आयुर्वेद में नीम का खास महत्व होता है. इसका इस्तेमाल कई तरह की औषधि निर्माण के लिए किया जाता है. नीम की पत्तियों से लेकर जड़ तक का इस्तेमाल आयुर्वेदिक उपचार में किया जाता है. नीम के इस्तेमाल से कई तरह की गंभीर समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है. गुदा से जुड़ी बवासीर जैसी जटिल बीमारी को दूर करने में भी नीम का इस्तेमाल किया जाता है.

आयुर्वेद में नीम से तैयार दवाइयों के माध्यम से बवासीर में होने वाली कई परेशानियों का इलाज संभव है. हालांकि, बवासीर के उपचार के लिए नीम के इस्तेमाल को लेकर कई तरह के संशय लोगों के मन में रहते हैं. बवासीर के शुरुआती अवस्था में नीम उपयोगी हो सकता है, लेकिन गंभीर मामलों में नीम का प्रभाव कम होता है. इस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क की आवश्यकता होती है. 

इस लेख में नीम से बवासीर का इलाज व क्या है सच, इस बारे में विस्तार से जानेंगे-

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  1. बवासीर के इलाज में नीम कैसे है प्रभावी?
  2. नीम से बवासीर का इलाज कैसे करें
  3. नीम से बवासीर के इलाज में सावधानियां
  4. बवासीर के इलाज में नीम कब नहीं है प्रभावी
  5. सारांश
नीम से बवासीर का इलाज कैसे करें व सावधानी के डॉक्टर

नीम से बवासीर का इलाज एक सरल और सुरक्षित उपचार हो सकता है. आइए, जानते हैं -

  • नीम में मौजूद सूजनरोधी, एंटी बैक्टीरियल और दर्द निवारक गुण मस्सों के कारण होने वाली सूजन को कम कर सकते हैं. साथ ही यह बैक्टीरिया को खत्म कर दर्द को दूर करने में प्रभावी हो सकता है.
  • इतना ही नहीं, बवासीर से ग्रस्त जिन मरीजों को एसिडिटी की समस्या अधिक होती है, उनके लिए नीम एक प्रभावी दवा हो सकती है. इसके इस्तेमाल से पाचन में सुधार किया जा सकता है. इसके अलावा, यह कब्ज को रोकने में मदद करता है, जिससे बवासीर के लक्षणों को बढ़ने से रोका जा सकता है.
  • यह बवासीर से होने वाली सूजन, दर्द, खुजली और संक्रमण को कम करता है. साथ ही यह बवासीर को दूर करने के अलावा पाचन दुरुस्त करने, एसिडिटी और कब्ज को दूर करने में भी मददगार होता है.

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बवासीर गुदा से जुड़ी बीमारी है, जिसमें गुदा यानी एनस के बाहरी और अंदरूनी हिस्सों में मस्से बन जाते हैं. इसकी वजह से मरीजों को गुदे में सूजन और दर्द होने लगता है. इस समस्या से प्रभावित मरीजों को दैनिक कार्यों को करने में दिक्कत आती है. बवासीर के इलाज के लिए नीम की उपयोगिता व्यापक है. बवासीर की समस्या होने पर कई तरीकों से इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. नीम के फूल और पत्तियों से लेप या फिर इसका रस पीकर बवासीर का इलाज किया जा सकता है. आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में -

