"ध्यान" या "मैडिटेशन" एक ऐसी मानसिक अवस्था है जिसमें व्यक्ति अपने दिमाग और मन को एकाग्रचित करने की कोशिश करता है। कई धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं के रूप में प्राचीन काल से ध्यान करने का अभ्यास किया जा रहा है। 

"ध्यान" वैसे तो अपने आप में एक मानसिक अवस्था है, लेकिन इसे आम और से एक अभ्यास के रूप में भी जाना जाता है। इसके अभ्यास से कोई नुकसान नहीं होता। अगर आप नियमित रूप से अभ्यास करें तो विपरीत परिस्थितियों में भी अपना मानसिक संतुलन बनाये रख सकते हैं और कई अन्य लाभ हासिल कर सकते हैं। 

"ध्यान" एक विचारहीन जागरूकता अवस्था (Thoughtless Awareness) है, जो नींद या समाधि नहीं है, इसमें व्यक्ति पूरी तरह से अपने नियंत्रण में होता है बस वो अपने दिमाग का उपयोग किसी का विश्लेषण करने अर्थात किसी और की बातें करने के लिए नहीं करता है। इस अवस्था में आपके दिमाग में कोई लौकिक विचार नहीं होता, लेकिन आप पूर्ण रूप से सचेत होते हैं। 

ध्यान का अभ्यास करने के कई तरीके हैं। इन तकनीकों की सहायता से प्राण (जीवन शक्ति) नामक आंतरिक ऊर्जा का निर्माण और करुणा, प्रेम, धैर्य, उदारता और क्षमा की भावना का विकास किया जाता है। इसके अलावा, तनाव और उच्च रक्तचाप कम करने जैसे कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं।

इस लेख से आपको उन सभी बातों की जानकारी मिल जाएगी जो आप ध्यान के बारे में जानना चाहते हैं, जैसे इसके लाभ, नियम और करने के तरीके आदि। 

  1. मेडिटेशन क्या है - Meditation ka matlab in Hindi
  2. ध्यान के प्रकार - Types of Mediation in Hindi
  3. ध्यान के नियम - Meditation ke niyam in Hindi
  4. ध्यान लगाने (मेडिटेशन) की विधि - Meditation karne ka tarika in Hindi
  5. मेडिटेशन (ध्यान) करने का सही समय - Meditation karne ka sahi samay in Hindi
  6. मेडिटेशन (ध्यान) के लाभ - Meditation ke fayde in Hindi
  7. मेडिटेशन का अनुभव कैसा होता है - How does meditation feel in Hindi
  8. ध्यान के नुकसान - Meditation ke nuksan in Hindi
  9. मेडिटेशन (ध्यान) का वीडियो - Meditation video in Hindi

आजकल मेडिटेशन (ध्यान) के नाम से हर कोई वाकिफ है। टीवी, इंटरनेट, फोन हर जगह इसके बारे में कुछ न कुछ सुनने या पढ़ने को मिल जायेगा। लेकिन इसकी इतनी लोकप्रियता के बावजूद, बहुत से लोग ये नहीं जानते हैं कि वास्तव में ध्यान है क्या? कुछ लोगों के अनुसार, ध्यान एक मानसिक एकाग्रता है अर्थात अपने दिमाग और मन को एकाग्र करना ही मेडिटेशन होता है, कुछ को लगता है कि ध्यान वो लोग करते हैं जिन्हें शांति या संतोष चाहिए होता है अर्थात जो लोग दुनिया के शोर शराबे से दूर रहना चाहते हैं।

ये अभ्यास वास्तव में ध्यान नहीं हैं। ये सब मेडिटेशन के विकल्प हैं क्योंकि आम तौर पर अपने दिमाग को एकदम से शांत करना या अनेकों विचारों को दिमाग में आने से रोकना आम आदमी के लिए बहुत कठिन काम है। वास्तव में, ध्यान बिना पहले से सोचे, बिना योजना बनाये दिमाग के अपने आप शांत रहने की अवस्था है। अर्थात इसके लिए आपको कुछ अलग से करने की ज़रूरत नहीं है। खुश रहने, आसपास के लोगों का प्यार मिलने आदि से इसका अनुभव अपने आप होता है।

ध्यान (Meditation) में किसी चीज़ या किसी व्यक्ति की कल्पना नहीं की जाती है, बल्कि इसमें मानसिक, भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से शांति महसूस की जाती है। अगर आप अपने दिमाग में आने वाले विचारों को विचारहीन जागरूकता अवस्था (Thoughtless Awareness) द्वारा धीमा कर सकते हैं तो इससे आपको बेहद फायदा होगा।

