आपके दिल की धड़कन आपकी ओवरऑल हेल्थ का आईना है. यह आपको संभावित स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में भी बताती है. अमूमन लोगों को यह लगता है कि दिल घड़ी की तरह टिक-टिक करता है, जबकि सच तो यह है कि दिन भर इसके धड़कने में बदलाव होता रहता है. एक्सरसाइज या नर्व्स की स्थिति में दिल की धड़कन तेज हो जाती है. आराम से बैठे हुए दिल की धड़कन धीमी हो जाती है, लेकिन आराम करने के दौरान दिल प्रति मिनट कितनी बार धड़कता है, यह जानना जरूरी है.

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वयस्कों के लिए दिल की धड़कन की सामान्य रेंज प्रति मिनट 60 से 100 धड़कन है. यदि इस रेंज के बीच दिल धड़कता है, तो इसका मतलब है कि दिल अच्छे तरीके से काम कर रहा है. अगर दिल की धड़कन प्रति मिनट 100 से अधिक है, तो इसे कम करना चाहिए. एक्सरसाइज की मदद और स्ट्रेस के साथ ही स्मोकिंग से दूर रहकर दिल की धड़कन को नियंत्रित किया जा सकता है.

इस लेख में हम दिल की धड़कन कम करने के उपाय के बारे में जानेंगे -

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  1. अचानक बढ़े दिल की धड़कन, तो क्या करें?
  2. इन टिप्स से हार्ट रेट हमेशा रहेगी संतुलित
  3. सारांश
  4. दिल की धड़कन कम कैसे करें? के डॉक्टर

कई बार दिल की धड़कन तनाव या पर्यावरण कारणों की वजह से अचानक बढ़ जाती है. इसे मेडिटेशन और ब्रीदिंग टेक्निक की मदद से कम किया जा सकता है. नीचे हम बता रहे हैं कि अचानक बढ़ी हुई दिल की धड़कन को कैसे कम किया जा सकता है -

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अमूमन खराब लाइफस्टाइल की वजह से दिल की धड़कन लंबी अवधि के लिए बढ़ी हुई रहती है. इसे रेस्टिंग हार्ट रेट कहा जाता है. रेस्टिंग हार्ट रेट का मतलब है कि बैठे, सोते या रिलैक्स करने के दौरान दिल कितनी बार धड़कता है. अगर इस समय भी दिल की धड़कन प्रति मिनट 100 से ऊपर जाती है, तो इसका मतलब है कि दिल की धड़कन को कम करने की जरूरत है. आइए, विस्तार से जानते हैं कि दिल की धड़कन को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है -

  1. एक्सरसाइज
  2. स्ट्रेस मैनेजमेंट
  3. शराब व तंबाकू से दूरी
  4. संतुलित वजन
  5. हाइड्रेटेड रहना
  6. भरपूर नींद
  7. संतुलित डाइट

एक्सरसाइज

दिल की धड़कन बढ़ने का एक आम कारण खराब हो रही लाइफस्टाइल है. अपने रेस्टिंग हार्ट रेट को हेल्दी रेंज में लाने के लिए एक्सरसाइज जरूरी है. पर्याप्त एक्सरसाइज करने से दिल मजबूत होता है. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की सलाह है कि प्रति हफ्ते कम से कम 150 मिनट हेल्दी वर्कआउट या 75 मिनट मेहनत वाली एक्टिविटी की जाए. एक्सरसाइज करने से हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और वेट मैनेजमेंट में भी मदद मिलती है.

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स्ट्रेस मैनेजमेंट

एंजाइटी और स्ट्रेस से भी दिल की धड़कन बढ़ती है. इसे कम करने के लिए जरूरी है कि खुद को शांत रखने का प्रयास किया जाए. स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए मेडिटेशन व योग आदि का सहारा लिया जा सकता है.

शराब व तंबाकू से दूरी

कैफीन और सिगरेट दिल की धड़कन को बढ़ाते हैं. इनके परहेज से दिल की धड़कन कम होती है. इसी तरह अल्कोहल शरीर को डिहाइड्रेट करने में अहम भूमिका निभाती है. यह एक टॉक्सिन है, जिसे प्रोसेस करने और हटाने में बॉडी को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. इसलिए, इन सभी चीजों से दूरी बनाए रखना जरूरी है.

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संतुलित वजन

अधिक वजन रहने से बॉडी को ब्लड सर्कुलेशन में अधिक मेहनत करनी पड़ती है. इससे दिल की धड़कन भी बढ़ती है. ऐसे में यदि हेल्दी वेट रहेगा, तो यह ओवरऑल हार्ट हेल्थ के लिए अच्छा है.

हाइड्रेटेड रहना

हाइड्रेशन से आपका खून मोटा हो जाता है और खून को सर्कुलेट करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है. इसलिए, जरूरी है कि पर्याप्त मात्रा में पानी पिया जाए. पानी के साथ-साथ हर्बल टी का सेवन भी किया जा सकता है.

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भरपूर नींद

यदि गहरी और पर्याप्त नींद नहीं आती है, तो इससे बॉडी को तनाव महसूस होता है, जिसमें दिल भी शामिल है. इसलिए, जरूरी है कि रोजाना रात में 7 से 9 घंटे की नींद ली जाए.

संतुलित डाइट

फल, सब्जियां, लीन प्रोटीननट्स आदि के सेवन से दिल की सेहत में सुधार होता है. एंटीऑक्सीडेंट और हेल्दी फैट वाले फूड्स और सप्लीमेंट्स ब्लड प्रेशर को भी कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं. इस तरह से दिल को पंप करने में आसानी रहती है.

ओमेगा 3 फैटी एसिड के लिए मछली, लीन मीट, नट्स, अनाज आदि का सेवन करना चाहिए. विटामिन-ए के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां सही रहती है. खट्टे फल, हरी सब्जियों और बीन स्प्राउट्स में विटामिन-सी रहता है, इनका सेवन भी करना चाहिए. अपने डॉक्टर की सलाह पर मल्टी विटामिन, ओमेगा-3 सप्लीमेंट और फाइबर सप्लीमेंट्स भी लिए जा सकते हैं.

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अगर कुछ समय के लिए अचानक दिल की धड़कन बढ़ जाए, तो यह एक नैचुरल फिजिकल रिस्पॉन्स है, लेकिन अगर रेस्टिंग हार्ट रेट बढ़ा हुआ रहे, तो इसे कम करने की जरूरत पड़ सकती है. एक्सरसाइज, स्ट्रेस मैनेजमेंट, हेल्दी वेट मैनेजमेंट जैसे उपाय अपनाकर दिल की धड़कन को कम किया जा सकता है. यदि ये उपाय अपनाने के बाद भी दिल की धड़कन नियंत्रण में नहीं आती है, तो तुरंत कार्डियोलॉडिस्ट से संपर्क करना चाहिए. ये किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है.

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