गुर्दे (किडनी) मानव शरीर के स्वास्थ्य को बनाए रखनें में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किडनी का सबसे महत्वपूर्ण काम खून से अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करके उन्हें पेशाब के साथ बाहर निकालना होता है। गुर्दे शरीर में पानी और कई आवश्यक खनिजों के स्तर को बनाए रखने में भी मदद करता है। इसके अलावा गुर्दे शरीर में निम्नलिखित का उत्पादन करने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं:

  • विटामिन डी
  • लाल रक्त कोशिकाएं
  • हार्मोन जो ब्लड प्रेशर को नियमित रखते हैं।

गुर्दों के प्रभावी रूप से काम ना कर पाने की कई वजह हो सकती हैं। किडनी फंक्शन टेस्ट गुर्दें के कार्यों की जांच करने और समय के साथ-साथ उन पर नजर रखने में डॉक्टर की मदद करता है। कई प्रकार के खून व यूरिन टेस्ट किडनी के फंक्शन के बारे में डॉक्टर को जानकारी प्रदान कर सकते हैं। किडनी फंक्शन टेस्ट को रिनल फंक्शन टेस्ट (Renal function) और यूरिया एंड इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट (Urea and electrolytes test) के नाम से भी जाना जाता है।

  1. किडनी फंक्शन टेस्ट क्या होता है? - What is Kidney Function Test (KFT) in Hindi?
  2. किडनी फंक्शन टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of KFT Test in Hindi
  3. किडनी फंक्शन टेस्ट से पहले - Before Kidney Function Test in Hindi
  4. किडनी फंक्शन टेस्ट के दौरान - During Kidney Function Test in Hindi
  5. किडनी फंक्शन टेस्ट के बाद - After Kidney Function Test in Hindi
  6. किडनी फंक्शन टेस्ट के क्या जोखिम होते हैं - What are the risks of Kidney Function Test in Hindi
  7. किडनी फंक्शन टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज/वैल्यू - Kidney Function Test Result and Normal Range/Value in Hindi
  8. किडनी फंक्शन टेस्ट कब करवाना चाहिए - When to get Kidney Function Test in Hindi
किडनी फंक्शन टेस्ट के डॉक्टर

किडनी फंक्शन टेस्ट क्या होता है?

किडनी फंक्शन टेस्ट यह जानने के लिए किया जाता है कि किडनी फंक्शन के सभी मापदंड सामान्य सीमा के अंदर ठीक रूप से काम कर रहे हैं या नहीं। किडनी फंक्शन टेस्ट की मदद से ब्लड यूरिया (Blood Urea), क्रिएटिनिन (Creatinine), यूरिक एसिड (Uric acid), व अन्य खनिजों के स्तर का पता लगाया जा सकता है। इनमें मुख्य टेस्ट निम्न हैं:

  • खून में क्रिएटिनिन का स्तर, (और पढ़ें - क्रिएटिनिन टेस्ट)
  • अनुमानित ग्लोमेरुल फिल्ट्रेशन रेट (eGFR)
  • ब्लड यूरिया नाइट्रोजन (BUN)

कुछ अन्य टेस्ट जिनमें निम्न शामिल हो सकते हैं:

  • चयापचय के उत्पादों को मापने के लिए यूरिन टेस्ट,
  • खून में इलेक्ट्रोलाइट्स की जाँच - आमतौर पर सोडियम, पोटाशियम, क्लोराइड या बाइकार्बोनेट,
  • कम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट। (और पढ़ें - ब्लड टेस्ट)

(और पढ़ें - किडनी कैंसर का इलाज)

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किडनी फंक्शन टेस्ट किसलिए किया जाता है?

