सर्जरी की जानकारी के लिए फॉर्म भरें।
हम 48 घंटों के भीतर आपसे संपर्क करेंगे।

पेट के कैंसर को गैस्ट्रिक कैंसर भी कहा जाता है। पेट के कैंसर की सर्जरी को गैस्ट्रेक्टमी कहा जाता है इसमें कैंसर को सर्जरी की मदद से निकाला जाता है। पेट के कैंसर का इलाज किस तरह से होना है यह कुछ अन्य बातों पर निर्भर करता है जैसे कैंसर का प्रकार और अवस्था साथ ही इसमें व्यक्ति का पूरा स्वास्थ्य कैसा है इसका भी प्रभाव पड़ता है। पेट के कैंसर का इलाज आमतौर पर कुछ ट्रीटमेंट के मेल से किया जाता है जैसे सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी या इम्यूनोथेरेपी

जब पेट के कैंसर का परीक्षण शुरुआती अवस्था में ही कर लिया जाता है और कैंसर की कोशिकाएं केवल पेट में ही होती हैं तो सर्जरी से पेट के कैंसर युक्त भाग के आसपास की लसिका ग्रंथियों को निकाल दिया जाता है। यदि कैंसर पेट की बाहरी दीवारों तक फ़ैल गया है तो सर्जरी और कीमोथेरेपी, या कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी। सर्जरी के लिए जाने से पहले डॉक्टर से बातचीत कर लें और प्रत्येक ट्रीटमेंट के अतिरिक्त प्रभावों के बारे में जान लें। पेट के कैंसर की सर्जरी का उद्देश्य मनुष्य का स्वास्थ्य ठीक करना साथ ही उसे एक अच्छा व लंबा जीवन प्रदान करना होता है।

  1. पेट के कैंसर का ऑपरेशन क्या होता है? - Stomach Cancer Surgery kya hai in hindi
  2. पेट के कैंसर का ऑपरेशन क्यों किया जाता है? - Stomach Cancer Surgery kab ki jati hai
  3. पेट के कैंसर का ऑपरेशन होने से पहले की तैयारी - Stomach Cancer Surgery ki taiyari
  4. पेट के कैंसर का ऑपरेशन कैसे किया जाता है? - Stomach Cancer Surgery kaise hoti hai
  5. पेट के कैंसर के ऑपरेशन के बाद देखभाल - Stomach Cancer Surgery hone ke baad dekhbhal
  6. पेट के कैंसर के बाद डॉक्टर के पास कब जाएं - Stomach Cancer Surgery ke baad doctor ke paas kab jaye

पेट अंग्रेजी अक्षर j के आकार का एक अंग है जो कि मानव शरीर में पाचन क्रियाओं और भोजन के टूटने तक व पोषक तत्वों के निर्माण तक सभी कार्य करता है। यह मांसपेशियों से बना एक अंग है जिसमें कई परतें हैं। अधिकतर कैंसर पेट की आंतरिक परत में बनते हैं जो भोजन के संपर्क में आता है

गैस्ट्रेक्टोमी पेट के कैंसर का इलाज करवाने के लिए चुना जाने वाला सबसे सामान्य इलाज है। यह दो प्रकार से किया जाता है पार्शियल और टोटल। पार्शियल गैस्ट्रेक्टोमी में पेट का एक हिस्सा और आसपास की लसिका ग्रंथियों को हटाया जाता है यदि उनमें कैंसर की कोशिकाएं होती हैं। टोटल गैस्ट्रेक्टोमी तब की जाती है जब पेट का कैंसर अंतिम अवस्थाओं में पहुंच जाता है, लेकिन फिर भी अन्य अंगों तक नहीं फैला होता है।

इस तरह की सर्जरी भिन्न घटकों पर निर्भर करती है जैसे ट्यूमर का प्रकार, स्थान, आकार और अवस्था साथ ही व्यक्ति का स्वास्थ्य।

कुछ ऐसे ट्रीटमेंट के तरीके भी चुनें जा सकते हैं, जिनमें कम चीरा लगाना पड़ता है जैसे लेप्रोस्कोपी या रोबोट असिस्टेड सर्जरी।

पेट के कैंसर की सर्जरी क्यों की जाती है?

