शरीर में आयरन का मुख्य स्त्रोत भोजन होता है। जैसे मीटअंडेमछली और हरी पत्तेदार सब्जियां। शरीर को विकसित होते समय (जैसे किशोरावस्था के दौरान), गर्भावस्था और स्तनपान के दिनों में अधिक आयरन की जरूरत पड़ती है। तब भी शरीर को आयरन की जरूरत पड़ती है, जब शरीर में आयरन की कमी हो जाती है (जैसे खून बहने के बाद)।

एक स्वस्थ पुरुष भोजन से ही पर्याप्त मात्रा में आयरन प्राप्त कर लेता है। अगर कोई पुरुष आयरन का सेवन बंद कर दे तो भी अगले कई सालों के लिए उसके शरीर में आयरन रहता है। भोजन से आयरन की पूर्ति हो जाने की वजह से पुरूषों में बहुत ही कम मामलों में आयरन की कमी देखी जाती है।

लेकिन महिलाओं में गर्भावस्थास्तनपान और मासिक धर्म के दौरान ब्लीडिंग के कारण बड़ी मात्रा में आयरन की कमी हो सकती है। इसलिए पुरूषों की तुलना में महिलाओं में आयरन की कमी होने की संभावना ज्यादा रहती है और उन्हें आयरन के सप्लिमेंट्स लेने की आवश्यकता पड़ सकती है। पुरूषों और महिलाओं (रजोनिवृत्ति के बाद) में आयरन की कमी अक्सर खून बहने के कारण होती है। खून अक्सर गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट (जठरतंत्र प्रणाली) में बहता है, जैसे पेट में अल्सर और कोलन कैंसर आदि के कारण।

(और पढ़ें - आयरन के कमी के लक्षण)

  1. आयरन टेस्ट क्या होता है? - What is Iron test in Hindi?
  2. आयरन टेस्ट क्यों किया जाता है? - What is the purpose of Iron test in Hindi
  3. आयरन टेस्ट से पहले - Before Iron Test in Hindi
  4. आयरन टेस्ट के दौरान - During Iron test in Hindi
  5. आयरन टेस्ट के क्या जोखिम होते हैं? - What are the risks of Iron test in Hindi
  6. आयरन टेस्ट की नॉर्मल रेंज और परिणाम - Normal range and results of Iron test in Hindi

आयरन टेस्ट  द्वारा खून में आयरन की मात्रा की जांच की जाती है, जिससे यह पता चलता है, कि शरीर में आयरन का चयापचय/उपापचय (Metabolism) कितने अच्छे से हो रहा है। आयरन एक प्रकार का मिनरल (खनिज) होता है, जो हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) के लिए आवश्यक होता है। हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं में एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो शरीर में ऑक्सीजन का संचार करता  है। शरीर में ऊर्जा, अंदरूनी अंगों के कार्यों और मांसपेशियों के लिए भी आयरन की जरूरत पड़ती है। शरीर का लगभग 70% आयरन लाल रक्त कोशिकाओं में स्थित हीमोग्लोबिन में होता है और बाकी का आयरन अन्य प्रकार के प्रोटीन (खून में ट्रांसफेरीन या अस्थिमज्जा में फेरीटिन) तथा शरीर के ऊतकों में जमा होता है।

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निम्न स्थितियों की जांच करने के लिए आयरन टेस्ट किया जाता है:

  1. लोहे की कमी की वजह से एनीमिया की जांच करने के लिए
  2. हेमोक्रोमेटोसिस नामक एक स्थिति की जांच के लिए
  3. पोषण संबंधी समस्या की जांच के लिए
  4. यह देखने के लिए कि क्या आयरन और पोषण संबंधी उपचार कार्य कर रहे हैं।

(और पढ़ें - खून की कमी दूर करने के उपाय)

आयरन की जांच करवाने से 12 घंटे पहले तक कोई भी आयरन सप्लिमेंट ना लें।

आयरन के स्तर में बदलाव दिनभर होता रहता है, इसलिए सुबह के समय आयरन टेस्ट करवाना बेहतर होता है, क्योंकि उस समय शरीर में आयरन का स्तर उच्च होता है।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट)

आयरन की कमी, एनीमिया, थकान जैसी समस्या के लिए Sprowt Vitamin B12 Tablets का उपयोग करें -
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  1. रक्त के प्रवाह को रोकने के लिए अपनी बांह के उपरी हिस्से में एक लोचदार पट्टी या बैंड लपेटें। इससे बैंड के नीचे की नसे फूलने लग जाती है, और उनमें में सुई डालना आसान होता है।
  2. अल्कोहल के साथ सुई वाली जगह को साफ करें।
  3. नस में सुई डालें।
  4. रक्त को भरने के लिए सुई में एक ट्यूब लगा लें।
  5. पर्याप्त रक्त निकाल लेने के बाद बैंड या पट्टी को खोल दें।
  6. सुई को निकालने के बाद उस जगह पर कॉटन पैड या रूई का टुकड़ा रखें।
  7. जगह पर दबाव डालें और फिर एक पट्टी बाँध लें।