ऐसी कई वजह हैं जिनसे किडनी फंक्शन टेस्ट करने की जरूरत पड़ सकती हैं, जैसे -

  • सामान्य स्वास्थ्य जांच के रूप में,
  • गुर्दे के कार्यों का मूल्यांकन करने के लिए और गुर्दे को रोगों का पता लगाने व उनका परीक्षण करने के लिए,
  • बढ़ रही गुर्दे की खराबी पर नजर रखने के लिए,
  • यूरिया का स्तर बढ़ने पर अगर आपको शरीर में पानी की कमी होने का संदेह हो रहा है।
  • अगर आपको किडनी खराब होने का संदेह है। खून में यूरिया और क्रिएटिनिन का उच्चस्तर जांचने के लिए, जिस कारण से गुर्दे पूरी तरह से काम नहीं कर पाते।
  • किसी दवा से उपचार शुरू करने से पहले और बाद में, क्योंकि कुछ दवाएं ऐसी होती हैं, जिनका साइड इफेक्ट किडनी को प्रभावित करता है। इसलिए इन दवाओं को शुरू करने से पहले और बाद में किडनी फंक्शन की जांच की जाती है।

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किडनी फंक्शन टेस्ट से पहले क्या किया जाता है?

  • अगर आप किसी प्रकार की दवाई, हर्बल या सप्लीमेंट आदि का सेवन करते हैं, तो टेस्ट करवाने से पहले डॉक्टर को उन सब के बारे में बता दें। क्योंकि कुछ दवाओं का सेवन कुछ समय के लिए बंद करने को भी कहा जा सकता है।
  • क्रिएटिनिन क्लीयरेंस टेस्ट से पहले अधिक मात्रा में मांस का सेवन ना करें और टेस्ट के लिए पेशाब का सेंपल लेने से पहले अधिक जोरदार व्यायाम ना करें।
  • जिस आहार में मांस की मात्रा अधिक होती है, वह सीरम क्रिएटिनिन और क्रिएटिनिन क्लीयरेंस के स्तर को थोड़े से समय के लिए बढ़ा सकता है।
  • उच्च प्रोटीन युक्त आहार या निर्जलीकरण ब्लड यूरिया नाइट्रोजन (BUN) के स्तर को बढ़ा सकता है।
  • व्यायाम करने से क्रिएटिनिन क्लीयरेंस का स्तर बढ़ सकता है।
  • कुछ दवाएं हैं जो BUN स्तर, सीरम क्रिएटिनिन और क्रिएटिनिन क्लीयरेंस को प्रभावित कर सकती हैं।

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किडनी फंक्शन टेस्ट करने के दौरान क्या किया जाता है?

टेस्ट के दौरान तकनीशियन मरीज के शरीर से खून का सेंपल निकालते हैं, प्रक्रिया में सबसे पहले मरीज की ऊपरी बाजू पर पट्टी या इलास्टिक बैंड बांधा जाता है। उसके बाद जहां इन्जेक्शन की सुई लगानी होती है, उस जगह को एंटीसेप्टिक द्वारा साफ किया जाता है और उसके बाद त्वचा के अंदर से नस में सुई लगाई जाती है। इसके बाद सुई के माध्यम से खून का सेंपल निकाला जाता है जो सुई से जुड़े सीरिंज, शीशी या ट्यूब में संग्रह किया जाता है और उसके विश्लेषण के लिए लेबोरेटरी ले जाया जाता है।

जब सुई लगाई जाती है, तो थोड़ी चुभन या दर्द महसूस हो सकता है। सुई निकालने के बाद डॉक्टर उस जगह पर रूई का टुकड़ा रख देते हैं या बैंडेज लगा देते हैं, ताकि खून बहने से रोका जाए। सुई वाली जगह में कुछ दिन के लिए नीला निशान पड़ सकता है, हालांकि इससे गंभीर और लंबे समय तक दर्द नहीं होता।

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किडनी फंक्शन टेस्ट के बाद क्या किया जाता है?