विचारहीन जागरूकता, नींद या समाधि नहीं है, इसमें व्यक्ति पूरी तरह से अपने नियंत्रण में होता है बस इसमें वो अपने दिमाग का उपयोग किसी का विश्लेषण करने अर्थात किसी और की बातें करने के लिए नहीं करता है।

आप मेडिटेशन की स्थिति में हैं या नहीं इसकी परवाह किये बिना आप किसी भी समय ध्यान कर सकते हैं। कोई व्यक्ति अपना रोज़मर्रा का काम करते समय भी ध्यान कर सकता है इसके लिए ये ज़रूरी नहीं कि आप कमल आसन (Lotus posture) की मुद्रा में पहाड़ों पर ही बैठें।

जब आप मेडिटेशन के विभिन्न स्पष्टीकरण और लेखों पर एक नज़र डालेंगे तो उनमें अक्सर कुछ क्षण चुपचाप बैठने या विचार करने के लिए कहा जाता है। सही मायनों में मेडिटेशन इससे बहुत अधिक है। यह गहरी शांति की एक ऐसी अनुभूति है जो तब होती है जब मन अंदर से शांत होता है। सच्चा मेडिटेशन वो होता है जिसमें न बदल पाने वाले अतीत और अनिश्चित भविष्य के बारे में सोचने के बजाय वर्तमान के समय पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। बात सिर्फ इतनी है कि ऐसा किया कैसे जाये। ये हम आपको इस लेख में बताएँगे।

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ध्यान करने का कोई सही या गलत तरीका नहीं है, आपको सिर्फ ऐसा अभ्यास करना है जो आपके लिए महत्वपूर्ण हो और आपके व्यक्तित्व को निखारे। मेडिटेशन के कई प्रकार हैं, उनमें से छह इस प्रकार हैं:

1. विपस्सना मेडिटेशन (Vipassana meditation)

विपस्सना सर्वाधिक महत्वपूर्ण ध्यान की विधि है। इसका उद्देश्य मानसिक शांति के लिए ध्यान केंद्रित करना होता है। इस प्रक्रिया में सांस का उपयोग किया जाता है। नियमित अभ्यास से आप अपने विचारों को समझने लगेंगे और विचारों को समझने से आपको स्वयं को समझने में मदद मिलती है।

इस प्रकार का ध्यान उन लोगों के लिए अच्छा होता है, जिनका मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं होता है, क्योंकि इसका अभ्यास अकेले और आसानी से किया जा सकता है।

2. आध्यात्मिक ध्यान (Spiritual meditation)

कई धर्मों जैसे हिंदू धर्म आदि में आध्यात्मिक ध्यान का प्रयोग किया जाता है। यह प्रार्थना करने के समान ही है। इसमें पूजा करते समय आप अपने चारों ओर शांति महसूस करते ही खुद को भगवान या ब्रम्हांड से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं।

आध्यात्मिक मेडिटेशन का अभ्यास घर या पूजा के स्थान पर किया जा सकता है। यह अभ्यास उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जिन्हें शांत वातावरण पसंद होता है और सिर्फ थोड़े से आध्यात्मिक विकास की ज़रूरत होती है।

3. केंद्रित ध्यान (Focused meditation)

केंद्रित मेडिटेशन में पांच इंद्रियों में से किसी भी एक का उपयोग करते हुए एकाग्रता लाने की कोशिश की जाती है। उदाहरण के लिए, आप किसी भी आंतरिक चीज़ जैसे सांस को लक्ष्य मानकर या किसी बाहरी चीज़ जैसे माला के मोती गिनकर या मोमबत्ती की लौ को देखकर उस पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

सुनने में यह अभ्यास सरल लग सकता है, लेकिन नए लोगों के लिए कुछ मिनटों से अधिक समय तक ये मेडिटेशन करना मुश्किल हो सकता है। यदि आपका मन भटकता है, तो पुन: अभ्यास करें।

जैसा कि नाम से पता चलता है, यह अभ्यास हर उस व्यक्ति के लिए उपयोगी हो सकता है, जिसे अपने जीवन में अतिरिक्त ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

4. गतिमान मेडिटेशन (Movement meditation)

ज्यादातर लोग गतिशील मेडिटेशन के नाम से योग (yoga) की कल्पना करने लगते हैं। इस अभ्यास में जंगलों में चलना, बागवानी करना, क्वीगोंग (Qigong- चीन में सांस नियंत्रित करने की प्रक्रिया) और अन्य गतिशील गतिविधियां इसमें शामिल हो सकती हैं। यह ध्यान का एक सक्रिय रूप है जहां ये गतिविधियां आपका मार्गदर्शन करती हैं।

