पेट का कैंसर, जिसे गैस्ट्रिक कैंसर के नाम से भी जाना जाता है, कुछ असामन्य (कैंसर-युक्त) कोशिकाओं का समूह होता है जो पेट के एक हिस्से में ट्यूमर बना देती हैं।
पेट का कैंसर होने पर पेट में दर्द, मतली और उल्टी, वजन घटना, निगलने में कठीनाई, उल्टी में खून आना, मल में खून निकलना, और कम भोजन करने पर भी पेट का फूला हुआ महसूस होना आदि जैसे लक्षण होते हैं।
पेट के कैंसर का इलाज ट्यूमर के आकार और स्थान पर निर्भर करता है। इलाज के विकल्प में सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी शामिल हैं।
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पेट के कैंसर में जीवन-दर
विश्व स्वस्थ संगठन (WHO) के मुताबिक दुनियाभर में लगभग 7,23,000 मृत्यु पेट के कैंसर के कारण होती हैं।
अगर पेट से बाहर फैलने से पहले इसका निदान और इलाज किया जा सके तो इसके मरीजों की अगले 5 साल तक जीने का दर 67% तक होता है।
अगर कैंसर पेट के आसपास के ऊतकों में फैल जाए तो मरीज की अगले 5 साल तक की जीवन दर 31% तक रह जाती है। और अगर दूर तक फैल जाए तो इस स्थिति में मरीज की अगले 5 साल की जीवन दर 5% रह जाती है।
भारत में पेट के कैंसर की स्थिति
भारत में पेट के कैंसर विकसित देशों की तुलना में कम देखा गया है। हालांकि भारत के कुछ प्रदेश जैसे दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में पेट का कैंसर काफी बड़ी संख्या में देखा गया है।
सन् 1991 में पेट का कैंसर भारत में पुरुषों में पांचवा सबसे सामान्य कैंसर और महिलाओं में सांतवां सबसे सामान्य कैंसर था।
2012 में टाटा मेमॉरियल सेंटर के अनुसार पेट का कैंसर भारत में कैंसर से मरने वाले लोगों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 25,200 पुरूषों और 27,500 महिलाओं की इसकी वजह से मृत्यु रिकॉर्ड की गयी। छिपे मामलों का कोई अनुमान उपलब्ध नहीं है।