(और पढ़ें - कोलेस्ट्रॉल टेस्ट)

नस से लिए गए ब्लड सैंपल से समस्या होने की बहुत ही कम संभावना होती है।

  1. जिस जगह पर सुई लगाईं जाती है वहां पर एक छोटा सा निशान या नीला पड़ सकता है।
  2. बहुत ही कम मामलों में, ब्लड सैंपल लेने के बाद नस में सूजन हो सकती है। इस समस्या को फ्लेबिटीस कहा जाता है। फ्लेबिटीस का उपचार करने के लिए उसे गर्म कपड़े आदि से दिन में कई बार सेका जाता है।
  3. ब्लीडिंग डिसऑर्डर वाले लोगों में खून बहना एक समस्या हो सकती है। एस्पिरिन, वारफेरिन (जैसे कौमडिन) और अन्य रक्त-पतला करने वाली दवाओं से रक्तस्राव की संभावना अधिक हो सकती है। यदि आपके पास रक्तस्राव या थक्के की समस्या है या यदि आप रक्त-पतला करने वाली औषधि लेते हैं, तो अपने ब्लड का सैंपल देने से पहले अपने डॉक्टर को बताएं।

(और पढ़ें - कम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट)

ट्रांसफर्रिन के लेबोरेटरी स्तर, आयरन और टीआईबीसी की मदद से कई बीमारियों के निदान में मदद मिलती है। इसमें एनीमिया और आयरन डेफिसिएंसी एनीमिया की जांच करने में मदद मिलने के साथ ही थैलासीमिया जैसी बीमारियों का मूल्यांकन करने में आसानी होती है।

आयरन टेस्ट की नॉर्मल रेंज
आयरन -

  • वयस्क पुरुष : 65-175 माइक्रोग्राम/डेसीलीटर (μg/dL) या 11.6-31.3 माइक्रोमोल्स/लीटर (μmol/L)
  • वयस्क महिलाएं : 50-170 μg/dL या  9.0-30.4 μmol/L
  • बच्चे : 50-120 μg/dL या 9.0-21.5 μmol/L
  • नवजात : 100-250 μg/dL या 17.9-44.8 μmol/L

टीआईबीसी -

  • पुरुष :  250-450 μg/dL या 44.8-76.1 μmol/L
  • महिलाएं :  250-450 μg/dL या 44.8-76.1 μmol/L

ट्रांसफर्रिन -

  • पुरुष : 250-425 mg/dL या 2.5-4.2 g/L
  • महिलाएं : 203-360 mg/dL या 2.0-3.6 g/L
  • नवजात : : 130-275 mg/dL या 1.3-2.7 g/L

ट्रांसफर्रिन (आयरन) सैचुरेशन :

  • पुरुष : 10-50%
  • महिलाएं : 15-50%

आयरल डेफिशिएंसी एनीमिया, गर्भावस्था और एस्ट्रोजन थेरेपी के दौरान ट्रांसफर्रिन का स्तर बढ़ा हुआ होता है।

माइक्रोसिस्टिक एनीमिया, क्रोनिक डिजीज, प्रोटीन की कमी, जलने, कुपोषण, गंभीर संक्रमण, एक्यूट लिवर डिजीज, रीनल डिजीज (नेफ्रोसिस), जेनेटिक डेफिशिएंसी, हेमोक्रोमाटोसिस जैसी स्थितियों में ट्रांसफर्रिन का स्तर कम हो सकता है।

आयरन डेफिशिएंसी एनीमिया, क्रोनिक ब्लड लॉस, क्रोनिक रोग (लुपस, रूमेटाइड आर्थराइटिस, क्रोनिक इंफेक्शन), गर्भावस्था और प्रोजेस्ट्रोन आधारित गर्भनिरोधक गोलियां व भोजन में कम आयरन की वजह से रक्त में आयरन की मात्रा कम हो सकती है।

हीमोलिटिक एनीमिया, थैलासीमिया, एक्यूट आयरन पोइजनिंग, आयरन ओवरलोड और इससे जुड़े सिंड्रोम, हेमोक्रोमाटोसिस, कई बार रक्तधान,  एक्यूट हेपाटाइटिस व लिवर डैमेज होने पर आयरन का स्तर बढ़ा हुआ आ सकता है।

आयरन की कमी, गर्भावस्था, अत्यधिक खून बन जाना और हेपाटाइटिस की वजह से टीआईबीसी बढ़ा हुआ आ सकता है।