  • टेस्ट होने के बाद आपको टेस्टिंग फैसिलिटी से बाहर ले जाया जाता है।
  • टेस्ट से पहले डॉक्टर के निर्देशानुसार जिन दवाओं और खाद्य पदार्थों का सेवन बंद कर दिया गया था उनको फिर से शुरू कर दिया जाता है।
  • सुई वाली जगह पर खून इकट्ठा हो सकता है या खून का थक्का बन सकता है, इस स्थिति को 'हेमाटोमा' कहा जाता है। यह एक हानिरहित स्थिति होती है और अपने आप ठीक हो जाती है। अगर हेमाटोमा का आकार बढ़ जाता है, तो इससे सूजन व अन्य तकलीफें बढ़ जाती हैं, उससे आराम पाने के लिए पहले 24 घंटे बर्फ लगाएं और उसके बाद उसे किसी गर्म और नम कपड़े के साथ सेकें। ऐसा करने से थक्के गायब होने लगते हैं।

(और पढ़ें - किडनी खराब करने वाली आदतों)

किडनी फंक्शन टेस्ट में क्या जोखिम हो सकते हैं?

टेस्ट के लिए खून का सेंपल लेने से जुड़े जोखिम काफी मामूली हैं। कुछ लोगों में खून के सेंपल लेना अन्य लोगों से थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

खून का सेंपल लेने से जुड़े जोखिम काफी मामूली होते हैं, लेकिन इनमें निम्न शामिल हो सकते हैं -

  • अधिक खून बहना
  • बेहोश होना या सिर घूमना
  • हेमाटोमा (त्वचा के नीचे खून जमा होना)
  • संक्रमण (सुई लगने से उस जगह पर मामूली संक्रमण भी हो सकते हैं)

किडनी फंक्शन टेस्ट के रिजल्ट और नॉर्मल रेंज

नॉर्मल रिजल्ट :
ब्लड टेस्ट -

  • सीरम क्रिएटिनन :
    • पुरुष : 0.7 to 1.3 mg/dL (61.9 to 114.9 µmol/L)
    • महिलाएं : 0.6 to 1.1 mg/dL (53 to 97.2 µmol/L)
  • बन : 6 to 20 mg/dL
  • क्रिएटिनन क्लियरेंस : 120-140 mL/min
  • जीएफआर : 120 mL/min

यूरिन टेस्ट : 

  • एपीयरेंस : नॉर्मल पेशाब हल्की पीले रंग की या रंगहीन होनी चाहिए
  • कैमिकल : कीटोंस, ल्यूकोसाइट, बिलीरुबिन, यूरिन बिलीरुबिन और नाइट्रेट के लिए रिजल्ट नेगेटिव आना चाहिए। यूरिन में ग्लूकोज का स्तर 130 mg/dL और प्रोटीन 150 mg/dL से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
  • माइक्रोस्कोपिक : यूरिन सैंपल में किसी भी तरह के क्रिस्टल, बैक्टीरिया और यीस्ट नहीं होना चाहिए। रेड ब्लड सेल का स्तर 2 RBCs और व्हाइट ब्लड सेल का स्तर 2-5 WBCs/HPF से कम होना चाहिए।
  • ई्मेजिंग टेस्ट : किडनी का सीटी स्कैन और एसजी मूत्र प्रणाली के सभी अंगों के प्रकार और आकार के बारे में विस्तृत जानकारी मुहैया कराता है। इसमें दाईं और बाईं किडनी, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय और मूत्रमार्ग भी शामिल हैं।

 

आपके खून और पेशाब के सेंपल को लेबोरेटरी में विश्लेषण के लिए भेज दिया जाता है। किडनी रोग या अन्य असामान्यताओं का पता करने के लिए डॉक्टर टेस्ट रिजल्ट देखते हैं।

1. खून टेस्ट

  • सीरम क्रिएटिनिन - क्रिएटिनिन एक अपशिष्ट उत्पाद होता है, जो आहार में लिए गए मांस की प्रोटीन से और मांसपेशियों में सामान्य टूट-फूट से आता है। खून में क्रिएटिनिन का स्तर अलग-अलग हो सकता है और प्रत्येक लेबोरेटरी की अपनी सामान्य सीमा होती है। कई लेबोरेटरीज़ में सामान्य सीमा 0.6 से 1.2 मिलीग्राम/डेसीलीटर (mg/dl) तक होती है। स्तर इससे उंचा होने का मतलब है कि किडनी ठीक तरीके से काम नहीं कर पा रही है। जैसे ही किडनी के रोग बढ़ते हैं, तो खून में क्रिएटिनिन सा स्तर बढ़ने लगता है।
     