गतिशील मेडिटेशन उन लोगों के लिए अच्छा होता है, जिन्हें कुछ न कुछ करते रहने में शांति मिलती है और अपने दिमाग को शांति देने के लिए भी उसे चलाते रहना पसंद होता है।

5. मंत्र ध्यान (Mantra meditation)

हिंदू और बौद्ध परंपराओं समेत ध्यान की अन्य तकनीकों में मंत्र ध्यान प्रमुख है। मन को साफ और शांत करने के लिए इस प्रकार के मेडिटेशन में एक शब्द, वाक्य या ध्वनि का बार बार उच्चारण करना होता है जैसे "ओम" इस प्रक्रिया में सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।

मंत्र को कुछ समय जपने के बाद, आप अधिक फुर्तीला और सुदृढ़ महसूस करेंगे। इस ध्यान को करने से आप अधिक गहराई से मन की शांति और शुद्धता का अनुभव करेंगे।

कुछ लोगों को मंत्र ध्यान अधिक आसान लगता है क्योंकि उन्हें सांस पर ध्यान केंद्रित करने से अधिक आसान एक शब्द का उच्चारण करना लगता है। यह उन लोगों के लिए भी एक अच्छा अभ्यास है जो बिलकुल शांति पसंद नहीं करते हैं।

6. गूढ़ चिंतन (Transcendental meditation)

ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन (Transcendental meditation) दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय प्रकार का ध्यान है। और इस पर ही सबसे ज्यादा वैज्ञानिक रूप से अध्ययन किया गया है। यह अभ्यास करने के लिए मंत्र ध्यान से अधिक अनुकूल होता है इसमें भी मंत्र या शब्दों का प्रयोग करके जो ध्यान के लिए ज़रूरी होता है, किया जाता है।

यह अभ्यास उन लोगों के लिए उपयोगी होता है जो ध्यान के अभ्यास को जारी रखने के बारे में गंभीर होते हैं अर्थात वास्तव में मेडिटेशन करना चाहते हैं।

मेडिटेशन या ध्यान करने के कुछ तरीके या नियम इस प्रकार हैं:

  1. ध्यान करने के लिए सही समय चुनें। सुबह 4 बजे से शाम 4 बजे तक का समय सबसे उत्तम होता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय सूर्य और पृथ्वी के बीच का कोण 60 अंश (60 degrees) पर होता है और इस समय बैठ कर ध्यान करने से पीयूष ग्रंथि (pituitary gland) और शीर्षग्रंथि (Pineal gland) पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
  2. शांत जगह पर अभ्यास करें जहां आपको ध्यान से भटकाने वाला कोई न हो।आरामदायक स्थिति में बैठें। आपकी बैठने की स्थिति से भी फर्क पड़ता है। खुद शांत, आराम और स्थिर होने का अनुभव करें।
  3. अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और बिलकुल सीधे बैठें। अपने कंधों और गर्दन को अधिक तान कर या अधिक ढीला न रखें। सामान्य स्थिति में रखें।
  4. कोशिश करें कि अभ्यास के समय पेट खाली हो। घर पर या ऑफिस में मेडिटेशन करने का सबसे अच्छा समय भोजन करने से पहले का होता है। भोजन करने के बाद मेडिटेशन करने में आलस आता है। हालांकि, जब आपको बहुत भूख लगी है तब यह ज़रूरी नहीं कि ध्यान करें ही। आप पहले भोजन कर लें क्योंकि इस स्थिति में भी आपका ध्यान खाने की तरफ लगा रहेगा।
  5. ढीले ढाले और आरामदायक कपड़े पहनें।
  6. यदि ठंड लग रही हो, तो पहले कुछ एक्सरसाइज कर लें। थोड़ी सी शरीर में गर्मी लाने वाली एक्सरसाइज या योग अभ्यास मेडिटेशन से पहले करने से रक्त परिसंचरण में सुधार होता है। इससे बेचैनी दूर होती है और शरीर का आलस चला जाता है। (और पढ़ें - थकान दूर करने और ताकत के लिए क्या खाएं)
  7. गहरी साँस लें। गहरी साँस लेने के साथ ही साथ कुछ नाड़ीशोधन प्राणायाम अर्थात रक्त वाहिकाओं में रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने वाले योग करना हमेशा अच्छा होता है।
  8. ध्यान करते समय अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट रखें। इससे आपको आराम, शांति और ध्यान में मन लगाने में मदद मिलती है।
  9. बैठकर ध्यान करते के वक़्त अपनी आँखें बंद रखें। इससे ध्यान करते समय मन नहीं भटकता।
  10. अभ्यास ख़त्म होने के बाद धीरे धीरे अपनी आँखें खोलें। अब अपने अंदर आयी स्फूर्ति को महसूस करने की कोशिश करें। आपको ताज़गी का एहसाह होगा।