यदि आपको पेट का कैंसर है या फिर आपके शरीर में पेट के कैंसर के लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर आपको यह सर्जरी करवाने की सलाह दे सकते हैं। ये लक्षण समय के साथ और अधिक ख़राब होते जाते हैं -

पेट के कैंसर की सर्जरी कौन नहीं करवा सकता है?

जो लोग कैंसर की 0 से तीसरी अवस्था तक होते है उनका इलाज इस सर्जरी व कुछ अन्य उपचारों से किया जा सकता है।

पेट के कैंसर की सर्जरी की सलाह चौथी अवस्था के मरीजों को नहीं दी जाती है इसमें कैंसर को निकाला नहीं जा सकता है। यदि ऐसा हो भी जाता है तो कैंसर के दोबारा होने की आशंका बनी रहती है। ऐसे मामलों में कीमोथेरेपी या टार्गेटेड थेरेपी को पॉलिटिव सर्जरी की तरह प्रयोग किया जाता है, जिसमें लक्षणों को कम किया जाता है और जीवन को बेहतर बनाया जाता है।

सर्जरी से पहले -

  • प्रक्रिया से पहले डॉक्टर आपको सभी बातों के बारे में और सर्जरी के बारे में समझा देंगे साथ ही आपके सभी प्रश्नों के भी उत्तर आपको दिए जाएंगे
  • डॉक्टर आपसे पूछेंगे कि आपने आखिरी बार खाना-पानी कब लिया है और आपकी पूरी हेल्थ को जानने के लिए कुछ टेस्ट किए जाएंगे
  • डॉक्टर आपके मेडिकल इतिहास को जानने के लिए कुछ टेस्ट करेंगे जैसे एक्स रे, अपर एंडोस्कोपी, ब्लड टेस्ट, ईसीजी, इकोकार्डियोग्राम और सांस की जांच 
  • डायटीशियन आपको बताएंगे कि सर्जरी से आपका खान-पान किस तरह से प्रभावित होगा और आपको उसी के अनुसार खाने-पीने की सलाह देंगे
  • एनेस्थीसिया देने वाले डॉक्टर यह जांच करेंगे कि आप एनेस्थिसिया लेने के लिए पूरी तरह से स्वस्थ हैं

कैंसर की कोशिकाएं पेट से बाहर फैली हैं या नहीं इसकी जांच करने के लिए स्टेजिंग की जाएगी। स्टेजिंग से जो भी रिपोर्ट सामने आती है उसे कैंसर की अवस्था के बारे में पता चलता है। 

