जनवरी-फरवरी में तापमान काफी कम हो जाता है. गिरते तापमान का असर सबसे ज्यादा बच्चों पर पड़ता है. ऐसे में बच्चों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. अगर सर्दियों में बच्चे को ठंड लग जाती है, तो उसे कई तरह की परेशानियां, जैसे पेट दर्द, डायरिया, खांसीजुकाम आदि का सामना करना पड़ता है.

बच्चे को ठंड लगने पर उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं. इसके अलावा, इस दौरान बच्चे के शरीर को हाइड्रेट रखें, बलगम साफ करें और तरल पदार्थों का सेवन कराएं. इन तरीकों से आप ठंड लगने पर होने वाली परेशानी को दूर कर सकते हैं.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि बच्चे को ठंड लगने पर क्या करना चाहिए -

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  1. बच्चों को ठंड लगने के लक्षण
  2. बच्चे को ठंड लगने पर क्या करना चाहिए?
  3. डॉक्टर के पास कब जाएं
  4. सारांश
बच्चे को लगे ठंड, तो अपनाएं ये टिप्स के डॉक्टर

बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है. ऐसे में बच्चे ठंड के बढ़ते ही या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते ही बीमार हो जाते हैं. बच्चों के संक्रमित होते ही लगभग 1 से 3 दिन बाद ठंड लगने के लक्षण नजर आने लगते हैं. ये लक्षण निम्न प्रकार के हो सकते हैं -

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अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, अधिकतर मामलों में 6 साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं नहीं दी जाती हैं, लेकिन कुछ प्राकृतिक तरीकों से उन्हें आराम महसूस कराया जा सकता है. आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं -

बलगम साफ करें

यदि आपके बच्चे की नाक बलगम से भरी हुई है, तो नाक को अच्छे से साफ करें, क्योंकि इसकी वजह से आपके बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो सकती है. नाक को साफ करने के लिए नथुने में खारा (नमक के पानी) के घोल की कुछ बूंदें स्प्रे करें. फिर बलगम को हटाने के लिए एक बल्ब सिरिंज का उपयोग करें.

बल्ब को निचोड़ें और फिर टिप को अपने बच्चे के नथुने में रखें. बलगम को धीरे से बाहर निकालने के लिए बल्ब को छोड़ दें. प्रत्येक उपयोग के बाद सिरिंज की नोक को साबुन और पानी से अच्छे तरीके से धो लें. यदि आप घर पर खारा घोल तैयार कर रहे हैं, तो नल के पानी को उबालकर उपयोग करें.

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बच्चे को रखें हाइड्रेटेड

एक्सपर्ट का कहना है कि वयस्कों की तरह बच्चों को भी बीमार होने पर खाने का मन नहीं करता है. इस वजह से वे दूध पीना छोड़ सकते हैं, लेकिन इस स्थिति में शिशु को दूध जरूर पिलाएं. एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर बच्चा दूध नहीं पिएगा, तो वह डिहाइड्रेशन की चपेट में आ सकता है. इस स्थिति में बच्चे को इलेक्ट्रोलाइट दिया जा सकता है.

इसके अलावा, बच्चे को 100% फलों का रस भी दे सकते हैं. इस तरह का आहार बच्चे को डिहाइड्रेशन से बचा सकता है. साथ ही इससे बच्चे का नाक और मुंह भी हाइड्रेट रह सकता है. हालांकि, बच्चे को किसी भी तरह का आहार देने से पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श लेने की आवश्यकता होती है.

जमा कफ को नमी के साथ निकालें

बच्चे बड़ों की तरह खांसी करके कफ को बाहर नहीं निकाल सकते हैं. इसलिए, उनके लिए कफ को साफ करना कठिन हो सकता है. सीने में जमा कफ को बाहर करने के लिए प्राकृतिक उपायों की मदद ली जा सकती है. इसके लिए बच्चे को बाथरूम में ले जाएं और उन्हें गर्म और भाप से भरा शॉवर दें.

आप बच्चे को डॉक्टर की सलाह पर नेबुलाइजर भी करवा सकते हैं. ऐसा करने से बच्चे की नाक बहने लगेगी, उसके गले और सीने में जमा म्यूकस ढीला होकर शरीर से बाहर निकलने लगेगा. यह तरीका सोने से पहले अपनाया जा सकता है. बस ध्यान रखें कि बच्चे को ज्यादा गर्म पानी के आसपास न रखें. इससे बच्चा जल सकता है.

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आराम कराएं

बीमार होने पर आपके बच्चे को अधिक नींद की आवश्यकता होती है, लेकिन ठंड लगने पर कुछ बच्चों के लिए आराम करना बहुत ही कष्टदायक हो सकता है. अगर बच्चा सो नहीं पा रहा है, तो उन्हें अन्य तरीके जैसे- गाना बजाना, नहाना, थपथपी से उन्हें सोने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है.

ह्यूमिडिफायर चलाएं

अपने बच्चे के कमरे में झपकी के दौरान और रात के समय एक कूल मिस्ट ह्यूमिडिफायर लगाएं. इससे बच्चा ठंड से बच सकता है. क्योंकि ऐसा करने से ह्यूमिडिफायर शुष्क सर्दियों की हवा को नम करते हैं, जो खांसी और ठंड से राहत मिल सकता है. ध्यान रखें कि ह्यूमिडिफायर बच्चे की पहुंच से दूर रहे.

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3 महीने तक के शिशुओं को अगर 100.4 डिग्री फारेनहाइट से अधिक बुखार है, तो इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. वहीं, इससे अधिक उम्र के बच्चों को अगर 3 दिन से अधिक बुखार हो रहा है, साथ ही सांस लेने में परेशानी, खांसी व छाती में घरघराहट है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से पास ले जाएं.

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बच्चों को ठंड लगने पर उन्हें दवाइयां नहीं दी जा सकती है. इस स्थिति में उन्हें ठंड से बचाने के लिए कुछ घरेलू तरीके अपनाए जा सकते हैं. इससे उन्हें काफी हद कर आराम मिल सकता है. बस ध्यान रखें कि अगर बच्चे को लंबे समय से ठंड लगने के लक्षण दिख रहे हैं, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से पास ले जाएं, ताकि किसी भी तरह की गंभीर परेशानी से बचा जा सके.

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