योग शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने का प्राचीन अभ्यास है. इसमें आसन, ध्यान और मुद्राएं शामिल हैं. योग के नियमित अभ्यास से शांति, शक्ति, लचीलापन और स्वस्थ शरीर मिल सकता है. यह मन, शरीर और आत्मा को भी आपस में जोड़ने में मदद करता है. रोजाना योग करने से तनाव कम होता है, मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत बनती हैं. योग के कई प्रकार माने गए हैं, जिनमें हठयोग सबसे महत्वपूर्ण है. हठयोग में विभिन्न तरह के आसन व उन्हें करने का तरीका विस्तार से बताया गया है.
आज इस लेख में आप जानेंगे कि हठयोग क्या है और इसे करने से क्या-क्या फायदे हो सकते हैं -
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हठयोग क्या है?
प्राचीन काल में हठ का आध्यात्मिक महत्व था. इस योग को शरीर, मन और आत्मा को आपस में जोड़ने के लिए जाना जाता था. इसके अलावा, हठयोग को शारीरिक स्वास्थ्य का विकास करने के रूप में जाना जाता है. हठ दो शब्दों ‘ह’ और ‘ठ’ से मिलकर बना है. इसमें ‘ह’ का मतलब सूर्य यानी गर्मी है और ‘ठ’ का मतलब चंद्रमा यानी ठंडक है. इसका अर्थ है कि हठयोग शरीर में इन दोनों ऊर्जाओं के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करता है. इसमें कुछ योगासनों को करके शरीर को शक्तिशाली और लचीला बनाया जाता है.
वहीं, संस्कृत में हठ का मतलब ऊर्जा से होता है. क्लासिकल हठ योग को 15वीं शताब्दी में विकसित किया गया था. इसमें योग, आसन, प्राणायाम, मुद्रा और व्यक्तिगत आध्यात्मिक विकास के लिए मेडिटेशन को महत्व दिया गया था. आज हठ योग का अभ्यास शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ आध्यात्मिक रूप से भी किया जाता है. हठयोग को सीखने के लिए कठिन अभ्यास की जरूरत होती है.
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हठयोग के फायदे
हठयोग करने से शरीर को अनगिनत फायदे मिल सकते हैं. हठयोग शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है. इसके नियमित अभ्यास से शक्ति, लचीलापन और संतुलन बढ़ता है. साथ ही तन और मन को शांति मिलती है. हठयोग करने से मिलने वाले फायदे इस प्रकार हैं -
इम्यून सिस्टम के लिए हठयोग के फायदे
स्वस्थ रहने के लिए इम्यून सिस्टम का बेहतर होना जरूरी होता है. हठयोग करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है. इसलिए, यह योग नियमित रूप से जरूर करना चाहिए.
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कमर दर्द के लिए हठयोग के फायदे
बढ़ती उम्र में अधिकतर लोगों को कमर दर्द का सामना करना पड़ता है. गलत पोश्चर में बैठना व इनएक्टिव लाइफस्टाइल कमर में दर्द के मुख्य कारण माने जाते हैं. हठयोग के अभ्यास से कमर के दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है. दरअसल, एक अध्ययन से पता चला है कि लगातार 21 दिन तक हठयोग करने से कोर मसल्स को ताकत मिलती है. साथ ही इससे शरीर के संतुलन में भी सुधार होता है. इसे रोजाना करने से कमर दर्द में आराम मिल सकता है.
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तनाव के लिए हठयोग के फायदे
जर्नल ऑफ नर्सिंग रिसर्च में छपे 2013 के एक अध्ययन में पाया गया कि नियमित रूप से हठयोग करने से तनाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है. रोजाना 90 मिनट तक इस योग का अभ्यास करने से स्ट्रेस लेवल कम हो सकता है.
इतना ही नहीं 2018 में हुए एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि अगर नियमित रूप से हठयोग के 12 सेशन किए जाएं, तो इससे एंग्जाइटी और डिप्रेशन को दूर करने में मदद मिल सकती है.
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हृदय के लिए हठयोग के फायदे
अगर हृदय को हमेशा स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो हठयोग को जीवनशैली में जरूर शामिल करें. इस योग का अभ्यास करने से हृदय में रक्त का प्रवाह बेहतर रहता है. हृदय पूरे शरीर में ब्लड को सही तरीके से पंप कर पाता है. नियमित रूप से हठयोग करने से हृदय से जुड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है.
