रमित प्रतीत हो रहा है, तो ऐसे में डॉक्टर उसमें से द्रव का नमूना लेकर टेस्ट कर सकते हैं। ताकि पता लगाया जा सके कि कौन सी दवाई बेहतर काम कर सकती है। (और पढ़ें - कैल्शियम यूरिन टेस्ट)
  • मूत्र  – अगर डॉक्टर को आपके मूत्र पथ में संक्रमण का संदेह होता है, तो  मूत्र मार्ग में बैक्टीरिया की जांच करने के लिए वे आपको उसका टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं। (और पढ़ें - यूरिन टेस्ट कैसे किया जाता है)
  • श्वसन तंत्र से निकलने वाले स्राव/ द्रव – अगर मरीज को खांसी है, तो उसके थूक या बलगम के टेस्ट किए जा सकते हैं, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि किस प्रकार के रोगाणु संक्रमण का कारण बन रहे हैं। (और पढ़ें - बलगम टेस्ट क्यों किया जाता है)

ब्लड इन्फेक्शन (सेप्सिस) का उपचार - Blood Infection (Sepsis) Treatment in Hindi

सेप्सिस का उपचार कैसे होता है?

सेप्सिस के लिए तात्कालिक उपचार बेहतर होता है। जिन लोगों को गंभीर सेप्सिस होता है, अस्पताल में उनकी काफी करीब से निगरानी और उपचार करने की जरूरत होती है। अगर मरीज को गंभीर सेप्सिस या सेप्टिक शॉक है तो श्वास और हृदय के कार्यों को बनाये/ जारी रखने के लिए जीवन-रक्षक (सपोर्ट) उपायों की जरूरत पड़ सकती है। 

(और पढ़ें - बीमारियों की जानकारी)

अगर डॉक्टरों को लगता है कि मरीज को सेप्सिस हो सकता है, तो वे निम्न परीक्षण कर सकते हैं -

(और पढ़ें - किडनी को खराब करने वाली आदतें)

अगर आपको सेप्सिस है, तो आपके डॉक्टर आपको हॉस्पिटल के "इंटेन्सिव केयर यूनिट" (ICU) में भर्ती कर सकते हैं। वहां पर संक्रमण को रोकने की कोशिश की जाती है और इसके साथ ही साथ शरीर के महत्वपूर्ण अंगों के कार्यों तथा ब्लड प्रेशर की नियमित रूप से जांच की जाती है। साथ ही, तरल पदार्थ और अतिरिक्त ऑक्सीजन भी दी जाती है। 

जब डॉक्टर सेप्सिस के कारण का पता लगा लेते हैं तो वे मरीज को वहीं दवाई देते हैं जिससे रोग के जीवाणु को खत्म किया जा सके। अगर सेप्सिस का मामला गंभीर है तो मरीज को अन्य प्रकार के उपचारों की जरूरत पड़ सकती है, जैसे सांस लेने की मशीन या किडनी डायलिसिस आदि। संक्रमण को बाहर निकालने या खत्म करने के लिए कई बार सर्जरी करने की भी जरूरत पड़ जाती है।

(और पढ़ें - किडनी इन्फेक्शन का इलाज)

ब्लड इन्फेक्शन (सेप्सिस) के जोखिम और जटिलताएं - Blood Infection (Sepsis) Risks & Complications in Hindi

सेप्सिस से क्या समस्याएं हो सकती हैं?

सेप्सिस से होने वाली दिक्क्तें अलग-अलग स्तर की होती है। इन्हें कम से लेकर ज्यादा गंभीर की स्केल पर परिभाषित किया जा सकता है। रोग की स्थिति गंभीर होने पर कई महत्वपूर्ण शारीरिक अंग जैसे मस्तिष्क, हृदय और किडनी आदि में खून के बहाव की प्रक्रिया बिगड़ जाती है। सेप्सिस के कारण हाथों-पैरों व उनकी उंगलियों और अंदरूनी अंगों में खून के थक्के बन सकते हैं। ज्यादातर लोग सौम्य (साधारण) सेप्सिस में ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन सेप्टिक शॉक (सेप्सिस का सबसे गंभीर रूप) में मृत्यु दर करीब 50 प्रतिशत है।

