उत्तानपादासन का नाम दो शब्दों के मेल से बना है: उत्तान, और पद। उत्तान मतलब खिचा हुआ, और पद यानी पैर। इस आसन से आपको किसी भी प्राकर की बीमारी नही होगी और आप हमेशा स्वस्थ रहेंगे। इस लेख में उत्तानपादासन करने के तरीके व उससे होने वाले लाभों के बारे में बताया गया है। साथ ही लेख में यह भी बतायाा गया है कि उत्तानपादासन के दौरान क्या सावधानी बरतनी चाहिए।
- उत्तानपादासन के फायदे - Uttanpadasana ke fayde
- उत्तानपादासन करने से पहले यह आसन करें - Uttanpadasana karne se pehle yeh aasan kare
- उत्तानपादासन करने का तरीका - Uttanpadasana karne ka tarika
- उत्तानपादासन का आसान तरीका - Uttanpadasana ka aasaan tarika
- उत्तानपादासन करने में क्या सावधानी बरती जाए - Uttanpadasana karne me kya savdhani barte
- उत्तानपादासन करने के बाद आसन - Uttanpadasana karne ke baad aasan
- सारांश
उत्तानपादासन के फायदे - Uttanpadasana ke fayde
हर आसन की तरह उत्तानपादासन के भी कई लाभ होते हैं। उनमें से कुछ हैं यह:
- गर्दन और छाती की मासपेशियों में खिंचाव लाता है।
- गर्दन और कन्धों की मासपेशयों को तनाव मुक्त करता है।
- उत्तानपादासन थाइरोइड, कब्ज, शुगर, बदहजमी, तंत्रिका कमजोरी और चिंता से परेशान लोगों के लिए चिकित्सीय है।
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उत्तानपादासन करने से पहले यह आसन करें - Uttanpadasana karne se pehle yeh aasan kare
- सर्वांगासन (Savangasana or Shoulderstand)
- हलासन (Halasana or Plow Pose)
- कर्नापीड़ासन (Karnapidasana or Ear Pressure or Knee to Ear Pose)
- ऊर्ध्व पद्मासन (Urdhva Padmasana or Inverted Lotus Pose)
- पिण्डासन (Pindasana or Embryo Pose)
- मत्स्यासन (Matsyasana or Fish Pose)
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उत्तानपादासन करने का तरीका - Uttanpadasana karne ka tarika
उत्तानपादासन करने का तरीका हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।
- दंडासन में बैठ जायें। हल्का सा हाथों से ज़मीन को दबाते हुए, और साँस अंदर लेते हुए रीढ़ की हड्डी को लंबा करने की कोशिश करें।
- अब पीठ को धीरे धीरे पीछे की तरफ ले जायें। कोहनियों को ज़मीन पर टीका कर धड़ को सहारा दें।
- अब गर्दन को लंबा करते हुए सिर को भी ज़मीन की तरफ झुकायं।
- पीठ और सिर को तब तक झुकाते रहें जब तक की सिर ज़मीन को ना छू ले।
- अब दोनो टाँगों को एक साथ उठा कर ७०दर्जे तक ले जायें फिर दोनो बाज़ुओं को भी उठायें, हाथों को जोड़ लें और उंगलियों का रुख़ पैरों की तरफ कर लें।
- दृष्टि को नाक पर रखें। अगर आपको यह करने से दिक्कत होती है संतुलन बनाए रखने में तो दृष्टि को नाभी पर भी रख सकते हैं।
- अपनी क्षमता के मुताबिक 60 से 90 सेकेंड तक इस मुद्रा में रहें और फिर धीरे से पैरों को वापिस ले आयें। शुरुआत में कम देर करें (30 सेकेंड भी पर्याप्त है) और धीरे धीरे समय बढ़ायें।
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उत्तानपादासन का आसान तरीका - Uttanpadasana ka aasaan tarika
- उत्तानपादासन में बेकबेण्डिंग मुद्रा नये छात्रों के लिए मुश्किल हो सकती है। अपनी पीठ के नीचे एक मोटा कंबल रख कर कमर को सहारा दें और सुनिश्चित करें कि आपका सिर फर्श पर आराम से टीका हुआ है।
- यदि पीठ में लचीलापन कम हो या हल्का दर्द हो तो कोहनियों को ज़मीन पर टिका कर धड़ को सहारा दें।
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उत्तानपादासन करने में क्या सावधानी बरती जाए - Uttanpadasana karne me kya savdhani barte
- जिन्हे हाई बीपी या लो बीपी, माइग्रेन या अनिद्रा की परेशानी हो वह उत्तान पादासन ना करें। (और पढ़ें - अनिद्रा के घरेलू उपचार)
- अगर आपके हॅम्स्ट्रिंग में चोट हो तो पैरों को तोड़ा मोड़ लें।
- अगर आपकी पीठ के निचले हिस्से में या गर्दन में गंभीर चोट हो तो उत्तान पादासन ना करें।
- गर्भावस्था के दौरान महिलाएं उत्तान पादासन न करें।
- अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगायें।
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उत्तानपादासन करने के बाद आसन - Uttanpadasana karne ke baad aasan
- शीर्षासन (Sirsasana or Headstand)
- बद्ध पद्मासन (Baddha Padmasana or Bounded Lotus Pose)
- पद्मासन (Padmasana or Lotus Pose)
- उत्प्लुतिः या तुलासन (Utplutih/ Tulasana or Scale/ Balance Pose)
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सारांश
उत्तानपादासन (Raised Leg Pose) योग का एक सरल लेकिन प्रभावी आसन है, जो शरीर को मजबूत और लचीला बनाता है। इसे करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं, हाथ शरीर के पास रखें, और धीरे-धीरे दोनों पैरों को ऊपर उठाएं। पैरों को 30 से 60 डिग्री के कोण पर रखें और कुछ सेकंड से लेकर एक मिनट तक इस स्थिति में रहें। फिर पैरों को धीरे-धीरे नीचे लाएं और आराम करें।
फायदे:
यह आसन पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है, पाचन में सुधार करता है, और वजन कम करने में मदद करता है। इससे रीढ़ की हड्डी और पैरों की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। यह आसन पीठ दर्द को कम करने और शरीर की रक्त प्रवाह प्रणाली को बेहतर बनाने में भी सहायक है। हालांकि, हाई ब्लड प्रेशर, हर्निया, या गर्भावस्था के दौरान इसे करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।