स्टेजिंग निम्न टेस्ट से की जा सकती है -

  • एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड - इस टेस्ट में एक पतला ट्यूब जैसा उपकरण जिसमें एक लेंस और लाइट लगी होती है उसे मुंह या गुदस्थी के जरिये आंतरिक अंगों या ऊतकों में डाला जाता है। 
  • सीटी स्कैन - इस टेस्ट में आपकी नसों में एक डाई डाली जाती है या फिर आपसे उसे निगलने को कहा जाता है ताकि आंतरिक अंग या ऊतक और साफ़ दिखाई दे सकें। इसके बाद कई सारी तस्वीरें निकाली जाती हैं जो कि एक्स रे मशीन से जुड़े कंप्यूटर पर निकाली जाती हैं। 
  • पॉज़िट्रान एमिशन टोमोग्राफी स्कैन (पीईटी स्कैन) - पीईटी स्कैन एक इमेजिंग प्रक्रिया है जिसमें नसों में रेडियोएक्टिव ग्लूकोज डालकर शरीर में मौजूद ट्यूमर की कोशिकाओं का पता लगाया जाता है। पीईटी स्कैनर उन भागों की तस्वीरें निकालता है, जिनमें ग्लूकोज का प्रयोग हो रहा है। असामान्य कोशिकाएं या फिर ट्यूमर वाली कोशिकाएं अत्यधिक चमकीली दिखाई देंगी, क्योंकि इस दौरान वे बहुत अधिक सक्रिय हैं और सामान्य कोशिकाओं की तुलना में अधिक ग्लूकोज अवशोषित करेंगी। कभी-कभी पीईटी और सीटी स्कैन एक साथ किए जाते हैं और इसे पीईटी-सीटी स्कैन कहा जाता है। इस टेस्ट से यह पता चलता है कि कैंसर अन्य अंगों तक फैला है या नहीं। 
  • मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग - इस प्रक्रिया में रेडियो तरंगों, चुंबक और कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है। कम्प्यूटर में शरीर के आंतरिक अंगों कि विस्तृत तस्वीरें निकाली जाती हैं। एक पदार्थ जिसे गेडोलिनियम कहा जाता है उसे नसों में डाला जाता है जो कि कैंसर वाली कोशिकाओं के आसपास एकत्रित हो जाता हैं और तस्वीर अत्यधिक चमकती हुई दिखाई देती है।
  • लेप्रोस्कोपी - लेप्रोस्कोपी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें पेट के आंतरिक हिस्से में देखा जाता है ताकि रोग के लक्षणों के बारे में पता लगाया जा सके। पेट पर कुछ छोटे चीरे लगाए जाते हैं और एक लेप्रोस्कोप (छोटा उपकरण जिसमें लाइट और लेंस लगा होता है, जिसका प्रयोग पेट के अंदर मौजूद ऊतकों और अंगों को देखने के लिए किया जाता है) को चीरे में डाला जाता है। अन्य उपकरणों को भी उसी चीरे से या फिर अन्य चीरे से अंदर डाला जाता है, ताकि ऊतकों का सैंपल लिया जा सके। इसके बाद सैंपल को माइक्रोस्कोप में देखा जाता है ताकि कैंसर के संकेतों का पता लगाया जा सके। 
Joint Capsule
₹716  ₹799  10% छूट
खरीदें

ऑपरेशन थिएटर में जाने के बाद सर्जरी से पहले निम्न चरणों का पालन किया जाता है -

  • आपसे सर्जरी की सुबह ही अस्पताल में भर्ती होने को कहा जाएगा और सर्जरी के लिए एक अनुमति फॉर्म भरवाया जाएगा 
  • सर्जरी से तुरंत पहले आपको सभी प्रकार के आभूषण आदि निकालने को कहा जाएगा और साथ ही आपकी आंखों में कांटेक्ट लेंस भी नहीं होने चाहिए 
  • आपको अस्पताल की गाउन पहनने को कहा जाएगा और सर्जरी के दौरान व बाद में एक विशेष तरह के मोज़े पहने रहने को कहा जाएगा। सर्जिकल मोजों से पैर में रक्त के थक्के नहीं जमते हैं 
  • नर्स आपकी नब्ज, रक्तचाप और सांस की दर की जांच करेंगी और आपको सर्जरी से पहले कुछ दवाएं भी दी जा सकती हैं, ताकि आप सर्जरी से पहले आराम कर सकें 
  • इसके बाद आपको सुलाने के लिए एनेस्थीसिया दिया जाएगा ताकि आपको सर्जरी महसूस न हो

पेट के कैंसर की सर्जरी को पेट के कैंसरयुक्त भाग या पेट के किसी हिस्से या पूरे पेट को निकालने के लिए किया जाता है। यह प्रभावित क्षेत्र पर निर्भर करता है। सर्जिकल तरीके निम्नानुसार हैं -

  • गैस्ट्रेक्टमी 
  • एन्डोस्कोपिक म्यूकोसल रिसेक्शन
  • फीडिंग ट्यूब प्लेसमेंट 
  • लिम्फडेनिकटमी 
  • ट्यूमर एब्लेशन 
  • गैस्ट्रिक बाईपास

गैस्ट्रैक्टोमी (Gastrectomy)

