वर्टिगो क्या है?
वर्टिगो (vertigo; चक्कर आना) रोग होने पर चक्कर आते हैं और आसपास की चीजें घूमती हुई लगती हैं। सामान्यतः इसको चक्कर आना, मानसिक विचलन और भ्रम होने की स्थिति कह सकते हैं। यदि इसमें होने वाली सनसनी तीव्र है, तो व्यक्ति को मितली और उलटी हो सकती है। वर्टिगो में चक्कर आने के कारण अक्सर मालूम नहीं हो पाते हैं। हालांकि, इसके कारणों में आंतरिक कान का विकार- बेनाइन पैरॉक्सिज्मल पोजिशनल वर्टिगो (benign paroxysmal positional vertigo), मिनियर रोग (Ménière disease) (एक प्रगतिशील कान रोग), और वेस्टिब्यूलर न्यूरिटिस (vestibular neuritis; वास्टिबुलोकॉक्लेयर तंत्रिका की सूजन) सहित अन्य रोग हो सकते हैं। मामूली या गंभीर सिर की चोट, माइग्रेन, और लंबे समय तक बिस्तर पर रहना भी इसके अन्य कारण हो सकते हैं।
विमान के पायलटों और पानी के नीचे जाने वाले गोताखोरों को अक्सर वर्टिगो होने का खतरा रहता है क्योंकि जिन वातावरणों में वे काम करते हैं, उनमें दिशा की सही स्थिति का कोई भी अंदाजा नहीं होता है। भ्रम होना वर्टिगो का सबसे खतरनाक पहलू है; उदाहरण के लिए, एक पायलट नीचे जाने की स्थिति में यह महसूस करें कि वो ऊंचाई पर जा रहा है या पायलट खुद को दायें ओर जाता महसूस करें, जबकि वो सीधा जा रहा हो।
वैसे तो यह रोग अपने आप ही सही हो जाता है। लेकिन कई मामलों में मरीजों को शारीरिक थैरेपी, जिसे हम वेस्टिबुलर रिहेबिलिटेशन कहते हैं, उससे भी आराम मिलता है।