मिर्गी एक तरह का तंत्रिका संबंधी विकार है जिसमें बार-बार दौरे पड़ते हैं। मिर्गी कुछ समय से लेकर लम्बे वक़्त तक हो सकती है। इसमें मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका (Nerve Cell) गतिविधि बाधित होने लगती है, जिसके कारण दौरे या कुछ समय तक असामान्य व्यवहार, उत्तेजना और कभी-कभी बेहोशी हो जाती है।

मिर्गी के दौरों से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर से उपचार कराना जरूरी होता है। लेकिन उसके अलावा कुछ घरेलू उपाय भी हैं जिनकी मदद से मिर्गी की समस्या से राहत मिल सकती है। इस लेख में हम आपको मिर्गी रोग को दूर करने के लिए घरेलू उपाय बता रहे हैं।

(और पढ़ें - मिर्गी का इलाज)

तो चलिए आपको बताते हैं मिर्गी के घरेलू उपाय –

  1. मिर्गी के उपाय के लिए विटामिन से समृद्ध आहार खाएं - Mirgi ke upay ke liye vitamin se samridh aahar khaye
  2. मिर्गी का घरेलू नुस्खा है योग - Mirgi ka gharelu nuskha hai yoga
  3. मिर्गी के घरेलू उपाय के लिए मछली के तेल का सेवन करें - Mirgi ke gharelu upay ke liye machli ke tel ka sewan kare
  4. मिर्गी से बचने के लिए एक्यूपंक्चर करवाएं - Mirgi se bachne ke liye accupunture karwaye
  5. मिर्गी से छुटकारा पाने के लिए ज्यादा से ज्यादा आराम करें - Mirgi se chutkara pane ke liye jyada se jyada aram kare
  6. मिर्गी बीमारी के लिए व्यायाम करें - Mirgi bimari ke liye vyayam kare
  7. मिर्गी के दौरे से छुटकारा पाने के लिए बायोफीडबैक की मदद लें - Mirgi ke daure se chutkara pane ke liye biofeedback ki madad le
  8. मिर्गी का घरेलू नुस्खा है ओमेगा3 फैटी एसिड - Mirgi ka gharelu nuskha hai omega3 fatty acid
  9. मिर्गी के दौरे कम करने के लिए खाने में बदलाव लायें - Mirgi ke dore ke upay ke liye khane me badlav laye
  10. मिर्गी रोग के लिए विटामिन बी6 लें - Mirgi rog ke liye vitamin b6 le

एक स्वस्थ डाइट रखने से मिर्गी का इलाज प्राकृतिक तरीके से हो सकता है। ऐसे बहुत से विटामिन हैं जो इस स्थिति का इलाज करने में मदद करते हैं। विटामिन ई में न्यूरॉन को नियंत्रित करने की क्षमता होती है जिनके कारण मिर्गी होती है। मिर्गी के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवा बायोटिन या विटामिन डी की कमी का कारण बन सकती हैं। ऐसे मामलों में डॉक्टर आपको विटामिन की गोलियां देते हैं। विटामिन बी1 की कमी से भी मिर्गी होती है, तो इस कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टर से पूछकर विटामिन बी1 के सप्लीमेंट खाएं। इनके अलावा कुछ अन्य विटामिन मिर्गी के इलाज में मदद कर सकते हैं, जैसे विटामिन बी6, विटामिन बी12 और विटामिन डी। 

(और पढ़ें - दिमाग सम्बंधित योग)

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तनाव को कम करने में योग बहुत मदद करता है क्योंकि यह मस्तिष्क को आराम पहुंचाता है। इसी तरह योग मिर्गी से पीड़ित लोगों को भी कई लाभ देता है। योग में गहरी सांस लेने और ध्यान का मिश्रण होता है जो आपकी मिर्गी की समस्या को नियंत्रित करता है और उससे छुटकारा दिलाता है। मिर्गी के लिए आप निम्नलिखित योग आसान कर सकते हैं -

यह बेहद जरूरी है कि आप ऊपर बताये योग आसन किसी कुशल योग गुरु की निगरानी में ही करें, अन्यथा आपको चोट लगने की सम्भावना बढ़ जायेगी।

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जिन बच्चों को मिर्गी के लिए किये जाने वाले इलाज से कोई असर नहीं हो रहा था, उनके ऊपर एक शोध किया गया जिसमें मछली के तेल में मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड से होने वाले मिर्गी के दौरों पर प्रभाव को देखा गया। इस शोध से यह पता चला कि फिश आयल लेने वाले तकरीबन 60% बच्चों में तीन महीने बाद दौरों की समस्या खत्म हो गयी है। इस स्वस्थ वसा का प्रभाव न्यूरॉन को नियंत्रित करने के लिए अहम भूमिका निभाता है, लेकिन मछली के तेल के सप्लीमेंट्स लेने से पहले अपने डॉक्टर से एक बार बात जरूर कर लें।

(और पढ़ें - मछली के तेल के फायदे)

मिर्गी से छुटकारा पाने के लिए एक्यूपंक्चर बहुत ही लोकप्रिय उपाय है। यह एक चायनीज चिकित्सीय इलाज है। एक्यूपंक्चर में, आपके शरीर पर किसी खास क्षेत्र पर बहुत ही पतली सूई की मदद से प्रेशर बनाया जाता है। एक्यूपंचर से आपको पूरी तरह से मिर्गी से छुटकारा नहीं मिलता, लेकिन जिन लोगों ने यह ट्रीटमेंट करवाया है उन्हें इस स्थिति में होने वाले तनाव से जरूर राहत मिली है। एक्यूपंक्चर ट्रीटमेंट से आपके शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। एक्यूपंक्चर किसी जानकार व्यक्ति से ही करवाएं।