हायपोप्रोटीनीमिया, हेमोक्रोमाटोसिस, नॉन आयरन डेफिशिएंसी एनीमिया, लिवर सिरोसिस, नेफ्रोसिस, थैलासीमिया और हायपरथायरोडिज्म के कारण टीआईबीसी का स्तर बढ़ा हुआ आ सकता है।

हेमोक्रोमाटोसिस, आयरन के अधिक सेवन, थैलासीमिया, हीमोसिडरोसिस और लिवर से जुड़ी गंभीर बीमारियों में आयरन सैचुरेशन लेवल बढ़ सकता है।

आयरन डेफिशिएंसी एनीमिया, मैलिग्नेंसी, इंफेक्शन से जुड़ा एनीमिया और क्रोनिक रोगों में आयरन सैचुरेशन लेवल कम हो सकता है।

(और पढ़ें - क्रिएटिनिन टेस्ट)

आयरन टेस्ट से जुड़े सवाल और जवाब

सवाल 4 साल से अधिक पहले

आयरन और टीआईबीसी टेस्ट क्या मापते हैं?

Dr. , सामान्य चिकित्सा

टोटल आयरन-बाइंडिंग कैपेसिटी टेस्ट खून की खुद को आयरन से जोड़ने की क्षमता को मापता है और इसे शरीर के सभी हिस्सों में पहुंचाता है। ट्रांसफरिन टेस्ट भी ऐसा ही है।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मुझे लगभग एक हफ्ते से चक्कर, थकान और बहुत कमजोरी महसूस हो रही है। मैंने टेस्ट भी कराए लेकिन उसमे भी कुछ ठीक से नहीं पता चला है, मैं बहुत परेशान हूं। क्या आयरन की कमी एनीमिया का लक्षण है या कुछ और है?

Dr. Vinod Verma MBBS , मधुमेह चिकित्सक

यह प्रॉब्लम आपको ब्लड प्रेशर और हीमोग्लोबिन के कम होने या शरीर में किसी तरह के संक्रमण की वजह से हो सकती है। आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

 

सवाल 4 साल से अधिक पहले

लगभग एक महीने से मुझे अपने हाथ और पैरों में ठंड सी महसूस हो रही है, मेरी जीभ में सूजन है और इसमें दर्द भी होता है, लोग कहते है कि यह पीला सा हो गया है। क्या यह लक्षण आयरन की कमी और एनीमिया का है? क्या इसके इलाज के लिए कोई उपचार है?

Dr. Ashish Mishra MBBS , पैथोलोजी

यह लक्षण एनीमिया का है। आप एनीमिया की जांच के लिए सीबीसी टेस्ट करवा लें जिससे डॉक्टर को यह पता लगाने में आसानी होगी कि एनीमिया कितना बढ़ गया है और इसका कारण क्या है। हां इसका इलाज है, इसके लिए आप अपनी सीबीसी टेस्ट रिपोर्ट के साथ डॉक्टर से मिलें।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मेरा हीमोग्लोबिन बहुत कम 7.6 है, मैं अभी 4 महीने की गर्भवती हूं। प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में आयरन को कैसे बढ़ा सकते हैं। मैं बहुत परेशान हूं, शरीर में आयरन को बढ़ाने के लिए मुझे कोई डाइट प्लान बताएं?

Dr. Haleema Yezdani MBBS , सामान्य चिकित्सा

शरीर में आयरन की कमी, आयरन का सेवन कम करने से या आयरन का खराब अवशोषण लेने की वजह से हो सकता है। डॉक्टर होने के नाते हम आपको सलाह देते है कि आप हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर और पपीते जैसे फल खाया करें। आप डॉक्टर से मिलकर अपनी जांच भी करवा लें रिपोर्ट के आधार पर वह आपको सही सलाह और इलाज बता पाएंगे।

संदर्भ

  1. Drew P., Oxford Handbook of Clinical and Laboratory Investigation. Hematology. 4th ed. 2018 pp 244-247.
  2. Wintrobe's Clinical Hematology. 12th ed. Greer J, Foerster J, Rodgers G, Paraskevas F, Glader B, Arber D, Means R, eds. Philadelphia, PA: Lippincott Williams & Wilkins: 2009, pp 792-793, 826-827.
  3. Harmening D, Clinical Hematology and Fundamentals of Hemostasis, Fifth Edition, F.A. Davis Company, Philadelphia, 2009, pp 122-127.
  4. Wilson DD. Hill Manual of Laboratory and Diagnostic Tests. Iron. 2007 pp 341-342
  5. Frances TF. Manual of Laboratory and Diagnostic Tests. Iron Tests. 7th ed. 2003 pp 74-77.
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