गोशेर रोग - Gaucher disease (early-onset) in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

November 10, 2018

March 06, 2020

गोशेर रोग
गोशेर रोग

गोशेर रोग एक आनुवंशिक (माता-पिता से प्राप्त किया गया) विकार है, जो शरीर के कई अंदरूनी अंगों व ऊतकों को प्रभावित करता है। यह रोग शरीर के कुछ अंगों (खासकर लीवर व प्लीहा) में कुछ विशेष प्रकार के फैटी (वसा युक्त) पदार्थ बनने के परिणास्वरूप होता है। इसके कारण प्रभावित अंगों का आकार बढ़ जाता है और वो ठीक से काम भी नहीं कर पाते।

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गोशेर रोग के लक्षण क्या हैं?

यह एक काफी दुर्लभ प्रकार का रोग है, जिसके कई प्रकार के लक्षण हो सकते हैं। इसके लक्षण मुख्य रूप से गोशेर रोग के प्रकार पर निर्भर करते हैं। गोशेर रोग मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है, जिसके अनुसार इसके लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं जैसे:

गोशेर रोग क्यों होता है?

गोशेर एक ऐसा रोग है, जो माता-पिता से संतान को प्राप्त होता है, इस प्रक्रिया को "ओटोसोमल रेसेसिव" (Autosomal recessive) कहा जाता है। यदि माता-पिता दोनों के जीन में म्यूटेशन (जीन में एक प्रकार का बदलाव) हुआ है, तो उनसे पैदा होने वाली संतान को गोशेर हो सकता है। 

जीबीए (GBA) नामक जीन में बदलाव होने के कारण गोशेर रोग होता है। जीबीए जीन "बीटा-ग्लूकोसेरिब्रोसेडिस" (beta-glucocerebrosidase) नामक एक एंजाइम बनाने में मदद करता है। 

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गोशेर रोग का इलाज कैसे किया जाता है?

गोशेर को जड़ से खत्म करने के लिए कोई इलाज संभव नहीं है, लेकिन ऐसे बहुत सारे उपचार हैं जिनकी मदद से गोशेर रोग के कारण होने वाले लक्षणों को शांत किया जा सकता है। इसके अलावा इलाज की मदद से गोशेर रोग से होने वाली क्षति को रोका जा सकता है और मरीज के जीवन में सुधार किया जा सकता है।

कुछ लोगों में गोशेर रोग से बहुत ही कम लक्षण होते हैं और उनको इलाज करवाने की जरूरत नहीं होती है। डॉक्टर आपको नियमित रूप से जांच करवाने के लिए कह सकते हैं, जिसकी मदद से डॉक्टर गोशेर रोग के बढ़ने या उस से होने वाली जटिलताओं पर नजर रख सकते हैं।

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