गैस्ट्रैक्टमी सर्जरी में पेट का हिस्सा या पूरा पेट निकाला जाता है। जब पेट का ऊपरी या निचला भाग निकाला जाता है और बाकी पूरा पेट स्वस्थ होता है तो उसे पार्शियल गेस्ट्रैक्टमी (partial gastrectomy) कहा जाता है। यदि पेट के ऊपरी हिस्से को हटा दिया जाता है, तो भोजन नली का कुछ हिस्सा इसके साथ काटा जा सकता है। इस प्रक्रिया में, पेट के ऊपरी भाग और छाती के कुछ हिस्से पर एक ऊर्ध्वाधर चीरा बनाया जाता है। कभी-कभी 2 सर्जिकल चीरों की भी आवश्यकता हो सकती है।

यदि पेट के निचले हिस्से को हटा दिया जाता है, तो ग्रहणी (duodenum) के कुछ हिस्से को भी निकला जा सकता है। यदि अन्य अंगों में कैंसर के फैलने का खतरा होता है तो निकटस्थ लिम्फ नोड्स को हटाया जा सकता है। यदि स्प्लीन, लिवर जैसे आसन्न अंगों में भी कैंसर का खतरा है, तो प्रभावित भागों को भी निकाल दिया जाता है।

यदि पूरे पेट को हटा दिया जाता है, तो एसोफेगस और छोटी आंतों के ऊपरी कुछ भाग को सर्जरी के माध्यम से एक-दूसरे से जोड़ा जाता है। इससे पाचन तंत्र की निरंतरता सुनिश्चित होती है। अगर पेट का कोई हिस्सा हटाया जाता है, तो शेष भाग को या तो सर्जरी से ऊपरी तरफ घुटकी से या निचली तरफ छोटी आंत से जोड़ दिया जाता है।

यदि कैंसर पूरे पेट में फैल गया है तो टोटल गैस्ट्रेक्टमी की जाती है।

सर्जरी के दौरान आपके पेट पर एक ऊर्ध्वाधर (vertical) चीरा बनाया जा सकता है, या एक साथ दो चीरे या त्वचा पर ऊतक की आकृति के आकार का चीरा लगाया जा सकता है। सामान्यतः यह प्रक्रिया 1-3 घंटों के बीच पूरी हो जाती है।

निम्नलिखित दो तरीके हैं, जिससे गॉटेस्ट्रोमी किया जा सकता है : 

ओपन गैस्ट्रेक्टमी
इस प्रक्रिया में पेट के आस-पास एक चीरा बनाया जाता है। पेट के नीचे मौजूद वसा और मांसपेशियों की परतों को सावधानी से काटा जाता है। निकटतम स्वस्थ अंगों, रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं को नुकसान न पहुंचे इसका ख़ास ख्याल रखा जाता हैI पूरे पेट या उसके प्रभावित हिस्से को हटा दिया जाता है। ओमेन्टम का कुछ हिस्सा भी हटाया जा सकता है। ओमेन्टम एक मोटी परत है जो पाचन तंत्र में पेट को सही स्थिति पर बनाए रखती है। प्रक्रिया के बाद चीरे को टांके से सिल दिया जाता है।

लैप्रोस्कोपिक गैस्ट्रेक्टमी
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में ओपन सर्जरी की अपेक्षाकृत बहुत छोटा चीरा लगाया जाता है। सर्जरी के उपकरण सम्मिलित करने के लिए छोटे-छोटे कई चीरे बनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक चीरे के माध्यम से, एक कैमरा डाला जाता है जो सर्जन को पेट की आंतरिक संरचनाओं को देखने और सावधानीपूर्वक और सही तरीके से सर्जरी करने में मदद करता है। छोटे चीरों के कारण, ओपन सर्जरी की तुलना में इस प्रक्रिया में रक्त की कमी भी कम होती है। दोनों पार्शियल और टोटल गैस्ट्रेक्टमी लैपेरोस्कोपिक रूप से की जा सकती हैं।

एन्डोस्कोपिक म्यूकोसल रिसेक्शन

इस प्रक्रिया में पेट में मौजूद कैंसर ग्रस्त हिस्से के साथ-साथ पेट की भित्ति के भी कुछ हिस्से को निकला जाता है जो कैंसर से अप्रभावित होती है। यह सर्जरी केवल तब ही प्रभावी होती है जब यह प्रारंभिक चरण में की जाती है यानि जब कैंसर पेट की आंतरिक परत तक सीमित होता है और लिम्फ नोड्स भी प्रभावित नहीं होते हैं।