निम्न बातों का पालन करके ध्यान अभ्यास करने की कोशिश करें।

  1. आराम से बैठें या लेटें। यदि ज़रूरत हो तो कुर्सी या तकिया का उपयोग भी कर सकते हैं।
  2. अपनी आँखें बंद करें। अगर चाहें तो आँखों को शीतलता प्रदान करने वाले मास्क का उपयोग करें।
  3. सांस को नियंत्रित करने की कोशिश न करें, स्वाभाविक तरीके से साँस लें।
  4. सांस पर अपना ध्यान केंद्रित करें और सांस अंदर लेने और बाहर निकालने पर शरीर की गतिविधियों पर गौर करने के साथ साथ अपनी छाती, कंधों, पसलियों और पेट का भी निरीक्षण करें। बस अपनी सांस पर अपना ध्यान केंद्रित करें बिना उसकी गति या तीव्रता को नियंत्रित किए। यदि आपका मन भटकता है, तो दोबारा ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें।
  5. इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए दो से तीन मिनट लगेंगे और फिर इसे लम्बे समय के लिए बनाये रखने का प्रयास करें।

याद रखें कि यह बहुत ही सरल मेडिटेशन विधि है। कई अन्य प्रकार की ध्यान विधियां भी हैं जिनको करने के तरीके अलग अलग हैं। यदि आप एक विशिष्ट ध्यान तकनीक सीखना चाहते हैं, तो आपको एक अनुभवी शिक्षक से मार्गदर्शन लेना चाहिए।

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मेडिटेशन किसी भी समय किया जा सकता है। हालांकि, सुबह जल्दी या देर रात का समय ध्यान करने के लिए उत्तम होता है क्योंकि इस समय दुनिया शांत रहती है अर्थात बाहर का शोर शराबा कम होता है। इस समय ध्यान करने का ये फायदा होता है कि आपको दैनिक कार्यों के साथ इसे भी करने की टेंशन नहीं रहती और आपको फोन कॉल या अन्य घरेलू कामों से परेशानी नहीं होती। या फिर आप अपने हिसाब से भी समय निकाल सकते हैं जैसे यदि आपके घर में बच्चे हैं तो आप उनके सोने के बाद मेडिटेशन कर सकते हैं।

रोज़ाना एक ही समय ध्यान करना सर्वोत्तम होता है। इससे संतुलन बनता है और मेडिटेशन को अपने जीवन का हिस्सा बनाने में मदद मिलती है। सुबह सुबह ध्यान करने में अच्छाई यह है कि आपका पेट उस समय खाली होता है। ध्यान और योग, खाने के करीब चार घंटे बाद करने चाहिए। (और पढ़ें - खाली पेट पानी पीने के 9 बड़े फायदे)

मेडिटेशन के स्वास्थ्य लाभ निम्न प्रकार हैं, जिन्हें वैज्ञानिक अध्ययनों द्वारा प्रमाणित किया गया है -

1. यह तनाव कम करता है।
सबसे ज्यादा लोग, तनाव कम करने के लिए ध्यान करने का प्रयास करते हैं। एक अध्ययन से पता चला है जिसमें 3,500 से अधिक वयस्क भी शामिल थे कि ध्यान करने से उनके तनाव में कमी आयी है।
एक रिसर्च से यह भी पता चला है कि मेडिटेशन करने से तनाव संबंधित स्थितियों में भी सुधार होता है, जैसे अनियमित मलत्याग के कारण होने वाली चिड़चिड़ाहट, किसी चोट या दुर्घटना के कारण तनाव होना और फाइब्रोमाएल्जिया (Fibromyalgia- माँसपेशियों और हड्डियों का दर्द) आदि। (और पढ़ें - एड़ी में दर्द के घरेलू उपाय)

