खराब जीवनशैली व असंतुलित खान-पान की वजह से हृदय रोगों के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. कुछ लोगों को तो हार्ट फेलियर का भी सामना करना पड़ता है. हार्ट फेलियर गंभीर समस्या होती है, जो जानलेवा हो सकता है, इसलिए इसका इलाज करवाना जरूरी होता है. हार्ट फेलियर के पीछे कई कारण होते हैं, लेकिन अधिकतर लोगों को यह नहीं पता कि हार्ट फेलियर होने पर एनीमिया का सामना करना पड़ सकता है. थकान, सांस लेने में तकलीफ और दिल की धड़कन तेज होना आदि हार्ट फेलियर और एनीमिया के मुख्य लक्षण होते हैं.

आज इस लेख में आप एनीमिया और हार्ट फेलियर के बीच संबंध के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. एनीमिया क्या है?
  2. हार्ट फेलियर क्या है?
  3. एनीमिया और हार्ट फेलियर में संबंध
  4. एनीमिया और हार्ट फेलियर के लक्षण
  5. एनीमिया और हार्ट फेलियर का इलाज
  6. सारांश
  7. एनीमिया और हार्ट फेलियर के बीच क्या संबंध है? के डॉक्टर

एनीमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर में रेड ब्लड सेल्स का निर्माण पर्याप्त रूप से नहीं होता है. इस कारण से शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है. इस स्थिति में शरीर में रेड ब्लड सेल्स में पाया जाने वाला हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन का स्तर कम होने लगता है. 

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हार्ट फेलियर तब होता है, जब हृदय शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त को पंप करने में असमर्थ हो जाता है. ऐसा हृदय की मांसपेशियों के कठोर हो जाने के कारण होता है. इससे हृदय के दाएं, बाएं या दोनों भाग प्रभावित हो सकते हैं. कुछ मामलों में हृदय रोगियों को एनीमिया का सामना करना पड़ सकता है.

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एनीमिया और हार्ट फेलियर के बीच अहम संबंध होता है. जब हार्ट फेलियर होता है, तो इस स्थिति में तरल पदार्थ यानी लिक्विड फेफड़ों में फंस जाता है. कई बार तरल पदार्थ पैरों में भी जमा हो जाता है, इसकी वजह से टांगों में सूजन हो सकती है. इस स्थिति में हृदय पूरे शरीर में पर्याप्त रक्त को पंप नहीं कर पाता है, इससे सभी अंगों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है. 

ऐसे में हार्ट फेलियर क्रोनिक किडनी रोग को पैदा कर सकता है. इस स्थिति में किडनी की रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. ऐसे में किडनी को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है, जिससे किडनी के लिए खून को फिल्टर करना काफी मुश्किल हो जाता है.

क्रोनिक किडनी रोग होने पर किडनी द्वारा निर्मित होने वाले एरिथ्रोपोइटिन की मात्रा कम होने लगती है. आपको बता दें कि एरिथ्रोपोइटिन यानी ईपीओ एक प्रकार का प्रोटीन है, जो रेड ब्लड सेल्स को बनाने में मदद करता है. ऐसे में जब ईपीओ का स्तर कम होता है, तो एनीमिया के लक्षण महसूस होने लगते हैं.

आसान भाषा में कहा जाए, तो हार्ट फेलियर की वजह से क्रोनिक किडनी रोग हो सकता है. जब क्रोनिक किडनी रोग होता है तो किडनी ईपीओ का उत्पादन कम करता है. ऐसे में ईपीओ का स्तर कम हो जाता है, जिससे एनीमिया हो जाता है.

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एनीमिया और हार्ट फेलियर के कुछ लक्षण एक जैसे होते हैं. इसमें थकानसांस लेने में तकलीफ और दिल की धड़कन तेज होना आदि शामिल हैं. इसके अलावा, एनीमिया और हार्ट फेलियर के कुछ लक्षण अलग-अलग भी हो सकते हैं -

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हार्ट फेलियर से एनीमिया की समस्या हो सकती है. ऐसे में हार्ट फेलियर का इलाज करना जरूरी होता है, लेकिन हार्ट फेलियर का इलाज पूरी तरह से संभव नहीं होता है. सिर्फ इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है. जब हार्ट फेलियर का इलाज हो जाता है, तो एनीमिया के लक्षणों में भी कमी आने लगती है.

हार्ट फेलियर का इलाज इस पर निर्भर करता है कि यह किस चरण में है. इसके लिए डॉक्टर कुछ दवाइयां और जीवनशैली में बदलाव करने की सलाह दे सकते हैं. इसके अलावा, अगर किसी को हृदय रोग है, तो इसका इलाज करके हार्ट फेलियर को रोका जा सकता है. इसके लिए नियमित रूप से व्यायाम करने और हेल्दी डाइट लेने की जरूरत है. साथ ही डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखना भी जरूरी होता है. एनीमिया का इलाज करने के लिए डॉक्टर आयरनविटामिन-बी12 और विटामिन-बी9 सप्लीमेंट लेने की सलाह दे सकते हैं.

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हार्ट फेलियर और एनीमिया दोनों ही गंभीर स्थितियां होती हैं. जब किसी व्यक्ति को लंबे समय तक हार्ट फेलियर के लक्षण महसूस होते हैं, तो इसका असर किडनी पर पड़ सकता है और एनीमिया हो सकता है. यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है. ऐसे में इन दोनों का समय पर इलाज करवाना जरूरी होता है. इसलिए, अगर किसी को हार्ट फेलियर से एनीमिया का कोई भी लक्षण महसूस हो, तो उसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें.

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