जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर में बदलाव होने लगते हैं. बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं के स्तनों के आकार में भी बदलाव होता है. ये बदलाव एस्ट्रोजन हार्मोन के कम होने या स्किन इला‍स्टिसिटी में कमी आने के कारण भी हो सकता है. मेनोपॉज के बाद ब्रेस्ट के फर्मनेस और साइज में बदलाव होना भी सामान्य है. इसके अलावा, कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भी ब्रेस्ट साइज में बदलाव आ सकते हैं, जैसे - फाइब्रॉइड्स या ब्रेस्ट कैंसर. ऐसे में तुरंत इलाज की जरूरत होती है.

आज इस लेख में आप उम्र के हिसाब से ब्रेस्ट साइज में होने वाले बदलावों के बारे में जानेंगे -

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  1. बढ़ती के साथ ब्रेस्ट में बदलाव के कारण
  2. बचाव के तरीके
  3. सारांश
बढ़ती उम्र के साथ स्तनों में बदलाव के डॉक्टर

उम्र बढ़ने के साथ-साथ ब्रेस्ट के टिश्यूज व स्ट्रक्चर में बदलाव आना शुरू हो जाता है. ऐसा एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने से होता है. इस कारण ब्रेस्ट अपनी फर्मनेस और फुलनेस को खोने लगते हैं. आइए, इन कारणों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

सामान्य बदलाव

उम्र के साथ ब्रेस्ट में कुछ सामान्य बदलाव देखे जा सकते हैं. इसे अधिकत्तर महिलाएं बढ़ती उम्र के दौरान महसूस कर सकती हैं. इसमें मुख्य रूप से ब्रेस्ट पर खिंचाव या रिंकल्स के निशान नजर आना, निप्पलों का नीचे की तरफ झुकाव, लंबे, फैले या फ्लैट ब्रेस्ट, ब्रेस्ट के बीच में अधिक स्पेस आदि शामिल है.

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असामान्य बदलाव

ब्रेस्ट में होने वाले कुछ बदलाव सामान्य नहीं होते. यदि ऐसे लक्षण दिखें, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए. इन बदलावों में ब्रेस्ट में रेडनेस आना, ब्रेस्ट की स्किन का मोटा होना, निप्पलों में अधिक खिंचाव, ब्रेस्ट में दर्द होना, निप्पल से डिस्चार्ज आना, ब्रेस्ट में सूजन आना आदि शामिल है. इसके अलावा, एक ब्रेस्ट का दूसरे से अलग दिखना और ब्रेस्ट में गांठ महसूस होना, जो ब्रेस्ट कैंसर, सिस्ट या फाइब्रॉइड के कारण हो सकता है.

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आकार में बदलाव

बढ़ती उम्र के साथ एस्ट्रोजन लेवल कम होने से ब्रेस्ट के टिश्यूज में बदलाव आ जाता है. ब्रेस्ट के टिश्यूज डिहाइड्रेटेड हो जाते हैं और पहले की तरह इनकी इलास्टिक नहीं रहती. इससे ब्रेस्ट का वॉल्यू्म कम हो जाता है और ब्रेस्ट कप के साइज तक सिकुड़ जाते हैं. साथ ही इनमें ढीलापन भी आ जाता है. जब ब्रेस्ट टिश्यू कमजोर हो जाते हैं, जो स्किन स्ट्रेच हो जाती है और ग्रेविटी उन्हें नीचे की ओर खींचती है. इन बदलावों के कारण दोनों ब्रेस्ट के बीच स्पेस भी बढ़ जाता है.

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कठोरता में बदलाव

समय के साथ मैमरी ग्लैंड्स का साइज कम हो जाता है. ऐसे में ब्रेस्ट पहले से कहीं ज्यादा सॉफ्ट या रेगुलर शेप से अधिक फैटी दिख सकते हैं. ब्रेस्ट ऐसे में अधिक मुलायम और ढीले महसूस होते हैं. ऐसे में ब्रेस्ट की टाइटनेस को कम होते महसूस किया जा सकता है.

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निप्पलों में बदलाव

ब्रेस्ट साइज में बदलाव के साथ ही निप्पलों में भी बदलाव देख सकते हैं. एजिंग के दौरान निप्पलों का छोटा होना सामान्य बात है और इनके आसपास का एरिया जिसे ‘एरोला’ के नाम से जाना जाता है, लगभग गायब हो जाता है.

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ब्रेस्ट में गांठें

एजिंग के दौरान ब्रेस्ट में गांठों को महसूस किया जा सकता है. आमतौर पर ये गांठें हानिरहित सिस्ट होते हैं, लेकिन इन गांठों के महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए. डॉक्टर चेक करने के बाद पुष्टि कर सकते हैं कि ये ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण हैं या नहीं.

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मेनोपॉज का असर

ब्रेस्ट में ज्यादातर बदलाव मेनोपॉज के दौरान नजर आते हैं. मेनोपॉज एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. इस दौरान महिला का ओवुलेशन और मासिक धर्म चक्र बंद हो जाता है. ये ट्रांजिशन आमतौर पर 45 से 55 साल की उम्र के बीच होता है. यदि महिला को एक साल तक पीरियड नहीं होते, तो इसे मेनोपॉज माना जाता है.

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हार्मोन थेरेपी के कारण

हार्मोन थेरेपी शरीर में निर्मित होने वाले हार्मोन के स्तर को प्रभावित करती है. आमतौर पर हार्मोन थेरेपी ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए दी जाती है, ताकि कैंसर सेल्स की ग्रोथ को कम किया जा सके. हार्मोन थेरेपी के कारण ब्रेस्ट फर्मर और अधिक डेंस हो सकते हैं. ये स्थि‍ति तब भी हो सकती है, जब महिलाएं मेनोपॉज हार्मोन थेरेपी या हार्मोनल बर्थ कंट्रोल लेती हैं.

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ओवरी सर्जरी के कारण बदलाव

कुछ महिलाओं की ओवरी को कई कारणों से सर्जरी से रिमूव कर दिया जाता है. ऐसे में हार्मोंस के नुकसान होने से भी ब्रेस्ट में किसी भी समय बदलाव को नोट किया जा सकता है.

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बढ़ती उम्र को रोकने व उसके कारण स्तनों में आने वाले बदलाव को रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ चीजों का पालन कर इसके असर को कम जरूर किया जा सकता है -

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उम्र के हिसाब से ब्रेस्ट में बदलाव देखे जा सकते हैं. बढ़ती उम्र में जब रिप्रोडक्टिव हार्मोन एस्ट्रोजन का लेवल कम हो जाता है, तो ब्रेस्ट की शेप और टेक्स्चर में बदलाव देखा जा सकता है. एस्ट्रोजन का कम लेवल मैमरी ग्लैंड्स को सिकोड़ सकता है. ऐसे में ब्रेस्ट से कनेक्टिव टिश्यूज अपनी इलास्टिसिटी खो देते हैं. इन बदलावों से ब्रेस्ट सॉफ्ट और फ्लैट दिखने लगते हैं. यदि आप ब्रेस्ट में होने वाले बदलावों से असहज महसूस कर रही हैं, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. कई बार ब्रेस्ट में होने वाले बदलाव या गांठे ब्रेस्ट कैंसर का कारण हो सकती हैं.

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