2. बात बात पर चिंता करना कम हो जाता है।
तनाव जितना कम होगा चिंता भी उतनी ही कम होगी। ध्यान करने से चिंता के कारण होने वाले रोगों को भी ठीक करने में मदद मिलती है, जैसे फोबिया (किसी भी चीज़ का डर) सामाजिक चिंता (समाज वाले क्या कहेंगे), वहम पैदा करने वाले विचार, जुनूनी व्यवहार और दिमाग में खलबली मचा देने वाली बातें आदि। कई अध्ययनों के अनुसार, विभिन्न प्रकार की ध्यान की तकनीकों को अपनाने से चिंता कम करने में फायदा होता है। ध्यान करने से, ऑफिस में काम के अधिक दबाव के कारण होने वाली चिंता को भी नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।

3. भावनात्मक स्वास्थ्य को बढ़ाता है।
कुछ प्रकार के मेडिटेशन करने से आपका स्वयं के प्रति नजरिया बदलता है और जीवन के प्रति दृष्टिकोण भी सकारात्मक होता है।

विपस्सना मेडिटेशन के दो अध्ययनों के अनुसार, इससे 4,600 वयस्कों में तनाव कम हुआ है।

एक अन्य अध्ययन के अनुसार, जो लोग विपस्सना मेडिटेशन करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो नहीं करते हैं, उनके मस्तिष्क की गतिविधियां उनके नियंत्रण में होती हैं अर्थात उनका अपने दिमाग पर नियंत्रण होता है। जो लोग ध्यान करते थे उनकी सोच में बदलाव दिखाई देता है वो अब पहले से अधिक सकारात्मक सोचने लगे हैं। (और पढ़ें - दिमाग तेज करने के घरेलू उपाय और क्या खाये)

4. स्व-जागरूकता बढ़ाता है।
कुछ प्रकार के मेडिटेशन से आपको स्वयं को समझने में मदद मिलती है। जिससे आप अपनी परेशानियों और विपरीत परिस्थितियों में खुद पर नियंत्रण रख सकते हैं।

उदाहरण के लिए, स्वयं का आंकलन मेडिटेशन (Self inquiry meditation) का उद्देश्य खुद को और अधिक समझने में आपकी सहायता करना है और उसकी मदद से खुद को आसपास के लोगों से जोड़ने में सहायता होती है।

5. एकाग्रता बढ़ाता है।
केंद्रित ध्यान वाला मेडिटेशन एकाग्रता बढ़ाने में आपकी मदद कर सकता है। ध्यान केंद्रित करने में जिस शक्ति और धैर्य की ज़रूरत होती है, यह उसे बढ़ाता है।

उदाहरण के लिए, एक अध्ययन में आठ हफ़्तों के बाद विपस्सना मेडिटेशन के प्रभावों को देखा गया और यह पाया कि इसमें हिस्सा लेने वाले लोगों की ध्यान करने की क्षमता में बढ़ोतरी हुयी है। यहां तक कि अब थोड़े समय के लिए ध्यान करने से भी उनको फायदा हो सकता है। एक और अध्ययन में पाया भी गया कि अब हफ्ते में चार दिन ध्यान का अभ्यास करने से भी आपको मेडिटेशन का फायदा मिलता है।

6. भूलने की समस्या को कम करता है।
एकाग्रता में सुधार करने के लिए आपको नियमित और मन साफ़ से मेडिटेशन करना होगा। इससे अधिक उम्र में भूलने की होने वाली समस्या और डिमेंशिया (Dementia- मनोभ्रम) से छुटकारा मिलता है।

अध्ययनों के मुताबिक, कई प्रकार की मेडिटेशन तकनीकों से वृद्ध लोगों में भी एकाग्रता, याददाश्त और दिमाग की तेज़ी में बढ़ोतरी पायी गयी है। (और पढ़ें - याददाश्त बढ़ाने के घरेलू उपाय)

7. ध्यान आपको दयालु बनाता है।
कुछ प्रकार के मेडिटेशन विशेष रूप से सकारात्मक विचारों तथा स्वयं और दूसरों के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रियाओं को बढ़ाते हैं। मेटा (Metta), एक प्रकार का ध्यान है जिसे प्रेम और परोपकार मेडिटेशन (loving-kindness meditation) के रूप में भी जाना जाता है, आपमें दया भाव बढ़ाता है। इसका अभ्यास करने से, दूसरों के प्रति दया और क्षमा की भावना विकसित होती है।

8. बुरी आदतों को छोड़ने में मदद करता है।
ध्यान के माध्यम से आपका मानसिक अनुशासन बढ़ता है। जिससे आपका स्वयं पर नियंत्रण बढ़ता है और आपकी समस्या का कारण क्या है ये जानने में भी आसानी होती है। इस वजह से आपकी दूसरी चीज़ों पर निर्भर रहने की आदत ख़त्म होती है।
मानसिक जिसे आप से विकसित कर सकते हैं, आपको नशे की लत व्यवहार के लिए अपने आत्म-नियंत्रण और ट्रिगर्स की जागरूकता बढ़ाने के द्वारा निर्भरता को तोड़ने में मदद कर सकता है।

