आयुर्वेद में प्राकृतिक तरीकों से बनी दवाइयों, चूर्ण और भस्म का इस्तेमाल बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है. भस्म को जड़ी-बूटियों को शामिल करके लंबी प्रक्रिया से तैयार किया जाता है. भस्म कई तरह के होती हैं, इसमें से एक ‘लौह भस्म’ भी है. आयुर्वेद में इस भस्म का मुख्य रूप से इस्तेमाल एनीमिया का इलाज करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा, अर्थराइटिस व पीलिया को भी ठीक किया जा सकता है.

आज इस लेख में आप लौह भस्म के फायदे व नुकसान के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. लौह भस्म के फायदे
  2. लौह भस्म के नुकसान
  3. लौह भस्म की कीमत
  4. सारांश
लौह भस्म के फायदे व नुकसान के डॉक्टर

लोहा भस्म एक आयुर्वेदिक दवा है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से एनीमिया का इलाज करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा, लौहा भस्म लिवर की बीमारियों, ड्राई स्किन व हृदय रोग जैसी समस्याओं के इलाज में भी फायदेमंद हो सकती है. लौह भस्म के फायदे इस प्रकार हैं -

एनीमिया में असरदार

अधिकतर महिलाओं को एक तय उम्र के बाद एनीमिया का सामना करना पड़ता है. ऐसे में लौह भस्म का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है. लौह भस्म में मौजूद तत्व आयरन सप्लीमेंट के रूप में काम करते हैं. लौह भस्म लेने से एनीमिया का इलाज पूरी तरह से किया जा सकता है. अगर अधिक रक्तस्राव होता है, तो खून की कमी पूरी करने के लिए लौह भस्म को लिया जा सकता है. 

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पीलिया से दिलाए आराम

आयुर्वेद में पीलिया का इलाज करने के लिए भी लौह भस्म का उपयोग किया जाता है. अगर किसी की त्वचा या आंखों में पीलापन नजर आए, तो आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर लौह भस्म का सेवन कर सकते हैं. लौह भस्म लिवर को स्वस्थ कर पीलिया को ठीक कर सकती है.

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पेट की समस्याएं करे दूर

आजकल की खराब जीवनशैली और खान-पान की वजह से अधिकतर लोगों को पेट की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. पेट की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए लौह भस्म का सेवन किया जा सकता है. लौह भस्म गैसकब्ज और अपच से निजात दिलाने में मदद कर सकती है.

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अर्थराइटिस में फायदेमंद

अगर किसी को अर्थराइटिस यानी गठिया है, तो लौह भस्म का सेवन कर सकते हैं. लौह भस्म गठिया के लक्षणों को कम करने में मददगार साबित हो सकती है. लौह भस्म लेने से जोड़ों के दर्द में आराम मिल सकता है. साथ ही सूजन भी कम हो सकती है.

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भूख बढ़ाने में सहायक

कई लोगों का पाचन तंत्र कमजोर होता है, ऐसे में खाया हुआ खाना सही से डायजेस्ट नहीं हो पाता है. इसकी वजह से उन्हें भूख नहीं लगती है. ऐसे में लौह भस्म का सेवन कर सकते हैं. यह भस्म पाचन को तेज कर सकती है और भूख बढ़ाने में मदद कर सकती है.

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बैक्टीरिया से बचाव

लौह भस्म ऐसी आयुर्वेदिक दवा है, जो हानिकारक बैक्टीरिया के विकास को नष्ट कर सकती है. यह बैक्टीरिया को मारने या कम करने में प्रभावी साबित हो सकतर है. अगर किसी को बार-बार बैक्टीरियल इंफेक्शन से परेशान होना पड़ रहा है, तो ऐसे में लौह भस्म का सेवन किया जा सकता है.

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इम्यूनिटी बढ़ाए

लौह भस्म में बहेड़ाएलोवेरा और आंवला जैसी मुख्य सामग्री पाई जाती हैं. ये सामग्रियां शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं. इसलिए, अगर कोई बार-बार बीमार होता है, तो इस स्थिति में लौह भस्म का सेवन कर सकते हैं. लौह भस्म इम्यूनिटी बढ़ाती है, जिससे व्यक्ति जल्दी से बीमार भी नहीं पड़ता है.

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डायबिटीज में लाभकारी

लौह भस्म का सेवन डायबिटीज में भी किया जा सकता है. लौह भस्म लेने से ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखा जा सकता है. इसके अलावा, लौह भस्म लिवर को स्वस्थ रखने में भी सहायक हो सकती है.

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लौह भस्म सभी तरह की प्राकृतिक सामग्रियों से बनी होती है. इसलिए, यह सेहत के लिए फायदेमंद मानी गई है. अगर उम्र और लिंग को ध्यान में रखकर लौह भस्म की सही खुराक ली जाए, तो इससे नुकसान होने की आशंका कम ही होती है -

  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को लौह भस्म का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए.
  • बच्चों को कभी भी लौह भस्म का सेवन नहीं करना चाहिए. इससे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है.

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लौह भस्म की कीमत इसकी मात्रा के आधार पर तय की जाती है. वहीं, अलग-अलग कंपनियों द्वारा बनाई गई लौह भस्म कीमत अलग-अलग हो सकती है. औसतन 5 ग्राम लौह भस्म 28 से 30 रुपये में मिल सकती है. लौह भस्म को दूधघीशहद या फिर गुनगुने पानी के साथ लिया जा सकता है.

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आयुर्वेद में एनीमिया और पेट की समस्याओं को ठीक करने के लिए लौह भस्म का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा, लौह भस्म पीलिया, डायबिटीज और गठिया रोगियों के लिए भी लाभकारी साबित हो सकती है. डॉक्टर की सलाह पर मरीज सीमित मात्रा में लौह भस्म का सेवन कर सकता हैं. अगर कोई महिला गर्भवती है, स्तनपान करवा रही हैं या कोई किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा है, तो ऐसे में आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर ही लौह भस्म का सेवन करना चाहिए.

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