सूखी हवा की वजह से नाक, गले, स्किन और होंठों पर दिक्‍कत हो सकती है। ड्राईनेस यानि रूखेपन की वजह से स्किन फटने, होंठ फटने, गले में जलन और साइनस की समस्‍याएं होना आम बात है।

ह्यूमिडिफायर एक मशीन होती ह जो भाप बनाकर उमस को बढ़ाती है। इससे आपको ऊपर बताई गई दिक्‍कतें नहीं होती हैं। सूखी खांसी, नकसीर, होंठ फटने, जुकाम, रूखे बाल, एक्जिमा, माइग्रेन, ड्राई आईज, छाती में कफ जमने, साइनस, ब्रोंकाइटिस और स्‍लीप एप्निया में घरेलू उपाय के तौर पर ह्यूमिडिफायर की सलाह दी जाती है।

कुछ सर्जरियों जैेस कि ट्रेकियोस्टोमी के बाद भी डॉक्‍टर ह्यूमिडिफायर की सलाह देते हैं। यदि ह्यूमिडिफायर का ठीक से इस्‍तेमाल किया जाए तो इससे कफ जमने, क्रैडल कैप और शिशु में जुकाम का बिना किसी दवा के इलाज किया जा सकता है।

कुछ वैज्ञानिक कोरोना के इलाज को कारगर बनाने के लिए ह्यूमिडिफायर और डिह्यूमिडिफायर की सलाह दे चुके हैं। जिन लोगों को वायरस होने पर 40 और 60 पर्सेंट ह्यूमिडिटी यानि उमस महसूस हो, उनके लिए ह्यूमिडिफायर लाभकारी हो सकता है लेकिन इस बात की प‍ुष्टि के लिए अभी और रिसर्च किए जाने की जरूरत है।

पोर्टेबल ह्यूमिडिफायर की कीमत 300 रुपए से शुरू होकर एक लाख तक हो सकती है। कई तरह के ह्यूमिडिफायर होते हैं और हर एक के अपने कुछ फायदे और नुकसान हैं। आगे जानिए कि ह्यूमिडिफायर क्‍यों जरूरी है और इसके फायदे-नुकसान क्‍या हैं।

  1. ह्यूमिडिफायर इस्‍तेमाल करने का सही तरीका
  2. ह्यूमिडिफायर के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ
  3. ह्यूमिडिफायर के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए जोखिम
  4. ह्यूमिडिफायर को साफ करने का तरीका
  5. ह्यूमिडिफायर के प्रकार

भारत जैसे देशों में उमस बहुत ज्‍यादा होती है इसलिए यहां पर ह्यूमिडिफायर खरीदना फायदे का सौदा है। ह्यूमिडिफायर एक चिकित्‍सकीय उपकरण है जो शुष्‍क हवा में नमी बनाता है और कुछ लक्षणों से राहत प्रदान करता है। बस आपको इसे सही से इस्‍तेमाल करना आना चाहिए। ह्यूमिडिफायर को इस्‍तेमाल करते समय निम्‍न बातों का ध्‍यान रखें :