मेडिटेशन, पुनः ध्यान केंद्रित करने, इच्छाशक्ति बढ़ाने, भावनाओं और लालसा को नियंत्रित करने और बुरी आदतों के कारणों को समझने में मदद करता है।

9. नींद में सुधार करता है।
लगभग भारत की आधी आबादी अनिद्रा की समस्या से ग्रस्त है। अध्ययनों के अनुसार, मेडिटेशन करने वाले लोगों को सही समय पर और गहरी नींद आती है जबकि न करने वाले अधिकतर लोग उनकी तुलना में नींद न आने की बीमारी या सोते समय बीच में बार बार नींद टूटने से परेशान रहते हैं।

10. किसी भी प्रकार के शारीरिक दर्द को कम करता है।
आपके दर्द का सीधा सम्बन्ध आपके मस्तिष्क से होता है और यह तनावपूर्ण परिस्थितियों में और बढ़ जाता है।

एक अध्ययन से यह पता चला है कि समान प्रकार के दर्द का अनुभव करने वाले लोग जिनमें से कुछ मेडिटेशन करते थे और कुछ नहीं, तो जो लोग ध्यान करते थे उनमें दर्द को सहने की अधिक क्षमता होती थी और यहां तक कि दर्द भी कम हो जाता था और जो नहीं करते थे उनका दर्द और तीव्र होता जाता था। वास्तव में आप जैसा सोचते हैं वैसा ही होता है। अगर आप किसी समस्या के बारे में ज्यादा सोचेंगे तो वो और अधिक महसूस होगी और वहां से 'ध्यान' हटा लेंगे तो कुछ क्षण के लिए उसे भूलने पर उसका अनुभव ही नहीं होगा। मेडिटेशन उस 'ध्यान' पर ही नियंत्रण बनाता है।

11. ब्लड प्रेशर कम करने में सहायता करता है।
मेडिटेशन करने से हृदय पर पड़ने वाला दबाव कम होता है। जिससे शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

996 लोगों पर प्रयोग करने पर यह पाया गया कि जब वे एक "मौन मंत्र" पर ध्यान केंद्रित करके उसे बार बार दोहराते हैं तो उससे औसतन पांच प्रतिशत तक ब्लड प्रेशर कम होता है।

कुछ स्थितियों में, तंत्रिका तंत्र के संकेतों को नियंत्रित करके ध्यान करने से भी ब्लड प्रेशर कम होता है क्योंकि तंत्रिका तंत्र का सीधा संबंध रक्त वाहिकाओं और हृदय से होता है।

क्या आप जानते हैं कि नियमित रूप से मेडिटेशन अनुभव करते हैं?

जिस तेज़ी से लोग ध्यान लगाना सीखते हैं, उनको होने वाली अनुभूति में उतनी ही समानता होना थोड़ा मुश्किल होता है। क्योंकि हर व्यक्ति पर उसके दिमाग के अनुसार अलग अलग असर होता है। पुराने समय में ध्यान करने वालों ने इस बारे में जानना शुरु किया और उसके बाद सैकड़ों या शायद हजारों मेडिटेशन करने वाले इसे साबित भी कर चुके हैं।

"ध्यान के 9 चरणों" में एक मेडिटेशन करने वाले व्यक्ति द्वारा महसूस की गयी चीज़ों का बड़ा ही सुन्दर और सचित्र विवरण हैं, इस चित्र में "हाथी को शिक्षित" (चित्रानुसार) करने के माध्यम से समझाया गया है कि मेडिटेशन के बाद कैसा अनुभव होता है। यह तरीका दुनिया भर के कई तिब्बती मठों में पाया जाता है। मेडिटेशन के 9 चरण इस प्रकार हैं -

चरण 1

जैसे ही आप ध्यान करना शुरू करेंगे और चारों ओर की दुनिया से अपना सारा ध्यान हटाकर विचारों में लगाएंगे, आप यह देखकर हैरान हो जायेंगे कि इस क्रिया में भी आप खुद को उल्टा ही व्यस्त पाएंगे जितना आप और कार्यों को करने में होते हैं। क्योंकि भीतरी दुनिया में आपके विचार, आपकी भावनाएं, कुछ यादें, अधिकतर डर और बहुत सारा अतीत, कुछ अच्छे पल आदि सब एक साथ ध्यान आते हैं।

