आयुर्वेद में बीमारियों का इलाज करने के लिए विभिन्न तरह की जड़ी-बूटियों से बनी दवाइयों का उपयोग किया जाता है. ऐसी ही एक जड़ी-बूटी है फीवरफ्यू. इसका उपयोग प्राचीन काल से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जा रहा है. फीवरफ्यू औषधीय गुणों से भरपूर होती है. इसमें एंटीकैंसर, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीस्पास्मोडिक गुण पाए जाते हैं. इसे माइग्रेन के इलाज के लिए रामबाण माना जाता है. इसके अलावा, फीवरफ्यू पेट दर्द, दांत दर्द व सूजन संबंधी समस्याओं को भी कम करने में मदद कर सकती है.

आज इस लेख में हम फीवरफ्यू के फायदों, नुकसान और सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. फीवरफ्यू के फायदे
  2. फीवरफ्यू के नुकसान
  3. फीवरफ्यू का सेवन करते हुए सावधानियां
  4. फीवरफ्यू के उपयोग
  5. सारांश
फीवरफ्यू के फायदे व नुकसान के डॉक्टर

फीवरफ्यू में कई तरह के सक्रिय यौगिक होते हैं. पार्थेनोलाइड इसका मुख्य यौगिक है, जो फीवरफ्यू के पौधे की पत्तियों में पाया जाता है. पार्थेनोलाइड ही फीवरफ्यू को लाभकारी बनाता है. फीवरफ्यू का उपयोग बुखार और सूजन संबंधी समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जाता है. इसमें फ्लेवोनोइड, ग्लाइकोसाइड्स और पाइनेन जैसे सक्रिय घटक शामिल हैं. इस पौधे का उपयोग सोरायसिसएलर्जी और अस्थमा जैसी बीमारियों में भी किया जा सकता है. फीवरफ्यू के प्रमुख फायदों के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है -

माइग्रेन में फायदेमंद

माइग्रेन एक प्रकार का तेज सिरदर्द है, जो सिर के एक हिस्से को प्रभावित करता है. फीवरफ्यू को माइग्रेन के इलाज में रामबाण माना जा सकता है. प्राचीनकाल से ही लोग इसका उपयोग करते आ रहे हैं. फीवरफ्यू में पार्थेनोलाइड और टैनेटिन नामक तत्व होते हैं, जो प्रोस्टाग्लैंडीन के उत्पादन को रोकने में मदद करते हैं. इस गुण के कारण यह सूजन को कम करने और रक्त वाहिकाओं को आराम देने का काम करता है. ऐसे में फीवरफ्यू सप्लीमेंट माइग्रेन के तेज दर्द को कम करने में प्रभावी हो सकता है. रिसर्च के अनुसार, 100-300 मिलीग्राम फीवरफ्यू सप्लीमेंट रोजाना लेने से माइग्रेन की वजह से होने वाले सिरदर्द का इलाज हो सकता है. 

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कैंसर से बचाव

फीवरफ्यू कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भी बचाव कर सकता है. इसमें एंटीकैंसर गुण होते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को पनपने से रोकने में सहायक हो सकते हैं. कई अध्ययनों में भी साबित हुआ है कि फीवरफ्यू कैंसर से बचाने में असरदार हो सकता है.

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बुखार का इलाज करे

फीवरफ्यू के पौधे का इस्तेमाल बुखार के इलाज में भी किया जाता है. फीवरफ्यू शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है. यह शरीर में आई सूजन को कम कर सकता है और बुखार में बढ़े हुए तापमान को नियंत्रित कर सकता है.

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दर्द से राहत दिलाए

फीवरफ्यू का उपयोग दर्द को कम करने के लिए किया जा सकता है. इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गठिया की वजह से होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है. फीवरफ्यू क्रोनिक सूजन व मांसपेशियों के दर्द का इलाज कर सकता है.

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तनाव दूर करे

अगर किसी व्यक्ति को तनावचिंता या अवसाद है, तो वह फीवरफ्यू का उपयोग कर सकता है. फीवरफ्यू तनाव को दूर करने में मदद कर सकता है. इसके उपयोग से नींद अच्छी आती है व अवसाद के लक्षणों में कमी आती है.

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रोजेशिया का इलाज करे

फीवरफ्यू अर्क से युक्त क्रीम का इस्तमाल रोजेशिया के इलाज में किया जा सकता है. चेहरे पर आई लालिमा व छोटे लाल दानों को रोजेशिया कहा जाता है. फीवरफ्यू से युक्त क्रीम सूजन को कम कर सकती है. साथ ही त्वचा की जलन को भी शांत कर सकती है. 