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मजबूत हड्डियों के लिए हठयोग के फायदे
हठयोग का नियमित अभ्यास करने से हड्डियां भी मजबूत बनती हैं. जर्नल ऑफ फिजिकल थेरेपी साइंस में 2015 के एक अध्ययन से पता चलता है कि हठयोग करने से रीढ़ और हैमस्ट्रिंग की फ्लेक्सिबिलिटी में सुधार होता है. शोधकर्ता उन बुजुर्गों को हठयोग करने की सलाह देते हैं, जो अक्सर जोड़ों में दर्द से परेशान रहते हैं या जिन्हें हड्डियों को मजबूत बनाने की जरूरत है.
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स्किन के लिए हठयोग के फायदे
हठयोग त्वचा को भी खूबसूरत बनाने में मदद कर सकता है. दरअसल, हठयोग करने से शरीर में ब्लड फ्लो सही रहता है. वहीं, इस योग को करने से तनाव और चिंता भी दूर होती है. सही ब्लड फ्लो और स्ट्रेस फ्री रहने से त्वचा में निखार आता है. त्वचा में प्राकृतिक चमक बनी रहती है.
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हठयोग में किए जाने वाले आसन
गुरु गोरखनाथ के शिष्य स्वामी स्वात्मारात ने हठयोग प्रदीपिका को लिखा था. इसमें हठयोग को चार भागों में बांटा गया है - आसन, प्राणायाम, मुद्रा व समाधि. आसन के तहत 15 योगासनों का वर्णन किया गया है, जो इस प्रकार हैं -
- स्वस्तिकासन
- गोमुखासन
- वीरासन
- कुर्मासन
- कुक्कुटासन
- उत्तानकूर्मासन
- धनुरासन
- मत्स्येन्द्रासन
- पश्चिमोत्तासन
- मयूरासन
- शवासन
- सिद्धासन
- पद्मासन
- सिंहासन
- भद्रासन
इसी तरह प्राणायाम के तहत सूर्यभेदन, उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, भ्रस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्च्छा तथा प्लाविनी शामिल है. वहीं, मुद्रा में महामुद्रा, महाबंध, महावेध, खेचरी, उड्डीयान बन्ध, मूलबन्ध, जालंधर बन्ध, विपरीत करणी, वज्रोली, सहजोली, अमरोली, शक्ति चालान शामिल है.
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हठयोग करते समय सावधानियां
हठयोग में कई योगासन किए जाते हैं. इसमें हर योगासन को जल्दी-जल्दी बदला जाता है. इसलिए, सभी लोग हठयोग को आसानी से नहीं कर पाते हैं. ऐसे में बेहतर यही होगा कि इसे एक्सपर्ट की राय पर ही किया जाए. आइए, हठयोग से संबंधित कुछ सावधानियों के बारे में जान लेते हैं -
- गर्भवती महिलाओं को हठयोग का अभ्यास बिल्कुल नहीं करना चाहिए. स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी योग गुरु की सलाह पर ही इसे करें.
- अगर शरीर के किसी भी हिस्से, जैसे - पीठ, कंधे, गर्दन, हाथ या पैरों में दर्द है, तो भी हठयोग नहीं करना चाहिए.
- जिन लोगों की हाल ही में कोई सर्जरी हुई है, उन्हें हठयोग करने से बचना चाहिए.
- मासिक धर्म व पेट में दर्द होने पर हठयोग का अभ्यास करने से बचना चाहिए.
- इसके अलावा, जिन लोगों को हृदय, लिवर व किडनी आदि से जुड़ी गंभीर बीमारियां हैं, वो हठयोग को एक्सपर्ट की राय पर ही करें.
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सारांश
हठयोग की एक प्राचीन प्रथा है, जिसे लोग स्वास्थ्य और फिटनेस को बेहतर बनाए रखने के लिए करते आ रहे हैं. हठयोग का अभ्यास नियमित रूप से करने से कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं. इस योग को करने से इम्यूनिटी बढ़ती है, त्वचा में चमक आती है और तनाव भी दूर होता है. वहीं, संवेदनशील लोगों को हठयोग का अभ्यास करने से बचना चाहिए. अगर आप भी हठयोग को अपनी जीवनशैली में शामिल करने वाले हैं, तो योग गुरु की देखरेख में ही इसे करें.
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