चरण 2

यह इतना लम्बा समय नहीं होता है जितना लग रहा है। बीच बीच में आप थोड़े समय के लिए शांत हो जाएं अर्थात मेडिटेशन में थोड़ा ब्रेक लें, जहां सिर्फ एक पल के लिए आपका मन शांत हो और फिर दोबारा केंद्रित वस्तु पर ध्यान लगाइये। आपका मन समय समय पर भटक सकता है लेकिन आपको इसे वापस केंद्रित वस्तु पर लगाना होगा। यह प्रक्रिया मेडिटेशन करने के लिए सीखनी ज़रूरी है इसके साथ ही यह भी कि मन को वापस कैसे लगाया जाये, इसमें कितना समय लगता है और आपको केंद्रित वस्तु पर ध्यान कैसे लगाना है आदि।

चरण 3

यदि आप कुछ हफ्तों या महीनों के लिए ध्यान करने का अभ्यास करते रहेंगे, तो एक समय में आप ऐसी अवस्था तक पहुंच जायेंगे जहां आप अपना ध्यान केंद्रित वस्तु पर करीब आधे समय तक लगातार रख सकेंगे। तब बाहरी आकर्षण या चीज़ों से आपका ध्यान नहीं भटकेगा क्योंकि आप तब तक यह समझ चुके होंगे कि वास्तव में मन अंदर से भटकता है बाहर से नहीं। वास्तव में, इस चरण में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि आप इस बात को दिल से मानने लगेंगे।

यह शांत होने का एक अनिवार्य हिस्सा है। वास्तव में शांति क्या है? अगर आपको नकारात्मक चीज़ों को देखने, सुनने या महसूस करने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता है तो आप आंतरिक रूप से शांत रहना सीख गए हैं।

चरण 4

चौथे चरण तक आप चीजों को नए स्तर से महसूस करना शुरू कर देंगे। आपका मन जिन चीज़ों से भटकता था उनके उत्पन्न होने से पहले ही आप उनको पहचानने में सक्षम हो जाएंगे। इसलिए, नकारात्मक भावनाओं और विचारों के प्रति आपकी प्रतिक्रियाएं कम समय में, तीव्र और सकारात्मक हो जाएंगी। इसके बाद अपने आप को शांत करने की कोशिश करें। अब आप थोड़ी सुस्ती और थोड़े उत्साह का अनुभव करेंगे। यह उत्साह अवसाद के विपरीत है, लेकिन यह अभी भी उच्च स्तर के ध्यान के लिए कम है।

चरण 5, 6 और 7

5वें चरण में आते आते आप अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण करना लगभग सीख जाते हैं। अब आप कभी कभी बिना केंद्रित वस्तु के भी ध्यान लगा सकते हैं। अब आपको सिर्फ अपने मन को नियंत्रित करना सीखना है जिसकी वजह से तरह तरह के भटकाने वाले विचार दिमाग में आते हैं। आपको ध्यान के द्वारा अपने अंदर मौजूद स्थिरता को पहचानना होगा। आपको धीरे धीरे इस बात का अनुभव होने लगेगा कि जो कुछ भी होता है वो आपके भीतरी अनुभव के कारण होता है। अगर आप अच्छा सोचेंगे तो सब अच्छा अच्छा होगा और यदि नकारात्मक सोचेंगे तो हर जगह समस्या उत्पन्न होगी। यह सब आपके दिमाग का खेल है, लेकिन इस दिमागी खेल में अब आपको मज़ा आने लगेगा। 7वें चरण तक आपका मेडिटेशन इतना मजबूत हो जायेगा कि आप केवल ध्यान करने के समय के मुकाबले 24 घंटों में मेडिटेशन का अधिक असर देखने को मिलेगा।

चरण 8 और 9

ये ध्यान के अंतिम चरण हैं, जिनमें आपको समुद्र में लहरों की तरह अपने ध्यान को एक ओर केंद्रित करना सीखना होगा। लोग आम तौर पर अपने ध्यान अभ्यास के दौरान इन भावनाओं को बताते हैं:

  1. गहरी शांति।
  2. शरीर और मन का पुनर्जन्म।
  3. संतोष, अच्छा और शारीरिक सुख महसूस करना।
  4. स्वयं को सम्पूर्ण और एकाग्र महसूस करना।

लेकिन, ध्यान की वास्तविक भावना का केवल अनुभव किया जा सकता है केवल शब्दों में पर्याप्त रूप से उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है।