  • नीम के पत्ते और फूल का लेप बनाकर मस्सों पर लगाया जा सकता है, जिससे मस्सों को जल्द से जल्द दूर किया जा सकता है.
  • नीम की पत्तियों और फल के रस को निकालकर कई तरह की दवाइयां तैयार की जा सकती है, जिसमें नीम की क्रीम भी शामिल है. नीम की क्रीम को बवासीर के मस्सों पर लगाया जा सकता है. इससे मस्से खत्म या नष्ट हो जाते हैं. (और पढ़ें - गोमूत्र से बवासीर का इलाज)
  • बाहरी बवासीर के इलाज में नीम का रस काफी असरदार माना जाता है. इसके लिए नीम की पत्तियों को कूटकर इसका रस निकाल लें और बाहरी बवासीर पर लगाएं, जिससे कुछ ही समय में मरीज को राहत मिलेगी. इससे पाचन भी दुरुस्त होगा और कब्ज की समस्या भी दूर होगी.
  • नीम का तेल भी बवासीर के इलाज में प्रभावी माना जाता है. एक कॉटन के कपड़े में नीम का तेल भिगोकर मस्सों पर लगाएं. नीम का तेल सिट्ज बाथ में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
  • नीम की पत्तियों और नारियल तेल को मिलाकर लेप लगाने से बवासीर से होने वाली सूजन और दर्द में राहत मिलती है. नीम के पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी और जीवाणुरोधी गुण होता है, जो खुजली, संक्रमण व सूजन को कम करने में प्रभावी हो सकता है.

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नीम से बवासीर का इलाज करने में कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है, ताकि आपको कोई शारीरिक नुकसान न पहुंचे. इसके लिए मरीजों को निम्न सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है, जैसे -

  • नीम की पत्तियों से लेप बनाने से पहले इन्हें अच्छे से धो लें. पीसने के लिए इस्तेमाल होने वाले ग्राइंडर और सिलवट में मिर्च या मसाले नहीं होने चाहिए, अन्यथा यह मस्सों में जलन का कारण हो सकता है.
  • गर्भवती महिलाओं और किसी पुरानी बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों को बवासीर के लिए नीम के इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए.
  • नीम के रस का सेवन नियमित मात्रा में कुछ समय तक ही करना चाहिए, अन्यथा यह शरीर के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. (और पढ़ें - नींबू से बवासीर का इलाज)
  • इनफर्टिलिटी की समस्या से ग्रस्त पुरुषों को नीम के इस्तेमाल से बचना चाहिए, क्योंकि कुछ रिसर्च के अनुसार यह स्पर्म काउंट को कम कर सकता है.
  • डायबिटीज की गंभीर समस्या से ग्रस्त लोगों को बवासीर के लिए नीम का सेवन केवल डॉक्टर की अनुमति के बाद ही करना चाहिए, क्योंकि यह शुगर लेवल को कम करता है, जो डायबिटीज की दवाइयां भी करती है. इसलिए अचानक से ब्लड शुगर लेवल कम होने से मरीज को दिक्कत हो सकती है.

(और पढ़ें - बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज)

नीचे दी गई अवस्थाओं में नीम का इलाज बवासीर में असरकारक नहीं होता-

  • यदि बवासीर की समस्या शुरुआती ग्रेड में है, तो नीम इसके लिए सबसे उपयुक्त आयुर्वेदिक उपचार विकल्प हो सकता है. वहीं, बवासीर के ऊपरी ग्रेड के लिए इसका इलाज अधिक असरदार नहीं होता है. (और पढ़ें - धागे से बवासीर का इलाज)
  • बवासीर के ऊपरी ग्रेड में मस्सों का आकार बढ़ जाता है, इसलिए ऊपरी ग्रेड के बवासीर के लिए लेजर सर्जरी की सलाह दी जाती है.
  • बवासीर के शुरुआती ग्रेड के लक्षण दिखने पर ही नीम का इस्तेमाल करना फायदेमंद है. गंभीर समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना ही उचित होता है.

(और पढ़ें - बवासीर में परहेज)

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बवासीर के शुरुआती स्तर के उपचार के लिए नीम एक प्राकृतिक और सुरक्षित आयुर्वेदिक उपचार विकल्प है. नीम की उपयोगिता व्यापक है, क्योंकि इसका कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे बवासीर के मस्सों को दूर करने में मदद मिल सकती है. हालांकि गर्भवती महिलाओं और पुरानी बीमारी से ग्रस्त लोगों को इसके उपयोग से परहेज करना चाहिए. वहीं, बवासीर के गंभीर मामलों में नीम प्रभावी नहीं हो सकता है. इसलिए, बवासीर के उपचार के लिए नीम के इस्तेमाल से पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें.

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