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पीरियड की समस्याएं दूर करे

फीवरफ्यू पीरियड की समस्याओं को भी दूर करने में मदद कर सकता है. फीवरफ्यू पीरियड के दर्द को कम कर सकता है. इससे पीरियड के दौरान होने वाली ऐंठन की समस्या से भी कुछ हद तक राहत मिल सकती है. साथ ही यह हैवी ब्लीडिंग को भी रोकने में मदद कर सकता है. फीवरफ्यू का अर्क नियमित रूप पर लेने से अनियमित पीरियड की समस्या को भी दूर किया जा सकता है.

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बैक्टीरिया और वायरस से बचाव

फीवरफ्यू में मौजूद पार्थेनोलाइड तत्व कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस से भी बचाव कर सकता है. पार्थेनोलाइड नामक यौगिक फंगस के विकास को रोक सकता है. इसके अलावा, यह तत्व माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस और माइकोबैक्टीरियम एवियम को भी रोकने में मदद कर सकता है.

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फीवरफ्यू को सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कुछ लोगों को इसके साइड इफेक्ट्स का भी सामना करना पड़ सकता है. फीवरफ्यू के नुकसान निम्न प्रकार से हो सकते हैं -

  • कुछ मामलों में फीवरफ्यू के उपयोग से व्यक्ति को पेट में दर्ददस्तकब्जमतलीचक्कर आना और थकान जैसे साइड इफेक्ट्स महसूस हो सकते हैं.
  • अगर महिलाएं फीवरफ्यू को अधिक मात्रा में लेती हैं, तो मासिक धर्म से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं. यह अनियमित पीरियड का कारण बन सकता है.
  • फीवरफ्यू की ताजी पत्तियों को चबाना नुकसानदायक हो सकता है. इससे मुंह में छाले व मुंह में सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इससे मुंह का स्वाद भी खराब हो सकता है.
  • फीवरफ्यू लेने से कुछ लोगों में रक्तस्राव का जोखिम बढ़ सकता है. जिन लोगों को रक्तस्राव रहता है, उन्हें इसका सेवन करने से बचना चाहिए.

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फीवरफ्यू के दुष्प्रभावों से बचने के लिए इसे सही प्रकार से लेना जरूरी है, जिसके बारे में नीचे बताया गया है -

  • फीवरफ्यू के अर्क को लगातार 4 महीने से अधिक समय तक पीने से बचना चाहिए.
  • जो लोग लिवर और रक्त को पतला करने की दवाइयां ले रहे हैं, उन्हें फीवरफ्यू का उपयोग करने से बचना चाहिए.
  • गर्भवती महिलाओं को भी फीवरफ्यू लेने से बचना चाहिए. इससे गर्भपात का जोखिम बढ़ सकता है. स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए यह सुरक्षित है या नहीं, इस पर अभी पर्याप्त रिसर्च उपलब्ध नहीं है.
  • फीवरफ्यू को सर्जरी के कम से कम 2 सप्ताह तक बिल्कुल नहीं लेना चाहिए. इससे रक्तस्राव हो सकता है.

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आइए, अब यह जान लेते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए फीवरफ्यू का उपयोग किस-किस प्रकार किया जा सकता है -

  • फीवरफ्यू को अर्क के रूप में लिया जा सकता है.
  • फीवरफ्यू का सेवन चाय के रूप में भी किया जा सकता है.
  • फीवरफ्यू की सूखी पत्तियों, ताजी पत्तियों और अर्क का उपयोग दवा के रूप में किया जा सकता है. 
  • फीवरफ्यू के उन भागों का उपयोग औषधीय रूप में किया जाता है, जो जमीन के ऊपर उगती हैं.

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फीवरफ्यू एक हर्बल सप्लीमेंट है. इसका उपयोग माइग्रेन के इलाज के लिए सदियों से किया जा रहा है. कई अध्ययनों में यह भी साबित हुआ है कि फीवरफ्यू कैंसर, दर्द, तनाव और सूजन को भी दूर करने में मदद कर सकता है. त्वचा की समस्याओं को दूर करने में फीवरफ्यू लाभकारी हो सकता है, लेकिन फीवरफ्यू को कभी भी लगातार 4 महीने से अधिक समय तक नहीं लेना चाहिए. अगर कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर की सलाह पर ही इसका उपयोग करें. फीवरफ्यू लेने का सही समय व मात्रा डॉक्टर के परामर्श पर ही तय करें.

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