(और पढ़ें - हृदय रोग का इलाज)



संदर्भ

  1. Levy MM1, Fink MP, Marshall JC, Abraham E, Angus D, Cook D, Cohen J, Opal SM, Vincent JL, Ramsay G; International Sepsis Definitions Conference. 2001 SCCM/ESICM/ACCP/ATS/SIS International Sepsis Definitions Conference.. Intensive Care Med. 2003 Apr;29(4):530-8. Epub 2003 Mar 28. PMID: 12664219.
  2. Cohen J. The immunopathogenesis of sepsis. Nature. 2002; 20:185-191. PMID: 12490963.
  3. Aitken LM, Williams G, Harvey M, et al. Nursing considerations to complement the Surviving Sepsis Campaign guidelines. Crit Care Med. 2011; 39:1800–1818. PMID: 21685741.
  4. Liberati A, D’Amico R, Pifferi S, et al. Antibiotic prophylaxis to reduce respiratory tract infections and mortality in adults receiving intensive care. Cochrane Collaboration. 2010; 9:1–72. PMID: 14973945.
  5. O’Grady NP, Alexander M, Dellinger EP, et al. Guidelines for the prevention of intravascular catheter-related infections. Clin Infect Dis. 2002; 35:1281–1307. PMID: 12517020
  6. De Jonge E, Schultz MJ, Spanjaard L, et al. Effects of selective decontamination of digestive tract on mortality and acquisition of resistant bacteria in intensive care: A randomised controlled trial. Lancet. 2003; 362:1011–1016. PMID: 14522530
  7. Kumar A, Safdar N, Kethireddy S, et al. A survival benefit of combination antibiotic therapy for serious infections associated with sepsis and septic shock is contingent only on the risk of death: A meta-analytic/ meta-regression study. Crit Care Med. 2010; 38:1651–1664. PMID: 20562695
  8. Shankar-Hari, M., Phillips, G. S., Levy, M. L., Seymour, C. W., Liu, V. X., Deutschman, C. S. Developing a New Definition and Assessing New Clinical Criteria for Septic Shock. JAMA, 2016; 315(8), 775. PMID: 26903336
  9. Kumar Anand et al. Duration of hypotension before initiation of effective antimicrobial therapy is the critical determinant of survival in human septic shock. Crit Care Med. 2006; 34:1589–1596. PMID: 16625125
  10. Singer M, Deutschman CS, Seymour CW, et al. The Third International Consensus Definitions for Sepsis and Septic Shock (Sepsis3). JAMA. 2016; 315:801.
  11. Rivers, E., Nguyen, B., Havstad, S., Ressler, J., Muzzin, A., Knoblich, B., Peterson, E., et al. Early goal-directed therapy in the treatment of severe sepsis and septic shock. . New England Journal of Medicine, 2001; 345(19), 1368-1377.

ब्लड इन्फेक्शन (सेप्सिस) की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Blood Infection (Sepsis) in Hindi

ब्लड इन्फेक्शन (सेप्सिस) के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

ब्लड इन्फेक्शन (सेप्सिस) पर आम सवालों के जवाब

सवाल लगभग 4 साल पहले

मुझे कल अचानक से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और बुखार भी चढ़-उतर रहा था। क्या यह सेप्सिस का लक्षण हो सकता है। मुझे क्या करना चाहिए? क्या सेप्सिस की वजह से इंसान मर भी सकता है?