एंडोस्कोप को मुंह के माध्यम से पेट में डाला जाता है। एन्डोस्कोप एक लम्बी ट्यूब होती है जिसके एक सिरे पर वीडियो कैमरा लगा होता है। ट्यूब मुंह से गले में चले जाती है, जिसके बाद वह पेट में उतर जाती है। एंडोस्कोप के माध्यम से कैंसरयुक्त ऊतकों को निकालने के लिए आवश्यक उपकरणों को डाला जाता है। सर्जन स्पष्ट रूप से वीडियो कैमरा की सहायता से सभी आंतरिक भागों को ठीक ढंग से देख सकता है।

इस प्रक्रिया के दौरान त्वचा पर कोई चीरा देने की आवश्यकता नहीं होती है। यदि ओंकोसर्जन को आवश्यकता महसूस होती है तो निकाले गए पेट के ऊतक को परिक्षण के लिए भेजा जाता है।

फीडिंग ट्यूब प्लेसमेंट

इस सर्जरी को आमतौर पर गैस्ट्रोक्टोमी के समय किया जाता है अगर संपूर्ण पेट को या उसके काफी हिस्से को हटा दिया जाता है, तो पाचन सामान्य तरीके से नहीं हो सकता। रोगी की पोषण स्थिति में बाधा आ सकती है इस सर्जरी में जेजुनम में एक ट्यूब लगाई जाती है। ट्यूब का एक छोर मरीज के शरीर के बाहर रहता है इस सिरे से सेब और तरल पदार्थ सीधे आंत में डाले जाते है। यह सर्जरी के बाद होने वाले कुपोषण से रोगी को बचता है।

लिम्फडेनिकटमी

लिम्फडेनिकटमी शब्द का अर्थ है लिम्फ नोड्स को हटाना गैस्ट्रैक्टोमी में आमतौर पर लिम्फ नोड्स को हटाया जाता है। लिम्फ नोड्स कैंसर के प्रसार का एक महत्वपूर्ण मार्ग है। इसलिए, उनको हटाने से यह सुनिश्चित होता है कि कैंसर आगे नहीं फैलेगा। पेट के आसपास के सभी लिम्फ नोड्स हटा दिए जाते हैं; चाहे वे कैंसर-ग्रस्त हों या न हों।

ट्यूमर एब्लेशन

कुछ मामलों में, कैंसर को केवल कुछ हद तक ही समाप्त किया जा सकता है ऐसे में, कैंसर के लक्षणों को कम करने के लिए सर्जरी की जाती है। ऐसी ही एक प्रक्रिया ट्यूमर एब्लेशन है।

एंडोस्कोप को पेट तक पहुंचाया जाता है और इस प्रक्रिया के दौरान ट्यूमर को ख़त्म करने के लिए लेजर बीम का उपयोग किया जाता है। यह आगे होने वाली जटिलताओं जैसे ट्यूमर से रक्तस्राव, पाचन तंत्र को अवरुद्ध करना आदि को रोकता है। इस प्रक्रिया में किसी चीरे की आवश्यकता नहीं होती है। इस तरह का उपचार उपशामक चिकित्सा का हिस्सा होता है यह करीब आधे घंटे तक रहता है। 

गैस्ट्रिक बाईपास

जब ट्यूमर पेट के निचले हिस्से में मौजूद होता है तो यह सर्जरी एक विकल्प होती है। ट्यूमर बड़ा होकर पेट के आउटलेट को ब्लॉक कर सकता है। यदि मरीज सर्जरी कराने के लिए फिट है, तो गैस्ट्रिक बाईपास एक विकल्प है। इस प्रक्रिया में पेट के ऊपरी हिस्से को जेजुनम से जोड़ा जाता है। यह आंत तक आसानी से भोजन का पारित होना सुनिश्चित करता है। 