(और पढ़ें - मिर्गी का दौरा पड़ने पर क्या करें

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तनाव और चिंता दोनों ही मिर्गी से संबंधित होते हैं। ऐसे बहुत से अलग-अलग तरीके भी हैं जिनकी मदद से मिर्गी से पीड़ित लोग खुद को व अपने दिमाग को शांत कर सकते हैं और दौरे पड़ने की संभावना को कम कर सकते हैं। इन तरीकों से आपकी मांसपेशियों को आराम मिलेगा और बेहतर नींद भी आएगी।

मिर्गी से पीड़ित लोग जो मैडिटेशन कर रहे हैं उन्हें थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए, इससे उनके मस्तिष्क में इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदलाव आ सकता है।

अरोमाथेरेपी के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले कुछ आवश्यक तेल जैसे लैवेंडर का तेल, कैमोमाइल और चमेली का तेल मिर्गी से बचाने के लिए काफी प्रभावी होते हैं।

रोजाना शारीरिक व्यायाम फिटनेस, ऊर्जा और मूड को सुधारते हैं, इससे मिर्गी रोग से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा, व्यायाम से हमारे शरीर को अच्छा कराने वाले हार्मोन जारी होने लगते हैं और मस्तिष्क तक ऑक्सीजन का प्रवाह बढने लगता है। आप निम्नलिखित तरीके से व्यायाम कर सकते हैं -

  1. रिलैक्स महसूस करने के लिए रोजाना वार्म अप और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें।
  2. मिर्गी से पीड़ित लोगों के लिए चलना बहुत ही आसान और सुरक्षित व्यायाम है। कम से कम हफ्ते में चार बार 45 मिनट के लिए चलें। (और पढ़ें - पैदल चलने के फायदे)
  3. स्विमिंग और अन्य पानी वाले खेल बहुत ही बेहतरीन व्यायाम हैं।
  4. दिमाग को शांत रखने के लिए आप अन्य गतिविधियां भी कर सकते हैं जैसे पौधे लगाना, दोस्तों से बाते करना आदि।
  5. इस बात का भी ध्यान रखें कि व्यायाम के बाद और व्यायाम से पहले ज्यादा से ज्यादा पानी पियें और अगर आपको किसी भी समय थकावट महसूस होती है तो उसी समय व्यायाम करना बंद कर दें।

 (और पढ़ें - पानी कब कितना और कैसे पीना चाहिए)

कुछ लोग मिर्गी से छुटकारा पाने के लिए बायोफीडबैक का इस्तेमाल बहुत ही बेहतरीन तरीके से करते हैं। अत्यधिक ट्रेनिंग और मशीन के उपयोग से दिमाग में होने वाली गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है, जिससे व्यक्ति दौरे पड़ने से पहले होने वाले लक्षणों को पहचान जाता है और अपने दिमाग को अचानक से दौरा पड़ने से बचने के लिए प्रशिक्षित करता है।

(और पढ़ें - दिमाग तेज़ कैसे करें)

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फैटी एसिड कोलेस्ट्रॉल और धमनियों में रुकावट की समस्या को दूर करता है, इससे एजिंग का प्रभाव कम होता है और दिमाग स्वस्थ रहता है व तंत्रिका में सुधार होता है। खाद्य पदार्थ जो ओमेगा3 फैटी एसिड से समृद्ध होते हैं, जैसे मछली और ड्राई फ्रूट्स। मिर्गी से बचने के लिए इस बात का ध्यान रखें कि आपको इन खाद्य पदार्थों को रोजाना अपनी डाइट में शामिल करना है। इन खाद्य पदार्थों में पर्याप्त मात्रा में ऐसे खनिजपोषक तत्व पाए जाते हैं, जो नसों और मस्तिष्क के स्वस्थ रूप से कार्य करने के लिए बेहद जरूरी होते हैं।

डाइट में कुछ बदलाव करके भी मिर्गी के दौरों को कम करने में मदद मिलती है। सबसे जानी मानी डाइट है कीटो डाइट, जिसमें अधिक मात्रा में फैट खाने पर ध्यान दिया जाता है। इस डाइट में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की मात्रा बहुत कम होती है।

अमरीका की "जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी" में कीटोजेनिक डाइट में कुछ बदलाव करके एक ऐसी डाइट को तैयार किया गया जिसमें काबोहाइड्रेट की मात्रा कम थी और फैट की मात्रा अधिक थी। इसे एटकिंस डाइट (Atkins diet) का नाम दिया गया। हाल ही में किये गए शोध में पाया गया कि मिर्गी से पीड़ित जिन लोगों ने इस डाइट को लिया उनमें मिर्गी के दौरे पड़ना आधे से कम हो गया।

विटामिन बी6 का उपयोग मिर्गी के एक दुर्लभ प्रकार के इलाज के लिए किया जाता है जिसे पैराडोक्सिन-डिपेंडेंट सीजर्स (pyridoxine-dependent seizures) कहते हैं। इस प्रकार की मिर्गी आमतौर पर गर्भ में या जन्म के तुरंत बाद विकसित होती है। यह इसलिए होता है क्योंकि आपका शरीर विटामिन बी-6 का ठीक से मेटाबॉलिज्म नहीं कर पाता। विटामिन बी6 के सप्लीमेंट्स लेने से पहले अपने डॉक्टर से एक बार जरूर कर लें।

 

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