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हालांकि ध्यान के कई लाभ हैं लेकिन उसकी कुछ कमियां भी हैं जिन्हें जानना महत्वपूर्ण है, जो अभ्यास के दौरान उत्पन्न हो सकती हैं।

यह खासतौर से शुरुआती लोगों के लिए जानना अधिक ज़रूरी है, जो नीचे दी गई चुनौतियों में से एक का सामना ज़रूर कर सकते हैं। मेडिटेशन और योग शिक्षकों को भी इन महत्वपूर्ण कमियों से जागरूक होना चाहिए, क्योंकि उनके छात्रों को ऐसी ही चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, और समर्थन की आवश्यकता हो सकती है।

1. अपने लिए ध्यान करने की "सही" तकनीक ढूंढना।
कुछ शिक्षकों या पुस्तकों का मानना है कि उनका तरीका ही ध्यान करने का सबसे सही तरीका है। अन्य तरीकों को वे गलत तकनीक बताकर खारिज कर देते हैं। यह बिलकुल गलत है, इस बारे में सतर्क रहिये। मेडिटेशन के बारे में सबसे अच्छी चीज़ यह है कि इसे करने के कई तरीके और तकनीक हैं। ध्यान करने के कई दृष्टिकोण भी हैं, और आपको केवल एक तरीका खोजना है जो आपके लिए सही साबित हो।

2. अपनी दबी हुई भावनाओं का सामना करना।
आपके ध्यान में अनुभव करने वाली सबसे गहरी चीज़ ये होती है कि आप खुद को पहचानते हैं। है। उसी प्रक्रिया में, दफन और दबी हुयी भावनाओं से आपका सामना होता है। ध्यान का मुख्य उद्देश्य आपके अंदर गहरायी में मौजूद, क्रोध, डर या ईर्ष्या की भावनाओं को नष्ट करना होता है, जिससे आपको असहज महसूस होता है। यह मेडिटेशन की एक स्वाभाविक और स्वस्थ प्रतिक्रिया है, और ये भावनाएं धीरे धीरे कम होती जाएंगी। अगर ध्यान करने वाला व्यक्ति इस कमी से अज्ञात होता है तो उन दफन भावनाओं से सामना होने पर उसे लगता है कि कुछ गड़बड़ हो रहा है और वो मेडिटेशन करना बंद भी कर सकता है। 

(और पढ़ें - गुस्सा कैसे कम करें)

3. एक सम्पूर्ण मेडिटेशनकर्ता बनने की कोशिश करना।
आपको शायद खुद से उम्मीदें भी हो सकती हैं। यदि आप लंबे समय तक ध्यान के लिए बैठने लगते हैं, ध्यान करने के बाद शांति महसूस करते हैं और गुस्से पर आपका काबू हो गया है आदि स्थितियों में आप खुद से ज्यादा उम्मीदें लगाने लगते हैं। हम इंसान हैं और जैसा आजकल का वातावरण है उसमें कई बार केवल शांति से बैठना और ध्यान केंद्रित करना ही कठिन होता है तो आप इससे संतुष्ट रहिये और सम्पूर्ण मेडिटेशनकर्ता बनने के बारे में न सोचें।

4. मेडिटेशन को चिकित्सा की तरह समझने लगना।
मेडिटेशन एक लम्बे समय तक करने वाला अभ्यास है, जो स्वास्थ्यप्रद और भीतरी पोषण देता है। हालांकि, अगर कोई कठिनाइयों का सामना कर रहा है और उसे इलाज की सख्त ज़रूरत है। तो मेडिटेशन उसका इलाज नहीं है। हो सकता है कि उन्हें वास्तव में चिकित्सक की ज़रूरत हो।

5. मोह माया से दूर होने का खतरा।
मोह माया से दूर करना ध्यान का एक विशेष गुण है। लेकिन भारत में यह नुकसानदायक हो सकता है। हालाँकि मोह माया से दूर होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आपके जीवन में होने वाले नाटकों का आप पर कोई असर नहीं पड़ता है और मानसिक शांति महसूस करने में मदद मिलती है।

हालांकि, मोह माया से दूर होने का मतलब यह नहीं है कि किसी भी चीज को नज़रअंदाज़ करना, उसपर अधिकार जमाना या उपेक्षा करना। आपको अपने आसपास के लोगों और गतिविधियों से अलग नहीं होना चाहिए। क्योंकि ये सब आपको प्यार करते हैं और आपको निष्क्रिय या बेकार नहीं बनना चाहिए।

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संदर्भ

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