Dr. Saurabh Shakya MBBS , General Physician

सेप्सिस एक बहुत ही घातक स्थिति है। सेप्सिस हार्ट अटैक, फेफड़ों के कैंसर या स्तन कैंसर से भी अधिक खतरनाक ब्लड इंफेक्शन की समस्या है। व्यक्ति एक दिन बहुत स्वस्थ, तो अगले ही दिन सेप्सिस की वजह से उसकी मृत्यु भी हो सकती है। सेप्सिस से गंभीर रूप से ग्रस्त व्यक्ति की मौत 12 घंटों के अंदर ही हो सकती है। गंभीर सेप्सिस यानि कि सेप्टिक शॉक 40 से 50 प्रतिशत लोगों में घातक है। सेप्टिक शॉक इतना घातक है कि संक्रमण के लिए शरीर में इम्यून सिस्टम जो प्रतिक्रिया करता है, वह शरीर के अन्य अंगों के सिस्टम को डैमेज कर सकता है। सेप्सिस के कारण शरीर में बहुत सारे अंगों की विफलता या ब्लड प्रेशर के बहुत कम होने से व्यक्ति मर भी सकता है। इस स्थित में आपको बिना देरी किए डॉक्टर के पास जाना चाहिए। हो सकता है कि डॉक्टर आपको अस्पताल में भर्ती होने के लिए कहें।

सवाल लगभग 4 साल पहले

कल मेरे दोस्त की तबीयत बहुत खराब हो गई थी। उसे सांस में दिक्कत, पेट में दर्द, पेशाब भी कम आ रहा था और उसका व्यवहार भी थोड़ा चिड़चिड़ा हो गया था। हम उसे डॉक्टर के पास ले गए, उन्होंने उसका ब्लड टेस्ट किया था जिसकी रिपोर्ट से पता चला कि उसे ब्लड में इंफेक्शन हो गया है। डॉक्टर सेप्सिस के लिए उसे ट्रीटमेंट दे रहे हैं। क्या ऐसा हो सकता कि कोई व्यक्ति सेप्सिस से ग्रस्त हो और उसे इसका पता भी न हो?

Dr. Vinod Verma MBBS , मधुमेह चिकित्सक

सेप्सिस का पता शरीर में इसके लक्षणों के बगैर नहीं लगाया सकता है, जिसमें सांस लेने में दिक्कत, निमोनिया, यूरिन इंफेक्शन और शरीर के तापमान में बदलाव आना शामिल हैं। अगर किसी व्यक्ति को पहली बार यह संक्रमण हुआ है, तो संभव है कि सेप्सिस व्यक्ति के शरीर में हो सकता है और उसे इसका पता भी न हो।

सवाल लगभग 4 साल पहले

मुझे कुछ दिनों से शरीर में जलन हो रही थी, जिसके बाद मैंने अपना ब्लड टेस्ट करवाया है, रिपोर्ट से खून में इंफेक्शन का पता चला है। मैं इसके लिए डॉक्टर से इलाज करवा रहा हूं। क्या यह सेप्सिस हो सकता है? क्या खून में संक्रमण सेप्सिस ही होता है?

Dr. Piyush Malav MBBS, MS , सामान्य शल्यचिकित्सा

कुछ प्रकार के बैक्टीरिया की वजह से खून में इंफेक्शन हो सकता है, जिसके कारण सेप्सिस हो सकता है। खून में बैक्टीरिया की वजह से गंभीर संक्रमण होता है जिसे ब्लड पोइज़निंग भी कहते हैं। सेप्सिस संक्रमण के प्रति शरीर अक्सर घातक प्रतिक्रिया करता है। बैक्टीरियल संक्रमण सेप्सिस का सबसे आम कारण है। सेप्सिस की वजह से दुनिया भर में लगभग एक तिहाई लोगों की मृत्यु हो जाती है।

सवाल लगभग 4 साल पहले

मुझे पिछले 2 दिनों से सांस लेने में तकलीफ, पेशाब भी कम आ रहा है और पेट में दर्द है। मुझे ये सेप्सिस के लक्षण लगते हैं। मुझे एक बार पहले भी सेप्सिस हो चुका है। क्या मुझे दोबारा भी सेप्सिस हो सकता है?

Dr. Suhas Bhargav MBBS , सामान्य चिकित्सा

सेप्सिस किसी भी समय और किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन कुछ लोगों में दूसरों की तुलना में सेप्सिस के जोखिम अधिक होते हैं। जब आपको कोई संक्रमण होता है, तो इसके ठीक होने के बाद भी आपमें इसका खतरा बना रहता है। 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में सेप्सिस के जोखिम अधिक होते हैं।