सर्दियों का मौसम और शादियों का सीज़न, अमूमन एक साथ चलते हैं। दरअसल भारत में नवंबर से मार्च के बीच शादियों का मौसम होता है। हालांकि, इस बीच लोग ये भूल जाते हैं कि जिस व्यक्ति के साथ वो पूरा जीवन व्यतीत करने जा रहे हैं। क्या वो शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ है? वास्तव में, शादी के बाद अक्सर कुछ वैवाहिक जोड़ों में प्रजनन से जुड़ी और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानी सामने आती है, जिसके बाद शादीशुदा जीवन में तनाव बढ़ता है और संबंध टूटने के कगार पर भी पहुंच जाता है।

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हालांकि, कुछ चीजों का ध्यान रखा जाए तो इन परेशानियों से बचा जा सकता है। अगर शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन चार तरह के जरूरी टेस्ट कराएं तो इन समस्याओं की आशंका कम हो जाती है। आइए आपको बताते हैं वो 4 जरूरी टेस्ट कौन से हैं?

बांझपन (इनफर्टिलिटी) का टेस्ट
वैवाहिक जीवन सिर्फ दो लोगों का साथ नहीं है, बल्कि इस रिश्ते से एक परिवार और आने वाली पीढ़ी का भविष्य भी तय होता है। इसलिए जरूरी है कि दूल्हा और दुल्हन दोनों ही अपना इनफर्टिलिटी टेस्ट कराएं। बांझपन परीक्षण आपके अंडाशय के स्वास्थ्य और शुक्राणुओं की संख्या के बारे में बताने के लिए किया जाता है।

  • चूंकि बांझपन के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं हैं,  इसलिए इनफर्टिलिटी टेस्ट यानी बांझपन का टेस्ट करना जरूरी हो जाता है, क्योंकि शादी के बाद यह ना केवल बेहतर सेक्स लाइफ के लिए सही होगा, बल्कि जब भी आप बच्चा पैदा करने की योजना बना रहे होंगे तो इस प्रकार की समस्या से दामपत्य जीवन प्रभावित हो सकता है। इसलिए इस टेस्ट से महिला और पुरुष किसी में ऐसी कोई परेशानी (अंडाशय और शुक्राणओं की संख्या) या बांझपन की समस्या का पहले की पता चल जाएगा।  
  • इनफर्टिलिटी टेस्ट के बाद लड़का और लड़की दोनों अपने शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में जान पाएंगे। जिससे सही फैसला लेने में मदद मिलेगी। साथ ही, किसी भी तरह की कमी होने पर इलाज की जरूरत होगी तो उसका ठीक उपचार हो पाएगा।

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ब्लड टेस्ट
वैसे तो ब्लड टेस्ट जरूरी नहीं है, लेकिन बच्चा पैदा करने की योजना बना रहे हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि आपके और आपके साथी के बीच समान आरएच कारक (रीसस कारक- जरूरत पड़ने पर एक दूसरे को खून देने के योग्य होना) हो।

  • अगर आपका ब्लड ग्रुप एक-दूसरे के अनुकूल नहीं हैं, तो यह गर्भावस्था के दौरान जटिलताएं पैदा कर सकता है।
  • एक आरएच की कमी दूसरे बच्चे के लिए घातक हो सकती है, क्योंकि यह एक ऐसी स्थिति है जहां एक गर्भवती महिला के रक्त में एंटीबॉडी उसके बच्चे की रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं।

आनुवांशिक (जेनेटिक) परीक्षण
कोई भी जेनेटिक बीमारी या परेशानी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आसानी से ट्रांसफर हो सकती है। इसलिए, देर होने से पहले जरूरी है कि इस तरह की पुरानी बीमारियों का पहले ही परीक्षण कराया जाए।

जेनेटिक बीमारियों में कुछ ऐसी हैं जो आने वाली पीढ़ी में ट्रांसफर हो सकती हैं। जिसमें स्तन कैंसर, पेट के कैंसर, गुर्दे के रोग और मधुमेह शामिल हैं। लिहाजा इससे पहले कि ये जीवनभर के लिए एक समस्या बनें, बेहतर है कि समय से पहले इनकी पहचान की जाए। ताकि ये आने वाली पीढ़ी के लिए एक खतरा ना बन सकें। इसलिए जेनेटिक टेस्ट जरूर कराना चाहिए।

एसटीडी (सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज)
आज के दौर में शादी से पहले लोगों का यौन संबंध बनाना सामान्य हो सकता है, इसलिए यौन संचारित रोगों (STD) के फैलने की आशंका होती है। इसलिए ये जरूरी है कि दोनों की भागेदारी से एसटीडी टेस्ट कराने का सही विचार हो। असुरक्षित यौन संबंध से एचआईवी/एड्स, गोनोरिया, हर्पीज, सिफलिस और हेपेटाइटिस सी का जोखिम हो सकता है। इसलिए एसटीडी परीक्षण या टेस्ट करवाना जरूरी है।

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कुल मिलाकर शादी के फैसले के साथ शादी से पहले दूल्हा और दूल्हन को ये मेडिकल टेस्ट जरूर कराने चाहिए। जिससे, वो अपने वैवाहिक जीवन को खुशी से व्यतीत कर सकेंगे। इसके अलावा इस तरह के टेस्ट के जरिए आप अपने होने वाले साथी के स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट का पता कर सकते हैं। जो दोनों के साथ-साथ भविष्य में आपकी होने वाली संतान के लिए भी काफी अहम है।

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