  • ब्लड यूरिया नाइट्रोजन (BUN) - यूरिया नाइट्रोजन भी शरीर में खाद्य पदार्थो के प्रोटीन टूटने से बनता है। सामान्य ब्लड यूरिया नाइट्रोजन स्तर 7 से 20 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dl) होता है। जैसे ही किडनी फंक्शन कम होते हैं, तो ब्लड यूरिया नाइट्रोजन का स्तर बढ़ने लगता है।
     
  • अनुमानित ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (eGFR) - अनुमानित ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (ईजीएफआर) किडनी फंक्शन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। हालांकि, खून में क्रिएटिनिन का स्तर भी किडनी फंक्शन के लिए मार्गदर्शन करता है, लेकिन अनुमानित ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट अधिक सटीक रिजल्ट देता है। ईजीएफआर का सामान्य मान 90-120 मिलीग्राम प्रति मिनट होता है, इसका मान 60 मिलीग्राम प्रति मिनट से नीचे होने पर यह किडनी में क्षति का संकेत देता है। इसका मान जितना नीचे गिरता है, किडनी में क्षति की गंभीरता उतनी ही बढ़ती जाती है।
     
  • सीरम इलेक्ट्रोलाइट्स (Dissolved salts) - सोडियम, क्लोराइड, पोटाशियम और बाइकार्बोनेट का नियमित माप सीरम इलेक्ट्रोलाइट होता है। कभी-कभी इनको इलेक्ट्रोलाइट्स के नाम से संदर्भित किया जाता है। किडनी की समस्या के कारण इनमें से किसी का भी असामान्य स्तर हो सकता है।

2. पेशाब टेस्ट

पेशाब का रंग : पेशाब का रंग धुंधला होना किसी प्रकार के अंतर्निहित संक्रमण का सूचक हो सकता है। पेशाब का रंग लाल या भूरा होना मूत्र संक्रमण या किडनी की पुरानी बीमारी का संकेत हो सकता है। कुछ लोगों में पेशाब का रंग नारंगी भी देखा जाता है, सामान्य तौर पर ऐसी स्थिति रिफैम्पिसिन जैसी टीबी की दवाइयों के सेवन के करण हो सकता है।

कैमिकल : 

  • रोगी के कीटोन टेस्ट का परिणाम सकारात्मक आना  डायबिटिक कीटोएसिडोसिस नामक एक गंभीर बीमारी का संकेत माना जाता है। इस स्थिति में सीरम सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम और क्लोराइड जैसे परीक्षणों को कराने की सलाह दी जाती है।
  • पेशाब में ल्यूकोसाइट एस्टरेज और नाइट्राइट्स की उपस्थिति जीवाणु संक्रमण की ओर इशारा करती है।
  • पेशाब में ग्लूकोज की उच्च स्तर मधुमेह मेलेटस और गर्भावस्था के दौरान देखा जा सकता है।
  • पेशाब में प्रोटीन का स्तर सामान्य से अधिक होना डायबिटिक मेलेटस, बुखार, नेफ्रिटिक सिंड्रोम, मल्टीपल मायलोमा और कुछ अन्य बीमारियों का संकेत हो सकता है।

माइक्रोस्कोपिक

  • आरबीसी की उपस्थिति सिकल सेल एनीमिया, रेनल सेल कार्सिनोमा, प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया, गुर्दे की पथरी और अन्य समस्याओं का संकेत हो सकती है।
  • डब्ल्यूबीसी की मात्रा बढ़ना इस तरफ इशारा करता है कि शरीर किसी संक्रमण से लड़ रहा है। वहीं क्रिस्टल की उपस्थिति गाउट या किडनी की पथरी का संकेत हो सकती है।

इमेजिंग टेस्ट :
इमेजिंग टेस्ट के माध्यम से ट्यूमर, पथरी और किडनी को रक्त की आपूर्ति ठीक से न हो पाने जैसी समस्याओं के बारे में जानने में आसानी होती है।

(और पढ़ें - किडनी इन्फेक्शन का इलाज)

किडनी फंक्शन टेस्ट कब करवाना चाहिए?

