शिशु जब बड़ा होने लगता है, तो माता-पिता हमेशा यही सोचते हैं कि उसे पौष्टिक आहार मिले. फल-सब्जियों के साथ-साथ उन्हें पोषण देने के लिए मांसाहारी आहार को लेकर भी पेरेंट्स के मन में सवाल आते हैं. इस लिस्ट में मछली भी शामिल है. बेशक, मछली में कई पोषक तत्व होते हैं, लेकिन इसे खाना थोड़ा मुश्किल है. इसके बावजूद छोटे बच्चों के लिए मछली अच्छा विकल्प है. इसके सेवन से शिशु कई बीमारियों से बचा रह सकता है.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि शिशु के लिए मछली सुरक्षित है या नहीं और बच्चे को कौन सी उम्र से मछली देनी चाहिए -

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  1. क्या शिशु के लिए मछली सुरक्षित है?
  2. शिशु को मछली देने की सही उम्र
  3. शिशु के लिए मछली के फायदे
  4. शिशु के लिए मछली के नुकसान
  5. बच्चे को मछली देते वक्त बरतें सावधानियां
  6. बच्चों के लिए मछली की रेसिपी
  7. सारांश
शिशु को मछली खिलाने के फायदे व नुकसान के डॉक्टर

हां, शिशु को मछली देना सुरक्षित है. इसकी पुष्टि डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी की है. इतना ही नहीं, नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी में भी मछली को बच्चे के लिए सुरक्षित माना गया है.

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यह बात स्पष्ट हो गई है कि शिशु के लिए मछली सुरक्षित है, तो अब यह जानना भी पेरेंट्स के लिए जरूरी हो गया है कि बच्चे को मछली खिलाने की सही उम्र क्या है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 1 वर्ष की आयु के शिशु को मछली दे सकते हैं. दरअसल, 6 महीने की उम्र से शिशु थोड़ा-बहुत ठोस पदार्थ का सेवन करने लगते हैं. ऐसे में इस दौरान उन्हें सावधानीपूर्वक मछली का सेवन कराया जा सकता है.

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मछली शिशु के लिए सुरक्षित है, यह तो आप जान गए, लेकिन बच्चे के लिए इसके लाभ भी कई सारे हैं. यहां हम इन्हीं कुछ फायदों के बारे में जानकारी दे रहे हैं. शिशु के लिए मछली के फायदे कुछ इस प्रकार हैं -

प्रोटीन से भरपूर

बच्चे के स्वस्थ विकास के लिए प्रोटीन जरूरी होता है. यही प्रोटीन मछली द्वारा बच्चे को मिल सकता है. ऐसे में हफ्ते में एक बार मछली का सेवन लाभकारी हो सकता है.

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आयरन के लिए

प्रोटीन की तरह ही आयरन भी बच्चे के लिए जरूरी पोषक तत्वों में से एक है. यह खून की कमी के जोखिम को कम कर सकता है. आयरन के लिए भी पेरेंट्स अपने बच्चे की डाइट में मछली को शामिल कर सकते हैं. 

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स्वस्थ मस्तिष्क के लिए

मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो मस्तिष्क के स्वस्थ विकास में मददगार साबित हो सकता है. इतना ही नहीं, यह संज्ञानात्मक और सोचने की क्षमता को बेहतर करने में भी सहायक हो सकता है.

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दमा से बचाव

शिशु को आगे चलकर अस्थमा जैसी सांस संबंधी बीमारियों से बचाव के लिए भी मछली का सेवन लाभकारी हो सकता है. इतना ही नहीं मछली को खाने से अन्य एलर्जिक बीमारियों से भी बचा जा सकता है.

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पर्याप्त पोषण

ऊपर हमने पहले ही बताया है कि मछली प्रोटीन और आयरन का अच्छा स्रोत है. इसके साथ ही यह शरीर को पूरा पोषण देने में भी सहायक हो सकती है. रीसर्च की मानें, तो यह शिशु के शरीर में पोषण में सुधार करने में भी सहायक हो सकती है.

