हेलिकोबैक्टर पाइलोरी या एच. पाइलोरी एक जीव है जो कि पेट और छोटी आंत में पाया जाता है। ये जठरांत्र (गैस्ट्रोइंटेस्टिनल) पथ से जुड़ी कई स्वास्थ्य स्थितियों का कारण बनता है। एच. पाइलोरी पहले कैंपीलोबैक्टर पाइलोरी के नाम से जाना जाता था। यह बैक्टीरिया पेट में लम्बे समय तक सूजन, छोटी आंत व पेट की आंतरिक परत का कट जाना या नष्ट हो जाना और पेट व ड्यूडेनम में छाले (पेप्टिक अल्सर) जैसी स्थितियों का कारण होता है। कुछ मामलों में इस बैक्टीरिया से पेट का कैंसर भी होता है। हेलिकोबैक्टर बैक्टीरिया से संक्रमण बच्चों और साठ साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों में सामान्य होता है। जब तक एंटीबॉडीज द्वारा यह बैक्टीरिया पूरी तरह नष्ट नहीं हो जाता, तब तक यह पेट की आंतरिक परत (गैस्ट्रिक म्यूकोसा) में बढ़ता रहता है।
इस बैक्टीरिया से संक्रमित अधिकतर लोगों में कोई लक्षण नजर नहीं आते। हालांकि, जिन लोगों को एच. पाइलोरी संक्रमण होता है, उनमें लंबे समय से मानसिक तनाव और धूम्रपान शरीर में छालों और कैंसर के बढ़ने का कारण होते हैं।
हेलिकोबैक्टर पाइलोरी अकेला टेस्ट नहीं है, इसमें विभिन्न टेस्ट शामिल हैं जो कि विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों और संक्रमण का कारण पता लगाने में मदद करते हैं जैसे, जठरांत्र पथ में छाले और कैंसर। इस टेस्ट में निम्न टेस्ट शामिल हैं :
- सीरोलॉजी टेस्ट
यह टेस्ट एच. पाइलोरी बैक्टीरिया की उपस्थिति में शरीर की प्रतिरोधी प्रक्रिया की जांच करता है। इस बैक्टीरिया के एंटीजन का उत्पादन होने से शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाता है।- इम्यूनोग्लोबिन जी और आईजीजी टेस्ट विशेष रूप से एक एंटीबॉडी टेस्ट है जो कि एच. पाइलोरी एंटीजन और आईजीजी एंटीबाडी के बीच हुई प्रतिक्रिया की जांच के लिए ही होता है।
- यूरिया ब्रेथ टेस्ट
यह टेस्ट मरीज की सांस में कार्बनडाईऑक्साइड की उपस्थिति की जांच करता है जो कि रेडियोएक्टिव पदार्थ युक्त कैप्सूल निगलने से आती है। ये कैप्सूल एच. पाइलोरी के संक्रमण दौरान लिए जाते हैं। - स्टूल एंटीजन टेस्ट
यह टेस्ट एच. पाइलोरी एंटीजन का पता एक इम्यूनोलॉजिक प्रतिक्रिया के द्वारा लगाता है। इस टेस्ट के लिए स्टूल सैंपल लिए जाते हैं। - बायोप्सी
इसमें पेट की आंतरिक परत का एक सैंपल लिया जाता है जो कि कोशिकाओं में एच. पाइलोरी की उपस्थिति का माइक्रोस्कोप द्वारा पता लगाता है।