अगर आपको किडनी की समस्या से जुड़े कुछ संकेत व लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो आपको किडनी फंक्शन टेस्ट करवा लेना चाहिए। किडनी की समस्या से जुड़े संकेत व लक्षण निम्न हो सकते हैं -

एक लक्षण महसूस होना गंभीर स्थिति का संकेत नहीं देता, लेकिन अगर एक साथ एक से ज्यादा लक्षण महसूस हो रहे हैं तो वे गुर्दों के ठीक तरीके से काम ना कर पाने का संकेत देते हैं। किडनी फंक्शन टेस्ट इनके कारणों को निर्धारित करने में मदद कर सकता है।

(और पढ़ें - पथरी में क्या खाना चाहिए)

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किडनी फंक्शन टेस्ट से जुड़े सवाल और जवाब

सवाल 4 साल से अधिक पहले

शराब पीने के बाद हमेशा मुझे बीमार महसूस होता है, मेरा शरीर पीला पड़ जाता है और कमजोरी भी महसूस होती है। मैं शरण काम पिऊं या ज्यादा, मुझे ऐसा हमेशा महसूस होता है। मैंने अपना किडनी फंक्शन और लिवर फंक्शन टेस्ट करवाया था जिसकी रिपोर्ट नॉर्मल आई है। मुझे क्या करना चाहिए?

Dr. Anand Singh MBBS , सामान्य चिकित्सा

अगर आप अधिक मात्रा में शराब पीते हैं तो आपको इस तरह की समस्या हो सकती है। अधिक मात्रा में और लंबे समय तक शराब पीने से आपके लिवर पर बुरा प्रभाव पड़ता है, इसलिए आप शराब से बचने की कोशिश करें। अगर आप अपनी शराब की लत को छुड़ा नहीं पा रहे हैं, तो डी-एडिक्शन ऑफअल्कोहल सेंटर जाकर मदद ले सकते है। आपके लिए शराब बिलकुल सही नहीं है।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मेरे भाई का बच्चा 1 साल का है और उसे किडनी प्रॉब्लम है। उसकी दाईं किडनी का कोर्टिकल फंक्शन नॉर्मल है। उसकी दाईं किडनी का फंक्शन 56% है और बाईं किडनी का फंक्शन 44% है। हमें क्या करना चाहिए?

Dr. Vinod Verma MBBS , मधुमेह चिकित्सक

आप जल्द से जल्द अपने बच्चे को नेफ्रोलॉजिस्ट को दिखाएं।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मेरे अंकल को किडनी प्रॉब्लम है। उनका क्रिएटिन लेवल 7.1 है और डॉक्टर ने उन्हें डायलिसिस करवाने की सलाह दी है। क्या यह जरूरी है या इसे दवा के जरिए ठीक किया जा सकता है?

Dr. Sameer Awadhiya MBBS , पीडियाट्रिक

अगर उन्हें खाने में दिक्कत हो रही है, कमजोरी, किडनी में सूजन और सांस फूलने लगती है तो उनके लिए डायलिसिस जरूरी है। इसलिए सिर्फ क्रिएटिनिन लेवल को देखकर इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती है। इसके लिए मरीज की जांच करना जरूरी है। आप उन्हें नेफ्रोलॉजिस्ट से मिलने के लिए कहें।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मैं अपना किडनी फंक्शन टेस्ट करवाना चाहता हूं। मैं इस टेस्ट को कहां से करवा सकती हूं?

Dr. Chirag Bhingradiya MBBS , पीडियाट्रिक

आप किडनी फंक्शन टेस्ट को myUpchar लैब से करवा सकते हैं। myUpchar लैब से यह टेस्ट करवाने पर आपको डिस्काउंट भी मिलेगा।

 

संदर्भ

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