थकान के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन कभी-कभी बिना किसी कारण के भी थकान हो सकती है. इसके अलावा, पर्याप्त नींद के बाद भी सुस्ती महसूस हो और नमकीन खाने की क्रेविंग हो, तो ये एड्रिनल फटीग के लक्षण हो सकते हैं. अब सवाल यह उठता है कि एड्रिनल फटीग आखिर क्या है? क्या एड्रिनल फटीग जैसी कोई स्वास्थ्य समस्या होती भी है या नहीं.

आज इस लेख में आप एड्रिनल फटीग के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. एड्रिनल फटीग क्या है?
  2. एड्रिनल फटीग या इंसफिशिएंसी के लक्षण
  3. एड्रिनल फटीग का इलाज
  4. सारांश
एड्रिनल फटीग क्या है, लक्षण व इलाज के डॉक्टर

हमारे शरीर में मौजूद एड्रेनल ग्लैंड कुछ खास तरह के हार्मोंस रिलीज करते हैं. ये हार्मोंस शरीर को सही तरीके से कार्य करने में सहायता करते हैं. इससे स्ट्रेस को मैनेज करने में मदद मिल सकती है, शरीर को फैट व प्रोटीन मिल सकता है और शुगर व हृदय रोग का जोखिम कम हो सकता है. वहीं, जब एड्रिनल ग्लैंड पर्याप्त रूप से हार्मोन का निर्माण नहीं कर पाता है, तो शरीर में कई तरह के लक्षण दिख सकते हैं. हालांकि, मेडिकल में एड्रेनल फटीग नामक टर्म नहीं है, लेकिन एड्रेनल इंसफिशिएंसी (adrenal insufficiency) जरूर है.

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ये लक्षण साधारण हो सकते हैं. दरअसल, अगर किसी को काफी समय से चिंता या तनाव की समस्या है, तो उसके एड्रेनल ग्लैंड कोर्टिसोल जैसे हार्मोन का उत्पादन जारी नहीं रख पाते हैं और इसके कारण लक्षण विकसित हो सकते हैं, जो निम्न प्रकार से हैं -

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अगर किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के कारण एड्रिनल फटीग की परेशानी है, तो डॉक्टर उस खास स्वास्थ्य समस्या का उपचार कर सकते हैं. इसके अलावा, डॉक्टर नीचे बताए गए तरीकों से भी एड्रिनल फटीग का उपचार कर सकते हैं -

दवाइयां

अगर किसी तरह की विटामिन या मिनरल की कमी हुई है, तो डॉक्टर इसके लिए दवा दे सकते हैं. ध्यान रहे थकावट महसूस होने पर अपने आप कोई सप्लीमेंट न लें, बल्कि पहले इस बारे में डॉक्टर से सलाह लें.

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बार-बार थकान के परेशान करने या फिर कमजोरी महसूस होने पर Sprowt Vitamin-B12 को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए. इसका सेवन शरीर काे तुरंत ऊर्जावान बनाता है -

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जीवनशैली में बदलाव

डॉक्टर व्यक्ति के लाइफस्टाइल चेंजेस पर ध्यान देंगे. उनके रूटीन में बदलाव का सुझाव दे सकते हैं. डाइट में बदलाव कर पौष्टिक आहार लेना, सही वक्त पर सोना या उठना, फिजिकल एक्टिविटी जैसे - वॉक करनासाइकिल चलानाव्यायाम या योग करना.

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स्ट्रेस का उपाय

अगर एड्रिनल फटीग के पीछे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा कोई कारण है, तो डॉक्टर काउंसलिंग या स्ट्रेस कम करने के उपाय अपनाने की सलाह दे सकते हैं. इसके साथ ही ध्यान लगाना यानी मेडिटेशन करने का सुझाव भी दे सकते हैं.

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एड्रिनल फटीग टर्म को अभी तक मेडिकली किसी तरह की स्वीकृति नहीं मिली है, लेकिन एड्रिनल इनसफिशिएंसी नामक टर्म जरूर है. इसलिए, अगर किसी को यहां बताया गया कोई भी लक्षण अपने में लंबे वक्त से महसूस हो रहा है, तो इस पर ध्यान दें. सही वक्त पर डॉक्टर से मिले और उसी अनुसार अपने जीवनशैली में बदलाव करें. बहुत देर तक किसी कार्य को करने से थकान होना सामान्य है, लेकिन अगर बिना किसी कारण ही थकान या सुस्ती लगातार बनी रहती है, तो इस बारे में डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूरी है. 

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