  • घर के लिए सही ह्यूमिडिफायर चुनें : घर की बनावट के हिसाब से ह्यूमिडिफायर लेना जरूरी होता है। अगर आपके घर में बच्‍चे हैं तो आपको स्‍टीम ह्यूमिडिफायर लेने से बचना चाहिए। यह बिजली की मदद से पानी से भाप बनाकर ह्यूमिडिटी यानि उमस को बढ़ाता है। इसमें भरा गर्म पानी बच्‍चे के लिए नुकसान हो सकता है इसलिए इससे बचना चाहिए।
  • ह्यूमिडिटी का लेवल मॉनिटर करें : हवा बहुत शुष्‍क होती है और इसके सेहत को भी नुकसान होते हैं लेकिन ऐसी हवा भी है जिसमें नमी होती है। लगातार ज्‍यादा उमस की वजह से कई तरह के जीवाणु, एलर्जन जैसे कि फफूंदी और धूल बढ़ती है। इससे श्‍वसन मार्ग से जुड़े संक्रमण हो सकते हैं और यह अस्‍थमा के मरीजों के लिए तो बिलकुल भी ठीक नहीं है। इसलिए अगर आपके बच्‍चे को अस्‍थमा है, तो ह्यूमिडिफायर लगाने से पहले अपने डॉक्‍टर से बात करें।
    ह्यूमिडिटी लेवल में 30 से 50 पर्सेंट की रेंज के ह्यूमिडिफायर सेहत के लिए अच्‍छे रहते हैं क्‍योंकि इनसे माइक्रोब ग्रोथ नहीं होती है। घर में ह्यूमिडिटी के लेवल को जांचने के लिए आप हाइग्रोमीटर खरीद सकते हैं। ये आसान डिवाइस है जिसमें आपको सटीक रीडिंग भी मिलती है।
  • ह्यूमिडिफायर की नियमित सफाई : अगर आप ह्यूमिडिफायर की रोज सफाई नहीं करते हैं, तो इसके अंदर हानिकार माइक्रोब पनप सकते हैं। इसे साफ करें और जब इस्‍तेमाल न करें तो इसे ढक कर रखें। अगर ह्यूमिडिफायर के हिस्‍सों की ठीक से सफाई न की जाए तो इसके अंदर पनपने वाले माइक्रोब ऐरोसोलाइज्‍ड हो सकते है। जब हम इसमें सांस लेंगे, तो ह्यूमिडिफायर फायदे से ज्‍यादा नुकसान पहुंचाएगा।
    कुल मिलाकर ह्यूमिडिफायर आराम देता है और आपको गले में खराश, सूखी खांसी और साइनस से होने वाले सिरदर्द से आराम पाने में मदद कर सकता है लेकिन आपको इसका सही से इस्‍तेमाल और नियमित सफाई करनी होगी।
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ह्यूमिडिफायर से ड्राई आइज, नाक, होंठों और स्किन को काफी राहत मिल सकती है। ये साइनस इंफेक्‍शन के लक्षणों को भी कम करने में मदद कर सकता है और होंठों के सूखने पर होने वाली ब्‍लीडिंग से बचा सकता है।

सूखी खांसी, नकसीर, फटे होंठ, जुकाम, रूखे बाल, माइग्रेन, ड्राई आईज, छाती में कफ जमना, साइनस, ब्रोंकाइटिस, स्‍लीप एप्निया, ट्रैकियोटोमी से ठीक होने, शिशु में कफ जमने, नवजात शिशु में क्रैडल कैप और शिशु में जुकाम का यह असरदार उपाय है।

इसके अलावा अगर आपको सांस लेने में दिक्‍कत हो रही है और अस्‍थमा है तो म्‍यूकोसल झिल्लियों को साफ करने में आपको आसपास ज्‍यादा नमी की जरूरत हो सकती है।

ठंडे और सूखे मौसम में ह्यूमिडिफायर बालों और स्किन को नमी देता है। हालांकि, ह्यूमिडिफायर का सही इस्‍तेमाल करना और सोने से पहले इसे कुछ दूर रखना बहुत जरूरी है।

बहुत ज्‍यादा नमी वाली हवा से फफूंदी और हानिकारक बैक्‍टीरिया पनप सकता है और इसमें सांस लेने पर फेफड़ों की बीमारियों हो सकती हैं। गंदे ह्यूमिडिफायर में बैक्‍टीरिया बनने से ह्यूमिडिफायर फीवर नामक बीमारी भी हो सकती है।

ह्यूमिडिफायर कैल्शियम और मैग्‍नीशियम से बने हानिकारक पाउडर भी रिलीज कर सकते हैं। ऐसा ह्यूमिडिफायर में हार्ड वॉटर यानि खारा पानी इस्‍तेमाल करने पर होती है। इसलिए ह्यूमिडिफायर में डिस्‍ट‍िल्‍ड वॉटर का इस्‍तेमाल करने की सलाह दी जाती है।

अगर आप ह्यूमिडिफायर की सफाई करते हैं जो इससे सेहत काे कोई नुकसान नहीं होगा। सेहत को नुकसान पहुंचने से बचने के लिए ह्यूमिडिफायर को ठीक से साफ करने का तरीका पता होना बहुत जरूरी है।

ह्यूमिडिफायर को साफ रखना आवश्‍यक है। साफ ह्यूमिडिफायर से सेहत को ज्‍यादा से ज्‍यादा फायदे मिलेंगे। यहां हम आपको ह्यूमिडिफायर को साफ करने के कुछ टिप्‍स बता रहे हैं।