गैस्ट्रिक बाइपास ओपन या लैप्रोस्कोपिक विधि द्वारा किया जा सकता है। प्रारंभिक प्रक्रिया दोनों सर्जरी के लिए भिन्न होती है ओपन सर्जरी में पेट पर एक बड़ा चीरा बनाया जाता है। लैप्रोस्कोपिक विधि में कई चीरे लगाने पड़ते हैं जो ओपन सर्जरी के अपेक्षाकृत छोटे होते हैं। एक चीरे के माध्यम से वीडियो कैमरा डाला जाता है जो आंतरिक संरचनाओं की तस्वीर लेने में मदद करता है। आगे की प्रक्रिया दोनों तरीकों के लिए एक ही है।

अंतर्निहित फैटी ऊतक और मांसपेशियों को आसन्न स्वस्थ संरचनाओं को नुकसान से बचाने के उद्देश्य से काट दिया जाता है। जेजुनम का एक हिस्सा सावधानी से छोड़ दिया जाता है और ऊपरी पेट से जोड़ दिया जाता है। प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद ओवरलाइनिंग त्वचा को ठीक ढंग से सील दिया जाता है। गैस्ट्रिक बाईपास प्रक्रिया को पूरा होने के लिए करीब 2 घंटे की आवश्यकता होती है।

प्रोक्सिमल गैस्ट्रेक्टोमी 

इस प्रक्रिया का प्रयोग पेट के ऊपरी भाग में मौजूद ट्यूमर को हटाने के लिए किया जाता है। यह वह भाग है जहां पेट भोजन नली से जुड़ता है। यहां पेट का ऊपरी भाग, भोजन नली का पूरा हिस्सा या निचला भाग और आसपास की लसिका ग्रंथियों को हटाया जाता है। इसके बाद जीआई पथ को दोबारा बनाया जाता है, इसमें पेट के बचे हुए हिस्से को खींच कर भोजन नली तक लाया जाता है।

सर्जरी के बाद 

जब सर्जरी पूरी हो जाएगी तो आपको इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा जाएगा। अधिकतर समय आपको चक्कर और उनींदापन ही महसूस होगा। आपको जल्दी ही सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा।

जब आप उठेंगे तो आपके मुंह पर कुछ ट्यूब के साथ एक ऑक्सीजन मास्क लगा होगा। ये ट्यूब इस तरह से होती हैं - 

  • घाव से अतिरिक्त रक्त और पानी निकालने के लिए 
  • चेस्ट ड्रेन जिससे फेफड़ों को फूलने में मदद मिलती है यदि आपका पेट और भोजन नली निकाल ली गयी है तभी इस ट्यूब को लगाया जाता है
  • पेशाब निकालने के लिए ब्लैडर में ट्यूब 
  • आपके रक्तचाप की जांच करने के लिए नस में एक छोटी ट्यूब 
  • नेजो गेसट्रिक ट्यूब जो नाक से पेट के बीच में होती है
  • एक ट्यूब आपके गले में भी लगी होती है जिसमें आपको द्रव दिए जाते हैं और रक्ताधान किया जाता है

ये ट्यूब वे ड्रेन होती हैं जिनकी मदद से सर्जरी के स्थान से द्रव को इकट्ठा किया जाता है। ये नली एक से तीन हफ्ते में हटाई जा सकती हैं या जब द्रव 30 मिली से कम आये तब इसे हटाया जा सकता है या फिर दो दिनों तक लगातार द्रव को निकालकर इस ट्यूब को निकाला जा सकता है। एक बार ये नली निकल जाएं तो ड्रेन वाले स्थान को सूखा रखने को कहा जाएगा और वहां शुरुआती 48 घंटों के लिए पट्टी की जाएगी।

सर्जरी के तुरंत बाद आपको कुछ भी खाना या पीना नहीं होगा। एक से दो दिन बाद आपको पीने की अनुमति मिल सकती है, जिसमें आप पानी पी सकते हैं। अधिकतर लोग एक हफ्ते में खाना शुरू कर सकते हैं। कुछ लोगों को पोषण नियंत्रित रखने के लिए फीडिंग ट्यूब द्वारा पोषण दिया जाता है।

आपको एक ट्यूब के द्वारा आपके पेट या स्माल बोवेल में पोषण दिया जा सकता है या नस में ड्रिप लगाकर रक्त में पोषण दिया जा सकता है। फीडिंग ट्यूब निम्न स्थितियों में लगाई जा सकता है -