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अगर मछली खाने के फायदे हैं, तो कुछ नुकसान भी हो सकते हैं. ऐसे ही कुछ नुकसान के बारे में हम नीचे जानकारी दे रहे हैं, जो इस प्रकार हैं -

  • कुछ बच्चों को मछली खाने से एलर्जी की समस्या हो सकती है.
  • कुछ मछलियां मिथाइल मर्करी युक्त होती हैं, जो शिशु के नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती हैं.
  • कभी-कभी कुछ मछलियां शिशु में टॉक्सिसिटी का कारण भी बन सकती हैं.
  • अगर मछली को सही से देखकर न दिया जाए, तो बच्चे के गले में कांटा भी अटक सकता है.

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बच्चे को मछली के नुकसान से बचाने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है, जो इस प्रकार हैं -

  • शिशु के लिए हमेशा फ्रेश मछली ही खरीदें.
  • मछली को अच्छे से धोकर और अच्छी तरह से पकाकर ही शिशु को दें.
  • बच्चे को मछली देते वक्त यह जरूर देख लें कि उसमें से कांटा अच्छी तरह से निकाल लिया गया हो.
  • शुरुआत में शिशु को एकदम थोड़ी मात्रा में मछली दें, ताकि आप यह समझ सकें कि शिशु को मछली से एलर्जी तो नहीं हो रही और वो इसे आसानी पचा पा रहा है या नहीं.

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यहां हम बच्चों के लिए अलग-अलग और आसान मछली की रेसिपी बता रहे हैं -

फिश प्यूरी

सामग्री:

  • एक मछली का टुकड़ा 
  • जरूरत के अनुसार जीरा पाउडर 

बनाने का तरीका:

  • पहले मछली को छोटे-छोटे पीस में काट लें और फिर अच्छे से धो लें.
  • उसके सार कांटे निकाल दें.
  • अब एक बर्तन में पानी उबालें और उसमें मछली के टुकड़ों को उबलने के लिए छोड़ दें.
  • जब मछली अच्छे से उबल जाए, तो उसमें जीरा मिलाएं.
  • फिर इसे मिक्सी में पीस लें.
  • उसके बाद इसे बाउल में डालकर बच्चे को खिलाएं.

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मछली और सब्जी की प्यूरी

सामग्री:

  • एक पीस मछली (कांटा निकालकर)
  • आधी कटोरी बारीक कटा कद्दू
  • आधी कटोरी पालक
  • स्वाद के अनुसार जीरा पाउडर

बनाने की विधि:

  • सबसे पहले मछली को अच्छी तरह से धो लें.
  • अब मछली में बारीक कटे कद्दू व पालक को मिलाएं.
  • फिर उसे उबालें.
  • जब मछली अच्छी तरह से उबाल जाए, तो उसे एक ब्लेंडर में डालकर प्यूरी बनाने के लिए ब्लेंड करें.
  • अब इस प्यूरी को एक कटोरी में निकालें और फिर उसमें जीरा पाउडर डालकर बच्चे को पिलाएं.

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मछली फ्राई

सामग्री:

  • एक पीस मछली 
  • आवश्यकतानुसार तेल
  • आधा चम्मच हल्दी
  • स्वादानुसार नमक

बनाने का तरीका:

  • सबसे पहले मछली के पीस को अच्छी तरह से धो लें.
  • अब एक कढ़ाई में आवश्यकता अनुसार तेल लें.
  • तेल गर्म होने दें, इसी बीच मछली पर नमक व हल्दी लगाकर मैरीनेट कर लें. 
  • जब तेल गर्म हो जाए, तो मछली को उसमें मध्यम आंच पर अच्छी तरह तलकर टिश्यू पेपर में निकाल लें.
  • फिर इसमें से कांटा निकालकर बच्चे को खिलाएं.

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उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद बच्चे को मछली देने से जुड़ी माता-पिता की सभी शंकाएं दूर हो गई होंगी. मछली न सिर्फ पोषक तत्वाें से भरपूर होती है, बल्कि इसे शिशु को देने से उसे कई प्रकार की बीमारियों से बचाया जा सकता है. बस बच्चे को मछली देते वक्त कांटा जरूर निकालें और लेख में बताई गईं अन्य सावधानी बरतें.

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