  • माइल्‍ड साबुन और गुनगुना पानी : एक्‍सपर्ट ह्यूमिडिफायर को साफ करने के लिए माइल्‍ड साबुन के इस्‍तेमाल की सलाह देते हैं। ज्‍यादा सिंथेटिक डिटर्जेंटों में केमिकल होते हैं जो मशीन के अंदर चिपक सकते हैं और फिर हवा के जरिए आपके शरीर में घुस सक सकते हैं।
    ऐसा दुर्लभ ही होता है लेकिन एक स्‍टडी में कोरिया के अस्‍पताल में सामने आए कुछ मामलों में लोगों को ह्यूमिडिफायर से फेफड़ों की बीमारियां हो गई थीं। यह ह्यूमिडिफायर कीटाणुनाशक से हुआ था जिसमें बहुत तेज डिटर्जेंट के कण पाए गए जो ह्यूमिडिफायर को ऑन करने पर हवा के साथम मिलकर शरीर में घुस गए।
  • कंटेनर खाली करके पानी बदलें : ह्यूमिडिफायर को साफ करने के बाद इसके अंदर मौजूद हर पुर्जे को साफ करें क्‍योंकि इससे हानिकारक कीटाणु पनपने का खतरा कम हो जाता है।
  • यूएस ईपीए (एनवायरमेंटल प्रोटेक्‍शन एजेंसी) के अनुसार हर तीन दिन में ह्यूमिडिफायर का पानी बदलते रहना चाहिए।
  • ह्यूमिडिफायर में डिस्‍टिल्‍ड वॉटर : अगर आपको ह्यूमिडिफायर के आसपास छोटे सफेद कण दिख रहे हैं जो इसका मतलब है कि आप जो पानी डाल रहे हैं, उसमें मिनरल्‍स हैं जो कंटेनर को सख्‍त बना रहा है। इस मिनरलाइजेशन से दिक्‍कतें हो सकती हैं। डिस्‍टिल्‍ड वॉटर में कुछ मिनरल्‍स होते हैं इसलिए प्रॉब्‍लम कम होती है।
  • फिल्‍टर बदलते रहें : अगर आपके ह्यूमिडिफायर में फिल्‍टर है, तो इसे नियमित साफ करना होगा। मैन्‍यूफैक्‍चरर ने जैसे बताया है, वैसे ही फिल्‍टर को बदलते रहें।
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ह्यूमिडिफायर कई तरह के होते हैं। कुछ घर के वेंटिलेशन सिस्‍टम में बन सकते हैं जिन्‍हें सेंट्रल ह्यूमिडिफायर कहते हैं। ये पूरे घर के उमस के स्‍तर को मैनेज कर सकते हैं। ये थोड़ा महंगा होता है और पोर्टेबल होता है। इसके प्रकार हैं :

  • स्‍टीम ह्यूमिडिफायर : ये मशीन पानी को गर्म कर के उसकी भाप बनाती है और डिवाइस से निकलने से बिलकुल पहले उसे ठंडा कर देती है। इससे हवा में ठंडी नमी बढ़ती है। अगर घर में बच्‍चे हैं, तो यह ह्यूमिडिफायर सही नहीं रहेगा। हालांकि, ईपीए के अनुसार स्‍टीम ह्यूमिडिफायर कुछ स्थितियों में अच्‍छे होते हैं क्‍योंकि ये हवा में कम सूक्ष्‍मजीव छोड़ते हैं।
  • अल्‍ट्रासोनिक ह्यूमिडिफायर : इसमें अल्‍ट्रासोनिक ह्यूमिडिफायर पानी से हवा में माइक्रोस्‍कोपिक ड्रॉपलेट्स यानि कण भेजते हैं जो जल्‍दी से भाप में बदलकर जगह में उमस बना देता है। ये शोर कम करते हैं और रात को इन्‍हें आराम से चला सकते हैं। इनकी सफाई करना भी आसान होता है।
  • इवैपोरेटिव ह्यूमिडिफायर : इसे चलाना बहुत आसान है। हवा में मौजूद हवा को पंखा सोख लेता है और फिर वेट मैश से इसमें नमी डालकर इसे बाहर फेंकता है। यह डिवाइस कमरे की हवा का इस्‍तेमाल करता है। इसकी नियमित सफाई जरूरी है।

कुल मिलाकर ह्यूमिडिफायर के सभी विकल्‍प सुरक्षित हैं और हवा में नमी भरते हैं। बस आपको इनकी सफाई और चलाने के तरीके का ध्‍यान रखना है।

 
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