  • यदि व्यक्ति किडनी से कुछ अवशोषित नहीं कर पा रहा है 
  • सर्जरी से पहले व्यक्ति कुपोषित था
  • पेट में या भोजन नली में छेद होने के कारण

किसी भी व्यक्ति की रिकवरी इस बात पर निर्भर करती है कि उसके पेट का कितना हिस्सा निकाला गया है। आमतौर पर व्यक्ति को पांच से आठ दिनों तक अस्पताल में रहने को कहा जा सकता है। आपके घाव को साफ करके उसके ऊपर पट्टी की जाएगी। टांकें दस दिनों तक लगे रहेंगे और आपको अस्पताल से डिस्चार्ज मिलने से पहले निकाल दिए जाएंगे। हालांकि, अगर घाव ठीक नहीं हुआ है तो आपको घर टांकों के साथ ही जाना होगा।

सर्जरी पूरी होने का यह मतलब नहीं है कि इलाज खत्म हो गया है। जब तक रोगी को अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जाती तब तक रोगी की अच्छे से देखभाल की जाती है। दवाइयों और देखभाल के अन्य तरीकों से यह सुनिश्चित होता है कि रोगी जल्द ही पुनः स्वस्थ हो सकें। इन सभी कारकों को नीचे विवरण में वर्णित किया गया है :

सर्जरी के तुरंत बाद

सर्जरी के पूरा होने के बाद - 

सर्जरी के बाद रोगी को ऑपरेटिंग रूम से बाहर स्थानांतरित किया जाता है। आंत्र गतिविधियों, रक्तचाप, नब्ज, श्वसन दर की सावधानीपूर्वक और नियमित रूप से जांच की जाती है। सर्जरी से पहले मूत्राशय में कैथेटर रखा जाता है। इसे 2-3 दिनों के लिए रखा जा सकता है। एक नेज़ो-गैस्ट्रिक ट्यूब रोगी से जुड़ी होती है। यह एक सक्शन मशीन से जुड़ी होती है यह मशीन पेट को खाली रखती है। जब पेट से गड़गड़ाहट की आवाज़ वापिस आने लगती है तो, ट्यूब हटा दी जाती है। सर्जरी के दौरान, जनरल एनेस्थेसिया के कारण आंतों का अस्थायी रूप से स्थानांतरित होना बंद हो जाता है। इसलिए, पेट की आवाज़ यह संकेत देती है कि एनेस्थेसिया का असर ख़त्म हो गया है और पाचन तंत्र ने सामान्य रूप से कार्य करना शुरू कर दिया है। सामान्य श्वास के फिर से शुरू होने के बाद श्वसन ट्यूब को हटाया जा सकता है।

पहले कुछ दिनों के लिए आहार -
पहले कुछ दिनों के लिए तरल आहार दिया जाता है। यदि वह बर्दाश्त हो जाता है, तो रोगी को सरल और नरम ठोस भोजन दिया जायेगा जो कि पचाने में आसान है।

पोस्ट ऑपरेटिव दवाएं -
सर्जरी के बाद, रोगी को सर्जरी के स्थल पर दर्द का अनुभव हो सकता है सर्जरी के बाद रोगी संक्रमण भी विकसित कर सकते हैं इसीलिए उन्हें दर्द निवारक और एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं

पहले कुछ दिनों के लिए घरेलू देखभाल - 
सर्जरी के एक या दो दिन बाद मरीज चल फिर सकता है। अस्पताल से छुट्टी कब मिलेगी ये सर्जरी के बाद मरीज के स्वस्थ्य होने की दर पर निर्भर करता है। निर्धारित अंतरालों पर नियमित रूप से डॉक्टर के पास जांच करने जाना चाहिए। रोगी को एक डाइटीशियन (आहार विशेषज्ञ) से संपर्क करने की सलाह दी जा सकती है जो सभी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयुक्त आहार सुझाएंगे और जो उपभोग और पचाने में भी आसान हो।

सर्जरी के साथ-साथ, कैंसर का इलाज करने के लिए विकिरण चिकित्सा और कीमोथेरेपी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। उपचार के इन सभी तरीकों का इस्तेमाल अलग से किया जा सकता है या एक-दूसरे के साथ किया जा सकता है।

लम्बे समय तक ध्यान देने योग्य बातें

स्वास्थ्य की जागरूकता
कैंसर का इलाज होने के बाद, कोई निश्चितता नहीं है कि यह पुनः नहीं होगा। इसके फिर से होने से बचा जा सकता है यदि मरीज सतर्क रहे और उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहे। किसी भी नए लक्षण के विकास के बारे में उन्हें सतर्क होना चाहिए और चिकित्सक से तुरंत सलाह करनी चाहिए।

आहार
आहार प्रतिबंधों का पालन करना आवश्यक है। अगर गैस्ट्रेक्टमी का उपयोग किया गया है, तो प्राकृतिक पाचन की प्रक्रिया थोड़ा प्रभावित हो सकती है। मरीजों को एक समय में ज़्यादा खाने से बचना चाहिए तथा तले व मसालेदार खाने से भी बचना चाहिए। शराब और तंबाकू का बिल्कुल उपयोग नहीं करना चाहिए। जो लोग मांस खाते हैं, उन्हें जितना संभव हो उतना संभवतः प्रतिबंधित करना चाहिए, क्योंकि यह पचाने में भारी होता है।

स्वस्थ जीवनशैली
कैंसर और उसके उपचार के बाद ठीक होने के लिए आवश्यक है कि आपकी जीवनशैली स्वस्थ हो। आपको नियमित रूप से व्यायाम और पूर्ण आहार वाला भोजन लेना चाहिए, पूरी नींद लेनी चाहिए और अनावश्यक तनाव से दूर रहना चाहिए।

डॉक्टर के पास कब जाएं

यदि आपको निम्न में से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर के पास जाएं -

सर्जरी के कुछ महीनों बाद आपको डॉक्टर के पास जाना होगा ताकि यह जांच की जा सके कि आपको कोई अतिरिक्त प्रभाव नहीं हैं। समय-समय पर आपको एक्स रे, फॉलो अप टेस्ट, ब्लड टेस्ट, सिटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड स्कैन या एंडोस्कोपी करवाने को कहा जा सकता है। 

धीरे-धीरे आपको डॉक्टर के पास कम ही जाना पड़ेगा। सर्जरी के बाद पहला चेकअप आमतौर पर तीन महीनों के बाद होता है, इसके बाद अन्य ट्रीटमेंट तीन महीने बाद होते हैं। यह फॉलो अप दो सालों तक हर छह महीने या बारह महीने में एक बार चलता रहता है और इसके बाद आपको हर साल डॉक्टर के पास जाना होता है।

संदर्भ

  1. Oncolink [Internet]. Philadelphia: Trustees of the University of Pennsylvania; c2018. Surgical Procedures: Surgery and Staging for Gastric Cancer
  2. Memorial Sloan Kettering Cancer Center. Gerstner Sloan Kettering Graduate School of Biomedical Sciences [internet]. U.S. Stomach Cancer Surgery
  3. American Cancer Society [internet]. Atlanta (GA). USA; Surgery for Stomach Cancer
  4. Cancer Research UK [Internet]. London. UK; Surgery to remove all or part of your stomach
  5. UCSF Department of Surgery [internet]. University of California San Francisco. California. U.S.A.; Gastric Cancer Treatment (PDQ®)–Patient Version General Information About Gastric Cancer
  6. National Cancer Institute [Internet]. Bethesda (MD): U.S. Department of Health and Human Services; Gastric Cancer Treatment (PDQ®)–Patient Version
  7. MacMillian Cancer Support [Internet]. UK; Surgery for Stomach Cancer
  8. Oxford University Hospitals [internet]: NHS Foundation Trust. National Health Service. U.K.; Stomach Cancer Surgery
  9. Michigan Medicine: University of Michigan [internet]. US; Patient Instructions after Surgery: Caring for your Drain(s)
  10. Canadian Cancer Society [internet]. Toronto. Canada; Follow-up after treatment for stomach cancer
ऐप पर पढ़ें
cross
डॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